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Delhi CM Candidates: दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए टॉप 5 दावेदार! दलित, OBC या महिला –...

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Delhi CM Candidates: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Assembly Election 2025) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की, और 27 साल बाद सत्ता में वापसी की। अब जब बीजेपी ने दिल्ली का किला फतह कर लिया है, तो सबसे बड़ा सवाल यही है कि राजधानी का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर लगातार मंथन हो रहा है और कई दावेदारों के नाम चर्चा में हैं। बीजेपी का पुराना ट्रेंड देखें तो अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में भी कोई चौंकाने वाला नाम सामने आ सकता है।

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सीएम पद की रेस में सबसे आगे प्रवेश वर्मा- Delhi CM Candidates 

मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे नाम परवेश वर्मा (Parvesh Verma) का बताया जा रहा है। वह नई दिल्ली विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं और उन्होंने इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर बड़ा उलटफेर किया है। यह वही सीट है, जहां से 2013 में केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराया था और सीएम बने थे।

Delhi CM Candidates Parvesh Verma
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परवेश वर्मा का राजनीतिक कद इसलिए भी मजबूत है क्योंकि वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। वह पश्चिमी दिल्ली से दो बार सांसद भी रह चुके हैं और ओबीसी समुदाय (कुर्मी बिरादरी) से आते हैं। अगर बीजेपी दिल्ली में ओबीसी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है, तो परवेश वर्मा इस पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार हो सकते हैं।

अन्य प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं

  • सतीश उपाध्याय (Satish Upadhyay) – दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष
  • विजेंद्र गुप्ता (Vijender Gupta) – दिल्ली में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक
  • आशीष सूद (Ashish Sood) – जनकपुरी से विधायक
  • पवन शर्मा (Pawan Sharma) – उत्तम नगर से विधायक

क्या दिल्ली को पहली बार मिलेगी महिला मुख्यमंत्री?

बीजेपी ने पहले भी दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री का कार्ड खेला है। 1998 में पार्टी ने सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया था। इस बार भी पार्टी महिला नेतृत्व को आगे ला सकती है। चुनाव में बीजेपी के 48 विधायकों में 4 महिलाएं जीती हैं, और इनमें से कुछ नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो सकते हैं।

Delhi Governance Challenges Delhi BJP
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महिला उम्मीदवारों के संभावित नाम

  1. नीलम पहलवान (Neelam Pahalwan) – नजफगढ़ से पहली महिला विधायक
  2. रेखा गुप्ता (Rekha Gupta) – दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (DUSU) की पूर्व अध्यक्ष
  3. पूनम शर्मा (Poonam Sharma) – वज़ीरपुर से जीत दर्ज की
  4. शिखा रॉय (Shikha Roy) – आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज को हराया

अगर बीजेपी महिला नेतृत्व पर दांव लगाती है, तो इनमें से कोई भी चेहरा दिल्ली की कमान संभाल सकता है।

क्या बीजेपी दलित कार्ड खेलेगी?

बीजेपी जातीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के विधायक को भी मुख्यमंत्री बना सकती है। दिल्ली में पार्टी के चार दलित विधायक हैं, जो इस रेस में शामिल हो सकते हैं।

दलित चेहरे के संभावित नाम:

  1. राज कुमार चौहान (Raj Kumar Chauhan) – मंगोलपुरी विधायक
  2. रविकांत उज्जैन (Ravikant Ujjain) – त्रिलोकपुरी विधायक
  3. रविंद्र इंद्राज सिंह (Ravindra Indraj Singh) – बवाना विधायक
  4. कैलाश गंगवाल (Kailash Gangwal) – मादीपुर विधायक

अगर बीजेपी अनुसूचित जाति के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाती है, तो यह दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होगा।

क्या बीजेपी फिर से चौंकाएगी?

बीजेपी का इतिहास रहा है कि वह मुख्यमंत्री पद के लिए किसी लो-प्रोफाइल या अनजान चेहरे को आगे लाने में माहिर है। कई राज्यों में ऐसा देखा गया है, जब चर्चित नामों को दरकिनार कर किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बना दिया गया। गुजरात में भूपेंद्र पटेल, उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी और यूपी में योगी आदित्यनाथ को चुने जाने का उदाहरण सामने है। ऐसे में दिल्ली में भी पार्टी कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकती है।

अगले मुख्यमंत्री का नाम कब तय होगा?

बीजेपी इस फैसले को जल्दबाजी में नहीं लेना चाहती। पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय नेतृत्व इस पर गहन विचार-विमर्श कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री का नाम तय करने में अभी कम से कम एक सप्ताह का समय लग सकता है। दिल्ली में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण समारोह की संभावित तारीख मार्च के पहले सप्ताह में हो सकती है।

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Delhi Governance Challenges: दिल्ली में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद अब चुनावी वादों ...

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Delhi Governance Challenges: दिल्ली में हाल ही में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस जीत के साथ ही अब पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने चुनावी वादों को पूरा करने की है, खासकर जब राज्य की वित्तीय स्थिति पहले से ही चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। भाजपा ने दिल्ली का चुनाव यमुना की सफाई, सड़क-पानी, कूड़े के पहाड़ और स्वच्छता के मुद्दों पर लड़ा था। पार्टी ने आम आदमी पार्टी (AAP) और अरविंद केजरीवाल सरकार के अधूरे वादों को उजागर कर जनता का विश्वास जीता।

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भाजपा ने अपने चुनावी मेनिफेस्टो में जनता से वादा किया था कि वह दिल्ली में बेहतर बुनियादी सुविधाएं और कल्याणकारी योजनाएं लागू करेगी। इसके अलावा, पार्टी ने कुछ नए फ्रीबीज (मुफ्त सुविधाओं) की भी घोषणा की थी, जिससे जनता का समर्थन बढ़ा। अब जब दिल्ली के मतदाताओं ने भाजपा को सत्ता सौंप दी है, तो पार्टी के सामने अपने मेनिफेस्टो को हकीकत में बदलने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

