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 जम्मू कश्मीर को ‘पूर्ण राज्य’ का दर्जा दिलाने के लिए उमर अब्दुल्ला ने उठाया अहम कदम, LG मनोज सिन्हा ने भी दी मंजूरी

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Jammu Kashmir full statehood status
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अब्दुल्ला कैबिनेट (Abdullah cabinet) ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा (Jammu Kashmir full statehood status) बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया था, जिस पर उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा ने अपनी मंजूरी दे दी है। यह प्रस्ताव अब केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। जम्मू-कश्मीर कैबिनेट ने प्रधानमंत्री और केंद्र को जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के मामले पर प्रधानमंत्री से बातचीत करने के लिए अधिकृत किया है। इस संबंध में उमर अब्दुल्ला दिल्ली जाकर केंद्र से चर्चा करेंगे। अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है। यह देखना अहम होगा कि उमर अब्दुल्ला कैबिनेट द्वारा पारित पूर्ण राज्य के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार का क्या रुख रहता है?

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उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) की कैबिनेट बैठक में जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव लाया गया लेकिन इसमें अनुच्छेद 370 (Jammu Kashmir Article 370) और 35ए का कोई जिक्र नहीं हुआ। आपको बता दें कि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया था और लद्दाख के क्षेत्र को इससे अलग कर दिया गया था और इसे भी एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था।

जम्मू-कश्मीर को कैसे मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा- Jammu Kashmir full statehood status

जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कई संवैधानिक और कानूनी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रक्रिया में राज्य, संघीय और संसदीय सरकारें सभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आइये आपको बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कैसे मिलेगा।

Jammu Kashmir full statehood status
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राज्य सरकार ने शुरुआती कदम उठा लिया है। उमर अब्दुल्ला की कैबिनेट ने राज्य को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस विचार को अपनी मंजूरी दे दी है। अब इस विचार को राष्ट्रीय सरकार के पास भेजा जाएगा।

इस प्रक्रिया में केंद्र की भूमिका

यह सुझाव अब राष्ट्रीय सरकार को गहन चर्चा के लिए भेजा जाएगा। इस विचार की समीक्षा केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी, जो तब तय करेगी कि इसे संसद में पेश किया जाए या नहीं। जब राष्ट्रीय सरकार संसद में प्रस्ताव पेश करेगी, तो प्रस्ताव की जांच की जाएगी और लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों में मतदान के लिए रखा जाएगा। बहुमत का समर्थन मिलने के बाद प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

सविन्धन संसोधन की ज़रूरत

जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए भारतीय संविधान में कुछ संशोधन करने होंगे। फिलहाल जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है जिसे 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह दर्जा मिला है। इसे वापस पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 3 और 4 के तहत बदलाव करने होंगे, ताकि इसके राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे में बदलाव किया जा सके।

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राष्ट्रपति की मुहर से ही जम्मू-कश्मीर बनेगा पूर्ण राज्य

संसद द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद राष्ट्रपति इसे मंजूरी देंगे। राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद आवश्यक संवैधानिक सुधार प्रभावी हो जाएंगे और जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा।

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त्यौहार के दिन दिल्ली में हुआ धमाका, रोहिणी में CRPF स्कूल के पास हुई घटना, जांच में जुटी पुलिस

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Rohini CRPF School Blast
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करवा चौथ के त्यौहार (Karva Chauth festival) के दिन पूरे देश में चहल-पहल मची हुई है। इसी बीच रविवार को दिल्ली में हुए एक धमाके (Delhi Rohini Blast) ने हड़कंप मचा दिया। यह धमाका दिल्ली के रोहिणी के प्रशांत विहार इलाके में स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) स्कूल की दीवार के पास हुआ। धमाके से स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई और आसपास खड़ी गाड़ियों के शीशे टूट गए। धमाके को लेकर दिल्ली पुलिस ने कहा कि विशेषज्ञों को बुलाया गया है, वही बता पाएंगे कि धमाके में किस चीज का इस्तेमाल किया गया। यानी जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि पूरा मामला क्या है।

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डीसीपी ने दी जानकारी- Rohini CRPF School Blast

रोहिणी के डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि धमाके की असली वजह जानने के लिए विशेषज्ञों को बुलाया गया है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि यह किस तरह का धमाका था और इसका स्रोत क्या है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की टीम घटना की विस्तृत जांच कर रही है और जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

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मौके पर पहुंची एफएसएल और स्पेशल सेल की टीम

घटना की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की टीम को मौके पर बुलाया है। FSL की टीम यह पता लगाने के लिए जांच करेगी कि यह दुर्घटना थी या किसी हमले का हिस्सा। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के कई कर्मी मौके पर मौजूद हैं और मामले की जांच कर रहे हैं। एंटी टेरर यूनिट के सहयोग से सीसीटीवी वीडियो की जांच की जा रही है।

माना जा रहा हाई-इंटेंसिटी ब्लास्ट

आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीआरपीएफ स्कूल के पास कई दुकानें स्थित हैं, इसलिए शुरुआती जांच में यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह सिलेंडर ब्लास्ट हो सकता है। हालांकि, अभी तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। धमाके की तीव्रता को देखते हुए इसे हाई इंटेंसिटी धमाका माना जा रहा है।

Rohini CRPF School Blast
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NSG को दी गई जानकारी

दिल्ली पुलिस टीम के अनुसार, इस मामले में विस्फोटक अधिनियम के तहत औपचारिक शिकायत दर्ज की जाएगी। एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद स्थानीय पुलिस द्वारा मामला दर्ज करने के बाद इसे स्पेशल यूनिट को सौंप दिया जाएगा। घटना की सूचना राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड यानी एनएसजी को भी दे दी गई है और उनकी टीम घटनास्थल पर जा सकती है। वहां सफेद पाउडर जैसा पदार्थ देखे जाने के बाद घटनास्थल को जांच के लिए ले जाया गया है। केंद्रीय एजेंसियों की टीमें अब उस इलाके में पहुंच सकती हैं, जिसे पूरी तरह से घेर लिया गया है।

