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पंजाब के लुधियाना जिले के दीवाला गांव (Diwala village) के किसान सुखजीत सिंह (Farmer Sukhjit Singh) ने पर्यावरण संरक्षण और उन्नत कृषि तकनीकों के इस्तेमाल के मामले में मिसाल कायम की है। करीब 10 साल पहले 55 वर्षीय सुखजीत सिंह ने पराली न जलाने की कसम खाई थी। सुखजीत सिंह की पहल और जागरूकता के चलते गांव में पराली जलाने की पुरानी और हानिकारक प्रथा पूरी तरह खत्म हो गई है, जिससे न सिर्फ गांव का पर्यावरण सुधर रहा है, बल्कि दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणादायी मिसाल कायम हुई है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विज्ञान केंद्र (Agricultural Science Centre) ने इस गांव को साल 2018 में गौद ले लिया। इस गांव में 600 एकड़ में धान की खेती की जाती है, लेकिन अब इस गांव के ज्यादातर किसान फसल कटने के बाद पराली जलाने की बजाय उसे जोतते हैं। इस काम का श्रेय सुखजीत सिंह को जाता है।
पराली जलाने की समस्या- Ludhiana stubble burning Problem
पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में हर साल फसल कटने के बाद खेतों में पराली (धान की भूसी) जलाने की प्रथा आम है। हालांकि यह प्रथा समय और श्रम बचाने के लिए अपनाई जाती है, लेकिन इससे होने वाले प्रदूषण का पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। पराली जलाने से हवा में जहरीला धुआँ निकलता है, जिससे स्मॉग की समस्या बढ़ती है और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ता है।
सुखजीत सिंह की पहल
एक जागरूक किसान होने के नाते सुखजीत सिंह ने महसूस किया कि पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने अन्य किसानों को पराली जलाने के खतरों के बारे में जागरूक किया और इसका समाधान खोजने में भी मदद की। सुखजीत ने आधुनिक कृषि उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करके पराली को खेतों में ही मिट्टी में मिलाने का सुझाव दिया, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और प्रदूषण (Stubble Burning Pollution) भी कम होता है। लेकिन शुरुआत में किसी ने उनकी बात पर गौर नहीं किया।
गांव वालों ने उड़ाया सुखजीत का मजाक
कई गांव वालों ने सुखजीत का मजाक उड़ाया और कहा कि आप हैप्पी सीडर मशीन पर इतना पैसा खर्च करते हैं, हम हैप्पी सीडर मशीन जितना ही काम एक रुपए की माचिस से कर सकते हैं और दो मिनट में सारी पराली जल जाती है और सब काम कुछ मिनट में निपट जाता है। लेकिन गांव वालों को पराली जलाने के बाद जमीन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचने का अहसास तब हुआ जब पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (Punjab Agricultural University) गांव की कृषि भूमि का निरीक्षण किया। उन्होंने निरीक्षण में पाया कि बाकी किसानों के खेत से सुखजीत सिंह के खेतों में ऑर्गेनिक कार्बन 20 फीसदी ज्यादा है और इससे उनकी फसलों को फायदा हो रहा है।
सरकार और कृषि विभाग का सहयोग
सुखजीत सिंह की इस पहल को सरकार और कृषि विभाग से भी समर्थन मिला। उन्होंने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध सरकारी योजनाओं और उपकरणों के बारे में जानकारी दी। कृषि विभाग द्वारा सब्सिडी पर उपलब्ध कराए गए सुपर सीडर और हैपी सीडर जैसे आधुनिक मशीनों का उपयोग करके पराली को खेतों में ही मिलाया जा सकता है। यह तकनीक न केवल प्रदूषण रोकने में मदद करती है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी सुधारती है, जिससे अगले सीजन की फसल अधिक उत्पादक होती है।
गांव में बदलाव
सुखजीत सिंह की इस पहल के बाद दीवाला गांव के अन्य किसानों ने भी पराली जलाना बंद कर दिया। उन्होंने देखा कि पराली जलाने से बचने के बाद उनके खेतों की मिट्टी में सुधार हुआ है और फसल की पैदावार भी बढ़ी है। अब दीवाला गांव पराली प्रबंधन के क्षेत्र में एक आदर्श गांव बन गया है, जहां किसानों ने टिकाऊ खेती के तरीके अपनाकर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझा है।
सुखजीत सिंह का संदेश
सुखजीत सिंह का मानना है कि अगर सभी किसान आधुनिक कृषि तकनीक और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता अपनाएं तो पराली जलाने जैसी समस्याओं का आसानी से समाधान हो सकता है। उनका संदेश सिर्फ उनके गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि पंजाब और देश भर के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
