2 अप्रैल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रि: कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक यहां पाए हर जानकारी…

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हिंदू धर्म में सबसे खास और पवित्र पर्व में से एक हैं नवरात्रि। इस दौरान मां दुर्गा के अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में देवी मां की पूजा करने से खास कृपा बरसती है। इस दौरान कई लोग व्रत रखकर भी दुर्गा मां को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। 

साल में नवरात्रि दो बार आते हैं। चैत्र नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चैत्र में मनाई जाती है। इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है और इसका समापन 11 अप्रैल को होगा। 10 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। 

पूरे 9 दिनों की हैं नवरात्रि

इस बार चैत्र नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक रहेगी। कई बार ऐसा होता है, जब तिथियां घट और बढ़ जाती है। नवरात्रि पर अगर तिथियां बढ़ती तो यानी नवरात्रि 9 दिनों की जगह 10 दिनों तक हो सकती है और जब तिथि घटी हुई होती है तो नवरात्रि 8 दिनों की भी हो सकती है। तिथि के सामान्य रहने पर ये पर्व 9 दिनों का ही होता है। बता दें कि 9 दिन की नवरात्रि को शुभ माना जाता है। जब नवरात्रि में एक दिन बढ़ा हुआ होता है, यानि नवरात्रि 10 दिनों की होती है, तो वो विशेष होती है। वहीं, 8 दिनों की नवरात्रि को अशुभ संकेतों वाला माना जाता है। 

घोड़े पर सवार होकर आएगीं माता रानी

चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा का आगमन इस बार घोड़े की सवारी पर होने जा रहा हैं। वैसे तो माता रानी सिंह की सवारी करती हैं, लेकिन नवरात्रि में पृथ्वी पर आते वक्त सवारी बदल जाती है। मां दुर्गा की सवारी उस दिन पर निर्भर करती है, जिस दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती हैं।  

इस बार नवरात्रि शनिवार से शुरू हो रहे हैं। जब नवरात्रि का आरंभ शनिवार या फिर मंगलवार को होता है, तो मां दुर्गा का आगमन घोड़े की सवारी पर होता है। घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। वहीं जैसे उनके आगमन की सवारी होती है, वैसे ही माता रानी के प्रस्थान की भी सवारी होती है। इस बार राम नवमी रविवार को है। रविवार या सोमवार को दुर्गा मां भैंसे की सवारी पर प्रस्थान करती हैं। भैंसे की सवारी का मतलब होता है रोग, दोष और कष्ट का बढ़ना। 

2 अप्रैल, पहला दिन: मां शैलपुत्री की पूजा और कलश स्थापना

3 अप्रैल, दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

4 अप्रैल, तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा की पूजा

5 अप्रैल, चौथा दिन: मां कुष्मांडा की पूजा

6 अप्रैल, पांचवा दिन: देवी स्कन्दमाता की पूजा

7 अप्रैल, छठा दिन: मां कात्यायनी की पूजा

8 अप्रैल, सातवां दिन: मां कालरात्रि की पूजा

9 अप्रैल, आठवां दिन: देवी महागौरी की पूजा, दुर्गा अष्टमी

10 अप्रैल, नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री की पूजा, राम नवमी

11 अप्रैल, दसवां दिन: नवरात्रि का पारण, हवन

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त…

नवरात्रि में कलश स्थापना का भी काफी महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करना काफी अच्छा माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक इस बार प्रतिपदा तिथि एक अप्रैल को सुबह 11:53 बजे से लग रही है और ये 2 अप्रैल को सुबह 11:58 बजे समाप्त होगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:22 से 8:31 बजे तक का है। वहीं घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 से 12:57 बजे तक रहेगा। वहीं इस बार राहुकाल 2 अप्रैल को सुबह 9:17 से 10.51 बजे तक रहेगा। हिंदू शास्त्रों के अनुसार राहुकाल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता। 

कलश स्थापना विधि… 

सबसे पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। फिर मंदिर की भी साफ सफाई और लाल कपड़ा बिछा दें। कपड़े पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बोएं। इस पात्र पर जल से भरा कलश स्थापित करें।

कलश पर स्वास्तिक बनाएं और कलावा भी बाधें। साथ में कलश में सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें। इसके अलावा एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा बांधे। इस नारियल को कलश के ऊपर रखकर देवी दुर्गा का ध्यान करें। दीप जलाकर कलश की पूजा करें।

नवरात्रि में फूलों का महत्व

नवरात्रि की पूजा में वैसे तो कई बातें हैं, जिनका खास ध्यान रखना होता है। नवरात्रि की पूजा में फूलों का भी काफी विशेष महत्व होता है। हर देवी-देवता को खास तरीके के फूल पसंद होते हैं। नवरात्रि में भी मां को ऐसे कुछ फूल होते हैं, जो मां को काफी प्रिय होते हैं, जिन्हें भक्तों को उन्हें प्रसन्न करने के लिए चढ़ाना चाहिए। वहीं कुछ फूल ऐसे भी होते हैं, जिनको देवी मां बिल्कुल पसंद नहीं करती।

नहीं चढ़ाने चाहिए ऐसे फूल 

ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार, वो फूल जो अपवित्र स्थानों पर उगते हैं, जिनकी पंखुड़ियों बिखरी होती हैं, तेज गंध वाले फूल, सूंघे हुए फूल या फिर जमीन पर गिरे हुए फूल..ये सभी देवी मां को पसंद नहीं आते। इसलिए ऐसे फूलों को चढ़ाने से मां नाराज भी हो सकती हैं।