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दिल्ली की वित्तीय स्थिति और भाजपा के वादों में विरोधाभास- Delhi Governance Challenges

भाजपा के प्रमुख चुनावी वादों में शामिल हैं:

  • गरीब महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹2,500 प्रति माह की आर्थिक सहायता (70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए ₹3,000 तक)।
  • सभी गर्भवती महिलाओं के लिए ₹21,000 की आर्थिक सहायता।
  • गरीब परिवारों से आने वाले छात्रों को किंडरगार्टन से पोस्ट ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा।

इन वादों को पूरा करने के लिए जिस बड़े बजट की जरूरत होगी, वह दिल्ली की मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए एक चुनौतीपूर्ण कार्य लगता है।

2024-25 के लिए दिल्ली सरकार का अनुमानित टैक्स राजस्व ₹58,750 करोड़ है, जबकि कुल बजट ₹76,000 करोड़ का है। दिल्ली का एजुकेशन बजट ₹16,396 करोड़ (कुल बजट का 22%) है, जबकि बाकी राशि स्वास्थ्य, परिवहन, सामाजिक कल्याण और शहरी विकास पर खर्च की जाती है।

आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली सरकार के राजस्व में इस साल के अंत तक ₹64,142 करोड़ से घटकर ₹62,415 करोड़ होने की संभावना है। ऐसे में भाजपा के चुनावी वादों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी।

महिला और वरिष्ठ नागरिकों की आर्थिक सहायता पर भारी खर्च

भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार, महिलाओं को हर महीने ₹2,500 देने वाली योजना पर सालाना लगभग ₹11,000 करोड़ खर्च होने की उम्मीद है। वहीं, दिल्ली में लगभग 24.4 लाख वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनमें से 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ₹3,000 प्रतिमाह की पेंशन देने के लिए सालाना ₹4,100 करोड़ की आवश्यकता होगी।

यमुना की सफाई और बुनियादी ढांचे पर होने वाला खर्च

भाजपा ने यमुना नदी की सफाई को अपने प्रमुख मुद्दों में शामिल किया था। पिछले कुछ वर्षों में इस परियोजना पर ₹8,000 करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक नदी की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। नई सरकार इस कार्य को कैसे आगे बढ़ाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

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इसके अलावा, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के अपग्रेडेशन के लिए अनुमानित ₹10,200 करोड़ और दिल्ली मेट्रो के तीसरे और चौथे चरण के विस्तार के लिए ₹2,700 करोड़ की आवश्यकता होगी।

केंद्र सरकार से मिलेगी आर्थिक सहायता?

भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि केंद्र में भी उनकी सरकार है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि केंद्र सरकार वित्तीय सहायता देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार पहले भी आयुष्मान भारत योजना लागू करने के लिए दिल्ली सरकार को आर्थिक मदद देना चाहती थी, लेकिन AAP ने इसे लागू नहीं किया। अब जब भाजपा सत्ता में है, तो हम अपने वादों को पूरा करने के लिए धन की सही व्यवस्था करेंगे और भ्रष्टाचार को खत्म करेंगे।”

नई सरकार के पास मार्च 2025 के अंत तक दिल्ली के अगले वित्तीय वर्ष का बजट पेश करने का समय है। तभी यह स्पष्ट होगा कि भाजपा अपने वादों को पूरा करने के लिए क्या रणनीति अपनाएगी।

दिल्ली भाजपा के 10 बड़े चुनावी वादे

  1. तीन वर्षों में यमुना की सफाई और रिवरफ्रंट का निर्माण।
  2. तीन वर्षों में कूड़े के पहाड़ को कम करना।
  3. हर गरीब परिवार की महिला को ₹500 में एलपीजी सिलेंडर और होली-दिवाली पर एक-एक गैस सिलेंडर मुफ्त।
  4. हर गरीब महिला को ₹2,500 प्रति माह की आर्थिक सहायता।
  5. हर गर्भवती महिला को ₹21,000 की आर्थिक सहायता और छह पोषण किट।
  6. पहली कैबिनेट में आयुष्मान भारत योजना लागू होगी, जिससे ₹10 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलेगा।
  7. वरिष्ठ नागरिकों की रुकी हुई पेंशन शुरू होगी, 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों को ₹2,500 और 70 वर्ष से अधिक उम्र वालों को ₹3,000 प्रति माह मिलेंगे।
  8. 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 20,000 लीटर मुफ्त पानी, और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा जारी रहेगी।
  9. दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए 13,000 नई इलेक्ट्रिक बसें और ₹20,000 करोड़ खर्च करके लास्ट माइल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेंगे।
  10. ऑटो-टैक्सी ड्राइवर, ई-रिक्शा चालक, डोमेस्टिक हेल्प और गिग वर्कर्स के लिए ₹10 लाख तक का लाइफ इंश्योरेंस और ₹5 लाख तक का एक्सीडेंटल बीमा कवरेज।

क्या भाजपा अपने वादों को पूरा कर पाएगी?

भाजपा की जीत के बाद दिल्ली के मतदाता उम्मीद लगाए बैठे हैं कि पार्टी अपने वादों को हकीकत में बदलेगी। हालांकि, राज्य की सीमित वित्तीय स्थिति को देखते हुए सभी वादों को पूरा करना आसान नहीं होगा। भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह अपने वादों को केंद्र की मदद से कैसे पूरा करे और दिल्ली में अपनी सरकार को स्थिर बनाए रखे।

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Punjab Politics: AAP में बढ़ता असंतोष! भगवंत मान पूरी कैबिनेट के साथ पहुंचे दिल्ली, क...

