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Bigg Boss 18: चुम दरांग के गाली देने पर भड़क उठे अविनाश मिश्रा, खो दिया आपा और शुरू हो गई हाथापाई, क्या होंगे शो से बाहर?

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Chum Darang-Avinash Mishra fight
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रियलिटी शो ‘बिग बॉस 18’ (Bigg Boss 18) के घर में हर दिन कोई न कोई विवाद होता रहता है। शो इस समय काफी दिलचस्प मोड में चल रहा है। इस हफ्ते घर से बेघर होने के लिए 10 सदस्य नॉमिनेट हुए हैं, लेकिन राशन पाने के लिए किन्हीं दो को जेल जाना पड़ेगा या फिर किसी एक को एलिमिनेट किया जा सकता है। इस बीच अविनाश मिश्रा और चुम दरंग (Chum Darang-Avinash Mishra fight) के बीच इतनी लड़ाई हो जाती है कि घरवाले अविनाश को एलिमिनेट करने के लिए वोट करने पर मजबूर हो जाएंगे। और अब सवाल यह है कि क्या अविनाश घर से बेघर होने वाले हैं।

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दरअसल, बिग बॉस 18 के बुधवार के एपिसोड के प्रोमो वीडियो में दिखाया गया है कि सभी कंटेस्टेंट लिविंग एरिया में एक साथ बैठे हैं। बिग बॉस कहते हैं, ‘अगर आप घरवाले हैं और चाहते हैं कि घर में राशन आए और घर का भविष्य अच्छा हो तो अभी आपको दो घरवालों को जेल में डालना होगा या उनमें से किसी एक को घर से बेघर करना होगा।’

अविनाश और आरफीन खान के झगड़े से शुरू हुआ विवाद

इसके बाद अविनाश मिश्रा खुद ही कहने लगते हैं, ‘हम चाहते हैं कि अविनाश जेल जाए।’ फिर आरफीन खान कुछ कहते हैं, जिसके बाद अविनाश भड़क जाते हैं और कहते हैं, ‘मुझसे पंगा मत लेना!’ दोनों के बीच तीखी बहस होती है। अविनाश कहते हैं, ‘किसी की अकेले बोलने की हिम्मत नहीं है, जब मैं बोलता हूं तो सबकी जुबान खुल जाती है।’

दोनों की लड़ाई में कूदीं चुम दरांग- Chum Darang-Avinash Mishra fight

आरफीन खान चुप होने को बोलते हैं, यह सुनकर अविनाश और गुस्सा हो जाता है। फिर चुम दरांग समझाने की कोशिश करती है, लेकिन अविनाश उससे कहता है, ‘मुझसे बात करो, उनसे मत बात करो।’ इसके बाद चुम भी अपना आपा खो देती है और कहती है, ‘हम बात कर रहे हैं, लेकिन तुम सुन नहीं रहे हो!’

चुम ने दी गाली

अविनाश और आरफीन की लड़ाई अब अविनाश और चुम की लड़ाई शुरू हो जाती है। बहस के दौरान चुम अपशब्द का इस्तेमाल करती हैं, जिसके बाद अविनाश का गुस्सा फूट पड़ता है। वो कंट्रोल से बाहर हो जाते हैं। इसके बाद रजत दलाल की आवाज आती है, ‘हमने जो रास्ता नहीं चुना था, जो सही नहीं था, इस बिहेवियर के बाद हमें लगता है कि वो चीज जायज है। हमारे पास 10 वोट हैं, जो एलिमिनेशन के फेवर में हैं।’

अविनाश होंगे एविक्ट!

इसके बाद बिग बॉस घोषणा करते हैं कि अविनाश अभी घर से बेघर (Avinash Mishra eviction) होते हैं। इस खबर से उनकी दोस्त ईशा और एलिस चौंक जाती हैं। मालूम हो कि इस हफ्ते घर से बेघर होने के लिए 10 कंटेस्टेंट नॉमिनेट हुए थे।

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पहली पत्नी के जाने के बाद डिप्रेशन में थे हरिवंश राय बच्चन, बिग बी ने बताया बरेली में हुई थी मां से पहली मुलाकात

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Harivansh Rai Bachchan family
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बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वैसे तो वह अपनी निजी जिंदगी पर चर्चा करने से बचते हैं, लेकिन हाल ही में उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ा एक बेहद अहम किस्सा शेयर किया है। दरअसल, कौन बनेगा करोड़पति 16 (Kaun Banega Crorepati 16) के हालिया एपिसोड में अमिताभ बच्चन ने अपने पिता मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन (Amitabh Bachchan’s father Harivansh Rai Bachchan) के बारे में बात की। उन्होंने अपने पिता की पहली पत्नी श्यामा बच्चन के बारे में पहली बार खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि श्यामा बच्चन से शादी के बाद उन्हें ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) जैसी गंभीर बीमारी हो गई और बेहद कम उम्र में ही उनकी मौत हो गई। यह घटना हरिवंश राय बच्चन के जीवन में एक बड़ी त्रासदी साबित हुई, जिसने उनके जीवन और लेखन को गहरे स्तर पर प्रभावित किया।

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हरिवंश राय बच्चन अपनी पहली पत्नी की मौत के बाद टूट गए थे

