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हीरोगिरी फूं-फूं करने में नहीं…अब सिनेमाघरों में नहीं दिखेगा ये विज्ञापन

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Akshay Ad
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बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार कि एक ऐड तो बहुत अच्छे से याद होगी, इस एड में अक्षय कुमार ये बोलते नजर आते है हीरोगिरी फूं-फूं करने में नहीं लेकिन अब ये ऐड आपको फिल्म थिएटर में देखने नहीं मिलेगी. ऐसा इसलिए क्यूंकि खिलाड़ी कुमार के ‘नंदू वाले’ विज्ञापन को सेंसर बोर्ड ने हटाने का फैसला किया है. ये विज्ञापन बीते 6 साल से हर फिल्म की शुरुआत में आता था. लेकिन अब एंटी-सिगरेट वाले इस विज्ञापन को सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने हटाने का फैसला किया है. इस फैसले के बाद अब खिलाड़ी कुमार की एड थिएटर में नहीं दिखाई देगा.

ये था नंदू वाला विज्ञापन

अक्षय कुमार का ये विज्ञापन हर थिएटर में हर फिल्म के पहले दिखाया जाता रहा है. इस एड के काफी मीम भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. इस एड को काफी अच्छा रिस्पांस भी मिला है. इस एड में अक्षय नंदू से बोलते हैं कि…’और नंदू अस्पताल के सामने खड़े होकर फूं फूं कर रहा है. बीवी बीमार है अंदर, क्या हुआ भाभी को? वही औरतों वाली बीमारी. खर्चा इतना हो रहा है. तभी अक्षय नंदू से पूछते हैं- ये सिगरेट कितने की है? नंदू जवाब देता है- 10 रुपये की.  जेब में कितनी है- 1 और है. तब अक्षय नंदू से कहते हैं- मरने के लिए तेरे पास पैसे हैं. लेकिन बीवी को मौत से बचाने के लिए. ये देख मौत लिखी है इस पर. और ये सैनेटरी पैड में जिंदगी. हंस मत.’

‘दो सिगरेट के पैसे से भाभी को ऐसी खतरनाक बीमारी जो महावरी के वक्त गंदा कपड़ा इस्तेमाल करने से होती है. ये उससे बचा सकता है और सिगरेट ना पीने से अपने आपको भी खतरनाक बीमारी से बचा सकता है. यानी कि मौत के पैसों से दो जिंदगी खरीद सकता है तू. एक अपनी और एक अपनी बीवी की. सोच और अब हंस. हीरोगिरी ये पीने में नहीं है ये लेने में है.’ वैसे तो ये एक ही विज्ञापन था. लेकिन इससे एक साथ दो चीजों पर फोकस किया गया है. पहला तंबाकू के इस्तेमाल से लोगों को रोकना और दूसरा महावारी के वक्त महिलाओं को कपड़े की जगह सैनेटरी पैड इस्तेमाल करने के लिए जागरूक करना था.

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वायरल हो गया था विज्ञापन

अक्षय कुमार के इस विज्ञापन को पहली बार साल 2018 में सिनेमाघर में दिखाया गया था. वैसे तो अक्षय ने कई बड़े विज्ञापन के लिए काम किया है और समाज को एक अच्छा सन्देश दिया है. लेकिन इस विज्ञापन में उनके साथ जो नंदू का किरदार निभा रहा है उसका नाम अजय पाल सिंह है. वही मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई मल्टीप्लेक्स ऑफीशियल ने न्यूज पोर्टल से बातचीत के दौरान अक्षय कुमार के इस विज्ञापन को बेस्ट बताया था. उनका कहना है कि ये ऐड काफी सिंपल है और इसमें किसी भी तरह के भद्दे विजुअल का इस्तेमाल नहीं हुआ है. ये ऐड इतना ज्यादा लोगों की जुबान पर चढ़ गया था कि लोगों को चंदू और अक्षय कुमार के इस विज्ञापन में बोले गए डायलॉग तक याद हो गए थे. हालांकि 6 साल बाद इस विज्ञापन को क्यों थिएटर से हटाया जा रहा है इसका रीजन अभी तक रिवील नहीं हुआ है. वही इसकी जगह एक नए विज्ञापन को दिखाया जाएगा.

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J&J Case: जॉनसन एंड जॉनसन को देना होगा 126 करोड़ का मुआवजा: बेबी पाउडर से कैंसर होने का दावा निकला सच!

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Johnson and Johnson baby care product
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जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson) को लेकर बेहद परेशान करने वाली खबर आ रही है। कंपनी दशकों से भारतीय बाजार पर राज कर रही है। इसके बेबी केयर प्रोडक्ट (Baby Care Product) हर घर में इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन हाल ही में एक कोर्ट के फैसले ने वैश्विक स्वास्थ्य सेवा दिग्गज जॉनसन एंड जॉनसन को बड़ा झटका दिया। दरअसल, कंपनी को एक व्यक्ति को 126 करोड़ रुपये (1.75 मिलियन डॉलर) का मुआवजा देने का आदेश दिया गया, जिसने आरोप लगाया था कि जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी पाउडर में एस्बेस्टस के कारण उसे मेसोथेलियोमा नामक कैंसर (Mesothelioma cancer) हो गया था।

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J&J बेबी पाउडर विवाद- Johnson & Johnson baby powder controversy