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Punjab Politics: पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) के भीतर बढ़ते असंतोष और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान अपनी पूरी कैबिनेट के साथ दिल्ली पहुंच चुके हैं। AAP के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया है, जो दिल्ली स्थित कपूरथला हाउस में होगी।

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इस बैठक को लेकर कई राजनीतिक अटकलें तेज़ हो गई हैं। कांग्रेस ने दावा किया है कि अरविंद केजरीवाल भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद से हटाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बैठक के मद्देनजर भगवंत मान ने 10 फरवरी को होने वाली पंजाब कैबिनेट की बैठक स्थगित कर दी थी, जो अब 13 फरवरी को होगी।

क्या पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी? (Punjab Politics)

AAP के पंजाब प्रमुख अमन अरोड़ा के हालिया बयान ने इन अटकलों को और हवा दे दी है। उन्होंने कहा था कि “जो व्यक्ति डिजर्व करता है, उसे जिम्मेदारी मिलनी चाहिए।” उन्होंने तर्क दिया कि देश में महज़ 2% सिखों की आबादी होने के बावजूद डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने, तो किसी ने आपत्ति नहीं जताई, तो फिर पंजाब में 38% हिंदू आबादी के बावजूद यह सवाल क्यों उठाया जा रहा है?

विपक्षी दल कांग्रेस इस बयान को नेतृत्व परिवर्तन की भूमिका बता रही है। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने तो यहां तक दावा किया कि उनके संपर्क में AAP के 30 विधायक हैं और जल्द ही अरविंद केजरीवाल खुद पंजाब के मुख्यमंत्री बनने की योजना बना रहे हैं। बाजवा ने कहा कि लुधियाना वेस्ट के विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन से खाली हुई सीट से केजरीवाल उपचुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में हार के बाद अब आम आदमी पार्टी पूरी तरह से पंजाब पर निर्भर हो गई है और पार्टी में अंदरुनी कलह तेज़ हो सकती है।

AAP का पलटवार: “यह एक रूटीन मीटिंग”

AAP सांसद मालविंदर कंग और प्रवक्ता नील गर्ग ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि यह एक रूटीन मीटिंग है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं और ऐसी बैठकें पार्टी की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि “जिनके अपने विधायक उनसे दूर हैं, वे हमारे 30 विधायकों के संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं।”

प्रवक्ता नील गर्ग ने यह भी कहा कि पंजाब के विधायकों और मंत्रियों ने दिल्ली चुनाव में प्रचार किया था, इसलिए अब पार्टी उनसे फीडबैक ले रही है। उन्होंने साफ किया कि पार्टी की यह मर्जी है कि बैठक चंडीगढ़ में हो या दिल्ली में।

दिल्ली की हार के बाद पंजाब पर फोकस

AAP के लिए पंजाब अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि दिल्ली नगर निगम चुनावों में हार के बाद केजरीवाल की पार्टी को बड़ा झटका लगा है। हरियाणा में पार्टी का खाता भी नहीं खुला था और गुजरात में दूसरे नंबर पर आने के बावजूद जीत नहीं मिली थी। ऐसे में पंजाब अब पार्टी का प्रमुख राजनीतिक केंद्र बनता जा रहा है।

AAP के लिए सबसे बड़ी चुनौती 2027 के विधानसभा चुनाव हैं, क्योंकि पार्टी अभी तक अपने बड़े चुनावी वादों को पूरा नहीं कर पाई है। अगर पार्टी पंजाब में अपना जनाधार खो देती है, तो उसकी राष्ट्रीय राजनीति पर भी बड़ा असर पड़ेगा।

कांग्रेस को मध्यावधि चुनाव की आशंका

दिल्ली में AAP को हुए नुकसान से कांग्रेस उत्साहित है। पार्टी का दावा है कि पंजाब में भी आम आदमी पार्टी का यही हश्र होगा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि दिल्ली की तरह ही पंजाब में भी शराब नीति में घोटाला सामने आएगा और पार्टी में बिखराव होगा।

इसके अलावा, हाल ही में धान खरीद में एमएसपी घोटाले के आरोपों ने भी AAP सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कांग्रेस का कहना है कि केजरीवाल का पंजाब सरकार में सीधा दखल पार्टी के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है और इससे विधायक बगावत कर सकते हैं। कांग्रेस के मुताबिक, पंजाब में अस्थिरता को देखते हुए समय से पहले चुनाव भी हो सकते हैं।

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Ranveer Allahbadia Samay Raina Controversy: समय रैना के शो में रणवीर अल्लाहबादिया ने ...

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Ranveer Allahbadia Samay Raina Controversy: यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट क्रिएटर्स की जिम्मेदारी को लेकर अक्सर बहस छिड़ती रहती है। हाल ही में स्टैंडअप कॉमेडियन समय रैना के शो India’s Got Latent एक बार फिर विवादों में घिर गया है। शो में मशहूर यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया उर्फ BeerBiceps ने ऐसा कुछ कह दिया, जिस पर सोशल मीडिया पर जमकर हंगामा मच गया। वहीं, इसी शो को लेकर कुछ दिन पहले एक अन्य एपिसोड में अरुणाचल प्रदेश की कंटेस्टेंट जेसी नबाम (Jessy Nabam) के बयान ने भी बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था।

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क्या कहा रणवीर अल्लाहबादिया ने? (Ranveer Allahbadia Samay Raina Controversy)

India’s Got Latent के हालिया एपिसोड में रणवीर अल्लाहबादिया के साथ यूट्यूबर आशीष चंचलानी और कंटेंट क्रिएटर अपूर्व मुखीजा मौजूद थे। इस दौरान रणवीर ने एक प्रतियोगी से ऐसा सवाल पूछ लिया, जिसने सभी को चौंका दिया। उन्होंने पूछा:

“क्या आप अपने माता-पिता को पूरी जिंदगी हर दिन सेक्स करते देखना पसंद करेंगे, या फिर एक बार उसमें शामिल होकर इसे हमेशा के लिए बंद कर देंगे?”

