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क्या आप जानते हैं ‘याहू’ बॉय का असली नाम शम्मी कपूर नहीं है? 100 से ज़्यादा फ़िल्मों में किया काम, इस फिल्म से कमाई शोहरत

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'Yahoo' boy aka Shammi Kapoor
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आज यानी 21 अक्टूबर को हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता शम्मी कपूर का जन्मदिन (Shammi Kapoor’s birthday) है। उनका जन्म 1931 में मुंबई में हुआ था। वे हिंदी सिनेमा के जाने-माने कपूर खानदान से ताल्लुक रखते थे, जो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में अपने योगदान के लिए मशहूर है। शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर भी एक बेहतरीन अभिनेता थे। शम्मी कपूर ने अपने करियर की शुरुआत 1953 में फिल्म ‘जीवन ज्योति’ से की थी। हालांकि, उन्हें असली पहचान 1957 में आई फिल्म फिल्म से मिली।

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शम्मी कपूर का असली नाम-Shammi Kapoor’s real name

उनका असली नाम शमशेर राज कपूर (Shamsher Raj Kapoor) था। वे कपूर खानदान के प्रतिष्ठित परिवार से थे, जिनके कई सदस्य भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रहे हैं। शम्मी कपूर को “याहू” स्टार (Yahoo Boy Shammi Kapoor) के नाम से भी जाना जाता है, जो उनके हिट गाने “याहू! चा हे कोई…” से मशहूर हुआ। उनका यह उत्साही और जोशीला व्यक्तित्व उनकी फिल्मों की पहचान बन गया।

 

'Yahoo' boy aka Shammi Kapoor
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इस फिल्म ने दिलाई असली पहचान

शम्मी कपूर की एक्टिंग और उनकी एनर्जी ने उन्हें उस दौर के सबसे खास अभिनेताओं में शुमार कर दिया था। उनकी फिल्मों में उनके नृत्य की एक खास शैली थी, जो उन्हें बाकी अभिनेताओं से अलग करती थी। उन्होंने हिंदी सिनेमा में रोमांस और मस्ती से भरपूर किरदारों को नए अंदाज में पेश किया। शम्मी कपूर को असली पहचान 1957 में आई फ़िल्म ‘तुमसा नहीं देखा’ से मिली। इसके बाद उनकी प्रमुख हिट फिल्मों में ‘दिल देके देखो’, ‘जंगली’, ‘प्रोफेसर’, ‘चाइना टाउन’, ‘कश्मीर की कली’ और ‘तीसरी मंजिल’ शामिल हैं। खासकर फिल्म ‘जंगली’ का गाना ‘Yahoo! Chahe Koi Mujhe Junglee Kahe’ आज भी लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है।

शम्मी कपूर ने की थी दो शादियां

शम्मी कपूर की निजी जिंदगी भी काफी चर्चित रही। उन्होंने 1955 में अभिनेत्री गीता बाली से शादी की, लेकिन 1965 में चेचक से गीता की मौत हो गई। इसके बाद शम्मी कपूर ने नीला देवी से दूसरी शादी की। उनके बेटे आदित्य राज कपूर ने भी फिल्मी दुनिया में कदम रखा, लेकिन उन्हें अपने पिता जैसी सफलता नहीं मिल पाई।

'Yahoo' boy aka Shammi Kapoor
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अंतिम दिनों में किडनी की बीमारी से रहे परेशान

शम्मी कपूर ने अपने जीवन के आखिरी कुछ साल किडनी की बीमारी से जूझते हुए बिताए। 14 अगस्त 2011 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी जादुई शख्सियत और उनका काम आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है। फिल्म इंडस्ट्री और उनके चाहने वाले उनके जन्मदिन के मौके पर उन्हें याद कर रहे हैं और उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। शम्मी कपूर की फिल्मों और उनके अनोखे डांस और अभिनय ने उन्हें सिनेमा के इतिहास में एक खास जगह दिलाई है और वे हमेशा सिने प्रेमियों के दिलों में अमर रहेंगे।

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Viral Video: व्लॉगर की बाइक पर ‘हिंदू’ लिखा देख महिला ने जताई आपत्ति: कहा, पहले अच्छा इंसान बनो

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Vlogger wrote Hindu on bike
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इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें एक महिला NS125_trishu नाम के व्लॉगर को हिंदू धर्म को लेकर नसीहत देती नजर आ रही है। दरअसल, व्लॉगर की बाइक पर हिंदू लिखा हुआ था और यह बात महिला को पसंद नहीं आई। बाइक पर ‘हिंदू’ शब्द देखकर महिला ने सबसे पहले व्लॉगर त्रिशु को रोका और उससे पूछा कि उसने अपनी बाइक पर हिंदू क्यों लिखा है, जिस पर त्रिशु ने जवाब दिया कि वह हिंदू है और इसीलिए उसने ऐसा लिखवाया है। इसके बाद महिला ने कहा, “पहले एक अच्छा इंसान बनो, हिंदू-मुस्लिम सब सियासी  (Controversy over Hindu-Muslim) खेल हैं।” इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें महिला धर्म से ज्यादा इंसानियत पर जोर देती नजर आई। कुछ लोग महिला के विचारों का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ व्लॉगर के पक्ष में खड़े हैं।

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ये है पूरा मामला– Controversy over the word Hindu