जॉनसन एंड जॉनसन के बेबी केयर उत्पादों के खिलाफ अमेरिका और अन्य देशों में हजारों मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि पाउडर में मौजूद एस्बेस्टस कणों के कारण उपयोगकर्ताओं में कैंसर हुआ है। हालांकि कंपनी ने लगातार इन आरोपों का खंडन किया है और दावा किया है कि उनका उत्पाद पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन अदालतों ने अक्सर पीड़ितों के पक्ष में फैसला सुनाया है।

2021 में दर्ज कराया था मुकदमा

खबरों की मानें तो, कनेक्टिकट के एक व्यक्ति इवान प्लॉटकिन ने J&J के बेबी पाउडर पर आरोप लगाया था कि इस टैल्क पाउडर के दशकों तक इस्तेमाल की वजह से उसे मेसोथेलियोमा जैसा दुर्लभ कैंसर हो गया। यह कैंसर अक्सर फेफड़ों और पेट के आस-पास के ऊतकों पर हमला करता है और माना जाता है कि यह एस्बेस्टस के संपर्क में आने से होता है। इस व्यक्ति ने साल 2021 में मुकदमा दायर किया था और कंपनी के बेबी पाउडर को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे।

Johnson and Johnson
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इसके बाद जूरी ने मामले को गंभीरता से लिया और पाया कि जॉनसन एंड जॉनसन को हर्जाना देना चाहिए, जिसका निर्धारण बाद में मामले को देख रहे जज द्वारा किया जाएगा। अब कंपनी को 15 मिलियन डॉलर का भुगतान करने के लिए कहा गया है।

कंपनी की प्रतिक्रिया

वहीं j&J की ओर से एरिक हास (मुकदमेबाजी मामलों के उपाध्यक्ष) ने जूरी के फैसले पर एक बयान में कहा कि कंपनी ट्रायल जज के गलत फैसलों के खिलाफ अपील करेगी। उन्होंने कहा कि जूरी को इस मामले से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को सुनने से रोका गया है। उनका कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे क्योंकि कंपनी ने अपने उत्पादों का बार-बार परीक्षण किया है और पाया है कि वे सुरक्षित हैं। ऐसे में इससे किसी तरह का कैंसर नहीं होता।

Johnson and Johnson
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मुकदमे का वैश्विक प्रभाव

वहीं j&J  से जुड़ा यह मामला सिर्फ़ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है। जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ हजारों मुकदमे दायर किए गए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इसके टैल्क-आधारित उत्पादों के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा बढ़ गया है। इस फैसले से कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है और दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा और उपभोक्ता सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। कंपनी का भारत में बड़ा कारोबार है और वह लंबे समय से देश में बेबी पाउडर बेच रही है। बेबी पाउडर के अलावा कंपनी भारत में बेबी शैम्पू, बेबी सोप और बेबी ऑयल भी बेचती है और इनकी काफी मांग है।

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सपने में कौआ दिखे तो समझिए इसे चेतावनी, हो सकती है आपके जीवन में कोई अनहोनी  

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crow dream
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स्वप्न शास्त्र  (Dream Astrology) के अनुसार कुछ सपने ऐसे होते हैं जो हमें आंतरिक खुशी या संतुष्टि देते हैं। वहीं कई बार हमें ऐसे सपने भी आते हैं जिनकी वजह से हम पूरा दिन परेशान रहते हैं। लेकिन हमें किसी भी सपने का मतलब जाने बिना उसे लेकर बेवजह परेशान नहीं होना चाहिए। लेकिन ये भी सच है कि इन सपनों का मतलब खुद से जानना मुश्किल होता है, ऐसे में हमें स्वप्न शास्त्र की मदद लेनी चाहिए। स्वप्न शास्त्र में सपनों का विभिन्न प्रतीकों से जुड़ाव माना जाता है, और इनमें से एक प्रतीक कौआ भी है। सपने में कौआ (Crow Dreams) देखना अक्सर एक विशेष संदेश या चेतावनी का प्रतीक होता है। यहां कुछ सामान्य व्याख्याएं दी गई हैं

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हमें सपने क्यों आते हैं?

लेकिन उससे पहले आइए जानते हैं कि हमें सपने क्यों आते हैं। हमारा शरीर पांच महाभूतों से बना है: आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। इन पांच महाभूतों को जीवन शक्ति कहा जाता है। आत्मा जीवन शक्ति के ऊपर निवास करती है। जब हम नींद की अवस्था में होते हैं तो हमारा शरीर सो जाता है लेकिन हमारी आत्मा जागृत अवस्था में रहती है और वह ब्रह्मांड में घूमती रहती है। हमारी जागृत आत्मा की प्रेरणा से हमारी बुद्धि तीन प्रकार की होती है। चेतन, अवचेतन और अतिचेतन, जो अतीत में हमारे द्वारा किए गए कार्य और वर्तमान में हम जो कार्य कर रहे हैं, उन्हें जोड़कर सपनों के माध्यम से संकेत देते हैं कि भविष्य कैसा होगा। यदि हम अच्छे कर्म करते हैं तो अच्छे सपने साकार होते हैं; यदि हम बुरे कर्म करते हैं तो बुरे सपने ही फलित होते हैं।