CRPF ने दी जानकारी

रविवार को दिल्ली के रोहिणी में सीआरपीएफ स्कूल (Rohini CRPF School Blast) से 200-250 मीटर दूर एक कम तीव्रता वाला विस्फोट हुआ। राहत की बात यह है कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। घटना की सूचना मिलते ही 89वीं बटालियन, दिल्ली पुलिस, एफएसएल टीम और फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंच गई। अभी तक घटनास्थल पर कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है। विस्फोट की उत्पत्ति की जांच की जा रही है।

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साउथ फिल्म स्टार जो अपनी दमदार एक्टिंग से उठा रहे पीड़ित-दलितों-वंचितों के लिए आवाज

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Dhanush .
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बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में आज कई बड़े स्टार्स हैं जिन्होंने बॉलीवुड से लेकर साउथ की फिल्मों में धूम मचा रखी हैं. वही कुछ एक्टर्स ऐसे भी जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत साउथ की फिल्मों से ही हैं, लेकिन आज अपनी दमदार एक्टिंग की बदौलत बॉलीवुड फिल्मों में भी राज कर रहे हैं. ऐसे ही एक साउथ के एक्टर “वेंकटेश प्रभु कस्तूरी राजा” जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अपने एक्टिंग से धूम मचा रखी है, जिन्हें आज सिनेमा जगत में “धनुष” के नाम से जाना जाता है.

धनुष के फ़िल्मी करियर की शुरुआत 

बॉलीवुड और साउथ स्टार धनुष ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्मे दी हैं. धनुष एक्टर के अलावा सिंगर, डायरेक्टर, प्रोडूसर, कंपोजर हैं. धनुष का जन्म 28 जुलाई 1983 को मद्रास तमिलनाडु में हुआ था. इनके पिता का नाम कस्तूरी राजा है जो तमिल फिल्म डायरेक्टर और प्रोडूसर है. ऐसा कहा जाता है कि धनुष एक्टर नहीं बनना चाहते थे उनका सपना होटल मैनेजमेंट करके शेफ बनना था लेकिन उनके भाई ने उन्हें एक्टर बनने के लिए प्रेरित किया था.

धनुष ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत साल 2002 में अपने पिता द्वारा निर्देशित फिल्म “थुल्लुवाधो इलामाई” से की थी. साल 2003 में धनुष ने अपने भाई सेल्वाराघवन द्वारा निर्देशित फिल्म “काधल कोंडेइन” में काम किया था. इस फिल्म को लोगों ने काफी पसंद किया था जिसकी वजह से एक बड़ी सफ़लता हासिल हुई थी और फिल्म “काधल कोंडेइन”  ने धनुष को सर्वश्रेष्ठ तमिल अभिनेता के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए पहला अवार्ड भी दिलवाया. इस  फिल्म के बाद धनुष ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

कैसे मिली हिंदी फिल्मों में पहचान

धनुष ने करीब 21 साल की उम्र में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. तमिल फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद धनुष ने हिंदी फिल्मों में अपनी एक्टिंग से जलवा बिखेरा हैं. बॉलीवुड में उनकी डेब्यू फिल्म “रांझणा” थी. रांझणा फिल्म में धनुष ने कुंदन का किरदार निभाया था और इस किरदार को दर्शकों ने काफी पसंद किया था. और एक बार फिर धनुष सभी के दिलों पर छा गए थे.  इसके अलवा उन्होंने एक सिंगर के तौर पर भी अपनी पहचान बनाई हैं. उनका फेमस सोंग “वाय दिस कोलावेरी डी” जो यूट्यूब पर छा गया था. इतना ही नहीं इस गाने से धनुष को इंटरनेशनल पहचान भी मिली थी. इस गाने ने सभी का मनोरंजन किया था बच्चे हो या बड़े हर किसी की जुबान पर ये गाना चढ़ा हुआ था.

आपको बता दें कि एक्टर धनुष ने अपनी फिल्मों के ज़रिये दलितों के मुद्दों को भी उठाया है. उनकी फिल्म “असुरन” में जिसमे वो दलित की भूमिका निभा रहे हैं. इस फिल्म में धनुष ने कमाल की एक्टिंग की हैं और इस फिल्म के लिए धनुष को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड भी मिला हैं.

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क्या कहती हैं फिल्म “असुरन” की कहानी

इस फिल्म के अंतिम सीन में फिल्म का नायक धनुष अपने बेटे से कहते हैं कि “अगर जमीन होगी, तो कोई भी छीन लेगा. पैसा होगा, कोई भी लूट लेगा.. लेकिन अगर पढ़ा-लिखा होगा, तो कोई भी तुझसे कुछ नहीं छीन पाएगा.. अगर अन्याय से जीतना है तो पढ़. पढ़-लिखकर एक ताकतवर इंसान बन. नफ़रत हमें तोड़ती है, प्यार जोड़ता है. हम एक ही मिट्टी के बने हैं, लेकिन जातिवाद ने अलग कर दिया.

हम सबको इस सोच से उबरना होगा”. इस फिल्म में छोटी छोटी बात पर दलितों के साथ होने वाले उत्पीड़न को दिखाया गया है जैसे किस तरह एक दलित लड़की का सिर्फ चप्पल पहन लेने से गांव के कथित ऊंची जात वालों को इतना चुभता है कि उसके सिर पर वही चप्पल रखवाकर उसे पीटते हुए ले जाया जाता है. इस फिल्म में ये भी दिखाया गया है कि जब दलित अपनी जमीन के लिए आंदोलन करते हैं ते कैसे ऊंची जाति के लोग उनके घरों को जला देते हें.