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो (Viral Video) NS125_trishu के इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किया गया है। वायरल वीडियो में व्लॉगर अपनी बाइक से सड़क पर सामान्य डे टू डे व्लॉग शूट करने जा रहा था कि अचानक एक महिला उसे रोकती है और उससे पूछती है कि उसने अपनी बाइक पर हिंदू क्यों लिख (Vlogger writes Hindu on bike) रखा है? इस सवाल के जवाब में लड़का कहता है कि वो हिंदू है इसलिए उसने ऐसा लिख ​​रखा है। इस पर महिला कहती है कि हिंदू कहकर आप खुद को क्यों सीमित कर रहे हैं। आप हिंदू नहीं हैं आप तो एक यूनिवर्सल बीइंग हैं। अगर बनना है तो पहले एक अच्छा इंसान बनो क्योंकि हिंदू मुस्लिम सिर्फ राजनीति का खेल है। वो हिंदू शब्द हटा दो।

 

‘मैं भी हिंदू हूं, सिर्फ नाम की’     

महिला यहीं नहीं रुकती वो व्लॉगर से कहती है कि अगर आप इतने बड़े हिंदू होते तो क्या भगवान आपके माथे पर ओम लिखकर नहीं भेजते? भगवान ने पूरी सृष्टि को इतना परफेक्ट बनाया है तो क्या वो आपको माथे पर ओम लिखवाकर नहीं भेजते। महिला के ये सब कहने के बाद जब व्लॉगर उससे पूछता है कि आप कौन हैं इस पर महिला जवाब देती है कि मैं भी हिंदू हूं, सिर्फ नाम की। इसके बाद महिला कहती है इस हिंदू को बाइक से हटाओ जिसके बाद व्लॉगर कहता है ठीक है अगले व्लॉग में देखना हट जाएगा।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

यह घटना वायरल होते ही सोशल मीडिया पर दो धड़ों में विभाजन दिखा। एक पक्ष महिला की टिप्पणी से सहमत है और मानता है कि महिला ने जो कहा बिल्कुल सही कहा, जबकि दूसरे पक्ष का मानना है कि व्लॉगर को अपने धर्म का सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है।

Vlogger wrote Hindu on bike
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Vlogger wrote Hindu on bike
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धर्म बनाम इंसानियत की बहस

इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या धर्म का सार्वजनिक प्रदर्शन सही है या फिर हमें मानवता और नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए। महिला की टिप्पणी इस बहस को एक नई दिशा देती है, जो आज के सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में बेहद प्रासंगिक है।

घटना के बाद सवाल उठता है कि क्या हमें धर्म का सार्वजनिक प्रदर्शन करना चाहिए या फिर समाज में मानवता और एकता को बढ़ावा देना चाहिए।

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Bigg Boss 18 Eviction: ‘वायरल भाभी’ हेमा शर्मा हुईं सलमान खान के शो से बाहर, गले लगकर रोने लगे कंटेस्टेंट्स

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Viral Bhabhi Hema Sharma eviction
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सलमान खान के बिग बॉस 18 (Salman Khan Bigg Boss 18) का पहला एविक्शन हो गया है। इस रियलिटी शो से बाहर जाने वाली कंटेस्टेंट ‘वायरल भाभी’ हेमा शर्मा (Viral Bhabhi Hema Sharma eviction) हैं। हेमा शर्मा के एविक्शन की घोषणा सलमान की जगह बिग बॉस ने की। उन्होंने कहा कि जनता ने अपना फैसला सुना दिया है और जनता के वोटों के आधार पर जिस कंटेस्टेंट का सफर बिग बॉस में अभी खत्म होता है, वो हेमा शर्मा हैं। उनके अचानक बाहर जाने से घरवाले और दर्शक दोनों ही हैरान रह गए। इस बार वीकेंड का वार एपिसोड में काफी ड्रामा देखने को मिला।

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वायरल भाभी बिग बॉस से हुई बाहर- Viral Bhabhi Hema Sharma eviction

‘बिग बॉस 18’ में दर्शकों ने करण वीर मेहरा और अविनाश मिश्रा के बीच एक भयंकर विवाद देखा जो अचानक हिंसा में बदल गया। इससे पहले कि उनके अन्य प्रतियोगी उन्हें बचा पाते, लड़ाई ने एक जोखिम भरा मोड़ ले लिया। इसी बीच कम वोट प्राप्त करने के कारण हेमा शर्मा का एलिमिनेशन एक और चौंकाने वाला पल था। सलमान ने प्रतियोगियों को फटकार लगाई और कहा कि अगर वे घर में रहना चाहते हैं तो प्यार से रहें। इस बार, वीकेंड का वार एपिसोड में अंकिता लोखंडे, विक्की जैन, कृष्णा अभिषेक और सुदेश लेहरी ने घरवालों को मनोरंजक कर्तव्य दिए।

 

टाइम का तांडव में हुआ तमाशा

लेकिन जब बिग बॉस ने अचानक खुलासा किया कि हेमा शर्मा एलिमिनेट हो गई हैं, तो सभी कंटेस्टेंट की आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने हेमा को गले लगा लिया। हेमा के फैंस ने उनका नाम वायरल भाभी रखा हुआ है। वीकेंड का वार के होस्ट सलमान खान (Weekend Ka Vaar, Salman Khan) ने प्रतियोगियों का मज़ाक उड़ाते हुए शुरुआत की। उन्होंने चाहत पांडे की साथी के लिए पसंद के बारे में पूछा। पूछे जाने पर चाहत ने कहा कि वह करणवीर मेहरा जैसी टोंड बॉडी वाले साथी की तलाश में हैं। विवियन डीसेना और रजत दलाल की तुलना ‘टाइम का तांडव’ राउंड में प्रतियोगियों द्वारा की गई ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि सबसे अच्छा घर का कप्तान कौन होगा।