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समझदारी और चेतना

स्वप्न शास्त्र के अनुसार, कौए को कई बार बुद्धिमत्ता और जागरूकता का प्रतीक भी माना जाता है। सपने में कौआ देखना आपको किसी स्थिति में गहराई से सोचने और समझदारी से निर्णय लेने की प्रेरणा दे सकता है।

चेतावनी या सावधानी

स्वप्न शास्त्र के अनुसार, कौआ देखना (Crow Dreams) किसी प्रकार की चेतावनी या भविष्य में आने वाली कठिनाइयों का संकेत हो सकता है। यह आपको किसी स्थिति के बारे में सचेत रहने का संदेश दे सकता है।

crow dream
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परिवर्तन का प्रतीक

कुछ अन्य व्याख्याओं के अनुसार, कौआ एक परिवर्तन का भी प्रतीक हो सकता है। यह जीवन में किसी बड़े बदलाव की ओर इशारा कर सकता है, जैसे कि एक नई शुरुआत या पुरानी चीज़ों का अंत।

मृत्यु या हानि का संकेत

कई संस्कृतियों में, कौआ को मृत्यु या किसी अप्रिय घटना का प्रतीक माना जाता है। यदि सपने में कौआ देखा जाए, तो इसे किसी नुकसान या विपत्ति के संकेत के रूप में भी देखा जाता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

और पढ़ें: सपने में बारिश को देखने का क्या होता है मतलब? जानिए स्वप्न शास्त्र में इसे शुभ माना जाता है या अशुभ

दिलीप कुमार से लेकर राज कपूर तक, पाकिस्तान में जन्मे ये बॉलीवुड सितारे फिर ऐसे बने B-Town के सुपरस्टार

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Pakistan born Bollywood stars
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आज भले ही बॉलीवुड में पाकिस्तानियों की एंट्री न हो। आज भले ही पाकिस्तान और भारत के बीच किसी भी तरह के कारोबार की इजाजत न हो। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब पाकिस्तान में जन्मे कई एक्टर्स आगे चलकर भारतीय सिनेमा के बड़े सितारे बने। जी हां, आपने सही सुना। बॉलीवुड में कई ऐसे सितारे (Pakistani Bollywood Stars) रहे हैं जो पाकिस्तान से आए थे, जिनका जन्म पाकिस्तान में हुआ लेकिन फिर भी उन्होंने इंडस्ट्री में खूब नाम कमाया। आइए आपको बताते हैं उन सितारों के बारे में जो पाकिस्तान में जन्मे लेकिन फिर उन्होंने बॉलीवुड पर राज किया।

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दिलीप कुमार (Dilip Kumar)

हिंदी सिनेमा के ‘ट्रेजडी किंग’ के नाम से मशहूर दिलीप कुमार उर्फ यूसुफ खान भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित अभिनेताओं में से एक हैं। उनका जन्म सन 1912 में पेशावर, पाकिस्तान में हुआ था। दिलीप कुमार का परिवार 1930 में मुंबई आ गया था। वहीं, उन्होंने 1940 के दशक में अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत की और कुछ ही समय में स्टारडम हासिल कर लिया। उनकी प्रमुख फ़िल्मों में ‘मुगल-ए-आज़म’, ‘देवदास’, ‘गंगा जमुना’ जैसी फ़िल्में शामिल हैं।

Dilip Kumar
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राज कपूर (Raj Kapoor)

बॉलीवुड के ‘शोमैन’ राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। कपूर परिवार बॉलीवुड के सबसे बड़े फ़िल्मी परिवारों में से एक है। राज कपूर ने न केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक निर्माता और निर्देशक के रूप में भी भारतीय सिनेमा में गहरी छाप छोड़ी। उनकी प्रमुख फ़िल्मों में ‘आवारा’, ‘श्री 420’, ‘संगम’ शामिल हैं। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ (Padma Bhushan) और ‘दादा साहब फाल्के’ (Dadasaheb Phalke Award) पुरस्कार से सम्मानित किया।

Raj Kapoor
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देव आनंद (Dev Anand)

देव आनंद अपने आकर्षक व्यक्तित्व और रोमांटिक भूमिकाओं के लिए जाने जाते थे। उनका जन्म 1923 में शकरगढ़ (अब पाकिस्तान में) में हुआ था और विभाजन के बाद वे भारत आ गए और बॉलीवुड के सबसे पसंदीदा अभिनेताओं में से एक बन गए। उनकी फ़िल्में ‘गाइड’, ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘ज्वेल थीफ़’ आज भी लोगों के दिलों में बसी हैं।

dev anand
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मधुबाला (Madhubala)

मधुबाला को भारतीय सिनेमा की सबसे खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है। उनका जन्म 1933 में पेशावर में हुआ था, लेकिन बाद में उनका परिवार जल्द ही मुंबई आ गया। मधुबाला ने कई हिट फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘मुगल-ए-आजम’, ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘महल’ शामिल हैं।

Madhubala
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सुनील दत्त (Sunil Dutt)

बॉलीवुड अभिनेता सुनील दत्त का जन्म 6 जून 1929 को नक्का खुर्द गांव में हुआ था। यह गांव पाकिस्तान के पंजाब का हिस्सा है। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद सुनील का परिवार कुछ समय के लिए हरियाणा, फिर लखनऊ और अंत में बॉम्बे में बस गया। सुनील दत्त ने अपने करियर की शुरुआत रेडियो जॉकी के तौर पर की थी लेकिन बाद में उन्होंने फिल्मों की ओर रुख किया। सुनील दत्त ने कई दिलचस्प किरदार निभाकर साबित कर दिया कि वह एक बहुमुखी अभिनेता हैं।