अमिताभ बच्चन ने बताया, मेरे बाबूजी की पहली पत्नी का निधन हो गया था। पत्नी की मौत के बाद उनकी हालत बहुत गंभीर हो गई थी। वह उदास रहने लगे थे। पहली पत्नी की मौत के बाद उन्होंने जो भी कविताएँ लिखीं, उनमें उनका दुख और दर्द झलकता है। कुछ सालों बाद वह पैसे कमाने के लिए कवि सम्मेलनों में जाने लगे।

Amitabh Bachchan
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तेजी बच्चन से इस तरह हुई पहली मुलाकात- Teji Bachchan and Harivansh Rai Bachchan

अमिताभ बच्चन ने यह भी साझा किया कि बरेली में उनकी मां तेजी बच्चन (Amitabh Bachchan’s mother Teji Bachchan) से उनके पिता की पहली मुलाकात कैसे हुई। हरिवंश राय बच्चन ने अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद जीवन में फिर से आगे बढ़ने का निर्णय लिया, और तभी बरेली में उनकी मुलाकात तेजी बच्चन से हुई, जो एक शिक्षित और प्रभावशाली महिला थीं। उनकी इस मुलाकात ने दोनों के बीच गहरी समझ और स्नेह की नींव रखी, और बाद में वे एक साथ जीवन बिताने का निर्णय लिया।

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बिग बी ने शेयर किया पूरा किस्सा

बरेली मुलाकात का किस्सा शेयर करते हुए बिग बी ने कहा- उनके एक मित्र बरेली में रहते थे, उन्होंने बाबूजी को मिलने के लिए बुलाया। बाबूजी उनसे मिलने गए। खाने के दौरान बाबूजी के मित्र ने उनसे एक कविता सुनाने का अनुरोध किया। लेकिन, इससे पहले कि मेरे पिता कविता सुनाना शुरू करते, उनके मित्र ने अपनी पत्नी से मेरी माँ (तेजी बच्चन) को बुलाने के लिए कहा। यहीं पर बाबूजी पहली बार हमारी माँ से मिले थे। माँ के आने के बाद, बाबूजी ने क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारीकविता सुनाना शुरू किया और माँ यह कविता सुनकर रोने लगीं। पिताजी के मित्र ने माँ और पिताजी को कमरे में अकेला छोड़ दिया और खुद बाहर चले गए। कुछ देर बाद बाबूजी के दोस्त एक माला लेकर आए और उनसे कहा कि इसे उनके गले में डाल दें। उसी दिन बाबूजी ने फैसला कर लिया कि वह अपनी बाकी की जिंदगी हमारी मां (तेजी बच्चन) के साथ बिताएंगे।

1941 में हुई हरिवंश-तेजी की शादी

हरिवंश राय बच्चन ने 1941 में तेजी बच्चन से शादी की। इस शादी से उनके दो बच्चे हुए, जिनका नाम अमिताभ और अजिताभ बच्चन है। अमिताभ हाल ही में 82 साल के हुए हैं। वहीं, तेजी बच्चन का न केवल हरिवंश राय बच्चन के जीवन में बल्कि अमिताभ बच्चन के जीवन में भी बहुत बड़ा प्रभाव था। अमिताभ बच्चन अक्सर अपनी मां की सादगी, शालीनता और उनकी ताकत का जिक्र करते हैं।

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MBBS सीट पाने के लिए धर्म परिवर्तन और फर्जी निवास का इस्तेमाल करने वाले छात्रों को छोड़नी पड़ी सीट, जानें क्या है पूरा मामला

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MBBS Fake seats
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हाल ही में, कुछ छात्रों द्वारा दूसरे धर्म अपनाने और एमबीबीएस की सीटें पाने के लिए फर्जी निवास प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने की खबरें आई हैं। दरअसल पुडुचेरी में एक छात्र की धोखाधड़ी सामने आने के बाद सरकार ने छात्र को कॉलेज से निष्कासित करने का आदेश दिया है। छात्र ने डोमिसाइल नियमों का उल्लंघन कर जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च (JIPMER) में एमबीबीएस में एडमिशन लिया था। ये मामले तब प्रकाश में आए जब कुछ छात्रों ने मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण नीति का अनुचित लाभ उठाने के लिए इस तरह की धोखाधड़ी का सहारा लिया। इन छात्रों ने अल्पसंख्यक समुदायों के लिए आरक्षित सीटों पर प्रवेश पाने के लिए अपना धर्म बदल लिया और कुछ ने फर्जी निवास प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया।

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कैसे हुआ खुलासा? (MBBS Seat Fraud)

दो राज्यों में जन्मभूमि (डुअल नेटिविटी) का दावा करके और JIPMER पुडुचेरी आंतरिक कोटा के तहत सीट प्राप्त करके, छात्र ने 2024-2025 शैक्षणिक वर्ष के लिए MBBS कार्यक्रम में प्रवेश लिया था। निदेशक (स्वास्थ्य) सह नोडल अधिकारी (चिकित्सा शिक्षा), डॉ. एस. सेवेल द्वारा JIPMER डीन को संबोधित एक पत्र के अनुसार, डी गुरु प्रसाद नाम के एक छात्र ने JIPMER राउंड तीन और तमिलनाडु में राउंड एक और दो काउंसलिंग दोनों में सरकारी सीट का दावा किया था।