एंट्री करते ही गई थीं जेल

हेमा शर्मा ने जैसे ही बिग बॉस के घर में कदम रखा, उन्हें जेल भेज दिया गया। दरअसल, बिग बॉस ने प्रतियोगिता की शुरुआत में चाहत पांडे को जेल की सजा सुनाई थी और वादा किया था कि अगर वह दो प्रतिभागियों को वहां रहने के लिए राजी कर लेंगी तो उनकी सजा कम कर दी जाएगी। चाहत तजिंदर बग्गा और हेमा शर्मा को जेल की सजा काटने के लिए राजी करने में सफल रहीं। काफी समय सलाखों के पीछे बिताने के बाद हेमा शर्मा (Viral Bhabhi Hema Sharma eviction) जनता से जुड़ने में असमर्थ थीं और उन्हें कम वोट मिलने के कारण बिग बॉस छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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Sonmarg Terror Attack: श्रीनगर-सोनमर्ग रूट टनल प्रोजेक्ट पर आतंकियों का हमला, एक डॉक्टर समेत 6 की मौत

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Terrorists attack Srinagar-Sonmarg
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रविवार रात जम्मू-कश्मीर के गंदेरबल जिले के सोनमर्ग इलाके (Sonmarg Terror Attack) में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ। आतंकियों ने जेड टनल में काम कर रहे छह प्रवासी मजदूरों पर फायरिंग की, जिसमें एक डॉक्टर भी शामिल है। फायरिंग की सूचना मिलते ही सेना और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंच गईं और आतंकियों की तलाश शुरू कर दी। गंदेरबल के गुंड में जेड मोड़ टनल प्रोजेक्ट (Z Mode Tunnel Project) के मजदूर और दूसरे कर्मचारी जब देर रात अपने कैंप में पहुंचे, तो आतंकियों ने यह हमला किया। यह घाटी में किसी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में शामिल निर्माण मजदूरों पर पहला बड़ा हमला है। इस हमले की लश्कर ए तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के मुखौटा संगठन टीआरएफ ने जिम्मेदारी ली है।

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सीएम उमर अब्दुल्ला का बयान- Jammu and Kashmir CM Omar Abdullah

राज्य के सीएम उमर अब्दुल्ला ने प्रवासी श्रमिकों पर हुए इस हमले की कड़ी आलोचना की है। अपने एक्स हैंडल पर जारी बयान में उमर ने लिखा, ‘सोनमर्ग के गगनगीर इलाके में गैर-स्थानीय श्रमिकों पर कायरतापूर्ण और बर्बर हमले की दुखद खबर है। वे श्रमिक उस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परियोजना पर काम कर रहे थे। हमले में 6 श्रमिकों की मौत हो गई है, जबकि 2-3 श्रमिक इस आतंकवादी हमले में घायल हुए हैं। मैं निर्दोष लोगों पर हुए इस हमले की कड़ी निंदा करता हूं और मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।’

क्या है जेड मोड प्रोजक्ट, जिसे बनाया गया निशाना

बताया जा रहा है कि डॉक्टर और जिन कामगारों पर हमला हुआ, वे मध्य कश्मीर के गंदेरबल जिले में सोनमर्ग और गगनेर के बीच चलने वाली जेड-मोड़ सुरंग पर काम कर रहे निर्माण दल के सदस्य थे। 6.5 किलोमीटर लंबी और 2680 करोड़ रुपये की लागत वाली जेड-मोड़ सुरंग लगभग बनकर तैयार हो चुकी है। इस सुरंग के निर्माण से सोनमर्ग को श्रीनगर से जोड़ा जाएगा। यह सुरंग हिमस्खलन से प्रभावित सुरंग 932 गगनगीर के करीब के क्षेत्र से बच जाएगी। इसका लक्ष्य पूरे साल श्रीनगर को सोनमर्ग से जोड़े रखना है। सुरंग को इसके डिजाइन के कारण जेड-मोड़ के रूप में जाना जाता है और इसके माध्यम से दो लेन की सड़क का निर्माण किया जा रहा है। सुरंग का लक्ष्य सभी मौसम की स्थिति में लोकप्रिय पर्यटन स्थल सोनमर्ग को जोड़ना है।

ज़ेड-मोड़ सुरंग का निर्माण पूरा

ज़ेड-मोड़ सुरंग परियोजना के तहत 10.8 मीटर लंबी एक मुख्य सुरंग, 7.5 मीटर लंबी एक संशोधित घोड़े की नाल के आकार की एस्केप सुरंग, 8.3 मीटर की एक डी-आकार की वेंटिलेशन सुरंग, 110 और 270 मीटर लंबी दो बड़ी पुलिया और 30 मीटर लंबी एक छोटी पुलिया बनाने की योजना बनाई गई है। ज़ेड-मोड़ सुरंग का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है।

क्योंकि इसके निर्माण से श्रीनगर और कारगिल के बीच सुचारू संचार की गारंटी होगी और श्रीनगर और लेह के बीच यात्रा के समय में काफी कमी आएगी, ज़ेड-मोड़ सुरंग क्षेत्र रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

एप्को कंपनी बना रही है टनल

इस सुरंग का निर्माण (Srinagar-Sonamarg Route Tunnel Project) उत्तर प्रदेश की एप्को नामक कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है। एप्को का मुख्यालय लखनऊ में है। इसके मालिक अनिल सिंह हैं। इस कंपनी ने उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, बेंगलुरु, चेन्नई, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में सड़क, परिवहन, सिंचाई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है।

