FPO पर गौतम अडानी ने क्यों लिया यू-टर्न, खुद सामने आकर बताई वजह

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इस वजह से बंद हुआ फुल सब्सक्राइब्ड एफपीओ 

अदाणी ग्रुप (Adani Group) को लेकर हिंडनबर्ग (Hindenburg ) ने एक रिपोर्ट जारी करी थी और इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद से ही अदाणी पर इसका बड़ा असर हुआ है. दरअसल, हिंडनबर्ग द्वार जारी की गयी रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयर (Adani share) 20 से 25 प्रतिशत तक लुढ़क गए हैं और ये गिरावट अभी भी जारी है. इस बीच इस गिरावट को लेकर गौतम अडानी (Gautam Adani) एक अप्रत्याशित फैसला लिया है उन्होंने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) का 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ (FPO) वापस लेने का फैसला किया है और ये फैसला अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने के बाद लिया है. 

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जानिए क्या है मामला 

पिछले बुधवार हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आई थी और यूएस (US) आधारित इन्वेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप की कंपनियों पर धोखाधड़ी (Fraud) व मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) का आरोप लगाया है और इसी सम्बन्ध में एक रिसर्च रिपोर्ट जारी की है. वहीं इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप को कई लाख करोड़ का नुकसान हुआ। वहीं इस रिपोर्ट असर इस तरह हुआ है कि अमीरों की लिस्ट में चौथे नंबर पर अडाणी 7वें पर आ गए थे। 25 जनवरी को उनकी नेटवर्थ 9.20 लाख करोड़ थी, जो 27 जनवरी को 7.88 लाख करोड़ रुपए पर आ गई थी। रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों को 4.17 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। इसी के साथ इस रिपोर्ट को लेकर अदाणी ग्रुप ने 413 पन्नों में अपनी प्रतिक्रिया दी है.

अडानी ग्रुप को हुआ 90 अरब डॉलर

वहीं इस हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की वजह से अडानी ग्रुप का मार्केट कैप करीब 90 अरब डॉलर घट गया है साथ ही अडानी की नेटवर्थ में 48.5 अरब डॉलर की गिरावट आई है और वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 13वें नंबर पर खिसक गए हैं। इस बीच अडानी ने खुद इस एफपीओ को वापस लेने की वजह बताई है।

वहीं अडानी ने एक बयान में कहा कि पिछले हफ्ते कंपनी के शेयर में काफी उतार चढ़ाव के बावजूद एफपीओ मंगलवार को सफलतापूर्वक बंद हुआ। कंपनी और उसके कारोबार के प्रति आपका भरोसा हमारा विश्वास बढ़ाने वाला है जिसके लिए हम आपके आभारी हैं। बुधवार को भी कंपनी के शेयर में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव रहा। असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर, कंपनी के बोर्ड ने फैसला किया है कि एफपीओ पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से ठीक नहीं होगा। निवेशकों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है और उन्हें किसी तरह के संभावित नुकसान से बचाने के लिए बोर्ड ने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है।

इसी के साथ अडानी ग्रुप के चेयरमैन ने कहा, ‘कई लोगों को इस फैसले पर आश्चर्य हो रहा होगा कि फुली सब्सक्राइब होने के बावजूद इसे वापस क्यों लिया गया। लेकिन मार्केट में कल आए उतारचढ़ाव के बाद बोर्ड को लगा कि इस एफपीओ को आगे बढ़ाना नैतिक रूप से सही नहीं होगा। चार दशक की आंट्रप्रन्योर के तौर पर यात्रा के दौरान मुझे खासतर पर निवेशकों का भारी सपोर्ट मिला है। मुझे जीवन में जोकुछ हासिल हुआ है, उसकी वजह निवेशकों का भरोसा है। मेरी सफलता में उनकी वजह से है। मेरे लिए निवेशकों का हित सबसे ऊपर है और बाकी चीजें बाद में हैं। इसलिए निवेशकों को संभावित घाटे से बचाने के लिए हमने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है।

बैलेंस शीट और एसेट्स हैं मजबूत- अडानी 

वहीं उन्होंने कहा कि इस फैसले का हमारे मौजूदा कामकाज और भविष्य की योजनाओं पर कोई असर नहीं होगा। हमारा फोकस अपने प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने पर रहेगा। हमारी कंपनी के फंडामेंटल्स स्ट्रॉन्ग हैं। हमारी बैलेंस शीट और एसेट्स मजबूत हैं। हमारा एबिटा लेवल और कैश फ्लो स्ट्रॉन्ग है और कर्ज के समय पर भुगतान का हमारा अच्छा रेकॉर्ड है। हमारा फोकस लॉन्ग टर्म वैल्यू क्रिएशन और ग्रोथ पर बना रहेगा और हम अपने संसाधनों से यह काम करेंगे। बाजार में स्थिरता आने के बाद हमें अपनी कैपिटल मार्केट स्ट्रैटजी की समीक्षा करेंगे। अडानी ने इनवेस्टर बैंकर्स, इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स और शेयरहोल्डर्स को धन्यवाद देते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से स्टॉक में जारी उतारचढ़ाव के बावजूद उन्होंने कंपनी, उसके बिजनस और मैनेजमेंट पर भरोसा बनाए रखा। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में भी कंपनी को यह सपोर्ट मिलता रहेगा। वहीँ उन्होंने ये भी कहा कि मुझे जीवन में जोकुछ हासिल हुआ है, उसकी वजह निवेशकों का भरोसा है। मेरी सफलता में उनकी वजह से है। मेरे लिए निवेशकों का हित सबसे ऊपर है और बाकी चीजें बाद में हैं। इसलिए निवेशकों को संभावित घाटे से बचाने के लिए हमने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है।

देश का बड़ा एफपीओ हुआ बंद 

आपको बता दें, अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ देश का अब तक का सबसे बड़ा एफपीओ था। यह पिछले हफ्ते शुक्रवार को खुला था लेकिन पहले दो दिन इसे ठंडा रिस्पांस मिला। इसकी वजह अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप के बारे में एक निगेटिव रिपोर्ट थी. जिसका असर देखने अदानी के शेयर पर देखने को मिला. 

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