रणवीर का यह सवाल सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, और इसके बाद लोगों ने उन्हें जमकर ट्रोल करना शुरू कर दिया।

सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा

रणवीर अल्लाहबादिया के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कई यूजर्स ने इसे बेहद अश्लील और शर्मनाक बताया। एक यूजर ने गुस्से में कहा,

“यह घृणित से भी परे है। कोई इतनी घिनौनी बात के बारे में सोच भी कैसे सकता है? यह परेशान करने वाला, घिनौना और बेहद शर्मनाक है। जो कोई भी इस पर हंस रहा है, उसे अपनी नैतिकता पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। इन बीमार दिमागों को सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए।”

एक अन्य यूजर ने लिखा,

“यह हमारे लिए शर्म की बात है कि समय रैना और रणवीर अल्लाहबादिया जैसे लोग हमारे समाज में फल-फूल रहे हैं। जो युवा इनको फॉलो करते हैं, उन्हें अपने आदर्श सोच-समझकर चुनने चाहिए। हमें अपने समाज में अच्छे कंटेंट को बढ़ावा देना होगा।”

समय रैना भी आलोचना के घेरे में

लोगों का गुस्सा सिर्फ रणवीर अल्लाहबादिया पर ही नहीं, बल्कि शो के होस्ट समय रैना पर भी निकला। कई यूजर्स का कहना है कि समय रैना के इस शो में खुलेआम फूहड़ता परोसी जाती है और इसका स्तर लगातार गिरता जा रहा है। यही वजह है कि अब सोशल मीडिया पर शो को बंद करने की मांग उठ रही है।

अरुणाचल प्रदेश में विवाद, पुलिस में दर्ज हुई शिकायत

जेसी नबाम के इस बयान को लेकर अरुणाचल प्रदेश में नाराजगी फैल गई। 31 जनवरी को ईटानगर पुलिस स्टेशन में इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई।

यह शिकायत अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले के रहने वाले अरमान राम वेली बखा (Armaan Ram Welly Bakha) ने दर्ज कराई। उन्होंने पुलिस को लिखे अपने पत्र में कहा कि,

“जेसी ने India’s Got Latent में अरुणाचल प्रदेश के लोगों के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की है। इस मामले में तुरंत एक्शन लिया जाए ताकि आगे से कोई भी जेसी की तरह हरकत न करे।”

Ranveer Allahbadia Samay Raina Controversy
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शिकायत के अनुसार, इस एपिसोड में जज के तौर पर समय रैना के साथ कॉमेडियन आकाश गुप्ता और मल्लिक दुआ भी मौजूद थे।

समय रैना और रणवीर पर कार्रवाई की मांग

अब सोशल मीडिया पर समय रैना और रणवीर अल्लाहबादिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है। कई लोग समय रैना के शो को बंद करने की मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि रणवीर को मिले सरकारी अवॉर्ड्स भी वापस लिए जाने चाहिए।

पीएम मोदी का दिया अवॉर्ड होगा वापस?

इस विवाद के बाद अब सोशल मीडिया पर एक और मांग उठ रही है कि रणवीर अल्लाहबादिया से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया बेस्ट क्रिएटर का अवॉर्ड वापस लिया जाए। कुछ लोग तो इस मामले में एफआईआर दर्ज करने तक की मांग कर रहे हैं।

गौरव तनेजा और अन्य यूट्यूबर्स की प्रतिक्रिया

मशहूर यूट्यूबर गौरव तनेजा (Flying Beast) ने भी इस मामले पर अपनी राय रखते हुए समय रैना और उनके शो की कड़ी आलोचना की। उन्होंने X (ट्विटर) पर लिखा,

“लगता है कि समय रैना पूरे यूट्यूब इंडिया को ही बैन करवाकर मानेगा।”

इसके अलावा, कई अन्य कंटेंट क्रिएटर्स ने भी इस बयान की निंदा की है और इसे बेहद आपत्तिजनक बताया है।

क्या रणवीर या समय ने दी कोई सफाई?

अब तक इस विवाद पर न तो रणवीर अल्लाहबादिया और न ही समय रैना की कोई प्रतिक्रिया आई है। दोनों ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है। हालांकि, सोशल मीडिया पर गुस्सा बढ़ता जा रहा है और लोग इन दोनों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

रणवीर अल्लाहबादिया के इस बयान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सोशल मीडिया पर कंटेंट क्रिएटर्स को किस हद तक आज़ादी दी जानी चाहिए। क्या बोलने की आज़ादी के नाम पर इस तरह की अभद्रता को नज़रअंदाज किया जाना चाहिए, या फिर ऐसे कंटेंट पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए? यह विवाद आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है, और देखना होगा कि रणवीर और समय इस पर क्या सफाई देते हैं।

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Alabama execution: नाइट्रोजन गैस से फांसी! सबसे खूंखार जेल का फैसला, 1991 के कातिल की...

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Alabama execution: अलबामा, अमेरिका की सबसे खतरनाक और चर्चित जेलों में से एक मानी जाती है। यहां के कठोर प्रबंधन और बंदियों पर किए गए अत्याचार अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं। इसी संदर्भ में, अलबामा में एक नया मामला सामने आया है, जिसमें 52 वर्षीय डेमेट्रियस टेरेंस फ्रेजियर को नाइट्रोजन गैस के जरिए फांसी देने की तैयारी की जा रही है। फ्रेजियर को 1991 में पॉलीन ब्राउन की हत्या का दोषी ठहराया गया था और उस पर आरोप था कि उसने बर्मिंघम स्थित ब्राउन के अपार्टमेंट में घुसकर न केवल बलात्कार किया, बल्कि गोली मारकर हत्या कर दी थी।

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नाइट्रोजन गैस के जरिए फांसी: एक नया तरीका- Alabama execution

अलबामा में यह फांसी नाइट्रोजन गैस के जरिए दी जाएगी। इस प्रक्रिया में, दोषी को एक मास्क पहनाया जाता है, जो उसकी सांस लेने वाली हवा को पूरी तरह से नाइट्रोजन गैस से बदल देता है। इसका परिणाम यह होता है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। यह तरीका 2025 की तीसरी और अलबामा की पहली फांसी होगी, जिसे नाइट्रोजन गैस से अंजाम दिया जाएगा। इससे पहले, 2024 में अलबामा पहला राज्य बना था, जिसने नाइट्रोजन गैस से फांसी दी थी, जब तीन कैदियों को इस तरीके से मौत की सजा दी गई थी।