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जांच में सारा सच आया सामने

टाइम्स ऑफ इंडिया न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, पुडुचेरी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा निदेशालय ने एमसीसी द्वारा जारी नीट यूजी काउंसलिंग सीट आवंटन 2024 राउंड-3 सूची को तमिलनाडु राज्य सरकार कोटा सूची के विरुद्ध सत्यापित किया। जांच में पाया गया कि डी गुरु प्रसाद को तीसरे राउंड में जिपमर-पुडुचेरी आंतरिक कोटा और पहले और दूसरे राउंड में तमिलनाडु सरकार कोटा के तहत सीट आवंटित की गई थी।

नोडल अधिकारी (मेडिकल एजुकेशन) डॉ. एस सेवेल ने कहा, ऐसी स्थिति में, जेआईपीएमईआर पुडुचेरी और कराईकल में आंतरिक पुडुचेरी यूटी डोमिसाइल कोटा के तहत एमबीबीएस सीट पर थिरु डी प्रसाद का प्रवेश रद्द/वापस लिया जाता है। छात्र को पूछताछ के लिए पेश होने का आदेश दिया गया है।

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नियमों का उल्लंघन

भारत में मेडिकल सीटों के लिए आरक्षण नीति स्पष्ट है और इसका उद्देश्य वंचित और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों की मदद करना है। लेकिन जब छात्र इस तरह की धोखाधड़ी करते हैं, तो वे वास्तव में उन छात्रों को वंचित करते हैं जो वास्तव में इन आरक्षित सीटों के हकदार हैं। ऐसी गतिविधियाँ न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में अनैतिक हैं, बल्कि एक कानूनी अपराध भी हैं जिसके कारण सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

फर्जी डोमिसाइल के चलते रद्द हुई थी छात्रों की सीट

एमबीबीएस की सीटें पाने के लिए छात्र फर्जी निवास और ‘धर्म परिवर्तन’ का भी सहारा ले रहे हैं। इससे पहले भी तमिलनाडु और केरल के कई छात्रों ने पुडुचेरी में एमबीबीएस की सीटें पाने के लिए फर्जी निवास का इस्तेमाल किया था। सरकार और शिक्षण संस्थानों ने ऐसे मामलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। कई मामलों में छात्रों के दाखिले रद्द कर दिए गए हैं और उन्हें कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए निवास और धर्म परिवर्तन के मामलों की जांच को और सख्त कर दिया गया है।

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Krishnammal Jagannathan: गरीबों को मालिकाना हक दिलाया और महिलाओं के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री कराई, जानिए कौन है कृष्णम्मल जगन्नाथन

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Krishnammal Jagannathan
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कृष्णमल जगन्नाथन एक ऐसी दलित भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता (Dalit Social worker Krishnammal Jagannathan) हैं, जिन्होंने जीवन भर भूमिहीन मजदूरों और वंचित समुदायों के लिए संघर्ष किया है। वह महिलाओं और गरीबों के लिए भूमि अधिकार आंदोलन की अग्रणी रही हैं, खासकर तमिलनाडु में। उनकी निस्वार्थ सेवा और भूमि अधिकार आंदोलन ने न केवल हजारों परिवारों के जीवन को बदल दिया है, बल्कि समाज में महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण (social empowerment of women) को भी एक नई दिशा दी है। सीधे शब्दों में कहें तो उनका काम मुख्य रूप से गरीब और भूमिहीन किसानों को जमीन दिलाने और उस जमीन को महिलाओं के नाम पर पंजीकृत कराने पर केंद्रित रहा है।

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प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा- Krishnammal Jagannathan Life Story

कृष्णम्मल का जन्म 1926 में तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में हुआ था। उनका बचपन सादा और संघर्षपूर्ण था, लेकिन वह महात्मा गांधी और विनोबा भावे जैसे नेताओं से प्रेरित थी। खास तौर पर गांधीवादी विचारधारा और विनोबा भावे के भूदान आंदोलन ने उन्हें गरीबों के लिए अपना जीवन समर्पित करने के लिए प्रेरित किया।

समाज सेवा की शुरुआत

कृष्णम्मल और उनके पति एस. जगन्नाथन ने 1950 के दशक में गांधीवादी सिद्धांतों (Gandhian Principles) का पालन करते हुए तमिलनाडु के तंजावुर जिले में भूमिहीन मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ाई शुरू की। उन्होंने “जोतने वाले को ज़मीन” के सिद्धांत को बढ़ावा दिया। उनका मानना ​​था कि ज़मीन गरीबी मिटाने का सबसे कारगर तरीका है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की कि भूमिहीन किसानों को दी गई ज़मीन उनके परिवारों, खासकर महिलाओं के नाम पर दर्ज हो।

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भूमिहीनों के लिए भूमि आंदोलन

1968 में तंजावुर के किल्वेनमनी गांव में दलित खेत मजदूरों की हत्या के बाद उन्होंने “भूमिहीनों के लिए भूमि” आंदोलन शुरू किया। इसके तहत उन्होंने सरकार पर भूमिहीन किसानों के लिए भूमि की व्यवस्था करने और महिलाओं के नाम पर भूमि दर्ज करने का दबाव बनाया। उनके आंदोलन से हजारों गरीब दलितों और अन्य वंचित समुदायों के लोगों को लाभ मिला।

महिला सशक्तिकरण और भूमि पंजीकरण

कृष्णम्मल ने भूमि अधिकारों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम किया। उनका मानना ​​था कि अगर भूमि महिलाओं के नाम पर होगी, तो इससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार होगा। उनकी पहल ने महिलाओं को अधिक सशक्त और आत्मनिर्भर बनने में मदद की।