Sunil Dutt
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हाजी मस्तान, करीम लाला और दाऊद के बाद अब लॉरेंस बिश्नोई बना अपराध जगत का नया बादशाह, दिल्ली को बनाया अंडरवर्ल्ड का नया अड्डा

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Haji Mastan and Dawood Ibrahim
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भारत में अंडरवर्ल्ड का प्रभाव (Underworld Influence in India) दशकों से देखा जा रहा है, जिसकी शुरुआत मुंबई से हुई और अब यह धीरे-धीरे दिल्ली और उत्तर भारत की ओर बढ़ रहा है। हाजी मस्तान (Haji Mastan), करीम लाला  (Karim Lala) और दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) जैसे नाम कभी मुंबई अंडरवर्ल्ड के केंद्र में थे, लेकिन हाल के वर्षों में लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) जैसे अपराधियों का प्रभाव दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बढ़ता दिख रहा है। इस बदलाव के पीछे कई कारण और परिस्थितियां काम कर रही हैं। आइए समझते हैं कि अंडरवर्ल्ड का केंद्र मुंबई से दिल्ली कैसे स्थानांतरित हुआ।

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मुंबई का अंडरवर्ल्ड: हाजी मस्तान, करीम लाला और दाऊद का दौर – Mumbai Underworld

1960 के दशक से लेकर 1990 के दशक तक हाजी मस्तान, करीम लाला और दाऊद इब्राहिम ने मुंबई अंडरवर्ल्ड पर अपना दबदबा बनाए रखा। इनका मुख्य काम तस्करी, हवाला और माफिया गतिविधियों से जुड़ा था। हाजी मस्तान और करीम लाला ने खुद को ‘रॉबिन हुड’ की छवि में पेश किया, वहीं दाऊद इब्राहिम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना आपराधिक साम्राज्य फैलाया।

Karim lala and Dawood Ibrahim
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1993 के मुंबई धमाकों (1993 Mumbai Blasts) के बाद दाऊद इब्राहिम का नाम सामने आया और तब से मुंबई पुलिस और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने मुंबई अंडरवर्ल्ड पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। कई बड़े गैंगस्टर या तो मारे गए या गिरफ्तार किए गए और इसके बाद अंडरवर्ल्ड का परिदृश्य बदल गया।

 1990 के बाद: दो दशक की खामोशी

1990 के बाद मुंबई में अंडरवर्ल्ड की गतिविधियाँ कम हो गईं और पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने माफिया के खिलाफ़ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किए। इस दौरान कई अपराधी या तो विदेश भाग गए या मारे गए। दाऊद इब्राहिम ने दुबई और कराची में शरण ली और मुंबई अंडरवर्ल्ड धीरे-धीरे कमज़ोर होता गया।

खामोशी के इस दौर में मुंबई में अंडरवर्ल्ड का दबदबा लगभग खत्म हो गया। हालांकि छोटे-मोटे अपराधी और गिरोह सक्रिय थे, लेकिन वे दाऊद, हाजी मस्तान और करीम लाला जैसे बड़े माफियाओं जितने प्रभावी नहीं थे।

अंडरवर्ल्ड का दिल्ली और उत्तर भारत की ओर रुख- Underworld New Hub Delhi

हालांकि, हाल के वर्षों में अंडरवर्ल्ड की गतिविधियाँ दिल्ली और उत्तर भारत की ओर बढ़ती दिख रही हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि उत्तर भारत के कस्बों और ग्रामीण इलाकों से आने वाले अपराधी संगठित अपराध में कदम रख चुके हैं। इन अपराधियों में लॉरेंस बिश्नोई और उसके जैसे कई अन्य गैंगस्टर शामिल हैं, जो मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं।

Dawood Ibrahim Lawrence Bishnoi
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लॉरेंस बिश्नोई और उसके गिरोह ने दिल्ली और एनसीआर में अपनी पकड़ बना ली है। बिश्नोई का गिरोह खास तौर पर हाई-प्रोफाइल अपराधों और हत्याओं के लिए जाना जाता है। इसके अलावा उत्तर भारत के कई अन्य गिरोह भी संगठित अपराध और माफिया गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं, जिससे दिल्ली एक नया अंडरवर्ल्ड हब बन गया है।

आधुनिक अपराधी और गिरोह: नई रणनीति और नेटवर्क

मुंबई के पारंपरिक अंडरवर्ल्ड की तुलना में दिल्ली के अपराधियों ने आधुनिक तकनीकों और रणनीतियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। ये अपराधी सोशल मीडिया, डार्क वेब और संगठित अपराध नेटवर्क का इस्तेमाल करके अपने गिरोह का संचालन कर रहे हैं। लॉरेंस बिश्नोई का गिरोह इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जो अपनी धमकियों को प्रसारित करने और अपराध करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है। उसके गिरोह में शामिल अपराधी न केवल दिल्ली और एनसीआर में सक्रिय हैं, बल्कि उनका नेटवर्क उत्तर भारत के कई राज्यों में भी फैला हुआ है।