“समाज सेवक” के रुप में धनुष

इसके अलावा धनुष समाज सेवा का काम भी करते हैं. जी हाँ, तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धनुष ने साल 2015 में दक्षिण भारत में बाढ़ और बारिश से प्रभावित लोगों को 5 लाख रुपये दान दिया था. आत्महत्या करने वाले 125 किसानों के परिवार को 50,000 रुपये की सहायता की थी. वहीँ, अगस्त 2013  में धनुष को पर्फ़ेटी इंडिया लिमिटेड ने सेंटर फ्रेश च्यूइंगम के लिए अपना ब्रांड एंबेसडर के रुप में घोषित किया था. ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने साल 2012 में अर्थ आवर का समर्थन करने के लिए WWF INDIA के साथ काम किया था. वही हाल ही में वायनाड में हुई भूस्खलन की घटना में केरल सीएम रिलीफ फंड में 25 लाख रुपये दान किए है. इसकी जानकारी श्रीधर पिल्लई ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर खबर साझा करते हुए लिखा, “धनुष ने वायनाड के लिए केरल सीएम राहत कोष में ₹25 लाख का दान दिया.

वर्कफ्रंट पर धनुष 

अगर धनुष के वर्क फ्रंट की बात करें तो उन्हें आखिरी बार फिल्म ‘रायन’ में देखा गया था. फिल्म रायन के टोटल कलेक्शन की बात करें तो इस फिल्म ने भारत में कुल नेट कलेक्शन 95 करोड़ रुपये रहा और वर्ल्डवाइड 155.86 करोड़ रुपये कमा लिए हैं. इसके अलावा उनकी पाइप लाइन में कई बड़ी फिल्मे हैं.

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Uttarakhand: अब मदरसों में गूंजेंगे संस्कृत के श्लोक, उत्तराखंड शिक्षा बोर्ड ने लिया बड़ा फैसला, जानें इसके पीछे की वजह

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Sanskrit shlokas in Uttarakhand madrasas
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हाल ही में उत्तराखंड सरकार द्वारा मदरसों में संस्कृत शिक्षा और श्लोकों (Sanskrit shlokas in Uttarakhand madrasas) को शामिल करने की घोषणा व्यापक चर्चा का विषय बन गई है। इस घोषणा के अनुसार, उत्तराखंड के मदरसों में संस्कृत के श्लोक पढ़ाए जाएंगे, इसके लिए उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके साथ ही अरबी भाषा की शिक्षा भी दी जाएगी। यह जानकारी उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड (Uttarakhand Madrasa Education Board) के अध्यक्ष मुफ़्ती शमून काज़मी ने दी है। वहीं, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने इस कदम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

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दूसरी ओर, मदरसा शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन कासमी ने कहा कि संस्कृत और अरबी दोनों ही प्राचीन भाषाएं हैं। अगर मौलवी संस्कृत जानता है और पंडित अरबी जानता है तो इससे बेहतर क्या हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे मदरसों में एनसीईआरटी का कोर्स लागू किया गया है और 96.5 प्रतिशत छात्र पास हुए हैं। हम उन छात्रों को मुख्य धारा से जोड़ रहे हैं जिन्हें पिछली सरकारों ने डर दिखाकर मुख्य धारा से काट दिया था।

उत्तराखंड सरकार की घोषणा- Sanskrit shlokas in Uttarakhand madrasas

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार ने राज्य के मदरसों में शिक्षा के आधुनिकीकरण और समग्र दृष्टिकोण को अपनाने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम में संस्कृत को शामिल करने का निर्णय लिया है। इसके पीछे तर्क यह है कि संस्कृत भारतीय संस्कृति और परंपरा की एक महत्वपूर्ण भाषा है और इसे सीखने से छात्रों को न केवल भाषा का ज्ञान होगा बल्कि उन्हें भारतीय शास्त्रों और साहित्य को समझने का अवसर भी मिलेगा।

Sanskrit shlokas in Uttarakhand madrasas
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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संस्कृत को अनिवार्य नहीं बनाया गया है, बल्कि यह वैकल्पिक विषय के रूप में उपलब्ध रहेगा। यानी जो बच्चे इस विषय को पढ़ना चाहेंगे, वे ही इसे चुनेंगे। इससे छात्रों को अपनी रुचि और भविष्य के लक्ष्यों के अनुसार विषय चुनने की आजादी मिलेगी।

वक्फ बोर्ड की प्रतिक्रिया

आजतक से खास बातचीत में वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स (Waqf Board Chairman Shadab Shams) ने कहा, ‘मदरसा बोर्ड की कोई मान्यता नहीं है। यहां के बच्चे क्या पढ़ेंगे और क्या बनेंगे? मदरसा बोर्ड को तुरंत भंग कर देना चाहिए। जिनके पास अपनी मान्यता नहीं है, वे क्या पढ़ाएंगे? एनसीईआरटी के मुताबिक उत्तराखंड बोर्ड की मान्यता के तहत मदरसों में पढ़ाई होनी चाहिए। गुरुद्वारों और चर्चों के लिए जो कानून हैं, वही मस्जिदों और मदरसों के लिए भी होने चाहिए। इसमें अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक की क्या बात है, इसमें एकरूपता होनी चाहिए।’

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शादाब शम्स ने कहा, मदरसों में संस्कृत पढ़ाना अच्छी बात है, लेकिन मदरसा शिक्षा बोर्ड ने पहले भी वेद पढ़ाने की बात कही थी और मदरसा बोर्ड के तहत बच्चे जिस परीक्षा में पास होते हैं, वह न तो आईसीएसई, सीबीएसई या उत्तराखंड बोर्ड की होती है और न ही कोई और। उन्होंने कहा कि वैसे मदरसों के सिलेबस में संस्कृत कहां है?