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फ्रेजियर की मां की अपील

इस बीच, फ्रेजियर की मां, कैरल फ्रेजियर, और मृत्युदंड विरोधी संगठन इस सजा को रोकने के लिए पहल कर रहे हैं। कैरल ने एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने गवर्नर ग्रेचेन व्हिटमर से अपील की है कि वे उनके बेटे की सजा को रोकें। उन्होंने कहा है कि उनका बेटा बदल चुका है और उसने अपने किए पर पश्चाताप किया है। वे चाहती हैं कि अलबामा उनके बेटे को न मारे। हालांकि, अब तक मिशिगन सरकार की ओर से इस अपील पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। मिशिगन राज्य में मृत्युदंड की सजा नहीं है, और वहां के अटॉर्नी जनरल कार्यालय ने अदालत में यह स्पष्ट किया है कि वे फ्रेजियर को वापस लेने के इच्छुक नहीं हैं।

विभिन्न हत्याओं का दोषी फ्रेजियर

डेमेट्रियस फ्रेजियर पर न केवल ब्राउन की हत्या का आरोप था, बल्कि उन्होंने 1991 में अलबामा और 1992 में मिशिगन में अलग-अलग हत्याओं को अंजाम दिया था। मिशिगन में, उन्होंने 14 वर्षीय क्रिस्टल केंड्रिक की हत्या की थी, जिसके लिए उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। वहीं, अलबामा में ब्राउन की हत्या के जुर्म में उसे 1996 में मौत की सजा दी गई थी। हालांकि, इस फैसले में 10-2 का विभाजन था, जबकि अब अधिकांश अमेरिकी राज्यों में मृत्युदंड के लिए सर्वसम्मति आवश्यक होती है।

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नाइट्रोजन गैस के जरिए मौत: एक विवादित प्रक्रिया

नाइट्रोजन गैस के जरिए दी जाने वाली फांसी को लेकर कई विवाद उठ चुके हैं। वकीलों ने इस नई फांसी प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे, क्योंकि इससे पहले जिन कैदियों को इस विधि से मौत दी गई थी, वे तड़पते हुए दिखाई दिए थे। हालांकि, अदालत ने इस पर विचार करते हुए यह कहा कि यह प्रमाणित नहीं हुआ है कि इस प्रक्रिया से किसी को असहनीय शारीरिक या मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा। अदालत ने वकीलों की याचिका को खारिज कर दिया, और अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि अलबामा में इस फांसी का तरीका कैसा होगा और क्या यह प्रक्रिया दोषी के लिए अत्यधिक दर्दनाक होगी या नहीं।

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Indian immigrants deported from US: अपने नागरिकों के सम्मान के लिए कोलंबिया ने अमेरिक...

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Indian immigrants deported from US: “उन्होंने हमें हथकड़ी पहनाई। हमें बताया गया कि वो हमें वेलकम सेंटर ले जा रहे हैं। लेकिन कुछ देर बाद हमारे सामने सेना का विमान खड़ा था।” यह बयान 18 वर्षीय ख़ुशप्रीत सिंह का है, जो अमेरिका से भारत वापस भेजे जाने के बाद कुरुक्षेत्र, हरियाणा पहुंचे।

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45 लाख रुपये की यात्रा, हथकड़ी में वापसी- Indian immigrants deported from US

छह महीने पहले, ख़ुशप्रीत सिंह ने अमेरिका में एक बेहतर भविष्य की उम्मीद में 45 लाख रुपये खर्च किए थे। हालांकि, अमेरिकी सरकार ने उन्हें अवैध प्रवासी करार देते हुए वापस भेज दिया। ख़ुशप्रीत अकेले नहीं थे जिनका यह हश्र हुआ। बुधवार को 104 भारतीयों को एक अमेरिकी सैन्य विमान से भारत भेजा गया।

इनमें से अधिकांश भारतीयों की कहानी ख़ुशप्रीत से मिलती-जुलती थी। इन लोगों ने अमेरिका जाने के लिए बड़ी रकम खर्च की, लेकिन अंततः उन्हें हथकड़ी पहनाकर निर्वासित कर दिया गया।

भारतीय संसद में गूंजा मामला

भारतीयों के साथ इस व्यवहार को लेकर संसद में सवाल उठाए गए। कांग्रेस ने सवाल किया कि जब कोलंबिया जैसा छोटा देश अमेरिका को कड़ी प्रतिक्रिया दे सकता है, तो भारत सरकार क्यों नहीं?

कोलंबिया ने अपने नागरिकों के निर्वासन के तरीके का विरोध किया, जबकि भारत ने इसे एक पुरानी प्रक्रिया बताते हुए स्वीकार कर लिया। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो ने अपने नागरिकों को सैन्य विमानों में भेजे जाने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कोलंबिया के प्रवासियों को वापस लाने के लिए नागरिक विमानों की मांग की और उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने की बात कही।

कोलंबिया का सख्त रुख़

जनवरी में जब अमेरिका ने कोलंबियाई नागरिकों को सैन्य विमानों से भेजा, तो राष्ट्रपति पेत्रो ने उन्हें अपने देश में उतरने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके नागरिकों को अपराधियों की तरह नहीं, बल्कि सम्मान के साथ लाया जाएगा।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोलंबिया के इस रवैये से नाराज़ हो गए और उन्होंने कोलंबिया से आयातित उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ़ लगाने की घोषणा कर दी।

बाद में व्हाइट हाउस और कोलंबिया सरकार के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें कोलंबिया ने अपने प्रवासियों को वापस लाने के लिए अपने वायुसेना के विमान भेजे। पेत्रो ने कहा कि यह सुनिश्चित करेगा कि उनके नागरिकों का सम्मान बना रहे।

भारत की प्रतिक्रिया और सवाल

भारत में अमेरिकी कार्रवाई को लेकर जनता और विपक्षी दलों में नाराजगी देखी गई। जब अमेरिका ने निर्वासित भारतीयों की तस्वीरें जारी कीं, जिनमें वे हथकड़ियों और बेड़ियों में नज़र आए, तो यह मामला तूल पकड़ गया।

Indian immigrants deported from US
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अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल के चीफ माइकल डब्ल्यू बैंक्स ने इन तस्वीरों के साथ एक पोस्ट में लिखा, “भारत के अवैध प्रवासियों को सफलतापूर्वक निर्वासित किया गया है। अगर आप अवैध रूप से आएंगे, तो इसी तरह वापस भेजे जाएंगे।”

कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “क्या यह व्यवहार मानवीय है या आतंकवादियों जैसा? भारत सरकार को अमेरिका से सख्त जवाब मांगना चाहिए।” आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने पूछा कि क्या भारत सरकार अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए खुद विमान भेजेगी?