Krishnammal Jagannathan
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एलएएफटीआई का गठन

1981 में, उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर “लैंड फॉर टिलर्स फ्रीडम” (एलएएफटीआई) नामक संगठन की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य भूमिहीनों को भूमि उपलब्ध कराना था। इस संगठन ने अब तक लगभग 13,000 एकड़ ज़मीन गरीब और भूमिहीन किसानों में वितरित की है। साथ ही, इस संगठन ने यह सुनिश्चित किया कि ज़्यादातर ज़मीन महिलाओं के नाम पर दर्ज हो, जिससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला।

सम्मान और पुरस्कार

कृष्णम्मल जगन्नाथन को उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 1989 में राइट लाइवलीहुड अवार्ड (जिसे अक्सर वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है) से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण जैसे महत्वपूर्ण सम्मान भी मिल चुके हैं।

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सपने में पूर्वजों को आशीर्वाद देते हुए देखने का क्या मतलब होता है? यहां पढ़ें क्या यह सपना शुभ है या अशुभ

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सपने में पूर्वजों को आशीर्वाद देते देखना (Ancestors Blessing Dream) अक्सर एक अच्छा संकेत माना जाता है। कई संस्कृतियों में, यह माना जाता है कि पूर्वजों का आशीर्वाद आपको जीवन में सुरक्षा, शांति और समृद्धि का प्रतीक हो सकता है। सपनों में दिखाई देने वाले पूर्वज इस बात का भी प्रतीक हो सकते हैं कि वे आपके जीवन में किसी कठिनाई या चुनौती को दूर करने में आपकी मदद कर रहे हैं। लेकिन इन सपनों की व्याख्या व्यक्तिगत अनुभव और संस्कृति पर निर्भर करती है, इसलिए सटीक अर्थ व्यक्ति की जीवन स्थिति और विचारों पर आधारित हो सकता है। आइए मैं आपको इन सपनों के बारे में विस्तार से बताती हूँ।

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हमें सपने क्यों आते हैं? (Dream Science)

लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं कि हमें सपने क्यों आते हैं। हमारा शरीर पांच महाभूतों से बना है: आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। इन पांच महाभूतों को जीवन शक्ति कहा जाता है। आत्मा जीवन शक्ति के ऊपर निवास करती है। जब हम नींद की अवस्था में होते हैं तो हमारा शरीर सो जाता है लेकिन हमारी आत्मा जागृत अवस्था में रहती है और वह ब्रह्मांड में घूमती रहती है। हमारी जागृत आत्मा की प्रेरणा से हमारी बुद्धि तीन प्रकार की होती है। चेतन, अवचेतन और अतिचेतन, जो अतीत में हमारे द्वारा किए गए कार्य और वर्तमान में हम जो कार्य कर रहे हैं, उन्हें जोड़कर सपनों के माध्यम से संकेत देते हैं कि भविष्य कैसा होगा। यदि हम अच्छे कर्म करते हैं तो अच्छे सपने साकार होते हैं; यदि हम बुरे कर्म करते हैं तो बुरे सपने ही फलित होते हैं।

सुरक्षा और संरक्षण

यदि सपने में पूर्वज (Ancestors in dream) आपको आशीर्वाद देते हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि वे आपको सुरक्षा और मार्गदर्शन दे रहे हैं। यह दर्शाता है कि आप अपने जीवन में सुरक्षित हैं और आपके परिवार या पूर्वजों की आत्माएं आपकी मदद कर रही हैं।

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जीवन में शुभ परिवर्तन

ऐसा सपना संकेत दे सकता है कि आपके जीवन में कोई सकारात्मक परिवर्तन या प्रगति होने वाली है। यह आशीर्वाद भविष्य में सफलता और शांति का संकेत हो सकता है।

आध्यात्मिक संबंध

आपको आशीर्वाद देने वाले पूर्वज इस बात का प्रतीक हो सकते हैं कि आपके और उनके बीच एक आध्यात्मिक संबंध है। यह आपको याद दिला सकता है कि आपके पूर्वज अभी भी आपके साथ हैं, भले ही वे भौतिक रूप में न हों।

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निर्देश या मार्गदर्शन

हालाँकि वे सपने में कुछ नहीं कहते हैं, लेकिन उनका आशीर्वाद इस बात का प्रतीक हो सकता है कि आपको अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेने की आवश्यकता है, और वे आपको सही दिशा में मार्गदर्शन कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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JP Nadda के बाद कौन संभालेगा बीजेपी की कमान, जानें कौन होगा अध्यक्ष और क्या है चुनाव प्रक्रिया

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JP Nadda, Amit shah, Narendra Modi
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भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव (BJP President Election) के लिए चुनाव समिति का गठन किया है। यह समिति राष्ट्रीय स्तर पर संगठनात्मक चुनाव कराएगी। इसी सिलसिले में मौजूदा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) ने के. लक्ष्मण (K. Laxman) को राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है। उनके साथ नरेश बंसल (Naresh Bansal), रेखा वर्मा (Rekha Verma) और संबित पात्रा (Sambit Patra) राष्ट्रीय सह चुनाव अधिकारी होंगे। यह समिति संगठन के चुनाव कराएगी। चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति के बाद जल्द ही संगठनात्मक चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाएगा।