मदरसा संचालकों और समाज की राय

उत्तराखंड सरकार की मदरसों में संस्कृत श्लोक पढ़ाने की घोषणा ने राज्य और देशभर में विभिन्न प्रतिक्रियाओं को जन्म दिया है। जहां इसे कुछ लोग सकारात्मक रूप में देख रहे हैं, वहीं कुछ ने इस पर आपत्ति जताई है। वक्फ बोर्ड ने जहां संयमित तरीके से इस कदम को स्वीकार किया है, वहीं कुछ मदरसा संचालकों और समाज के एक वर्ग ने इस पर अपनी चिंता जाहिर की है। उनका मानना ​​है कि मदरसों का मुख्य उद्देश्य धार्मिक शिक्षा देना है और संस्कृत जैसे विषयों की पढ़ाई इसके उद्देश्यों से मेल नहीं खाती। कुछ का मानना ​​है कि छात्रों पर अतिरिक्त भाषाई बोझ डालने से उनकी इस्लामी शिक्षा प्रभावित हो सकती है। हालांकि, एक अन्य वर्ग का यह भी मानना ​​है कि विविध भाषाओं का ज्ञान छात्रों के समग्र विकास में मदद कर सकता है और यह पहल बहुभाषी समाज में छात्रों को बेहतर तरीके से तैयार कर सकती है।

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लगातार फ्लॉप फिल्मों के बाद लगा दी ब्लॉकबस्टर फिल्मों की झड़ी, करियर के उतार-चढ़ाव से हिम्मत नहीं हारे Hrithik Roshan

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Hrithik Roshan blockbuster films
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बॉलीवुड (Bollywood) में सफलता और असफलता का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन कुछ ऐसे एक्टर भी हैं जो असफलताओं से उबरकर इतिहास रच देते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी एक ऐसे एक्टर की है, जिसने एक के बाद एक फ्लॉप फिल्में झेलने के बाद भी हार मानने की बजाय अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से सफलता की ओर बढ़ता रहा। असफलताओं से तंग आकर उसने एक ऐसा बड़ा कदम उठाया जिसने उसके करियर को एक नया मोड़ दे दिया और इसके बाद तो उसके पास ब्लॉकबस्टर फिल्मों की झड़ी लग गई। दरअसल हम बात कर रहे हैं ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan) की।

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ऋतिक रोशन का करियर (Hrithik Roshan career)

ग्रीक गॉड ऋतिक का करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब उनकी कई फिल्में एक के बाद एक फ्लॉप होती गईं। शुरुआत में ‘कहो ना प्यार है’ जैसी सुपरहिट फिल्म से ब्लॉकबस्टर एंट्री करने वाले ऋतिक ने बाद में कुछ ऐसी फिल्में कीं जो बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं। इसका उनके करियर पर नकारात्मक असर पड़ा और उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इसीलिए उन्होंने 2 साल तक फिल्मों से दूरी बनाए रखी और जब वापस लौटे तो उन्होंने ब्लॉकबस्टर फिल्मों की झड़ी लगा दी।

Hrithik Roshan
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करियर में गिरावट का दौर

2002 से 2004 के बीच ऋतिक की कई फ़िल्में उम्मीदों पर खरी नहीं उतरीं। उनकी कुछ फ़िल्में जैसे ‘यादें’, ‘मुझसे दोस्ती करोगे’ और ‘मैं प्रीति की दीवानी हूँ’ ने बॉक्स ऑफ़िस पर ख़राब प्रदर्शन किया। इस दौरान लोगों को लगने लगा था कि क्या ऋतिक रोशन का करियर थम गया है। कई लोगों का मानना ​​था कि उनकी चमक फीकी पड़ रही है। इस समय ऋतिक खुद मानसिक रूप से संघर्ष कर रहे थे, तभी उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया। दरअसल, इस दौरान उन्होंने 2 साल का लंबा ब्रेक लेने का फैसला किया, जो काफी हद तक उनके लिए सही साबित हुआ।

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ब्लॉकबस्टर फिल्मों की झड़ी

ऋतिक रोशन ने इस नकारात्मक दौर को अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर बदल दिया। उन्होंने अपनी कमियों को समझा और अपने प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए खुद पर काम करना शुरू किया। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं, जिन्होंने न केवल उनकी खोई हुई साख वापस दिलाई, बल्कि उन्हें सुपरस्टार की श्रेणी में वापस स्थापित कर दिया।

2006 में चमका करियर

दरअसल, दो साल के ब्रेक के बाद एक्टर ने अपने पिता राकेश रोशन के निर्देशन में बनी फिल्म कृष से बॉलीवुड में धमाकेदार एंट्री की थी। साल 2006 में आई उनकी फिल्म ‘कृष’ (Hrithik Roshan Movie Krrish) ने उन्हें रातों-रात सुपरस्टार बना दिया था और उन्होंने उस साल बॉक्स ऑफिस पर कब्जा कर लिया था। फिल्म ‘कृष’ के बाद ऋतिक को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। उसके बाद ऋतिक ने बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर फिल्मों की लाइन लगा दी, जिनमें से एक ‘धूम 2’ भी थी। आज ऋतिक बॉक्स ऑफिस की हिट मशीन बन चुके हैं। इन दिनों वह अपनी मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘वॉर 2’ को लेकर काफी व्यस्त हैं।

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आखिर वो कौन सा तरीका है जिससे सलमान को माफ़ कर देगा लॉरेंस? जानिए बिश्नोई समाज और उनके माफ़ी के नियम

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Bishnoi society Salman Khan controversy
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बॉलीवुड एक्टर सलमान खान (Salman Khan) को खुद भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि सितंबर 1998 का काला हिरण कांड (1998 Black Buck case) उनकी जान पर बन आएगा। काला हिरण शिकार मामले में बिश्नोई समुदाय (Bishnoi society) ने सलमान खान को अभी तक माफ नहीं किया है। मामला इतना बढ़ गया है कि बिश्नोई समुदाय से ताल्लुक रखने वाला कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई (Gangster Lawrence Bishnoi) सलमान के खून का प्यासा हो गया है और किसी भी कीमत पर सलमान को मारकर काले हिरण की मौत का बदला लेना चाहता है। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि क्या कोई और रास्ता नहीं है जिससे सलमान लॉरेंस बिश्नोई से छुटकारा पा सकें? तो आपको बता दें कि एक रास्ता है और वो है बिश्नोई समुदाय से माफी मांगना। लेकिन उनके माफी मांगने के नियम बड़े सख्त है।

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बिश्नोई समुदाय के लोगों ने माफी मांगने को लेकर अपने नियम बताए हैं। बिश्नोई समुदाय का कहना है कि सलमान खान ने अपराध किया है और उन्हें समुदाय के सख्त नियमों का पालन करते हुए माफी मांगनी चाहिए, जो 16वीं सदी में बिश्नोई समुदाय के संस्थापक गुरु जम्भेश्वर (Bishnoi community founder Guru Jambheshwar) ने तय किए थे।