दिल्ली पुलिस की चुनौती

अंडरवर्ल्ड में दिल्ली का उभार इसके सामरिक महत्व के कारण भी है। यह भारत की राजधानी है और यहां से उत्तर भारत के अन्य प्रमुख राज्यों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र होना भी दिल्ली में विभिन्न आपराधिक गिरोहों के पनपने का एक बड़ा कारण है।

उत्तर भारत में फैल रहे इन संगठित अपराधों से निपटना अब दिल्ली पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती है। दिल्ली में लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टरों का बढ़ता प्रभाव सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

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Happy Birthday Ali Fazal: बॉलीवुड से हॉलीवुड तक का सफर, करोड़ों में कमाई, एक फिल्म के लिए लेते हैं लाखों की फीस

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हिट वेब सीरीज मिर्ज़ापुर (Mirzapur) में ‘गुड्डू पंडित’ का किरदार निभाने वाले अभिनेता अली फजल (Ali Fazal) आज यानी 15 अक्टूबर को अपना 38वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपनी मेहनत और अभिनय प्रतिभा से बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों में अपनी पहचान बनाने वाले अली फजल आज भारतीय सिनेमा में सबसे चर्चित नामों में से एक हैं। लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े अली ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की और धीरे-धीरे फिल्मों और वेब सीरीज में कदम रखा। आईए आपको ब ताते हैं उनके बारे में विस्तार से।

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फिल्मी करियर की शुरुआत? (Ali Fazal Career)

अली फजल ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 2009 में फिल्म “3 इडियट्स” से की थी, जिसमें उन्होंने एक छोटा लेकिन प्रभावशाली किरदार “जॉय लोबो” निभाया था। हालांकि यह भूमिका मुख्य नहीं थी, लेकिन इसमें उनके अभिनय ने दर्शकों और आलोचकों का ध्यान खींचा। इसके बाद उन्हें असली पहचान 2013 की फिल्म “फुकरे” से मिली, जिसमें उन्होंने जफर नाम के एक कॉलेज स्टूडेंट का किरदार निभाया था।

Ali Fazal Net Worth
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अली फजल फिल्म (Ali Fazal Movie)

इस फिल्म की सफलता ने उन्हें बॉलीवुड में एक उभरते हुए अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया। अली ने “बॉबी जासूस” (2014) और “खामोशियां” (2015) जैसी फिल्मों में भी काम किया, जिसमें उन्होंने अपने अभिनय के अलग-अलग रंग दिखाए। उनका करियर सिर्फ बॉलीवुड तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने हॉलीवुड की फिल्म “फ्यूरियस 7” (2015) और “विक्टोरिया एंड अब्दुल” (2017) में भी काम किया, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान और बढ़ी

बॉलीवुड से हॉलीवुड तक का सफर – Ali Fazal Hollywood Career

अली फजल ने “फ्यूरियस 7” (2015) में एक छोटी सी भूमिका के साथ हॉलीवुड में प्रवेश किया, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने “विक्टोरिया एंड अब्दुल” (2017) में जूडी डेंच के साथ मुख्य भूमिका निभाकर वैश्विक सिनेमा में अपनी पहचान बनाई। इस फिल्म में उनकी भूमिका की काफी प्रशंसा हुई और यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर धाकड़

अली फजल को सबसे ज्यादा लोकप्रियता डिजिटल प्लेटफॉर्म से मिली जब उन्होंने वेब सीरीज “मिर्जापुर” में ‘गुड्डू पंडित’ का किरदार निभाया। इस किरदार के जरिए उन्होंने न सिर्फ भारतीय दर्शकों के बीच बल्कि अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के बीच भी अपनी पहचान बनाई। इस सीरीज में उनके अभिनय को काफी सराहा गया और इसके जरिए वे डिजिटल युग के सबसे चर्चित अभिनेताओं में से एक बन गए।

संपत्ति और आय के स्रोत- Ali Fazal networth

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 तक अली फजल की कुल संपत्ति करीब ₹33 करोड़ होने का अनुमान है। उनकी आय के मुख्य स्रोतों में बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में अभिनय, वेब सीरीज और ब्रांड एंडोर्समेंट शामिल हैं। वह प्रति फिल्म ₹25-30 लाख चार्ज करते हैं, जबकि वह “मिर्जापुर” के लिए प्रति एपिसोड ₹12 लाख तक चार्ज करते हैं।

निजी जीवन

अली फजल ने अभिनेत्री ऋचा चड्ढा (Richa Chadha) से शादी की है और दोनों की गिनती बॉलीवुड के पावर कपल में होती है। उनका निजी जीवन उनके करियर जितना ही मशहूर है। दोनों ने कई फ़िल्म और प्रोजेक्ट साथ में किए हैं और कला और समाज के प्रति अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। कपल की एक बेटी भी है।

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Victor Banerjee Film craeer
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विक्टर बनर्जी (Victor Banerjee) भारतीय सिनेमा (Bollywood) के उन चुनिंदा अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। आज विक्टर बनर्जी का जन्मदिन (Happy Birthday Victor Banerjee) है। आज वे 78 साल के हो रहे हैं। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1946 को कलकत्ता (अब कोलकाता), पश्चिम बंगाल में हुआ था। विक्टर बनर्जी अपने शानदार अभिनय और बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, बंगाली और असमिया फिल्मों में काम किया है। उनके द्वारा निभाए गए किरदार आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं।

