पारंपरिक पोशाक, नंगे पैर…पद्म श्री विजेता तुलसी गौड़ा की सादगी ने जीता सबका दिल! जानिए इनकी पूरी कहानी

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सोमवार को राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों का आयोजन किया गया। इस दौरान कुल 109 हस्तियों को अलग-अलग क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया। जिन हस्तियों को पद्म श्री पुरस्कार मिला, उनमें से कई जाने पहचाने चेहरे थे। तो वहीं इसमें कुछ चेहरे ऐसे भी शामिल रहे, जिनके लोग अनजान हैं। 

सोशल मीडिया पर वायरल हुई ये तस्वीर

ऐसी ही एक शख्सियत हैं तुलसी गौड़ा। सोशल मीडिया बीते एक दो दिन से एक तस्वीर काफी ज्यादा वायरल हैं, जिसमें नंगे पांव और धोतीनुमा पारंपरिक कपड़े पहने एक महिला पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के सामने खड़ी हुई नजर आ रही हैं। पीएम मोदी और अमित शाह हाथ जोड़कर उन्हें सम्मान दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग उनकी ये सादगी हर किसी का दिल जीत रही हैं। 

सोशल मीडिया पर इस तस्वीर के वायरल होने के बाद कई लोगों के मन में दिलचस्पी हो रही हैं, तुलसी गौड़ा की कहानी जानने के लिए। कई लोग जानने चाहते हैं कि तुलसी गौड़ा कौन हैं? किस क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया? तो आइए हम आपको बताते हैं तुलसी गौड़ा की पूरी कहानी के बारे में…

इन्हें कहा जाता है ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’

तुलसी गौड़ा का जन्म कर्नाटक के गांव होन्नली में हुआ। वो हक्काली जनजाति में संबंध रखती हैं। वो एक गरीब और वंचित परिवार में पली-बढ़ी। जब वो महज 3 साल की थीं, तो उनके पिता का देहांत हो गया। कम उम्र में उनकी शादी कर दी गई थीं। तुलसी कभी स्कूल नहीं जा सकी, बावजूद इसके उन्हें  पेड़-पौधों का इतना ज्ञान था कि तुलसी गौड़ा को ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ तक के नाम से लोग बुलाने लगे। 

वो पिछले 6 दशकों से पर्यायवरण संरक्षण के लिए काम करती आ रही हैं। ऐसा करना उन्होंने कम उम्र से ही शुरू कर दिया था। तुलसी जब छोटी थीं, तब वो अपनी मां के साथ नर्सरी में काम किया करती थीं। शायद यही से उनके मन में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने का जज्बा आया होगा। तुलसी गौड़ा अब तक 30 हजार से भी ज्यादा पौधे लगा चुकी हैं। 12 साल की उम्र से वो ये काम करती आ रही हैं। साथ ही साथ वो अब भी वो वन विभाग की नर्सरी की देखभाल करती हैं। 

दुनिया के लिए मिसाल हैं तुलसी

तुलसी गौड़ा आज 77 साल की हो चुकी हैं। वो आज भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए पौधों का पोषण करती हैं। साथ ही साथ तुलसी गौड़ा ये भी चाहती हैं कि पेड़ पौधों को लेकर उनके पास जो भी ज्ञान हैं, वो उसे युवा पीढ़ी को दें। तुलसी को पद्म श्री से पहले ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र अवॉर्ड’, ‘राज्योत्सव अवॉर्ड’ और ‘कविता मेमोरियल’ जैसे कई और पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका हैं। 

तुलसी गौड़ा ने अपना पूरा जीवन पर्यायवरण और पर्यावरण के संरक्षण में ही लगा दिया। ऐसी महान शख्सियत आज पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन चुकी हैं। 

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