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जेपी नड्डा का कार्यकाल और BJP की रणनीति- JP Nadda’s tenure vs BJP’s strategy

जेपी नड्डा को 2020 में पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था और तब से उन्होंने कई अहम चुनावों में पार्टी का नेतृत्व किया है। उनके नेतृत्व में पार्टी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव, असम विधानसभा चुनाव, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे अहम चुनाव लड़े हैं। उनका कार्यकाल सफल माना गया है। फिलहाल जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हो चुका है। लेकिन, बीजेपी संसदीय बोर्ड ने उन्हें अगले अध्यक्ष की नियुक्ति तक इस पद पर बने रहने के लिए एक्सटेंशन दिया है। बीजेपी संविधान के मुताबिक, नए अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए एक बड़ी प्रक्रिया होती है। इसके तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले संगठन का चुनाव पूरा करना होता है।

कैसे चुना जाता है BJP का अध्यक्ष? (BJP President Appointment Process)

भाजपा में अध्यक्ष का चुनाव एक खास प्रक्रिया के तहत होता है। सबसे पहले पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होती है, जिसमें कार्यकाल खत्म होने वाले अध्यक्ष के उत्तराधिकारी के चुनाव की तैयारियां शुरू की जाती हैं। इसी बैठक में नामांकन प्रक्रिया पूरी होती है और फिर सभी राज्यों के प्रतिनिधि मतदान करते हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी चुनाव में अपनी भूमिका निभाते हैं।

चुनाव अधिकारी करते हैं तारीखों की घोषणा

चुनाव अधिकारी चुनाव की तिथियों की घोषणा करते हैं। चुनाव अधिकारियों द्वारा घोषित तिथियों पर बूथ, मंडल, जिला और प्रदेश स्तर पर अध्यक्ष के चुनाव होते हैं। इस दौरान जिला अध्यक्ष के चुनाव के साथ-साथ प्रदेश परिषद सदस्य का भी चुनाव होता है। प्रदेश परिषद सदस्य के बाद प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव होना है।

Amit shah, Jp Nadda
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राष्ट्रीय परिषद के सदस्य चुनते हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष

प्रत्येक राज्य के अध्यक्ष का चुनाव राज्य परिषद के सदस्य करते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रीय परिषद के सदस्य करते हैं। इस प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग दो महीने लगेंगे। सूत्रों की मानें तो यह प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी हो जाएगी। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम सामने आएगा। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा के बाद जनवरी में राष्ट्रीय परिषद की बैठक हो सकती है। इसमें अध्यक्ष का नाम स्वीकार किया जाएगा। बहरहाल, आम तौर पर अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से होता है और पार्टी की आंतरिक सहमति तय करती है कि अगला अध्यक्ष कौन होगा। इस बार भी ऐसा ही होने की संभावना है।

जनवरी में हो सकता है चुनाव

सूत्रों की मानें तो, जनवरी में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने की उम्मीद है। झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने वाले चार राज्यों में सदस्यता अभियान बाद में शुरू होगा। इसके चलते यहां संगठनात्मक चुनाव बाद में शुरू होंगे। इन चार राज्यों को छोड़कर भाजपा ने 10 करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 25 सितंबर तक वह पहले चरण में सिर्फ छह करोड़ सदस्य ही बना पाई।

Narendra Modi, Jp Nadda
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कौन संभालेगा कमान

फिलहाल इस बारे में भाजपा की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। हालांकि, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम भी इस दौड़ में शामिल माना जा रहा है। हालांकि, उन्होंने इन खबरों का खंडन किया है। फडणवीस परिवार की पीएम मोदी से मुलाकात के बाद चर्चाएं तेज हो गई हैं। महाराष्ट्र में नवंबर में विधानसभा चुनाव भी होने हैं।

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Bihar Ankhfodwa Case: भागलपुर का वो केस जिसे याद कर आज भी कांप जाती है लोगों की रूह, पुलिस ने आंखों में तेज़ाब डालकर 33 लोगों को किया था अंधा

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Bihar Ankhfodwa case
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बिहार के भागलपुर में 1980 के दशक में हुआ ‘अंखफोड़वा कांड’ (Bihar Ankhfodwa Case) भारतीय न्याय व्यवस्था और पुलिस व्यवस्था में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। आज भी इस घटना को याद करके लोगों का दिल पसीज जाता है। अंखफोड़वा कांड भागलपुर पुलिस (Bhagalpur Police) की बर्बरता और मानवाधिकार उल्लंघन का ऐसा उदाहरण था जिसने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों को झकझोर कर रख दिया था। जब अंखफोड़वा कांड के पीड़ितों की तस्वीरें अखबार में छपीं तो सुप्रीम कोर्ट के जजों की आंखों में आंसू आ गए थे। आइए आपको इस मामले के बारे में बताते हैं।

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क्या था अंखफोड़वा कांड ? (what is Bihar Ankhfodwa Case)

वर्ष 1979 से 1980 के बीच बिहार के भागलपुर में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए कथित अपराधियों को पकड़ने और उन्हें सजा देने के नाम पर पुलिस द्वारा अमानवीय कृत्य किए गए थे। भागलपुर, बिहार की जेलों में कई विचाराधीन कैदी बंद थे। पुलिस के एक वर्ग ने कैदियों को तुरंत सजा देने और तुरंत न्याय दिलाने के लिए एक क्रूर तरीका निकाला। वह था कैदियों की आंखें फोड़कर उनमें तेजाब डालना। भागलपुर की अलग-अलग जेलों में बंद कैदियों की आंखें निकाली जाने लगीं। कथित तौर पर पुलिस ने 31 से अधिक लोगों की आंखों में तेजाब डाला, जिससे वे हमेशा के लिए अंधे हो गए।