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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा- Victor Banerjee Life 

विक्टर बनर्जी एक शिक्षित और संस्कारी परिवार से आते हैं। वे राजाओं के वंशज भी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शेरवुड कॉलेज, नैनीताल से प्राप्त की और फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की। उनका शौक साहित्य और कला के प्रति हमेशा से था, और यही कारण था कि वे अभिनय की ओर आकर्षित हुए।

फिल्मी करियर- Victor Banerjee Film craeer

विक्टर बनर्जी का फिल्मी करियर बहुत ही विविधतापूर्ण रहा है। उन्होंने हिंदी, बांग्ला, और अंग्रेजी फिल्मों में समान रूप से काम किया है। उनकी पहली प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय फिल्म “ए पैसेज टू इंडिया” (1984) थी, जो डेविड लीन द्वारा निर्देशित थी। इस फिल्म में उनकी भूमिका को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत सराहा गया और उन्हें कई पुरस्कार भी मिले। यह फिल्म उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई।

Victor Banerjee Film craeer
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प्रमुख फिल्में

ए पैसेज टू इंडिया (1984): इस फिल्म में उनकी भूमिका ने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि दिलाई और इसके लिए उन्हें BAFTA में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए नामांकित भी किया गया।

घरे बाइरे (1984): यह सत्यजीत रे की फिल्म थी, जिसमें उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई।

कस्मे वादे (1978) और सत्यम शिवम सुंदरम (1978) जैसी हिंदी फिल्मों में भी उनका अभिनय सराहनीय रहा है।

बांग्ला सिनेमा में उन्होंने कई उल्लेखनीय भूमिकाएं निभाई हैं, जैसे “शत्रु” और “द्रौपदी”।

पुरस्कार और सम्मान

विक्टर बनर्जी (Victor Banerjee awards) को उनके उत्कृष्ट अभिनय के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। “ए पैसेज टू इंडिया” के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली, जबकि बांग्ला सिनेमा में उनके योगदान को भी बहुत सराहा गया है। उन्हें उनके अभिनय कौशल के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। उन्हें 2022 में सरकार द्वारा पद्म भूषण (Padma Bhushan) से भी सम्मानित किया गया था।

Victor Banerjee Film craeer
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व्यक्तिगत जीवन

विक्टर बनर्जी एक साधारण और अनुशासित जीवन जीते हैं। अभिनय के अलावा उन्हें साहित्य, संगीत और फोटोग्राफी का भी शौक है। वह अपनी निजी ज़िंदगी को मीडिया की चकाचौंध से दूर रखते हैं और शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद करते हैं।

सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लिया

विक्टर सामाजिक कार्यों में हमेशा आगे रहते हैं। जब वे कलकत्ता में नहीं होते हैं तो अपना समय उत्तराखंड की घाटियों में बिताते हैं। उन्होंने कई छोटी-छोटी कहानियाँ लिखी हैं और साथ ही कई समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और जर्नलों के लिए कई विषयों पर लेख भी लिखे हैं। उन्हें कभी-कभी श्रम और मानवाधिकार समस्याओं से भी जोड़ा जाता है। उन्होंने गढ़वाली किसानों के कल्याण की वकालत की और वे स्क्रीन एक्स्ट्रा यूनियन ऑफ़ इंडिया के संस्थापक सदस्य थे। वह श्रीमंतो शंकरदेव आंदोलन के ‘ब्रांड एंबेसडर’ हैं, यह एक ऐसा आंदोलन है जो 15वीं शताब्दी में असम में शुरू हुई नव-वैष्णव संस्कृति को पुनर्जीवित कर रहा है।

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Maharashtra-Jharkhand Election Dates: चुनाव आयोग ने किया तारीखों का ऐलान, जानें क्या है दोनों राज्यों में मतदान की तारीख

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Maharashtra-Jharkhand Election Dates
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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद अब महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव (Maharashtra-Jharkhand Election Dates) की बारी है। चुनाव आयोग (Election Commission) ने आज दोपहर 3:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। बहरहाल महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल (Maharashtra Legislative Assembly Tenure) 26 नवंबर 2024 को खत्म होगा। ऐसे में राज्य की 288 सीटों पर नवंबर तक चुनाव हो जाएंगे। वहीं, महाराष्ट्र में बहुमत का आंकड़ा 145 है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनाव आयोग (Election Commission Press Conference) झारखंड की 81 सीटों पर दो चरणों में मतदान होने की घोषणा की है। राज्य में बहुमत हासिल करने के लिए 41 सीटों पर जीत की जरूरत होगी। झारखंड में एनडीए गठबंधन विपक्ष में है, जिसने पिछले चुनाव में 28 सीटें जीती थीं। वहीं, सत्ताधारी पार्टी के पास 47 सीटें हैं।

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कब है महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव? (Maharashtra Election Dates)

चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोषणा की है कि महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि महाराष्ट्र में 20 नवंबर को मतदान होगा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। चुनाव आयोग के मुताबिक, महाराष्ट्र में 36 जिलों में 288 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 29 एससी सीटें और 25 एसटी सीटें हैं। महाराष्ट्र में 9.63 करोड़ मतदाता हैं। इनमें 4.66 करोड़ महिला मतदाता और 4.97 करोड़ पुरुष मतदाता हैं। राज्य में कुल एक लाख 186 मतदान केंद्र हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 29 एससी सीटें और 25 एसटी सीटें हैं।