9 दिन माता रानी को चढ़ाएं अलग अलग फूल

वहीं अब बात करते हैं उन फूलों की जो मां दुर्गा को पसंद होते हैं। नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा को 9 अलग अलग तरह के फूल चढ़ाकर, भक्त उनको प्रसन्न करने की कोशिश कर सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कि नवरात्रि के किस दिन कौन-से दिन फूल चढ़ाने चाहिए… 

पहला दिन- नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। मां को इस दिन गुड़हल का फूल या सफेद कनेर के फूल चढ़ा सकते हैं।

दूसरा दिन- नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का है। इस दिन गुलदाउदी का फूल और वटवृक्ष के फूल में से आप किसी को चढ़ा सकते हैं।

तीसरा दिन- नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है। आप मां दुर्गा को तीसरे दिन कमल का फूल और शंखपुष्पी का फूल चढ़ा सकते हैं।

चौथे दिन- मां दुर्गा का चौथा स्वरूप कुष्मांडा देवी का होता है। आप इस दिन चमेली का फूल या पीले रंग का कोई भी फूल चढ़ाकर मां को प्रसन्न करने की कोशिश कर सकते हैं। 

पांचवां दिन- नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इनको भी पीले रंग के फूल ही काफी पसंद होते हैं। इन फूलों को चढ़ाने से मां प्रसन्न होती हैं।

छठा दिन- मां का छठा स्वरूप कात्यायनी देवी का है। इनको गेंदे के फूल और बेर के पेड़ का फूल प्रिय होता है।

सांतवां दिन- मां दुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा नवरात्र के सातों दिन होती है। माता को नीले रंग का कृष्ण कमल का फूल सबसे ज्यादा पसंद होता है।

आठवां दिन- नवरात्रि के आठनें दिन महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। इनको मोगरे का फूल सबसे प्रिय है और ये फूल चढ़ाने से देवी मां प्रसन्न होती हैं।

नौवां दिन- देवी मां का नौवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री का है। इन दिन आप मां को प्रसन्न करने के लिए चंपा और गुड़हल चढ़ा सकते हैं।

गलती से भी ना करें ये काम

नवरात्रि में भक्तों को  मां की पूजा करते हुए कुछ चीजों का पालन करना होता है, नहीं तो पूजा और व्रत का फल नहीं मिलता। आइए आज हम ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बता देते हैं, जिनका नवरात्र के दौरान ख्याल रखा जाना चाहिए…

– नवरात्रि के दौरान भूलकर भी लहसुन, प्याज और नॉन वेज का सेवन नहीं करना चाहिए।

शराब और तंबाकू का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

– इसके अलावा दाढ़ी-मूंछ, बालों और नाखूनों को इन नौ दिन नहीं कटाना चाहिए।

– साथ में अगर आपने अपने घर में कलश स्थापना की है, अखंड ज्योति जला रखीं हैं या फिर माता की चौकी का आयोजन किया, तो घर को बिल्कुल भी खाली छोड़कर ना जाएं।

– पूजा के दौरान भूलकर भी काले रंग के कपड़े ना पहनें।

– नवरात्रि के दौरान शारीरिक संबंध नहीं बनाए जाने चाहिए।

– इसके अलावा महिलाएं मासिक धर्म के दौरान पूजा ना करें। 

– नवरात्रि में जो लोग व्रत रख रहे हैं, उनको अनाज का सेवन भी नहीं करना चाहिए। हालांकि व्रत खोलने के लिए कुट्टू-सिंघाड़े का आटा, आलू, सेंधा नमक, मेवा, मूंगफली समेत दूसरी चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

– विष्णु पुराण के अनुसार नवरात्रि व्रत के दौरान दिन के वक्त सोना भी नहीं चाहिए।

नवरात्रि पर करें ये खास उपाय…

नवरात्रि पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा तो होती ही है। वहीं अगर इस दौरान कुछ विशेष उपाए किए जाएं, तो उसका खास लाभ मिलता हैं। मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और हर अधूरी इच्छा पूरी होती है। आइए इन खास उपायों के बारे में जान लेते हैं… 

अखंड ज्योति- 

वैसे तो अधिकतर घरों में नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाई जाती है। हालांकि अगर देवी के सामने मिट्टी के नौ दीपक में अखंड जौत जलाएं और पूजा-आराधना करें, तो इसका विशेष फल मिलता है। लेकिन इस दौरान ये भी ध्यान रखने की जरूरत होती है कि ज्योति बुझनी नहीं चाहिए। 

हनुमान जी की भी करें पूजा-

नवरात्रि के दिनों में हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए। इसका भी विशेष महत्व मिलता है। नवरात्रि में पत्ते में लोंग और बतासा रखकर हनुमान जी को अर्पित करने से हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है और साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती है।

मां को अर्पित करें ये चीजें-

नवरात्रि के दौरान रोजाना चुनरी में पांच सूखे मेवे रखकर देवी मां को अर्पित करें। साथ ही धूप जलाकर मां की पूजा करें। इससे दुर्गा मां की कृपा आप पर बनती हैं और अधूरी इच्छा पूरी होती है।

लगाएं इन चीजों का भोग-

इलायची और मिश्री…इन दो चीजों का नवरात्रि के हर दिन भोग लगाएं। साथ ही ताजा पान के पत्ते में लोंग और पतासा रखकर इसको देवी मां को अर्पित करें। ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होगीं और सुख, वैभव का वरदान आपको मिलेगा। 

मंत्र का करें जाप-

साथ ही नवरात्रि में रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला से हर दिन ॐ दुर्गायै नम: मंत्र का जाप करें। इससे भी देवी मां की विशेष कृपा मिलती हैं।

नेड्रिक न्यूज की तरफ से चैत्र नवरात्रि की आपको हार्दिक शुभकामनाएं। 

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