इस प्रकार सुखजीत सिंह की यह पहल दर्शाती है कि जागरूकता, तकनीकी ज्ञान और सहयोग से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान भी किया जा सकता है। दीवाला गांव के किसानों ने न सिर्फ अपने गांव को प्रदूषण मुक्त बनाया है, बल्कि स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर भी कदम बढ़ाया है।
दिवाली पांच दिनों तक चलने वाला एक बड़ा त्यौहार है, जो विभिन्न परंपराओं और उत्सवों से भरा हुआ है। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली का त्यौहार कई स्थानों पर 31 अक्टूबर को तथा कुछ स्थानों पर 1 नवंबर को मनाया जाएगा। वहीं, ये त्यौहार देश के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक है जो धनतेरस से भाई दूज तक पांच दिनों तक मनाया जाता है। इन पांच दिनों में से प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और परंपराएं हैं। आइए जानते हैं इन पांच दिनों के बारे में:
दिवाली के पांच दिनों में से पहला दिन धनतेरस को समर्पित है। इस दिन को घर में सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है, खास तौर पर सोना, चांदी और बर्तन। यह धन की देवी लक्ष्मी और धन्वंतरि की पूजा से जुड़ा है, जो स्वास्थ्य और समृद्धि के प्रतीक हैं। इस धनतेरस त्योहार के पीछे की कहानी यह है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी- Narak Chaturdashi
दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है। इसे छोटी दिवाली इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह बड़ी दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध कर लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी। इस दिन घरों में दीये जलाए जाते हैं और शाम को पूजा की जाती है।
मुख्य दिवाली-Diwali
मुख्य दिवाली दीपावली के तीसरे दिन होती है। इस दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है, जिसमें देवी लक्ष्मी, गणेश और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। इसे धन और समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन घरों में दीये जलाए जाते हैं, पटाखे फोड़े जाते हैं और लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बाँटते हैं। इस दिन व्यापारी अपने बही-खातों की पूजा करते हैं और नए साल की शुरुआत करते हैं।
गोवर्धन पूजा-Govardhan Puja
दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से जुड़ा है। इस दिन घरों में खास पकवान बनाए जाते हैं और भगवान को भोग लगाया जाता है। गोवर्धन पूजा विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाई जाती है। इस खास दिन के पीछे मान्यता है कि, इस दिन भगवान कृष्ण ने अपने गांव वालों को इंद्रदेव की पूजा करने से रोका था और उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी थी, जिससे इंद्रदेव नाराज हो गए थे और गांव पर भारी बारिश की थी, तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांव वालों की रक्षा की थी।
भाई दूज-Bhai Dooj
दिवाली का पांचवा दिन भाई दूज को समर्पित है, यह दिन भी रक्षा बंधन जैसा ही है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज भी रक्षा बंधन जैसा ही है, जिसमें भाई-बहन के बीच प्यार और सुरक्षा का आदान-प्रदान होता है।
दिवाली, जिसे दीपावली (Diwali 2024) के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे प्रमुख और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्योहार मुख्य रूप से हिंदू धर्म से जुड़ा है, लेकिन इसे जैन, सिख और बौद्ध समुदाय भी मनाते हैं। दिवाली का अर्थ है “दीपों की पंक्ति”, और इस त्योहार के दौरान घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों को दीयों (दीपकों) से सजाया जाता है। माना जाता है कि यह त्योहार बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। वहीं दिवाली पर घरों की सफाई का महत्व सांस्कृतिक और धार्मिक कारणों से जुड़ा है। लक्ष्मी को समृद्धि, धन और खुशी की देवी माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी साफ-सुथरे घरों में निवास करती हैं। आइए आपको बताते हैं कि दिवाली पर घरों की सफाई क्यों की जाती है और इस त्योहार को लेकर क्या धार्मिक मान्यताएं हैं।