भारत की कूटनीतिक नीति

सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने इस पूरे घटनाक्रम को भारत के लिए शर्मनाक करार दिया। उन्होंने लिखा कि जब मेक्सिको और कोलंबिया ने अपने नागरिकों को हथकड़ी पहनाकर लाने से इनकार कर दिया, तो भारत ने न केवल इस अपमान को स्वीकार किया, बल्कि इसे अमेरिका के साथ ‘मज़बूत सहयोग’ बताया।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में बताया कि यह प्रक्रिया कोई नई नहीं है और 2012 से ही लागू है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अमेरिका से लगातार बातचीत कर रहा है ताकि निर्वासित भारतीयों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए।

Indian immigrants deported from US
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भारत और अमेरिका के संबंध

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और कोलंबिया की तुलना नहीं की जा सकती। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली के प्रोफेसर मनन द्विवेदी के अनुसार, “भारत हमेशा अमेरिका के साथ अपने संबंध सुधारने पर ज़ोर देता है, जबकि कोलंबिया की सरकार वामपंथी झुकाव रखती है और अमेरिका के प्रति आक्रामक रुख़ अपना सकती है।”

जेएनयू की प्रोफेसर अपराजिता कश्यप के अनुसार, “भारत की नीति कोलंबिया से अलग है क्योंकि सामाजिक, राजनीतिक और भौगोलिक परिस्थितियां भिन्न हैं। भारत अमेरिकी प्रतिक्रिया से बचना चाहता है और इसीलिए सधी हुई प्रतिक्रिया देता है।”

क्या भारत और कदम उठा सकता था?

कानूनी विशेषज्ञ डॉ. सूरत सिंह के अनुसार, “हथकड़ी और बेड़ियों में लाना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है। भारत सरकार को अमेरिका के साथ इस पर बातचीत करनी चाहिए थी। जबरदस्ती निर्वासित करने से बेहतर होता कि भारतीय नागरिकों को सम्मानजनक तरीके से वापस लाया जाता।”

भारतीय प्रवासियों का यह निर्वासन कई सवाल खड़े करता है। क्या भारत को अमेरिका के खिलाफ अधिक सख्त रुख़ अपनाना चाहिए था? क्या अपने नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान के लिए भारत को कोलंबिया की तरह जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए? ये वे प्रश्न हैं, जिनका जवाब आने वाले समय में भारत सरकार को देना होगा।

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Trump statement on Canada: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद से कनाडा को लेकर उनकी टिप्पणियां सुर्खियों में बनी हुई हैं। ट्रंप ने कई मौकों पर यह कहा है कि कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बन जाना चाहिए। कनाडा ने इस बयान पर सार्वजनिक रूप से सख्त आपत्ति जताई है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं और इसे पूरी तरह नकार नहीं रहे हैं।

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बंद कमरे में ट्रूडो की टिप्पणी- Trump statement on Canada

टोरंटो स्टार अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक बंद कमरे में हुई बैठक में कहा कि ट्रंप की यह बात महज मजाक नहीं है, बल्कि इसमें कुछ सच्चाई हो सकती है। यह बैठक बिजनेस और लेबर नेताओं के साथ हो रही थी, जिसमें अमेरिका द्वारा कनाडाई उत्पादों पर प्रस्तावित टैरिफ का सामना करने के उपायों पर चर्चा की गई।

Trump statement on Canada America
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बैठक के दौरान ट्रूडो ने गलती से लाउडस्पीकर में यह बयान दे दिया, जिसे मीडिया ने लपक लिया। ट्रूडो ने कहा, ‘वे (अमेरिका) हमारे संसाधनों और आर्थिक क्षमता से अच्छी तरह वाकिफ हैं और इसका लाभ उठाना चाहते हैं। ट्रंप के दिमाग में यह है कि ऐसा करने का सबसे आसान तरीका कनाडा को अमेरिका में शामिल कर लेना है, और यह एक सच्चाई है।’ एक सरकारी सूत्र ने इस बयान की पुष्टि की है।

ट्रंप की टैरिफ धमकी

ट्रंप ने चुनाव जीतते ही घोषणा की थी कि वे अमेरिका में आने वाले कनाडाई उत्पादों पर 25% का टैरिफ लगाएंगे। उन्होंने दावा किया कि कनाडा अपनी सीमा से अमेरिका में होने वाली ड्रग तस्करी और अवैध प्रवास को रोकने में विफल रहा है।

Trump statement on Canada America
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इस धमकी के बाद कनाडाई प्रधानमंत्री ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि भले ही कनाडा इन टैरिफ से खुद को बचाने में सफल हो जाए, लेकिन उसे अमेरिका के साथ दीर्घकालिक राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

कनाडा को मिली अस्थायी राहत

हालांकि, ट्रंप ने हाल ही में कनाडा को 30 दिनों की टैरिफ छूट देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि कनाडा ने अमेरिका में फेंटेनाइल तस्करी पर नकेल कसने के प्रयास किए हैं, जिसके चलते यह रियायत दी जा रही है।

ट्रूडो का मानना है कि कनाडा की सबसे बड़ी चुनौती फिलहाल अमेरिका को यह समझाना है कि वह ड्रग्स की सप्लाई को रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में जब्त की गई फेंटेनाइल की कुल आपूर्ति का मात्र 0.2% ही कनाडा से आता है।

अगर ट्रंप ने टैरिफ लगाया तो…

बैठक के दौरान ट्रूडो ने बिजनेस और लेबर नेताओं से कहा कि यदि ट्रंप टैरिफ लगाते हैं, तो कनाडा भी उसी के अनुसार जवाब देगा। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका लक्ष्य हमेशा यही रहेगा कि टैरिफ को जल्द से जल्द हटाया जाए।

उन्होंने कहा, ‘हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि अगले चार सालों में हम किस तरह आगे बढ़ें, आर्थिक तरक्की करें और अमेरिका के साथ लंबे समय तक राजनीतिक परिस्थिति में किस प्रकार संतुलन बनाए रखें।’

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Delhi Secretariat Sealed: बीजेपी की ऐतिहासिक जीत, AAP को करारी हार, प्रशासन ने दिल्ली...