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महाराष्ट्र में कुल 9.63 करोड़ मतदाता हैं। इनमें से 4.66 करोड़ महिला मतदाता और 4.97 करोड़ पुरुष मतदाता हैं। राज्य में कुल 1 लाख 186 मतदान केंद्र हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि 85 साल से ज़्यादा उम्र के मतदाता घर बैठे ही वोट डाल सकेंगे।

कब है झारखंड विधानसभा चुनाव? (Jharkhand Election Dates)

झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीख (Jharkhand Assembly Elections Date) भी सामने आ चुकी है। पूरे राज्य में दो चरणों में मतदान होगा, जिसके नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने बताया कि इस बार झारखंड में 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा, जिसके नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है। झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसंबर, 2019 तक पांच चरणों में विधानसभा चुनाव हुए। चुनाव के नतीजे 23 दिसंबर, 2019 को जारी किए गए। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी को खत्म होगा।

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दिवाली को ध्यान में रखकर चुनाव की तारीख तय की गई

महाराष्ट्र और झारखंड में अगले विधानसभा चुनाव की तारीखें (Maharashtra-Jharkhand Election Dates) चुनाव आयोग द्वारा 15 अक्टूबर, 2024 को प्रकाशित की गईं। दोनों राज्यों के लिए तारीखें दिवाली को ध्यान में रखकर तय की गई हैं। महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव नवंबर 2024 के मध्य में शुरू होने वाले है, जिससे मतदाता दिवाली और छठ पूजा के बाद अपने मतपत्र जमा कर सकेंगे। इन दोनों राज्यों में मुख्य दावेदार महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी और झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन होंगे।

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Pinky Haryan: भीख मांगकर भरती थी पेट, बौद्ध भिक्षु ने बदल दी जिंदगी और अब बन गई डॉक्टर

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पिंकी हरयान (Pinky Haryan)… हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज की सड़कों पर काभी भीख मांगने वाली एक छोटी बच्ची आज एक सफल डॉक्टर है। एक बौद्ध भिक्षु की मदद और अपनी लगन से धर्मशाला की पिंकी ने यह असंभव सा लगने वाला काम कर दिखाया है। वह झुग्गी-झोपड़ियों की गंदी गलियों में पली-बढ़ी थी और उसे नहीं पता था कि भविष्य में आगे क्या होने वाला है। लेकिन वही पिंकी आज उपलब्धि की अनूठी मिसाल है। दरअसल, साढ़े चार साल की पिंकी मैक्लोडगंज में भगवान बुद्ध (Lord Buddha) के मंदिर के पास राहगीरों के सामने हाथ फैलाकर अपनी मां के साथ भीख मांगती थी। लेकिन, बुद्ध की करुणा और दया के प्रतीक तिब्बती शरणार्थी भिक्षु जामयांग (Tibetan refugee monk Jamyang) ने उसे अपनी संतान के रूप में गोद लेकर उसके जीवन को दूसरा उद्देश्य दिया।

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झुग्गी में रहती थी डॉ. पिंकी- Pinky Haryan Story

पिंकी हरयान कहती हैं, “मैं डॉक्टर बनकर बहुत खुश हूं। मुझे अपने नाम के साथ डॉक्टर जोड़ना अच्छा लगता है।” पिंकी ने बताया कि कैसे 2004 में त्यौहार के मौसम के दौरान वह और उसकी माँ कृष्णा मैक्लोडगंज में बुद्ध मंदिर के बाहर भीख मांग रही थीं। तब भिक्षु जामयांग को उसके बारे में पता चला। पिंकी और उसका परिवार चरन खड्ड की झुग्गी में रहता था। कुछ दिनों बाद जब भिक्षु जामयांग वहां आए तो उन्होंने पिंकी को देखते ही पहचान लिया।

 

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फिर उन्होंने पिंकी के पिता कश्मीरी लाल से कहा कि वे पिंकी को अपने हाल ही में स्थापित टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट (Tonglen Charitable Trust) के छात्रावास में पढ़ने के लिए भेजें। यह छात्रावास उन बच्चों के लिए था जो सड़कों से कूड़ा बीनते थे या चरन खड्ड की गंदी झुग्गियों में भीख मांगते थे। उनके पिता कश्मीरी लाल बूट पॉलिश करते थे। पिंकी ने बताया कि शुरुआती झिझक के बाद उसके माता-पिता ने उसे जामयांग को सौंप दिया।

चीन से पूरी की MBBS

भिक्षु जामयांग ने बताया, पिंकी शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। 12वीं की परीक्षा पास करते ही उसने नीट की परीक्षा भी पास कर ली। उसे किसी निजी कॉलेज में दाखिला मिल सकता था, लेकिन वहां फीस बहुत ज्यादा थी। इसलिए उन्होंने 2018 में उसका दाखिला चीन की एक प्रतिष्ठित मेडिकल यूनिवर्सिटी में करवा दिया। वहां से 6 साल की एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के बाद पिंकी अब धर्मशाला लौट आई है।”

