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Bangladesh-China relations: बांग्लादेश के कार्यवाहक सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस के बयान पर बवाल, त्रिपुरा में राजनीति गरमाई

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Bangladesh-China relations: बांग्लादेश के कार्यवाहक सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के एक हालिया बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। यूनुस ने चीन दौरे के दौरान कहा था कि उत्तर-पूर्व भारत एक लैंडलॉक्ड इलाका है, और केवल बांग्लादेश ही इस क्षेत्र को समंदर तक पहुंच प्रदान कर सकता है। उनके इस बयान ने भारत में राजनीति को गरमा दिया है, और त्रिपुरा में सरकार और विपक्ष दोनों ने एकजुट होकर केंद्र सरकार से इस पर सख्त प्रतिक्रिया की मांग की है।

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बांग्लादेश के बयान पर भारतीय नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया- Bangladesh-China relations

त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तर्जुमान नबेंदु भट्टाचार्य ने इस बयान को पूरी तरह से बेबुनियाद और भारतीय सरहदों का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कई कदम उठा रही है और बांग्लादेश में जो चल रहा है, उससे हम पूरी तरह से अवगत हैं। इसके साथ ही, विपक्षी नेता जितेंद्र चौधरी ने इसे बचकाना बयान करार देते हुए कहा कि समंदर तक पहुंच का मसला अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत तय होता है, न कि किसी एक व्यक्ति के निर्णय से।

प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने दी सख्त चेतावनी

टीआईपीआरए मोथा के नेता प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर इस बयान को सीधे-सीधे उत्तर-पूर्व को धमकाने की कोशिश बताया। उन्होंने कहा, “यूनुस का यह बयान चीन को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित करना है, जो देश की संप्रभुता के लिए खतरा हो सकता है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भारतीय सरकार ने अब इस पर सख्त कदम नहीं उठाए, तो ये बयान और धमकियां बढ़ती जाएंगी। प्रद्योत ने यह भी कहा कि यूनुस का बयान भारत के ‘चिकन नेक’ कॉरिडोर को कमजोर करने की कोशिश है, जो उत्तर-पूर्व भारत को बाकी देश से जोड़ता है।

नॉर्थ-ईस्ट के नेताओं का विरोध

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के नेताओं ने भी इस बयान की कड़ी आलोचना की है। सरमा ने कहा, “यह बयान पूरी तरह से उकसाने वाला है और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि चिकन नेक कॉरिडोर को मजबूत करने के लिए वैकल्पिक सड़क और रेलवे नेटवर्क पर काम किया जाना चाहिए। वहीं, मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने भी इस बयान को भारत की अखंडता को चुनौती देने वाला बताया और कहा कि इसे हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

विपक्ष ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर उठाए सवाल

इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि यह दुखद है कि भारत की विदेश नीति इतनी कमजोर हो गई है कि अब बांग्लादेश जैसे छोटे देश को भी चीन के करीब जाने का अवसर मिल रहा है। तृणमूल कांग्रेस की नेता सुष्मिता देव ने भी यूनुस पर तंज करते हुए कहा कि पहले उन्हें अपने ही देश की सीमाओं पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि बांग्लादेश तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ है।

चटगांव पोर्ट की ऐतिहासिक गलती

प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने एक ऐतिहासिक मुद्दा उठाया और कहा कि अगर 1947 में चटगांव पोर्ट भारत के पास रहता, तो आज इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने भविष्यवाणी की कि यूनुस, जो खुद अस्थायी नेता हैं, ज्यादा दिनों तक सत्ता में नहीं रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि त्रिपुरा और चटगांव पोर्ट बहुत दूर नहीं हैं, और बांग्लादेश को यह बात याद रखनी चाहिए।

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