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Delhi Secretariat Sealed: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे लगभग स्पष्ट हो गए हैं। आम आदमी पार्टी (AAP), जो पिछले 10 वर्षों से राजधानी की सत्ता पर काबिज थी, इस बार भारी हार का सामना कर रही है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) की दो दशक बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी लगभग तय मानी जा रही है।

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सत्ता परिवर्तन से पहले प्रशासन का बड़ा फैसला- Delhi Secretariat Sealed

चुनावी रुझानों में आम आदमी पार्टी की हार स्पष्ट होते ही, प्रशासन ने दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के माध्यम से एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत, सरकारी दस्तावेजों और डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सचिवालय को पूरी तरह से सील करने का निर्देश दिया गया है।

नोटिस में क्या कहा गया?

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि किसी भी सरकारी फाइल, दस्तावेज, कंप्यूटर हार्डवेयर आदि को बिना अनुमति के सचिवालय परिसर से बाहर नहीं ले जाया जा सकता। आदेश में यह भी निर्देश दिया गया है कि सभी विभागों/कार्यालयों के ब्रांच इंचार्ज को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने होंगे कि उनके सेक्शन/ब्रांच के अंतर्गत आने वाले सभी रिकॉर्ड्स, फाइल्स, दस्तावेज़ और इलेक्ट्रॉनिक डाटा सुरक्षित रहें।

फाइल्स और दस्तावेजों की सुरक्षा को लेकर सख्ती

सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण दस्तावेज या सरकारी रिकॉर्ड चुनावी बदलाव के दौरान लीक या नष्ट न किए जाएं।

आसान शब्दों में कहें तो दिल्ली सचिवालय से किसी भी सरकारी दस्तावेज़, हार्डवेयर या अन्य महत्वपूर्ण सामान को बिना अनुमति बाहर ले जाने पर रोक लगा दी गई है। इसके लिए सभी विभागों के अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए गए हैं।

बीजेपी की ऐतिहासिक वापसी

इस चुनाव के नतीजों के साथ ही बीजेपी ने दिल्ली में अपनी ऐतिहासिक वापसी कर ली है। पार्टी समर्थकों में जबरदस्त उत्साह है और अब सभी की निगाहें नई सरकार के गठन पर टिकी हुई हैं।

आगे की राह

अब जब बीजेपी सत्ता में वापसी कर रही है, दिल्ली की जनता यह देखना चाहेगी कि उनकी प्रमुख चुनावी घोषणाएं और वादे कितनी तेजी से पूरे किए जाते हैं।

सरकार बनने के बाद पहली प्राथमिकताओं में दिल्ली की परिवहन व्यवस्था, जल संकट, प्रदूषण नियंत्रण और स्वच्छता जैसे मुद्दे रहेंगे। यह भी देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी इस हार के बाद अपनी रणनीति में क्या बदलाव करती है और आगे की राजनीति किस दिशा में जाती है।

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Delhi Assembly Elections BJP wins: बीजेपी ने बहुमत हासिल किया, केजरीवाल और सिसोदिया च...

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Delhi Assembly Elections BJP wins: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना समाप्त हो चुकी है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बहुमत हासिल कर लिया है। यह 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की ऐतिहासिक वापसी है। आम आदमी पार्टी (AAP) के कई बड़े नेता हार चुके हैं, जिससे पार्टी को बड़ा झटका लगा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी अपनी सीटें गंवा चुके हैं।

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नई दिल्ली सीट से केजरीवाल की हार- Delhi Assembly Elections BJP wins

दिल्ली की सबसे हॉट नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल की हार हो गई है। यहां से बीजेपी के प्रवेश वर्मा ने जीत दर्ज की है।

Delhi Assembly Elections   AAP
Source- Nedrick News

जंगपुरा सीट से मनीष सिसोदिया 675 वोटों से हारे

जंगपुरा सीट से आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया 675 वोटों से हार गए हैं। यहां से बीजेपी के तरविंदर सिंह ने जीत दर्ज की है। उधर, भारत नगर मतगणना केंद्र के बाहर बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया।

आतिशी ने रमेश बिधूड़ी को हराया

कालकाजी सीट से आम आदमी पार्टी की आतिशी जीत गई हैं। यहां से बीजेपी के रमेश बिधूड़ी को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, कस्तूरबा नगर से बीजेपी के नीरज बसोया विजयी हुए हैं।

हार के बाद क्या बोले मनीष सिसोदिया?