बिश्नोई समाज में मांफी के लिए सख्त नियम- Bishnoi society pardon rules

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय बिश्नोई समाज के सचिव हनुमान राम बिश्नोई ने कहा, “समुदाय की मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति कोई अपराध करता है, तो उसे पश्चाताप करना चाहिए, जिसके बाद उसे तपस्या करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि माफी मांगने के लिए, राजस्थान के बीकानेर में मुक्ति धाम जाना चाहिए, जो गुरु जम्भेश्वर का अंतिम विश्राम स्थल है और समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। रिपोर्ट के अनुसार, हनुमान राम बिश्नोई ने कहा, “सलमान खान ने दो खूबसूरत जिंदगियां छीन लीं। जब कोई अपराध करता है, तो उसके मन में पश्चाताप की भावना होनी चाहिए. माफी मांगने की सच्ची इच्छा होनी चाहिए।”

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माफ करना है या नहीं, यह समुदाय पर निर्भर

एक बार माफ़ी मांगने के बाद, उसे स्वीकार या अस्वीकार करने का फ़ैसला पूरी तरह से समुदाय पर निर्भर करता है। दुनिया भर में बिश्नोई समुदाय के 70 लाख से ज़्यादा सदस्य हैं। जब तक सलमान खान माफ़ी नहीं मांगते, उन्हें सज़ा मिलनी ही है। बिश्नोई समाज के अध्यक्ष देवेंद्र बिश्नोई ने कहा, “अगर सलमान की ओर से माफी का प्रस्ताव आता है तो हम इसे समाज के सामने रखेंगे।”

सलमान खान और बिश्नोई समुदाय का मामला

सलमान खान का बिश्नोई समुदाय से विवाद (Bishnoi society Salman Khan controversy) 1998 के काले हिरण शिकार मामले से जुड़ा है, जिसमें सलमान खान पर राजस्थान में फिल्म “हम साथ साथ हैं” की शूटिंग के दौरान काले हिरण का शिकार करने का आरोप है। बिश्नोई समुदाय में काले हिरण का बहुत सम्मान किया जाता है और वे इसकी रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इस घटना से बिश्नोई समुदाय में रोष है और वे इसके लिए सलमान खान को जिम्मेदार ठहराते हैं।

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सलमान खान को 2018 में काले हिरण शिकार मामले में ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार दिया था, जिसके बाद लॉरेंस बिश्नोई ने सलमान से बदला लेने की कसम खाई थी। इसके बाद सलमान खान ने सजा के खिलाफ अपील की है और मामला फिलहाल राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित है।

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Parsi Community: देश के अमीर अल्पसंख्यक आखिर क्यों हैं विलुप्त होने की कगार पर? जानिए अमीरी से लेकर घटती आबादी तक की पूरी कहानी

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rich minority Parsi community
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टाटा, गोदरेज, वाडिया, मिस्त्री, पूनावाला – ये नाम भारत की समृद्धि में अहम भूमिका निभाते हैं। ये सभी आज सफल व्यवसायी हैं। इन पांचों में एक समानता यह है कि ये सभी पारसी समुदाय (Parsi Community) से हैं। यही वजह है कि पारसी देश के सबसे अमीर अल्पसंख्यकों में गिने जाते हैं। लेकिन यहां चिंता की बात यह है कि यह समुदाय सिमटता (Parsi Community population decreased) जा रहा है और देश में इनकी आबादी अब 60 हजार से भी कम रह गई है। आइए आपको बताते हैं पारसी समुदाय की अमीरियत से लेकर घटती आबादी तक की पूरी कहानी।

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60 हजार से कम है आबादी- Parsi Community population decreased

पारसी समुदाय देश की कुल आबादी का सिर्फ़ 0.005% है। लेकिन, यह समुदाय देश के शीर्ष पाँच उद्योगपतियों (टाटा, गोदरेज, वाडिया, मिस्त्री, पूनावाला) का घर है। अकेले उनकी संपत्ति का मूल्य 14 लाख करोड़ से ज़्यादा है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस समुदाय की कुल आबादी 57,264 थी, जबकि 2001 में यह संख्या 69601 थी। वर्तमान में, ये संख्या लगातार घट रही है। माना जाता है कि इस समय देश में पारसी समुदाय के लगभग 55,000 लोग रहते हैं।

घटती जनसंख्या को रोकने के लिए सरकार का रोल

पारसी समुदाय की घटती जनसंख्या को देखते हुए सरकार ने “जियो पारसी” नामक योजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य पारसी समुदाय की जनसंख्या संकट को हल करना है। इस योजना के तहत पारसी परिवारों को वित्तीय सहायता, विवाह सुविधाएं और परिवार नियोजन सहायता प्रदान की जाती है।

rich minority Parsi community
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कहां से आए थे पारसी – Where did Parsi community come from?

पारसी धर्म दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है। इसकी स्थापना 3500 साल पहले प्राचीन ईरान में जरथुस्त्र ने की थी। यह लंबे समय तक एक शक्तिशाली धर्म बना रहा। यह ईरान का आधिकारिक धर्म भी था, जो आज मुस्लिम बहुल है। इसके अनुयायियों को पारसी या ज़ोरबियन कहा जाता है।

ईरान से क्यों गायब हुआ धर्म

वहां ये लोग छठी शताब्दी तक फलते-फूलते रहे। इसके बाद ईरानियों पर इस्लाम अपनाने का दबाव बनाया गया, जिसके कारण इस्लामी क्रांति (Iran Islamic Revolution) हुई। जिन लोगों ने धर्म परिवर्तन करने से इनकार किया, उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया। इस दौरान पारसी समुदाय के लोग पूरी दुनिया में पलायन करने लगे। वे उस समय भारत पहुंचे। पूर्वी भारत में पारसियों की अच्छी-खासी आमद होने लगी। वे मुंबई पहुंचने के लिए गुजरात के वलसाड से भी होकर जाते थे। अब ज़्यादातर पारसी मुंबई में रहते हैं।