हिंदू धर्म में दिवाली का संबंध भगवान राम (Lord Rama) के अयोध्या लौटने से है। जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तो लोगों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। दिवाली इसी के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। इसके अलावा, यह दिन लक्ष्मी पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां लोग धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
समृद्धि और नया साल
दिवाली को व्यापारियों के लिए नया साल भी माना जाता है। इस दिन नए बही-खाते शुरू करने की परंपरा है, जो व्यापार में समृद्धि और वृद्धि की उम्मीद का प्रतीक है। इस अवसर पर लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, उन्हें सजाते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं।
दिवाली पर सफाई करने के पीछे का कारण
दिवाली से पहले साफ-सफाई (Reason Behind Cleaning before Diwali) करने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है। पुराने समय में लोग घर को तरोताजा रखने और बीमारियों से बचने के लिए साल में एक बार बड़े पैमाने पर सफाई करते थे। इस परंपरा को अब धार्मिक मान्यताओं से भी जोड़ दिया गया है। दिवाली पर घर को सजाना, दीये जलाना और रंगोली बनाना भी परंपरा का हिस्सा है। इस सजावट के लिए घर की सफाई एक अहम कदम माना जाता है, ताकि घर में रोशनी और सजावट की खूबसूरती को बढ़ाया जा सके।
– दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का आयोजन किया जाता है, जो धन और समृद्धि की प्रतीक हैं। ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी माता केवल उन्हीं घरों में आती हैं जो साफ-सुथरे और व्यवस्थित होते हैं। इसलिए लोग अपने घरों की सफाई करके उनके स्वागत की तैयारी करते हैं।
– सफाई के दौरान पुरानी, बेकार चीजों को हटा दिया जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मकता फैलती है। ऐसा माना जाता है कि पुरानी और अनुपयोगी वस्तुओं को हटाने से नई ऊर्जा आती है और खुशियां बढ़ती हैं।
सुप्रीम कोर्ट में ‘लेडी ऑफ जस्टिस’ (Lady Justice Statue) यानी न्याय की देवी की नई मूर्ति लगाई गई है। यहां गौर करने वाली बात ये है की इस मूर्ति की आंखों पर पट्टी नहीं बंधी हुई। इसी पट्टी की वजह से कहा जाता था की कानून अंधा है, लेकिन आज कानून की पहचान बदल चुकी है। कानून की इस नई मूर्ति की खासियत यह है कि पुरानी मूर्ति के बजाय इसके एक हाथ में तराजू है तो दूसरे हाथ में तलवार की जगह भारतीय संविधान (Indian Constitution) की किताब दी गई है। यह मूर्ति सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नई मूर्ति CJI डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) के आदेश पर बनाई गई है। इसका उद्देश्य यह संदेश देना है कि देश में कानून अंधा नहीं है और यह सजा का प्रतीक नहीं है। पुरानी मूर्ति की आंखों पर पट्टी यह दर्शाती थी कि कानून की नजर में सभी समान हैं, जबकि तलवार अधिकार और अन्याय को दंडित करने की शक्ति का प्रतीक थी।
ये है मूर्ति की खासियत- Lady Justice New Statue
मूर्ति की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से सफेद रंग की है। लेडी जस्टिस भारतीय परिधान में सजी हुई हैं। वह साड़ी पहने हुए दिखाई देती हैं। उन्होंने सिर पर मुकुट भी पहना हुआ है। माथे पर बिंदी और कानों और गर्दन पर सजावट साफ दिखाई देती है। मूर्ति के दाहिने हाथ में तराजू है। यह सामाजिक समानता का प्रतीक है।
इतना ही नहीं, यह भी दर्शाता है कि निर्णय लेने से पहले न्यायालय दोनों पक्षों की बात ध्यान से सुनता है और उनके तर्कों पर विचार करता है। उसके बाद ही वह अपना निर्णय देता है। तलवार की जगह बाएं हाथ में संविधान की किताब रखी गई है। आंखों से पट्टी हटा दी गई है। यह प्रतिमा एक सफेद चौकोर मंच पर स्थापित की गई थी।
CJI-‘ब्रिटिश काल की विरासत से आगे बढ़ने का समय’
मीडिया सूत्रों के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश का मानना है कि अब समय आ गया है कि ब्रिटिश काल की विरासत से आगे बढ़ा जाए। उनका मानना है कि कानून अंधा नहीं होता और सभी को एक ही नजरिए से देखता है। सीजेआई ने न्याय की देवी की प्रतिमा में बदलाव करने पर चर्चा की थी। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने पुराने कानून में संशोधन करके नया कानून लागू किया है। बीएनएस के पक्ष में आईपीसी को खत्म कर दिया गया है।
रोमन पौराणिक कथाओं में न्याय की देवी है ‘लेडी ऑफ जस्टिस‘