जंगपुरा सीट से हारने के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा, “हम सब कार्यकर्ताओं ने मेहनत से चुनाव लड़ा। जंगपुरा के लोगों ने भी बहुत प्यार दिया, लेकिन हम 600 वोटों से पीछे रह गए। मैं बीजेपी कैंडिडेट को बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वो जनता की सेवा करेंगे। हमसे कहां चूक हुई, इसका विश्लेषण किया जाएगा।”

सियासी हलचल तेज, संजय सिंह और राहुल गांधी सक्रिय

चुनावी नतीजों के बीच आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर पहुंचे हैं, जबकि कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी 10 जनपथ स्थित सोनिया गांधी के निवास पहुंचे हैं। इन मुलाकातों को चुनावी नतीजों के बाद की रणनीति बनाने के रूप में देखा जा रहा है।

AAP और कांग्रेस की स्थिति

AAP को इस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है, जहां कई बड़े नेता अपनी सीट बचाने में असफल रहे। कांग्रेस केवल एक सीट पर जीत हासिल कर पाई, जिससे उसकी स्थिति और भी कमजोर हो गई है।

मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम

5 फरवरी को हुए मतदान में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 60.54% वोटिंग दर्ज की गई थी। मतगणना के लिए राजधानी के 19 मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। प्रत्येक केंद्र पर अर्धसैनिक बलों की दो कंपनियां तैनात की गई थीं, जिससे निष्पक्ष और शांतिपूर्ण मतगणना सुनिश्चित की जा सके।

Delhi Elections Result Delhi Assembly Election
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बीजेपी की शानदार जीत, कई बड़े नेता विजयी

अब तक के परिणामों के अनुसार, बीजेपी के कई प्रत्याशी बड़ी बढ़त के साथ जीत चुके हैं।

मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भी बीजेपी की शानदार जीत

बीजेपी ने इस बार मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी मजबूत प्रदर्शन किया है। मुस्तफाबाद से मोहन बिष्ट ने 42,069 वोटों से जीत दर्ज की है। उन्हें कुल 69,308 वोट मिले, जबकि आप के आदिल अहमद खान को 27,239 वोट और एआईएमआईएम के ताहिर हुसैन को 6,676 वोट मिले।

बीजेपी के विजयी प्रत्याशी:

  1. रिठाला – कुलवंत राणा ने 18,148 वोटों से जीत दर्ज की।
  2. बवाना – रविंदर इंद्र जे सिंह ने 12,143 वोटों से जीत दर्ज की।
  3. शालीमारबाग – रेखा गुप्ता ने 14,146 वोटों से जीत दर्ज की।
  4. जनकपुरी – आशीष सूद ने 10,596 वोटों से जीत दर्ज की।
  5. नजफगढ़ – नीलम पहलवान ने 12,681 वोटों से जीत दर्ज की।
  6. पटपड़गंज – रविंद्र सिंह नेगी (रवि नेगी) ने 11,989 वोटों से जीत दर्ज की।
  7. विश्वास नगर – ओम प्रकाश शर्मा ने 13,756 वोटों से जीत दर्ज की।
  8. घोंडा – अजय महावर ने 13,741 वोटों से जीत दर्ज की।
  9. मुस्तफाबाद – मोहन सिंह बिष्ट ने 36,685 वोटों से जीत दर्ज की।
  10. करावलनगर – कपिल मिश्रा ने 20,351 वोटों से जीत दर्ज की।

बीजेपी की ऐतिहासिक वापसी

इस जीत के साथ, बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में लौट आई है। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। अब सबकी नजरें नई सरकार के गठन और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर टिकी हैं।

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Delhi Assembly Elections 2025: शुरुआती रुझानों में बीजेपी आगे, उमर अब्दुल्ला ने कांग्...

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Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है और शुरुआती रुझानों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आम आदमी पार्टी (AAP) से आगे निकलती दिख रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, नई दिल्ली सीट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बीजेपी के प्रवेश वर्मा और कांग्रेस के संदीप दीक्षित से टक्कर ले रहे हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस और AAP पर निशाना साधा है।

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उमर अब्दुल्ला का तंज- Delhi Assembly Elections 2025

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस और AAP पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक मीम साझा किया। उन्होंने लिखा, “और लड़ो आपस में! जी भरकर लड़ो और समाप्त कर दो एक-दूसरे को।” उनका यह बयान कांग्रेस और AAP के अलग-अलग चुनाव लड़ने के फैसले पर कटाक्ष माना जा रहा है।

EVM विवाद पर उमर अब्दुल्ला का बयान

इससे पहले, जब कांग्रेस ने हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद EVM पर सवाल उठाए थे, तब उमर अब्दुल्ला ने इसे खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि जब राजनीतिक दल चुनाव जीतते हैं, तो वे EVM की तारीफ करते हैं, लेकिन हारने पर इसे दोषी ठहराते हैं।

संजय राउत का बयान

शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने भी दिल्ली चुनाव में कांग्रेस और आप के अलग-अलग लड़ने पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस और आप साथ होते तो नतीजे अलग हो सकते थे। दोनों का मुख्य प्रतिद्वंद्वी बीजेपी थी, लेकिन वे अलग-अलग लड़े। अगर वे एक साथ होते तो मतगणना के पहले घंटे में ही बीजेपी की हार पक्की हो गई होती।”

दिल्ली चुनाव के शुरुआती रुझान

शुरुआती रुझानों में दिल्ली की कई सीटों पर रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है।

  • कालकाजी सीट: मुख्यमंत्री आतिशी बीजेपी के रमेश बिधूड़ी से पीछे हैं।
  • जंगपुरा सीट: पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पीछे चल रहे हैं।
  • करावल नगर सीट: बीजेपी के कपिल मिश्रा आगे हैं।
  • ग्रेटर कैलाश सीट: आप के सौरभ भारद्वाज बढ़त बनाए हुए हैं।

बीजेपी को मिल रही बढ़त

दिल्ली में 5 फरवरी को हुए मतदान में 60.54 प्रतिशत मतदाताओं ने हिस्सा लिया था। अब तक के आंकड़ों के अनुसार, बीजेपी 32 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि आम आदमी पार्टी केवल 14 सीटों पर बढ़त बना पाई है।

‘इंडिया’ ब्लॉक का असर नहीं दिखा

हालांकि, केंद्र की राजनीति में कांग्रेस और आप ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों में यह गठबंधन काम नहीं कर पाया। हरियाणा और दिल्ली में दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा, जिसका फायदा बीजेपी को मिला।

एग्जिट पोल हुए सही साबित?

दिल्ली में पांच फरवरी को मतदान हुआ था, और नतीजों से पहले जारी एग्जिट पोल्स में बीजेपी को बढ़त मिलने की संभावना जताई गई थी। अब शुरुआती रुझानों में एग्जिट पोल्स के अनुमान सही साबित होते नजर आ रहे हैं।

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