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मजदूरी कर मां ने “भगवान” को बनाया काबिल, आज है 128 करोड़ के मालिक

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Bhagwan Gavai , Business Man
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अगर आपमें कुछ कर गुजरने की ललक हो, आत्मविश्वास हो तो आप धरती का सीना चीरकर भी सोना निकाल सकते हैं. अपनी महत्वाकांक्षाओं के पंख से पूरी दुनिया नाप सकते हैं और अपने दम पर अपनी कहानी लिख सकते हैं. महाराष्ट्र के भगवान गवई इसके साक्षात उदाहरण हैं. पिता दिहाड़ी कमाते थे, जल्द ही मृत्यु हो गई. उसके बाद मां ने फैक्ट्री में काम किया और जैसे तैसे इनकी पढ़ाई पूरी हुई. नौकरी की, व्यापार किया तो हर जगह से धोखा मिला. जिस कंपनी को उन्होंने फर्श से अर्श पर पहुंचाया, उस कंपनी के मालिक ने हिस्सेदारी देने से मना कर दिया. उसके बाद आहत होकर अपनी कंपनी खोली और आज के समय में भगवान भारत के दिग्गज कारोबारियों में से एक बन चुके हैं. आखिर क्या है भगवान गवई की पूरी कहानी, चलिए जानते हैं-

कौन हैं भगवान गवई 

एक झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले से लेकर एक वैश्विक उद्योगपति बनने तक का सफ़र किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है. भगवान गवई का जीवन इस बात का सच्चा उदाहरण है कि अगर दृढ़ संकल्प और आवश्यक सुधार करने की इच्छाशक्ति हो तो समय के साथ किसी की किस्मत कैसे बदल सकती है. ऐसा ही कुछ भगवान गवई के साथ भी हुआ वे अपने पिता की मृत्यु के बाद परिवार की मुश्किलें और बढ़ गईं. हालाँकि, उनकी माँ ने हार नहीं मानी और अपने चार बच्चों के साथ मुंबई आ गईं और पूरा परिवार जुग्गी में रहने लगा था. उस समय गवई STD 2 में पढ़ता था. उनकी माँ समझती थी कि उसके बच्चों को उचित शिक्षा मिलनी चाहिए, नहीं तो वे भी अपने जीवन में उसकी तरह कष्ट झेलेंगे. इसलिए उसने किसी तरह बच्चों का दाखिला पास के स्कूल में करवा दिया.

कैसे मिली नौकरी

इस बीच गवई ने 85 प्रतिशत अंकों के साथ बोर्ड परीक्षा पास की और अखबार में विज्ञापन देखकर नौकरी के लिए आवेदन किया. यह विज्ञापन विश्वविख्यात कंपनी लार्सेन एंड टूब्रो (L&T) में नौकरी का था. विज्ञापन देखकर भगवान गवई ने नौकरी के लिए अप्लाई कर दिया और उन्हें नौकरी मिल गयी, वही नौकरी की वजह से आर्थिक तंगी मिटने लगी, लेकिन भगवान गवई ने नौकरी के साथ-साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी. और कुछ साल बीतने के बाद  उन्हें लार्सन एंड टूब्रो में क्लर्क की नौकरी मिल गई और साथ ही साथ सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी.

जिसके बाद साल 1982 में उन्हें हिंदुस्तान पेट्रोलियम में मैनेजमेंट ट्रेनी के तौर पर नई नौकरी मिल गई. आखिरकार किस्मत ने उनका साथ दिया और उन्हें कंपनी की ओर से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, कोलकाता में ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लेने का मौका मिला और यहाँ उन्होंने तीन महीने एक्ज़ीक्यूटिव ट्रेनिंग प्रोग्राम में उन्होंने बिजनेस के सारे गुर सीखे और कंपनी में प्रमोशन भी मिला. जिससे भगवान गवई का आत्मविश्वास बहुत बढ़ गया.

लेकिन सरकारी कंपनी में उन्हें जातिगत भेदभाव का शिकार भी होना पड़ा था. विवादों के चलते भगवान ने भारत में सरकारी नौकरी छोड़ दी और बहरीन चले गए. यहां भी उन्हें कंपनी की तरफ से दुबई जाने का मौका मिला और उन्होंने देखा कि वहां कई अनपढ़ लोग तेल से जुड़ा कारोबार कर रहे थे. तब उन्होंने सोचा कि जब कुछ अनपढ़ लोग कारोबार कर सकते हैं तो इतनी योग्यता रखने वाले वे क्यों नहीं. इसी प्रेरणा से उन्होंने एक स्थानीय व्यवसायी के साथ साझेदारी में ईंधन कंपनी की नींव रखी.

कंपनी की शुरुआत कब करी  

साल 2003 में भगवान गवई ने बकी के साथ मिलकर “बकी फुएल कंपनी” की शुरुआत की इसमें उनका शेयर 25 प्रतिशत था. बकी की मार्केट में अच्छी जान-पहचान थी, इस वजह से तेल का कारोबार शुरू हो गया. दोनों पार्टनर रिफाईनरी से तेल खरीदकर दुनिया-भर में बेचते थे. कारोबार अच्छी तरह चल रहा था तभी बकी की मां का निधन हो गया और उन्होंने कारोबार समेट लिया. फिर कज़ाकिस्तान में एमराल्ड एनर्जी नामक कंपनी के मालिक ने यही काम भगवान गवई को अपने साथ करने का ऑफर दे दिया और एक-डेढ़ साल में शेयर देने का वादा भी किया. वही साल 2008 तक इस कंपनी का टर्न ओवर 400 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया. लेकिन शेयर देने के वक़्त कंपनी का मालिक मुकर गया, इससे आहत होकर भगवान गवई ने फैसला किया कि अब वे अपनी कंपनी शुरू करेंगे.