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, लेडी ऑफ जस्टिस रोमन पौराणिक कथाओं में न्याय की देवी ‘जस्टिसिया’ है। रोम के सम्राट ऑगस्टस के अनुसार, सबसे महत्वपूर्ण गुणों में से एक न्याय था। उनके उत्तराधिकारी सम्राट टिबेरियस ने रोम में जस्टिसिया के लिए एक मंदिर बनवाया। जस्टिसिया न्याय के गुण का प्रतीक बन गया, जिसके साथ हर सम्राट अपने शासनकाल को जोड़ना चाहता था। सम्राट वेस्पासियन ने ‘जस्टिसिया ऑगस्टा’ नामक सिंहासन पर बैठी हुई देवी को दर्शाते हुए सिक्के ढाले। उनके बाद, कई सम्राटों ने खुद को न्याय का संरक्षक घोषित करने के लिए इस देवी की छवि को अपनाया। न्याय की देवी की यह मूर्ति दुनिया भर के न्यायालयों, कानूनी कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में पाई जा सकती है।
जहाँ एक तरफ दीवाली की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. वही धनतेरस और दिवाली की डेट को लेकर लोगों में बहुत कन्फ्यूजन चल रहा है. दीपावली के 2 दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है. धनतेरस के दिन लोग सोने या चांदी के आभूषणों आदि की खरीदारी करते हैं. हालांकि, लोग धनतेरस के दिन वाहन और अन्य सामानों की भी खरीदारी करते हैं. लेकिन कुछ लोग इस बात से भी कंफ्यूज हो जाते हैं कि आखिर धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ रहेगा तो चलिए हम आपको इस लेख में बताते इस दिन क्या-क्या खरीदना शुभ होगा.
धनतेरस पर खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
हिन्दू धर्म में कुछ लोग ऐसे भी है जो पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त पर खरीदारी करते है. वही धनतेरस पर खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त भी निर्धारित होता है और मुहूर्त के दौरान खरीदारी करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. वही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस साल धनतेरस पर दो अत्यंत शुभ योग बनने जा रहे हैं. इस साल धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर और अभिजीत मुहूर्त का खास संयोग बन रहा है. पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग की शुरुआत सुबह 6 बजकर 31 मिनट पर होगी. वहीं, इस शुभ मुहूर्त की समाप्ति अगले दिन सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर होगी. इस शुभ मुहूर्त में खरीदारी करना शुभ माना गया है. मान्यता है कि त्रिपुष्कर योग में खरीदारी करने से तीन गुना वृद्धि होती है.
क्या खरीदना होगा शुभ जाने
अक्सर लोग धनतेरस के दिन सोने-चांदी का सामान खरीदते है. दूसरी और ये भी कहा जाता है कि लक्ष्मी गणेश की तस्वीर वाले सिक्के जरूर खरीदने चाहिए. इन्हें बहुत शुभ माना जाता है.
धनतेरस के दिन महालक्ष्मी श्रीयंत्र घर लाना बहुत शुभ होता है. मान्यता है कि श्रीयंत्र खरीदने और दिवाली के दिन उसकी पूजा करने से धन-दौलत में वृद्धि होती है. इसके अलावा मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है.
हिन्दू धर्म के अनुसार धनतेरस के दिन चावल खरीदना भी बहुत अच्छा होता है. मान्यता है कि इस दिन चावल खरीदने आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. लेकिन चावल खरीदते समय एक महत्वपूर्ण बात का ध्यान जरुर रखें की टूटे हुए चावल न खरीदें.
कुछ लोग धनतेरस के दिन धनिया जरूर खरीदते हैं. कहा जाता है कि इस दिन धनिया खरीदना बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है. इससे घर में सुख समृधि बनी रहती है.
धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना बेहद ही शुभ माना जाता हैं. झाड़ू घर की साफ-सफाई करती है. इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है. मान्यता है कि जिस घर में झाडू का सम्मान होता है वह मां लक्ष्मी निवास करती हैं.
धनतेरस के दिन गोमती चक्र खरीदना भी बहुत शुभ होता है. इसे नाग चक्र या शिला-चक्र के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन गोमती चक्र घर लाने से धन दौलत में वृद्धि होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है.
धनतेरस पर बर्तन खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है.पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है.
धनतेरस पर जमीन से जुड़े सौदे करना भी बेहद लाभकारी माना जाता है. इस से घर में सुख-समृधि में वृद्धि होती है. इसके अलावा आप धनतेरस पर वहान भी खरीद सकते है. धनतेरस पर वहान खरीदना शुभ माना जाता है.