ऐसा माना जाता है कि पारसियों की मेहनत ही मुंबई की समृद्धि का असली कारण थी। पारसी कॉलोनियाँ और पारसी व्यंजनों के संकेत कई जगहों पर पाए जा सकते हैं। वे तेज़ी से आगे बढ़ते हैं और उनकी शिक्षा का स्तर ऊँचा है।

पारसी समुदाय की समृद्धि

पारसी समुदाय की समृद्धि और उनकी घटती जनसंख्या दोनों ही ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं से जुड़ी हुई हैं। पारसी समुदाय की समृद्धि उनके व्यावसायिक नैतिकता, शिक्षा और ब्रिटिश शासन के दौरान उन्हें मिले अवसरों के कारण है। उन्होंने भारत में उद्योग और व्यापार में अग्रणी भूमिका निभाई, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।

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वास्तव में, पारसी समुदाय ने भारत में शुरुआती औद्योगीकरण और व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश शासन के दौरान, पारसियों ने कई व्यवसायों में प्रवेश किया, विशेष रूप से शिपिंग, बैंकिंग, कपड़ा और इस्पात उद्योग। जैसे-जैसे भारत का व्यापार और उद्योग बढ़ा, पारसी समुदाय ने भी अपनी संपत्ति का विस्तार किया। प्रमुख पारसी उद्योगपतियों में सबसे प्रसिद्ध टाटा परिवार है, जिसने टाटा समूह की स्थापना की और इसे वैश्विक उद्योग में बदल दिया।

ब्रिटिश शासन से निकटता

पारसी समुदाय के बारे में कुछ रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि ब्रिटिश राज के दौरान पारसियों को अंग्रेजों से समर्थन मिला था। उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा को अपनाया और पश्चिमी जीवनशैली के प्रति खुलेपन का परिचय दिया, जिससे उन्हें ब्रिटिश प्रशासन और व्यापारिक समुदाय में उच्च दर्जा मिला। पारसी समुदाय के आधुनिक दृष्टिकोण और उनके व्यापारिक नैतिकता ने उन्हें आर्थिक रूप से सफल होने में मदद की।

परोपकार और सामाजिक जिम्मेदारी

पारसियों की संपत्ति का एक और पहलू उनकी परोपकारी प्रवृत्ति है। टाटा ट्रस्ट और अन्य पारसी ट्रस्टों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान और समाज सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उनकी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा समाज की बेहतरी के लिए समर्पित है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति को स्थिरता मिली है।

पारसी समुदाय की घटती जनसंख्या

आजतक की एक रिपोर्ट के अनुसार, पारसी समुदाय में जन्म दर (Parsi community Birth Rate) काफी कम है। कई परिवार छोटे हैं और कई पारसी पुरुष और महिलाएं शादी नहीं करते हैं। इसका मुख्य कारण सामाजिक और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अलावा जीवनशैली और आधुनिक सोच है। ज़्यादातर पारसी परिवार एक या दो बच्चों तक सीमित हैं, जिसके कारण समुदाय की आबादी धीरे-धीरे कम होती जा रही है।

अंतर-विवाह पर प्रतिबंध

पारसी समुदाय के धर्म और परंपराओं के अनुसार, अगर कोई पारसी महिला किसी गैर-पारसी पुरुष से शादी करती है, तो उसके बच्चे पारसी समुदाय में नहीं माने जाते। इससे समुदाय की आबादी और कम हो जाती है। यह नियम पारसी पुरुषों पर लागू नहीं होता, फिर भी यह प्रथा कई बार विवाद का विषय रही है।

Marriage in Parsi community
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जानें क्या है डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर? पहली बार रतन टाटा को सम्मान के तौर पर किया गया था जारी

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Ratan Tata
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भारत के सबसे सम्मानित और प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा की मौत के बाद उनसे जुड़े कई रोचक तथ्य (Ratan Tata Interesting Facts) वायरल हो रहे हैं। इन रोचक तथ्यों में से एक यह है कि रतन टाटा का डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) 00000001 है। यह एक विशेष पहचान संख्या है, जो भारत में कंपनी अधिनियम 1956 के तहत कंपनी निदेशकों को दी जाती है। मिली जानकारी के अनुसार, रतन नवल टाटा कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) द्वारा डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (Director Identification Number) प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे।

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रतन टाटा का DIN Ratan Tata DIN 00000001

TaxScan की एक रिपोर्ट के अनुसार, MCA ने 12 मई, 2006 को टाटा के DIN को मंजूरी दी। जिसके बाद रतन टाटा को DIN 00000001 मिला। रतन टाटा के नेतृत्व में, समूह ने तेजी से विस्तार किया और 2012 में उनके पद छोड़ने तक 100 से अधिक देशों में परिचालन के साथ एक बहुराष्ट्रीय बिजलीघर बन गया। इस परिवर्तन ने न केवल उनके दूरदर्शी नेतृत्व को प्रदर्शित किया बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की उल्लेखनीय वृद्धि को भी दर्शाया।

 

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रतन टाटा का DIN 00000001 दर्शाता है कि भारतीय कॉर्पोरेट जगत में उनकी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है और उनके योगदान को कितना सम्मान दिया जाता है। उनके नाम से जुड़ा यह नंबर सिर्फ़ एक तकनीकी पहचान नहीं है, बल्कि यह उनके असाधारण करियर और उनकी प्रतिष्ठा का प्रतीक है।

रतन टाटा का परिचय

टाटा समूह (Tata Group) के पूर्व अध्यक्ष और परोपकारी रतन टाटा ने भारतीय उद्योग जगत को अपनी अमूल्य सेवाएं दी हैं। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल भारतीय बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अभूतपूर्व ऊंचाइयों को छुआ। रतन टाटा के कार्यकाल के दौरान कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के प्रसिद्ध अधिग्रहण हुए। 2000 में, टाटा टी (अब टाटा ग्लोबल बेवरेजेस) ने यूके में सबसे बड़े चाय ब्रांड टेटली का अधिग्रहण किया। इसके बाद 2007 में टाटा स्टील ने कोरस का अधिग्रहण किया, जिसने टाटा स्टील को दुनिया के सबसे बड़े स्टील उत्पादकों में से एक बना दिया।

इसके अलावा, उनकी प्रमुख उपलब्धियों में टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर और टाटा स्टील द्वारा कोरस का अधिग्रहण शामिल है, जिससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक पहचान मिली। इसके अलावा रतन टाटा को उनके परोपकार और समाज सेवा के लिए भी जाना जाता है।

डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) क्या है?