वही आज के समय में भगवान गवई की मलेशिया में भी दो और कंपनियां हैं, जो ऑइल और कोयले की खरीद-फरोख्त करती हैं. इसके अलावा उनकी मैत्रेयी डेवलपर्स और बीएनबी लॉजिस्टिक्स में भी हिस्सेदारी है. मैत्रेयी डेवलपर्स दलितों की दोस्ती या मैत्री से बनी है जिसे 2006 में 50 लाख दलितों ने एक-एक लाख लगाकर 50 लाख के निवेश के साथ शुरू की थी. इसमें सब बराबर के भागीदार हैं. कंपनी फिलहाल मेन्यूफ़ेक्चरिंग का काम करती है और आगे चलकर उनका इरादा इस कंपनी की ज़मीन बेचकर दूसरे बिज़नेस में लगाने का है.

अरबपति पिता की लाडली आई युगांडा पुलिस की हिरासत में, जानिए कौन हैं वसुंधरा ओसवाल

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Vasundhara Oswal Ugandan police custody
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अरबपति परिवार से ताल्लुक रखने वाली वसुंधरा ओसवाल (Vasundhara Oswal) 1 अक्टूबर से युगांडा पुलिस की हिरासत में हैं। वसुंधरा ओसवाल समूह (Oswal Group) के प्रमुख व्यवसायी पीयूष ओसवाल की बेटी हैं। 26 वर्षीय वसुंधरा को आर्थिक अपराध और आपराधिक मामलों समेत कई मामलों में युगांडा की पुलिस ने कथित तौर पर हिरासत में लिया है। ओसवाल परिवार का वैश्विक कारोबार है और इस घटना में वसुंधरा की संलिप्तता ने सभी का ध्यान खींचा है। भारतीय मूल के स्विस उद्योगपति पंकज ओसवाल (Swiss industrialist Pankaj Oswal) ने अपनी बेटी वसुंधरा की हिरासत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र (UN) में अपील की है।

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किस मामले में वसुंधरा हिरासत में पहुंचीं? Vasundhara Oswal arrest case

युगांडा की कुछ मीडिया रिपोर्टों और वीडियो में दिखाया गया है कि वसुंधरा ओसवाल का संबंध एक शेफ के अपहरण और हत्या से हो सकता है, जबकि अन्य ने धोखाधड़ी के मामलों में उनकी कथित संलिप्तता की ओर भी इशारा किया है, विशेष रूप से क्रिप्टोकरेंसी (Cryprotcurrency) योजनाओं से संबंधित मामलों में।

कौन है वसुंधरा ओसवाल? Who is Vasundhara Oswal

वसुंधरा का जन्म 1999 में हुआ था। वह ऑस्ट्रेलिया, स्विटजरलैंड और भारत में पली-बढ़ी हैं। वह ओसवाल ग्रुप ग्लोबल के जाने-माने ओसवाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वसुंधरा ने वित्त में डिग्री के साथ एक स्विस संस्थान से स्नातक किया है। वह ओसवाल ग्रुप ग्लोबल के प्रो-इंडस्ट्रीज डिवीजन की कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य करती हैं। अपनी वेबसाइट पर, प्रो-इंडस्ट्रीज अफ्रीका की शीर्ष उन्नत इथेनॉल उत्पादक कंपनी होने का दावा करती है। वसुंधरा ने अपनी स्नातक की पढ़ाई के दौरान इसकी स्थापना की, जो इसे अद्वितीय बनाता है। इसके अलावा, वसुंधरा को 2023 ग्लोबल यूथ आइकॉन अवार्ड (Global Youth Icon Award) जैसे सम्मान मिल चुके हैं।

 

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परिवार ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी

सोशल मीडिया पर पोस्ट में वसुंधरा ओसवाल के परिवार ने कहा कि उसे बहुत ही खराब परिस्थितियों में रखा गया है और जिस कमरे में उसे रहने के लिए मजबूर किया गया है, वह जूतों से भरा हुआ है। इसके अलावा, वसुंधरा को नहाने या कपड़े बदलने का कोई साधन नहीं दिया गया है। पोस्ट में परिवार ने यह भी उल्लेख किया कि उसे एंजाइटी अटैक भी आया है और उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। युगांडा के अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

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1 अक्टूबर को हिरासत में लिया गया था 

रिपोर्टों के अनुसार, बिना किसी वारंट या पहचान के दस्तावेजों के 20 हथियारबंद लोगों ने वसुंधरा को युगांडा में ओसवाल समूह के स्वामित्व वाले एक्स्ट्रा-न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) व्यवसाय से गिरफ्तार किया। 1 अक्टूबर, 2024 को, उसे कथित तौर पर हिरासत में लिया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, स्थानीय सरकार भी इस मामले में शामिल है, जो एक लापता व्यक्ति से संबंधित है। इस सप्ताह की शुरुआत में, पिता पंकज ओसवाल ने अपनी बेटी की मनमानी हिरासत के खिलाफ़ यूनाइटेड नेशंस वर्किंग ग्रुप ऑन आर्बिटरी डिटेंशन (WGAD) से अपील की और जल्द से जल्द सुनवाई का अनुरोध किया।