“शौक की कीमत और जिद का अंजाम नहीं देखा जाता”…ये कहावत अब तक सिर्फ सुनी ही गई होगी, लेकिन अब मध्य प्रदेश के शिवपुरी (Madhya Pradesh, Shivpuri) के एक शख्स ने इस कहावत को लोगों के सामने पेश किया है। दरअसल यहां एक चाय बेचने वाला शख्स 90 हजार रुपये की लूना बाइक (Luna bike) खरीदने बाइक शोरूम गया। उसने ₹20,000 की डाउनपेमेंट कर लोन पर मोपेड खरीदी (Tea seller bought Moped)। इसके साथ ही उसने नए वाहन खरीदने का जश्न मनाने का अनोखा तरीका अपनाया है, जो इंटरनेट पर वायरल हो गया है। खबर है कि उसने मोपेड खरीदी और फिर उसे घर लाने के लिए डीजे पर ₹60,000 खर्च कर दिए।
TOI के अनुसार, मुरारी लाल कुशवाह मध्य प्रदेश के शिवपुरी में चाय बेचते हैं। उन्होंने 20,000 रुपये का डाउनपेमेंट देकर लोन पर मोपेड खरीदा। हालांकि, उन्होंने इस उपलब्धि का जश्न पटाखे फोड़कर मनाया, डीजे किराए पर लिया और एक JCB खरीदी, जिसकी कीमत दोपहिया वाहन के लिए डाउनपेमेंट के रूप में चुकाई गई राशि से तीन गुना अधिक थी।
क्या है पूरा मामला?(Tea seller bought Moped)
मध्य प्रदेश के शिवपुरी में एक चाय विक्रेता ने अपने अनोखे कारनामे से चर्चा बटोरी है। एक चाय विक्रेता ने 90,000 रुपये की लूना बाइक खरीदने के जश्न में 60,000 रुपये खर्च कर दिए। चाय विक्रेता लूना खरीदने के लिए क्रेन, बग्गी और डीजे के साथ बाइक शोरूम पहुंचा। लूना की पूजा करने के बाद चाय विक्रेता ने अपने साथियों के साथ ढोल और डीजे की धुन पर डांस किया और फिर बग्गी में सवार होकर क्रेन से लटकी लूना के साथ नाचते-गाते अपने घर पहुंचा। जिसने भी यह नजारा देखा वह हैरान रह गया।
मध्य प्रदेश के शिवपुरी में एक चाय बेचने वाले मुरारी लाल कुशवाह ने एक Moped बाइक खरीदी, उन्होंने इसके लिए
एक JCB बुक की
एक बग्घी बुक की
एक DJ बुक किया
और एजेंसी पर पहुंचकर 20,000 रुपए जमा करके EMI पर Moped खरीद ली,
पुरानी शिवपुरी मोहल्ले के नीलगर चौराहा निवासी मुरारी कुशवाह (Tea seller Murari Lal Kushwaha) की चाय की दुकान है। मुरारी कुशवाह ने 90 हजार रुपए की लूना बाइक 20 हजार रुपए की डाउन पेमेंट पर फाइनेंस कराई थी, अब उसे हर महीने 3 हजार रुपए की किस्त देनी होगी। लेकिन 90 हजार रुपये में लूना बाइक खरीदने के लिए मुरारी ने क्रेन, बग्गी और डीजे पर 60 हजार रुपए खर्च कर दिए।
चाय बेचने वाले ने बताया कि उसने अपने बच्चों को खुश करने के लिए ऐसा किया। उनकी एक बेटी प्रियंका और दो बेटे राम और श्याम हैं। तीन बच्चों के पिता ने कहा, “मुझे खुशी है कि मैं अपने परिवार का भरण-पोषण करता हूँ। हर जश्न मेरे बच्चों को खुश करने का एक तरीका है।”
पुलिस ने जब्त किया डीजे उपकरण
हालांकि यह कुशवाहा के लिए खुशी की बात थी, लेकिन पार्टी अधिकारियों को पसंद नहीं आई। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने डीजे उपकरण जब्त कर लिए। उन्होंने मुरारी और डीजे चलाने वाले व्यक्ति के खिलाफ शोर मचाने की शिकायत भी दर्ज कराई। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने तीन साल पहले अपनी बेटी के लिए 12,500 रुपये का मोबाइल लोन पर खरीदा था। हालांकि, उन्होंने इस खरीद का जश्न मनाने के लिए 25,000 रुपये खर्च कर दिए।