DIN एक विशिष्ट पहचान संख्या है, जो किसी भी कंपनी के निदेशक के लिए आवश्यक होती है। यह संख्या भारतीय कंपनियों के निदेशकों की पहचान के लिए उपयोग की जाती है और इसे मंत्रालय के रिकॉर्ड में रखा जाता है। किसी भी कंपनी के निदेशक के रूप में काम करने के लिए इस संख्या का होना अनिवार्य है। रतन टाटा का DIN 00000001 इस बात का प्रतीक है कि वह पहले पंजीकृत निदेशकों में से एक हैं और उनका व्यापार जगत में महत्वपूर्ण स्थान है।

Ratan Tata Director Identification Number
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भारत में डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर की शुरुआत

भारत में कंपनी अधिनियम, 1956 में संशोधन के बाद निदेशक पहचान संख्या (DIN) शुरू की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य कंपनी के निदेशकों की पहचान को अद्वितीय और व्यवस्थित बनाना था। इस प्रणाली को 2006 में लागू किया गया था। DIN प्रणाली को भारत के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) द्वारा कंपनी के निदेशकों की पहचान और ट्रैकिंग सुनिश्चित करने और कंपनी के संचालन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था। यह संख्या किसी भी कंपनी के निदेशक के लिए एक अनिवार्य पहचान संख्या है, जो उन्हें किसी कंपनी के बोर्ड में नियुक्त होने पर दी जाती है।

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Diwali Dhamaka: ऑफर के साथ खरीद सकते हैं ये गाड़ियां, होगी ‘महाबचत’’

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दिवाली में कार की बिक्री काफी बढ़ जाती है और नई कार खरीदने वालों में अच्छी-खासी संख्या वैसे लोगों की होती है. जो अपने लिए सीएनजी कार लेना चाहते हैं, ताकि उन्हें पेट्रोल के भारी खर्चे से निजात मिले और पैसे बचे. वही अगर आप भी इस दिवाली वाहन खरीदने का सोच रहे हैं तो चलिए हम आपको इस लेख में बताते हैं कि आपको कौन-सी गाड़ी ख़रीदनी चाहिए.

इस दिवाली कार खरीदें बचत वाली

ये पढने और सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन इस दिवाली आप पेट्रोल-डीजल की बजाएं सीएनजी, इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड कार ख़रीदे. हालांकि, अब आप ये सोचेगें और कहेंगे कि ये कारें तो ज्यादा महंगी होती हैं. लेकिन हम आपको कुछ शानदार ऑफर्स वाली गाडियों के बारे में बताएंगे. जो पेट्रोल-डीजल से बहुत ज्यादा महंगी भी नहीं होगी और इनकी रनिंग कॉस्ट भी कम है.

मारुति सुजुकी दिवाली बेस्ट ऑफर्स

मारुति सुजुकी ब्रेजा सीएनजी – देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली कॉम्पैक्ट एसयूवी मारुति सुजुकी ब्रेजा के सीएनजी वेरिएंट की एक्स शोरूम प्राइस 9.29 लाख रुपये से लेकर 12.26 लाख रुपये तक है.

मारुति सुजुकी बलेनो सीएनजी – मारुति सुजुकी की प्रीमियम हैचबैक बलेनो के सीएनजी वेरिएंट की एक्स शोरूम प्राइस 8.40 लाख रुपये से शुरू होकर 9.33 लाख रुपये तक जाती है.

मारुति सुजुकी फ्रॉन्क्स सीएनजी – मारुति सुजुकी फ्रॉन्क्स सीएनजी की एक्स शोरूम प्राइस 8.46 लाख रुपये से शुरू होकर 9.32 लाख रुपये तक जाती है.

टाटा मोटर्स दिवाली बेस्ट ऑफर्स

टाटा नेक्सॉन सीएनजी – टाटा मोटर्स ने बीते सितंबर में अपनी धांसू एसयूवी नेक्सॉन के सीएनजी वेरिएंट लॉन्च कि. टाटा नेक्सॉन सीएनजी की एक्स शोरूम प्राइस 8.99 लाख रुपये से शुरू होकर 14.59 लाख रुपये तक जाती है.

इसके अलवा टाटा की नेक्सॉन, हैरियर और सफारी पर 1.60 लाख रुपये तक की छूट मिल रही है. वही टियागो, टिगोर और अल्ट्रोज खरीदने पर 65,000 रुपये तक की छूट का फायदा उठाया जा सकता है.

Hyundai मोटर्स दिवाली बेस्ट ऑफर्स

हुंडई की कारें भी डिस्काउंट ऑफर्स के साथ मिल रही हैं. हुंडई एक्सटर, ग्रैंड आई10, आई20 और वेन्यू खरीदने पर 80,629 रुपये तक की छूट मिल रही है.

Toyota मोटर्स दिवाली बेस्ट ऑफर्स

टोयोटा टेजर, हाईराइडर और ग्लैंजा खरीदने पर 35,000 रुपये तक का एक्सचेंज ऑफर मिल रहा है. हाईराइडर का फेस्टिवल लिमिटेड एडिशन खरीदने पर करीब 50,817 रुपये की एसेसरीज फ्री मिलेगी.

Honda मोटर कंपनी दिवाली बेस्ट ऑफर्स

अगर दिवाली पर होंडा की कार खरीदना चाहते है तो ये कार ब्रांड आपको भारी बचत करा सकता है. होंडा एलिवेट, होंडा सिटी और होंडा अमेज खरीदने पर 1.14 लाख रुपये तक का डिस्काउंट मिल रहा है. इसके अलवा आपको होंडा बाइक्स में भी काफी अच्छे ऑफर मिल जाएंगे.