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जीवन में झेल रहे हैं पैसों की तंगी? दिवाली से पहले करें ये उपाय, प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी

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aarthik tangee diwali
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अगर आप आर्थिक तंगी (Money crunch) से जूझ रहे हैं तो दिवाली से पहले कुछ उपाय अपनाकर आप देवी लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं। दिवाली के दौरान लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है और यह समय आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। दिवाली के दिन धन और समृद्धि की देवी के रूप में देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) की पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और दीये जलाकर देवी लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी केवल उन्हीं घरों में आती हैं जो साफ-सुथरे और रोशनी से भरे होते हैं। खासतौर पर दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है जिसमें उनकी कृपा से आर्थिक समृद्धि और जीवन में सुख-शांति आती है।

और पढ़ें: दिवाली पर सफाई करने के पीछे का कारण – Reason Behind Cleaning before Diwali 

घर की साफ-सफाई- Way to Earn Money

माना जाता है कि साफ-सुथरे और सुंदर घरों में देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) का वास होता है। इसलिए दिवाली से पहले अपने घर की अच्छी तरह से सफाई करें और गंदगी को हटा दें। घर की उत्तर-पूर्व दिशा की साफ-सफाई पर खास तौर पर ध्यान दें, वास्तु में इसे लक्ष्मी का स्थान माना जाता है।

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सजावट और रोशनी

दिवाली (Diwali) के दिन घर को दीयों और लाइटों से सजाएं। दीयों की रोशनी घर की खूबसूरती तो बढ़ाती ही है, साथ ही सकारात्मक ऊर्जा को भी आकर्षित करती है। दीये जलाने से घर में खुशहाली और समृद्धि का माहौल बनता है।

लक्ष्मी पूजा और आरती

दिवाली के दिन खास तौर पर देवी लक्ष्मी की पूजा करें और उनके सामने घी का दीपक जलाएं। पूजा में देवी लक्ष्मी की आरती करना शुभ माना जाता है और माना जाता है कि इससे धन की देवी प्रसन्न होती हैं।

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दान

धन और समृद्धि पाने के लिए गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना भी जरूरी है। दिवाली से पहले अपनी क्षमता के अनुसार दान (Donation) करें, इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और पैसों की कमी नहीं होती।

कुबेर पूजा

धन के देवता कुबेर की पूजा (Kuber Puja) करना भी बहुत फलदायी माना जाता है। कुबेर की पूजा करने से धन के स्रोत बढ़ते हैं और आय में वृद्धि होती है।

खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त

धनतेरस और दिवाली पर नई चीजें खरीदने का विशेष महत्व है। इस दिन धन या सोने-चांदी की वस्तुएं खरीदने से समृद्धि और आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।

अन्य उपाय:

  • गायत्री मंत्र या लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।
  • घर के मुख्य दरवाजे पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
  • खीर या मिठाई बनाकर लक्ष्मी माता को अर्पित करें।

इन उपायों को अपनाकर न केवल आर्थिक तंगी दूर हो सकती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी आ सकती है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए यह सबसे शुभ समय है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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क्या दिवाली पर मां लक्ष्मी की आरती गानी चाहिए या नहीं? यहां पढ़ें इस सवाल का सही उत्तर

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Maa Lakshmi's Aart
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दिवाली पर लक्ष्मी माता की पूजा (Diwali Maa Lakshmi Aarti) करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि लक्ष्मी की आरती गाने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। हालांकि, इसे लेकर कई मान्यताएं हैं। कुछ लोगों का मानना ​​है कि लक्ष्मी माता (Diwali Maa Lakshmi) की आरती उनके स्वागत का प्रतीक है, जो समृद्धि का आह्वान करती है। वहीं, कुछ लोगों का मानना ​​है कि दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा नहीं करनी चाहिए। आइए आपको बताते हैं कि दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा करना सही है या नहीं।

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दिवाली पर आरती क्यों नहीं करें? (Diwali Maa Lakshmi Aarti) 

पूजा-पाठ, हवन-यज्ञ, शुभ कार्य आदि में आरती का विशेष महत्व माना जाता है। आरती के बिना धार्मिक कार्य अधूरे रह जाते हैं (Diwali Maa Lakshmi Aarti Rules)। पूजा के समापन पर हमेशा आरती की जाती है। नतीजतन, आरती पूजा के समापन और भगवान के जाने का प्रतीक है। जिस तरह से आगंतुक के जाने पर हम खड़े हो जाते हैं। उसी तरह से खड़े होकर आरती की जाती है। फिर भगवान चले जाते हैं। इसी तरह से अगर देवी लक्ष्मी चली जाएं तो आपका जीवन आर्थिक रूप से कमजोर हो सकता है।

 Maa Lakshmi's Aarti
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जानिए क्या करना चाहिए?

दीवाली के दिन मा लक्ष्मी की पूजा करने की बजाय आप मां लक्ष्मी का मंत्र भी गा सकते हैं। इसके साथ ही पूजा के दौरान आपको एक साबुत सुपारी को मौली (कलावा) में लपेटकर पूजा में रखना चाहिए। पूजा के बाद इस सुपारी को लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रख दें। यह देवी लक्ष्मी का स्वरूप है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा में साबुत धनिया भी रखना चाहिए।

दिवाली पर लक्ष्मी जी की पूजा करने का सही तरीका

ज्योतिषी कहते हैं दीवाली पर ईशान कोण या उत्तर दिशा को साफ करके स्वास्तिक बनाएं। उस पर चावल की एक ढेरी रखें। अब उस पर लकड़ी का एक पटरा बिछाएं। पटरे पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र रखें। इस चित्र में गणेशजी और कुबेर की तस्वीर भी होनी चाहिए। देवी के दाएं और बाएं एक सफेद हाथी की तस्वीर भी होनी चाहिए। पूजा के दौरान पंचदेव की स्थापना अवश्य करें।

Kab hai diwali

क्या है पंचदेव?