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कैसे सामने आई घटना

यह मामला तब सामने आया जब एक पत्रकार ने इस अमानवीय घटना को उजागर किया। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंखफोड़वा कांड को सबसे पहले उजागर करने वालों में शामिल वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने अपनी किताब ‘द कमिश्नर फॉर लॉस्ट कॉजेज’ में इस घटना को सिलसिलेवार तरीके से दर्ज किया है। अपनी किताब में शौरी ने 1980 में सात कैदियों की आंखों में टकवा घोंपकर उन्हें अंधा कर देने की घटना का जिक्र किया है।

Bihar Ankhfodwa case
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उन्होंने किताब मे लिखा कि, ‘एक चैंबर में सभी कैदियों को जबरन लेटने के लिए मजबूर किया गया। इस दौरान एक डॉक्टर आया और उसने पूछा कि क्या वे कुछ देख सकते हैं। कैदियों को लगा कि डॉक्टर उनका इलाज करने के लिए वहां मौजूद हो सकते हैं। “हां,” दो कैदियों ने जवाब दिया, “मैं थोड़ा देख सकता हूं।” इसके बाद डॉक्टर चले गए। कुछ समय बाद, उन कैदियों को एक-एक करके निकाला गया और उनकी आंखों पर फिर से तेजाब डाला गया।’ शौरी के अनुसार, पुलिस ने तेजाब को ‘गंगाजल’ नाम दिया था।

कानूनी कार्रवाई और न्यायिक प्रतिक्रिया

मामला सामने आने पर पूरे देश में हंगामा मच गया। रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद लोगों का गुस्सा पुलिसवालों के खिलाफ फूट पड़ा, लेकिन एक वर्ग उनके समर्थन में भी उतर आया। ‘पुलिस पब्लिक भाई-भाई’ के नारे लगने लगे। वहीं, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए। कई पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। हालांकि न्यायिक प्रक्रिया काफी लंबी थी, लेकिन कई दोषी अधिकारियों को आखिरकार सजा मिली। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए और उनका पुनर्वास किया जाए।

सामाजिक प्रतिक्रिया

इस घटना की मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कड़ी निंदा की थी। पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और इसे पुलिस की बर्बरता का प्रतीक माना गया। इस घटना ने भारत में पुलिस सुधारों की आवश्यकता को भी उजागर किया। इस घटना ने भारत की कानून और न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए और मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीरता को उजागर किया।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

जब स्थिति बिगड़ने लगी, तो उस समय बिहार के मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा (Bihar Chief Minister Jagannath Mishra) ने आरोप लगाया कि जनता ही इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कई जेल अधीक्षकों को निलंबित करके विवाद को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन तब तक अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस पर रिपोर्ट करना शुरू कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया। अंखफोड़वा कांड के पीड़ितों की तस्वीरें देखकर सुप्रीम कोर्ट के जज हैरान रह गए। उन्होंने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि आरोपियों को ऐसी सज़ा दी जाए कि भविष्य में वे ऐसी बात सोचने की हिम्मत भी न करें। उन्होंने सभी पीड़ितों का दिल्ली के एम्स में मूल्यांकन करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट की नाराज़गी के बाद बिहार सरकार ने 15 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया। लेकिन तीन महीने के भीतर ही उन पर से प्रतिबंध हटा लिया गया।

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इस दिवाली अपने घर पर बनाएं ये लेटेस्ट डिज़ाइन की रंगोली

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Rangoli
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दशहरा के बाद से ही पुरे भारत में दिवाली की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो जाती हैं. हर साल की तरह इस साल भी दिवाली कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जायेंगी. इस बार यह तिथि 1 नवम्बर को पड़ रही है.  दिवाली का त्योहार दीपों और रंगों का त्योहार माना जाता है. चारो और दिवाली की रौनक देखने को मिलती है. रंगो का त्योहार  इसलिए क्योंकि दिवाली पर घर को सजाने के लिए रंगोली बनाना एक परंपरा है. लोग अपने घर आंगन में रंगोली बनाते है. ये रंगोली इस रोशनी के त्योहार में चार चांद लगाने का काम करती है. लेकिन अगर आप भी रंगोली डिजाईन को लेकर कंफ्यूज है तो चलिए इस लेख में हम आपको दिवाली पर रंगोली बनाने के आसान और खूबसूरत डिज़ाइनों के बारे में बताते हैं.

क्यों बनाते हैं रंगोली?

क्या आप ने कभी सोचा है कि आखिर क्यों कोई शुभ अवसर पर रंगोली बनाई जाती है. अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि रंगोली क्यों बनाते हैं? दरअसल हिंदू धर्म के अनुसार रंगोली देवी देवताओं को प्रसन्न करने और उनका खास स्वागत करने लिए बनाई जाती है. दिवाली पर रंगोली बनाने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है. माना जाता है कि जिस घर में अच्छी सफाई और रंगोली बनी होती है वहां पर मां लक्ष्मी जरूर आती हैं. वही कुछ लोग फूलो की रंगोली बनते है तो कुछ लोग रंगो की रंगोली बनाते है. ऐसे में आपको भी अपने घर में रंगोली जरुर बनानी चाहिए.