Nissan मोटर्स दिवाली बेस्ट ऑफर्स

हाल ही में निसान मोटर्स ने अपनी कारो में मैग्नाइट का फेसलिफ्ट वर्जन लॉन्च किया है. अब कंपनी मैग्ननाइट का प्री-फेसलिफ्ट मॉडल का स्टॉक जल्दी खत्म करना चाहती है, इसलिए 60,000 रुपये तक की छूट दी जा रही है. इसके अलवा आप जीप भी खरीद सकते है. दिवाली के मौके पर जीप कंपास 3.15 लाख रुपये तक की छूट के साथ मिल रही है. वही जीप मेरिडियन पर 2.80 लाख रुपये तक का बेनिफिट दिया जा रहा है. इस दिवाली ये सभी ऑफर्स आपके काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं.

बाइक्स और इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर ऑफर्स

दिवाली के मौके पर कुछ लोग टू-व्हीलर बाइक्स और स्कूटी भी खरीदते है. इस दिवाली कई बड़ी कंपनी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर पर हजारो के ऑफर्स दे रहीं है. जी हाँ, बजाज पल्सर के अलग-अलग मॉडल्स पर 10,000 रुपये तक की छूट मिल रही है. वही यामाहा बाइक और स्कूटर पर 7,000 रुपये तक का भरी डिस्काउंट चल रहा है. इसके अलवा ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर 30,000 रुपये तक सस्ते दाम पर मिल रहे हैं. साथ ही टीवीएस आईक्यूब इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने पर 20,000 रुपये तक की बचत हो सकती है.

 

India Canada Relations: बिगड़ते रिश्तों के बीच कनाडा लगा सकता है भारत पर प्रतिबंध, जानें सबसे ज्यादा किस पर पड़ेगा असर

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canada pm Justin Trudeau
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खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर (Khalistani separatist Hardeep Singh Nijjar) की हत्या के बाद भारत और कनाडा के रिश्तों (India Canada Relations) में कड़वाहट बढ़ती जा रही है। निज्जर की हत्या को लेकर कनाडा का कहना है कि इसके पीछे भारतीय उच्चायुक्तों का हाथ है। जिस पर भारत सरकार ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि कनाडा भारत पर बेबुनियाद आरोप लगा रहा है। कनाडा के इन बेबुनियादी आरोपों के खिलाफ विरोध जताते हुए हाल ही में भारत सरकार ने अपने अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया और 6 कनाडाई राजनयिकों को 19 अक्टूबर तक भारत छोड़ने का अल्टीमेटम भी दिया। इस बीच कनाडा की तरफ से बयान आया है कि वह भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में सोच रहा है।

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कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जॉली- Canada may imposes sanctions on India

इस संबंध में मंगलवार (15 अक्टूबर) को कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जॉली (Canadian Foreign Minister Melanie Joly) का बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि उनका देश भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में सोच रहा है। इस बीच सवाल उठ रहा है कि अगर कनाडा आने वाले समय में भारत पर प्रतिबंध लगाता है तो दोनों देशों में से किसको सबसे ज़्यादा नुकसान होगा? आइए जानते हैं।

भारत और कनाडा के बीच करोड़ रुपये का व्यापार

कनाडा और भारत के बीच व्यापार (Trade between India and Canada) का मूल्य 70,000 करोड़ रुपये है। 2022-2023 के दौरान, दोनों देशों के बीच कुल 8.3 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, और अगले वर्ष यह राशि बढ़कर 8.4 बिलियन डॉलर हो गई। इस दौरान भारत का आयात कुल 3.8 बिलियन डॉलर रहा, जबकि इसका निर्यात बढ़कर 4.6 बिलियन डॉलर हो गया। हालांकि वर्तमान में दोनों देशों के बीच कोई आर्थिक संघर्ष नहीं है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो सभी पक्ष प्रभावित होंगे।

pm modi and canada pm
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कनाडाई पेंशन फंड में निवेश

AsiaPacific.ca के एक अध्ययन में दावा किया गया है कि कनाडा के पेंशन फंडों ने भारत में करीब 6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। इन फंडों ने 2013 से 2023 के बीच बुनियादी ढांचे, वित्तीय सेवाओं, औद्योगिक परिवहन और रियल एस्टेट उद्योगों में महत्वपूर्ण निवेश किया है। इसके अलावा, 600 कनाडाई व्यवसाय भारत में काम करते हैं और 30 से अधिक भारतीय व्यवसायों ने कनाडा में कुल 40,446 करोड़ रुपये का निवेश किया है। वहां 17,000 कर्मचारी हैं।

दोनों देशों में किस तरह का व्यापार?

निवेश और व्यापार के क्षेत्रों में कनाडा और भारत के बीच मजबूत आर्थिक संबंध मौजूद हैं। कनाडा को भारत के प्राथमिक निर्यात में आभूषण, कीमती पत्थर, जवाहरात, दवाइयाँ, तैयार कपड़े, जैविक रसायन और हल्के तकनीकी उत्पाद शामिल हैं। भारत कनाडा से खनिज, औद्योगिक रसायन, एस्बेस्टस, पोटाश, तांबा, लौह स्क्रैप, लकड़ी का गूदा, अखबार और दालें भी आयात करता है।

CANADA
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निवेश को लेकर क्या है आंकड़े

देश की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी इन्वेस्ट इंडिया के अनुसार, भारत में अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों में कनाडा 18वें स्थान पर है। कनाडा ने 2020-21 और 2022-23 के दौरान भारत में कुल 3.31 बिलियन डॉलर का निवेश किया। हालाँकि, यह निवेश भारत के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का केवल 0.5% (आधा प्रतिशत) है, जो कनाडा के साथ उसके आर्थिक संबंधों का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण पहलू है।

भविष्य में क्या हैं चुनौतियां चुनौतियां?

भारत और कनाडा के बीच चल रहा कूटनीतिक तनाव (Diplomatic tension between India-Canada) अगर जारी रहा तो इसका दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है। खास तौर पर व्यापारिक निवेश और आयात-निर्यात के क्षेत्रों में गिरावट आ सकती है।

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