पंचदेव सूर्य देव, श्री गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को कहा जाता हैं। इसके बाद, दीप और अगरबत्ती जलाएं। सभी मूर्तियों और तस्वीरों पर जल छिड़कने से उनकी शुद्धि होगी। कुश के आसन पर बैठकर देवी लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। षोडशोपचार पूजा 16 क्रियाओं वाली पूजा है। नैवेद्य, आचमन, तांबूल, स्तवपथ, तर्पण, नमस्कार, स्नान, अर्घ्य, आचमन, गंध, पुष्प, धूप, दीप और स्नान। पूजा के समापन पर संगत सिद्धि के लिए दक्षिणा भी भेंट करनी चाहिए।

माता लक्ष्मी सहित सभी के माथे पर चावल, चंदन, कुमकुम और हल्दी लगाएं। फिर उन्हें फूल और माला भेंट करें। चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी और अन्य सुगंध अनामिका यानी सबसे छोटी उंगली या अंगूठे के बगल वाली उंगली से लगानी चाहिए। इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्रियों से पूजा करें।

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Kawasaki या Royal Enfield? जानें आपके लिए कौन सी मोटरसाइकिल है बेस्ट, दोनों की कीमत में है बड़ा अंतर

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Kawasaki vs Royal Enfield
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Kawasaki और Royal Enfield बाइक भारत में युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल कावासाकी बाइक की तुलना में काफी सस्ती हैं। कावासाकी बाइक आमतौर पर प्रीमियम सेगमेंट में आती हैं, जिनकी कीमत लाखों में होती है, जबकि रॉयल एनफील्ड बाइक की शुरुआती कीमत काफी कम होती है। हालांकि, पावर के मामले में भी दोनों में काफी अंतर है। कावासाकी बाइक ज़्यादा पावर और परफॉरमेंस देती हैं, खास तौर पर हाई-स्पीड और स्पोर्ट्स राइडिंग के लिए डिज़ाइन की गई हैं, जबकि रॉयल एनफील्ड बाइक अपने क्लासिक डिज़ाइन और मिड-पावर इंजन के साथ आरामदायक राइड के लिए जानी जाती हैं। आइये आपको बताते हैं कि कौन सी बाइक आपके लिए बेस्ट रहेगी।

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Kawasaki की बाइक्स की कीमत- Kawasaki Bikes price

भारत में कावासाकी मोटरसाइकिल कई तरह के वेरिएंट में आती हैं। कावासाकी निंजा H2R (Kawasaki Ninja H2R)  इन सभी में सबसे महंगी है। इस दमदार मोटरसाइकिल की कीमत भारत में 79.90 लाख रुपये से शुरू होती है। इस सीरीज में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले मॉडल में से एक कावासाकी निंजा 300 है। इस बाइक की कुल कीमत 4,00,669 रुपये है। हाल ही में कावासाकी वल्कन एस को भारतीय बाजार में उतारा गया है। इस बाइक की कीमत ऑन रोड 8,31,022 रुपये है।

Kawasaki की सबसे महंगी बाइक

निंजा H2R कावासाकी द्वारा बनाई गई सबसे महंगी बाइक है। इस मोटरसाइकिल में 4-स्ट्रोक, 998 cc, लिक्विड-कूल्ड इंजन है। 14,000 rpm पर यह इंजन 310 हॉर्सपावर और 12,500 rpm पर 165 Nm का टॉर्क जनरेट करता है। इस बाइक की माइलेज 20 km/l है। यह बाइक भारत में विशेष रूप से मिरर-कोटेड मैटे स्पार्क ब्लैक में उपलब्ध है। इस बाइक की शुरुआती कीमत करीब 80 लाख रुपये है।

Kawasaki
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रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield)

भारतीय बाजार में रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिलों का एक बड़ा चयन उपलब्ध है। रॉयल एनफील्ड हंटर 350 की कीमत 1,79,351 रुपये है। क्लासिक 350 की कीमत सड़क पर 2,37,065 रुपये है। बुलेट 350 की शुरुआती कीमत 2,06,068 रुपये है। हिमालयन 450 की कीमत सड़क पर 3,41,157 रुपये है। गुरिल्ला 450 की कीमत 2,90,081 रुपये से शुरू होती है।

Royal Enfield की सबसे महंगी बाइक

सुपर मेट्योर 650 रॉयल एनफील्ड की सबसे महंगी मोटरसाइकिल है। इस बाइक की एक्स-शोरूम कीमत 3,63,900 रुपये से शुरू होती है। बाजार में इस बाइक के लिए सात अलग-अलग रंग विकल्प उपलब्ध हैं। इस बाइक का इंजन पैरेलल ट्विन 648 सीसी है। यह इंजन 52.3 एनएम का टॉर्क और 47 पीएस की पावर देता है।

कावासाकी एलिमिनेटर 400 और इंटरसेप्टर 650 में कौन बेहतर? Kawasaki Eliminator 400 vs Royal Enfield Interceptor 650