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रंगोली लेटेस्ट डिज़ाइन

फूलों की रंगोलीफूलों से बनी रंगोली शुभता का प्रतीक होती है. इसे बनाने के लिए सूखे फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. वाइब्रेंट कलर्स जैसे पीले, लाल और नीले कलर को मिक्स को करके सुंदर डिज़ाइन बना सकती है.

Flower Rangoli
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Rangoli.
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जालीदार रंगोली – ये जालीदार रंगोली एक आधुनिक और आकर्षक विकल्प है. इसे बनाने के लिए, पहले बुनाई की तरह जालीदार पैटर्न बनाएं. फिर, इसमें विभिन्न रंग भरें और अंत में सफेद रंग से आउटलाइन करें.

Jalidar Rangoli
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Rangoli..
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मोरपंख स्टाइल में रंगोली – इस दीपावली आप मोरपंख स्टाइल में रंगोली बना सकते हैं. ये देखने में बेहद खूबसूरत लगती है. जिसके बीच में दिया सजाकर रखा जाता है.

Peacock Rangoli
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Rangoli. 3
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गोल आकार की रंगोली – अगर आप भी इस दिवाली अपने घर में रंगोली बनाने का सोच रहे है तो आप गोल डिज़ाइन कि रंगोली बना सकते है. गोल आकार की रंगोली देखने में जितनी सुंदर लगती है, उतना ही इसको बनाना भी आसान हैं.

Gol Rangoli
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गेंदा के फूल की रंगोली  – गेंदा के फूलों की रंगोली बनान सबसे आसान और सरल तरीका है, सिर्फ गेंदा के फूलों की माला से भी आप रंगोली बना सकती हैं. इसे बनाने में सिर्फ 5 मिनट लगेंगे और फर्श भी गंदा नहीं होगा.

Flower Rangoli
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डिजिटल अरेस्ट की नई ट्रिक: नोएडा में लड़की से 6 लाख ठगे और 5 लाख का लोन भी कराया! जानें क्या है पूरा मामला

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Cyber Crime Digital arrest
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हाल के दिनों में डिजिटल अरेस्ट (Digital arrest) के कई मामले सामने आए हैं। इसमें कुछ जालसाज लोगों को फोन पर धमकाकर लाखों रुपए ठग लेते हैं। यह एक तरह का साइबर अपराध (Cyber Crime) है। साइबर अपराधी लोगों को डिजिटली ‘अरेस्ट’ करने की तरकीब अपनाकर नए-नए तरीके से ठगी कर रहे हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश के नोएडा (Uttar Pradesh Noida) में एक युवती के साथ भी ऐसा ही मामला सामने आया, जिसमें जालसाजों ने युवती से 6 लाख रुपए ठग लिए और उसके नाम पर 5 लाख रुपए का लोन भी करा लिया।

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कैसे काम करती है ये डिजिटल अरेस्टट्रिक? (Digital Arrest Trick)

डिजिटल अरेस्ट में अपराधी फोन कॉल या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों से संपर्क करके डराने-धमकाने की तकनीक अपनाते हैं। वे खुद को सरकारी अधिकारी या पुलिसकर्मी बताकर उन्हें यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके खिलाफ धोखाधड़ी या साइबर अपराध जैसा कोई गंभीर कानूनी मामला चल रहा है। इसके बाद वे उन्हें फर्जी दस्तावेज और सबूत भेजते हैं, जिससे वे डर जाते हैं और इस तरह अपना जाल फैलाकर वह लोगों से मनचाही रकम ऐंठ लेते हैं।

20 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट और 11.50 लाख की ठगी

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा में एक लड़की को 20 घंटे तक डिजिटली अरेस्ट करके  11.50 लाख रुपए ठग लिए गए। दरअसल कुछ दिन पहले सेक्टर 44 की एक सोसायटी की लड़की को एक नंबर से कॉल आया। कॉल पर उसे ऑटोमेटेड मैसेज के जरिए बताया गया कि उसका इंटरनेशनल फेडेक्स पार्सल कैंसल हो गया है। इसके बाद कॉल कस्टमर केयर अधिकारियों को ट्रांसफर कर दी गई। लड़की को बताया गया कि उसके नाम से विदेश जा रहा पार्सल मुंबई एयरपोर्ट पर पकड़ लिया गया है।

पार्सल में ड्रग्स मिलने की बात कही

लड़की को बताया गया कि उसके नाम पर भेजे गए पैकेज में नशीले पदार्थ और अन्य आपत्तिजनक सामग्री थी, जो उसके लिए सीधा खतरा था। जब उसने कहा कि उसने कोई पैकेज नहीं भेजा है, तो उसका कॉल कथित मुंबई साइबर क्राइम को भेज दिया गया। यहां, मुंबई में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने उसका कॉल रिसीव किया।

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फिर उसे वीडियो कॉल करने के लिए स्काइप का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया गया। कहा गया कि आप डीजीपी से बात कर रहे हैं। वीडियो चैट के दौरान, लड़की को लगभग बीस घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया और बताया गया कि उसके आधार कार्ड के लिंक का इस्तेमाल आठ करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया है। अगर आप किसी बड़ी कानूनी लड़ाई में फंसने से बचना चाहते हैं तो अपने खाते में मौजूद सारी रकम बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दें। अगर खाते की जांच के दौरान आपके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे पाए जाते हैं तो ट्रांसफर की गई रकम वापस कर दी जाएगी।