माता- पिता की सवारी जिंदगी

पिंकी कहती हैं, मैं टोंगलेन चैरिटेबल ट्रस्ट के छात्रावास में भर्ती होने वाले बच्चों के पहले बैच में थी। शुरुआत में मैं बहुत रोती थी और अपने परिवार को याद करती थी, लेकिन धीरे-धीरे मुझे अन्य बच्चों के साथ छात्रावास में रहना अच्छा लगने लगा।” पिंकी बताती हैं कि जब उन्होंने हॉस्टल में रहकर पढ़ाई शुरू की तो उन्होंने अपनी मां को भीख मांगने से रोका। वे कहती हैं, “मेरे पिता ने बूट पॉलिश का काम छोड़ दिया और अब गलियों में चादरें और कालीन बेचते हैं। मेरी मां अब टोंगलेन द्वारा झुग्गी के छोटे बच्चों के लिए खोले गए स्कूल में बच्चों के लिए रख-रखाव का काम करती हैं।” पिंकी का एक छोटा भाई और बहन है। वे सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस टोंगलेन स्कूल में पढ़ते हैं, जिसका उद्घाटन 2017 में दलाई लामा (Dalai Lama) ने किया था।

पिंकी ने डॉक्टर बनने का श्रेय भिक्षु जामयांग को दिया   

वहीं पिंकी एक भिखारी से डॉक्टर बनने का श्रेय भिक्षु जमयांग और टोंगलेन की पूरी टीम को देती हैं। डॉक्टर बनने के बाद पिंकी कहती हैं, “अब मैं झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों और लोगों की सेवा करना चाहती हूं। एक डॉक्टर होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि मैं एक काबिल डॉक्टर बनकर अपने झुग्गी-झोपड़ियों के समुदाय की सेवा करूं।”

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दिवाली पर दें ऐसे तोहफे कि सब बोलें “वाह क्या खूब”

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Diwali Gift Idea
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हर साल की तरह इस साल भी दिवाली कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जायेंगी. इस बार यह तिथि 1 नवम्बर को पड़ रही है. वही हर साल की तरह दिवाली सेलिब्रेशन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. घर सजाए जा रहे हैं. रोशनी के लिए झालर, दीये लगाए जा रहे हैं. तरह-तरह के स्वीट्स और रंगोली को लेकर भी अलग-अलग प्लान बनाए जा रहे हैं. ऐसे में गिफ्ट्स का भी ट्रेंड चल रहा है और आप भी यह सोच रहे है कि इस दीवाली क्या गिफ्ट देना चाहिए तो इस लेख में हम आपको दिवाली गिफ्ट्स आइडियाज के बारे में बताएंगे.

दिवाली गिफ्ट्स आइडियाज

Evil Eye गिफ्ट हैंपर – बुरी नज़र का क्रिस्टल हैम्पर जिसमें बुरी नज़र का पेड़, गणेश प्रतिमा, बुरी नज़र का शुभ लाभ हैंगिंग और चिप्स की बोतल शामिल है. यह हैम्पर सुरक्षा प्रदान करता है, बुरी नज़र से बचाता है और सौभाग्य लाता है.

Evil Eye
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क्रिस्टल गिफ्ट हैंपर – इस गिफ्ट हैंपर में आपको लक्ष्मी, गणेश की मूर्तियाँ, गार्नेट चिप्स के साथ कमल, एक हरा एवेंट्यूरिन पेड़, एक हरा जेड कछुआ, एक स्वस्तिक, एक फूल शुभ लाभ, एक धन जार, एक पीली मोमबत्ती और 4 चेहरे वाला दीया है मिलता है. जिसे आप अपने किसी खास को दें सकते है.

Crystal Gift
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पर्सनलाइज गिफ्ट्स – अगर आपके पास अच्छा-खासा पैसा हो तो आप अपने करीबियों के लिए पर्सनलाइज गिफ्ट भी तैयार करवा सकते हैं. जैसे किसी को ज्वेलरी दे सकते हैं या किसी तरह की एसेसरी गिफ्ट कर सकते हैं. इससे उनकी दिवाली मस्त हो जाएगी.

Gift box
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इंडोर प्लांट्स – अगर आप कम बजट में कुछ अच्छा गिफ्ट देना चाहते है तो आप अपने करीबियों को एयर प्यूरीफाइंग इंडोर प्लांट्स गिफ्ट कर सकते हैं. ये एक अच्छा आप्शन साबित हो सकता हैं.

Indoor Plant
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चांदी का सिक्कादिवाली को धन और समृद्धि वाला त्योहार माना जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में चांदी को मां लक्ष्मी के आशीर्वाद का प्रतीक माना गया है. ऐसे में चांदी के सिक्के का महत्व बढ़ जाता है.

Silver Coin
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रंग बिरंगी लाइट्स और दिवाली के दीये – दिवाली के दौरान हर कोई दीये जलाता है. इसलिए, आप अपने दिवाली गिफ्ट हैम्पर में दीये और रंग बिरंगी लाइट लैंप भी दे सकते है.

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स्किन केयर अगर आप अपनी महिला मित्र को दिवाली गिफ्ट देने का सोच रहे है तो आप स्किन केयर किट भी दे सकते है. ये एक अच्छा आप्शन हो सकता है. क्योंकि सभी महिलाओं को अपनी स्किन की देखभाल करना बहुत पसंद होता है.

Skin Care
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