कावासाकी एलिमिनेटर 400 की सीटें लंबी हैं। दूसरी बाइक्स की तुलना में इसका ग्राउंड क्लीयरेंस कम है। आगे की तरफ क्रोम फिनिश वाला बड़ा फ्यूल टैंक है। इसके अलावा, रॉयल एनफील्ड इंटरसेप्टर 650 में एक अत्याधुनिक फीचर है: आगे की तरफ एक एलईडी लाइट। इसमें क्रोम ऐडऑन कम हैं। इसके अलावा, इस बाइक में आगे की तरफ एक बड़ी गोलाकार हेडलाइट है। अपनी पसंद के हिसाब से आप इन दोनों में से कोई भी बाइक खरीद सकते हैं।

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डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा के सामने शिवलिंग देख भड़के अंबेडकरवादी, कहा- आयोजन की अनुमति कैसे दी गई

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Ambedkar's statue Shivling controversy
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दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट (Ambedkar International Institute) से जुड़ा एक पुराना विवाद फिर से चर्चा में आ गया है। विवाद डॉ. बी.आर. अंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) की मूर्ति के सामने रखे गए शिवलिंग को लेकर है। दरअसल, पिछले साल 8 फरवरी 2023 को महाशिवरात्रि का आयोजन कैंपस में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति के ठीक सामने किया गया था और प्रतीक के तौर पर एक फूल शिवलिंग स्थापित किया गया था। इस घटना से खासकर दलित समुदाय (Dalit community) और अंबेडकर के अनुयायियों में गहरी नाराजगी है, क्योंकि डॉ. अंबेडकर का जीवन और उनकी विचारधारा सामाजिक न्याय, समानता और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित थी।

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अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन है और इसी मंत्रालय द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है। सवाल यह है कि परिसर में धार्मिक आयोजन की अनुमति कैसे दी गई? इस संबंध में जब केंद्र की आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए टेलीफोन नंबरों पर संपर्क किया गया तो जिम्मेदारी से बचने की कोशिश सामने आई।

ये है पूरा मामला – Ambedkar’s statue Shivling controversy

विवाद की शुरुआत डॉ. बी.आर. अंबेडकर के जीवन और योगदान को समर्पित संस्था अंबेडकर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट में डॉ. अंबेडकर की मूर्ति के सामने शिवलिंग के निर्माण से हुई। यह जगह अंबेडकर के अनुयायियों और सामाजिक न्याय कार्यकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। फॉरवर्डप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल फ़रवरी में अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर परिसर के ऑडिटोरियम को एक सभागार धार्मिक नाम वाले संगठन ने बुक किया था। संगठन ने अपनी दसवीं वर्षगांठ मनाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया था और आयोजकों ने खुद परिसर के प्रवेश द्वार पर हॉल में कुर्सी पर बैठी डॉ. अंबेडकर की मूर्ति के सामने एक शिवलिंग बना दी।

Ambedkar's statue Shivling controversy
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उठ रहे कई सवाल

अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में तीन ऑडिटोरियम हैं: भीम, नालंदा और समरस्थ। विभिन्न संगठन और संस्थाएं इन स्थानों को आरक्षित करती हैं और परिसर के प्रबंधक पूरी प्रक्रिया को संभालते हैं। कहने की जरूरत नहीं कि उक्त संगठन ने ऑडिटोरियम आरक्षित करते समय प्रबंधकों को कार्यक्रम की सूचना पहले से ही दे दी थी। फिर, उस संगठन को कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति कैसे दी गई, जबकि डॉ. अंबेडकर का पूरा दर्शन आडंबर और कर्मकांड से रहित है?

आरएसएस-भाजपा की साजिश?                 

इस संबंध में पूर्व सांसद उदित राज का भी बयान सामने आया था। उनका कहना था कि यह आरएसएस-भाजपा की अंबेडकर की पूरी विचारधारा को पलटने की साजिश है। यह बेहद निंदनीय है कि जिस महापुरुष ने अपना पूरा जीवन समाज को पाखंड मुक्त और समतामूलक बनाने के लिए समर्पित कर दिया, आज उनके नाम पर बने संस्थान में उनकी प्रतिमा के सामने इस तरह का आयोजन किया जा रहा है।

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दलित लेखक ने जाहीर की नाराजगी

वहीं, मशहूर दलित लेखक और आलोचक कंवल भारती ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि अंबेडकर इंटरनेशनल कैंपस में इस तरह की हरकत करने की इजाजत कैसे दी गई और दिल्ली में बैठे तथाकथित अंबेडकरवादियों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया। भारती ने यह भी कहा कि यह डॉ अंबेडकर के विचारों को पलटने की साजिश है। उन्होंने आगे कहा कि “डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में शिवलिंग स्थापित करना डॉ अंबेडकर का अपमान है। उन्होंने शिवलिंग पूजा को घृणित और अनैतिक कृत्य बताया था। लेकिन यह हिंदुओं की सरकार है, यह अंबेडकर विरोधी भी है। मैं इस शर्मनाक हरकत की कड़ी निंदा करता हूं।”

विरोध की वजह

डॉ. अंबेडकर ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता का समर्थन किया और हिंदू धर्म की जाति व्यवस्था की कड़ी आलोचना की। उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाया, जो समानता और करुणा पर आधारित है। ऐसे में अंबेडकर की मूर्ति के सामने शिवलिंग (Ambedkar’s statue Shivling controversy) का बनाना उनकी विचारधारा और सिद्धांतों के खिलाफ माना जा रहा है।

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