6.50 लाख लेकर भी नहीं छोड़ा पीछा

ये सब सुनके लड़की ने घबराकर 6.5 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए। हैरानी की बात यह है कि इसके बाद भी जालसाज पीड़िता को परेशान करते रहे। उसे जेल से बचाने के लिए जालसाजों ने उससे पांच लाख रुपए और भेजने का आग्रह किया। जालसाजों ने महिला को दिवालिया होने का दावा करके पर्सनल लोन लेने के लिए राजी किया।

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घबराई महिला ने फिर 5 लाख रुपए का पर्सनल लोन लिया और फिर से जालसाजों द्वारा बताए गए खाते में पैसे भेजे। इतनी बड़ी ठगी के बाद जब उससे और पैसे मांगे गए, तभी महिला को धोखाधड़ी का पता चला। अब उसने साइबर पुलिस स्टेशन और साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और उन खातों के बारे में पता लगा रही है, जहां से जालसाजों ने पैसे निकाले हैं।

साइबर क्राइम से बचने के तरीके- Ways to Avoid Cybercrime

– काभी भी अज्ञात कॉलर के कहने पर पैसे न भेजें।

– कोई भी कानूनी कार्रवाई या गिरफ्तारी के लिए सरकारी एजेंसियां कभी सीधे तौर पर पैसे की मांग नहीं करतीं।

– संदिग्ध कॉल्स के बारे में तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम सेल को सूचित करें।

– अपने बैंक अकाउंट और व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखें और अनजानी वेबसाइटों या लिंक पर क्लिक न करें।

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करवा चौथ पर लगाएं ये सुंदर मेहंदी डिजाइन

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Karva Chauth
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अगर आप भी मेहंदी रचने का शौक रखती हैं और इस करवा चौथ आपने हाथों में मेहंदी लगाने का सोच रही हैं और आपको अच्छे डिजाइन नहीं मिल पा रहे हैं, तो इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे मेहंदी के डिजाइन के बारे बताएँगे जिन्हें आप घर बैठकर खुद भी लगा सकती हैं. ये इतने सिंपल और बेहतरीन डिजाईन है कि हर कोई तारीफ करते नहीं थकेगा.

करवा चौथ पर मेहंदी क्यों लगाई जाती है?

भारत में पति की लम्बी उम्र के लिए रखें जाने वाला करवा चौथ का व्रत इस साल 20 अक्टूबर को मनाया जायेगा. इस व्रत को रखने के लिए सुहागिनों के बीच काफी क्रेज देखने को मिलता हैं. इस व्रत में महिलाओं के 16 श्रृंगार का विशेष महत्व होता है. जिसमें से एक हाथों में मेहंदी लगाना भी शामिल है. करवाचौथ में मेंहदी लगाना शुभ माना जाता हैं. महिलाएं अपने पति के नाम कि मेहंदी अपने हाथों पर सजाती. ऐसी मान्यता है कि जिसकी मेहंदी जितनी चटख हो उसके पति से प्यार उतना ही बढ़ता है. लेकिन महिलाएं अक्सर कंफ्यूज हो जाती है कि कौन-सी डिजाईन की मेहंदी लगाये. तो चलिए हम आपको कुछ सुन्दर और सरल मेहंदी डिजाईन के बारे में बताते हैं.

फुल हैन्ड मेहंदी (Full Hand Mehndi)

अगर आप भी करवा चौथ पर मेहंदी लगाने का सोच रही है तो आप फुल हैण्ड मेहंदी लगवा सकती है. यह एक अच्छा आप्शन हो सकता हैं.

Full hand Mehndi
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Mehndi
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फ्लोरल मेहंदी डिजाइन (floral design design)

ये मेहंदी डिजाइन बहुत आसान है. फ्लोरल स्टाइल की मेहंदी प्रकृति और फूल-पत्तियों के डिजाइन से प्रभावित होकर बनाई जाती है. ये डिजाईन कम समय में लग जाती हैं.

Floral Design Mehndhi
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Floral Design
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अरेबिक मेहंदी डिजाइन (Arabic Mehndi Design)

अरेबिक स्टाइल की मेहंदी इस समय बहुत ट्रेंड में है, इस प्रकार की मेहंदी डिजाइन हाथों में बेल की तरह लगती है और हाथो को पूरा कवर नहीं करती हैं, लेकिन इसकी खूबसूरती देखने लायक होती है.

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फ्रंट हैंड मेहंदी (Front Hand Mehndi)

Front Hand Design
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अगर आप हल्का और आसान मेहंदी डिजाइन खोज रही हैं, तो यहां दी गई मेहंदी डिजाइन आप अपने हाथों में लगा सकती हैं. जो लगाने में आसान है, और देखने पर सुंदर भी लगते हैं.

शेडेड मेहंदी डिजाइन  (Shaded Mehndi Design)

शेडेड मेहंदी डिजाइन ये सबसे सरल मेहंदी डिजाइन हैं. शेडेड मेहंदी देखने में भी हैवी लगती है और फटाफट लग जाती है. फ्रंट और बैक में आप यहां दिए गए मेहंदी डिजाइन ट्राई कर सकती हैं.

Shaded Mehndi Design
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