New Vice President CP Radhakrishnan: सीपी राधाकृष्णन बनें भारत के 15वें उपराष्ट्रपति, जानिए उनके राजनीतिक सफर से लेकर निजी जीवन तक की पूरी कहानी

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New Vice President CP Radhakrishnan: एक महीने से चले आ रहे राजनीतिक कयासों और जोड़-तोड़ के बीच एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने आखिरकार INDIA गठबंधन के साझा उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर भारत के 15वें उपराष्ट्रपति का पद संभाल लिया है। ये मुकाबला सिर्फ दो चेहरों के बीच नहीं था, बल्कि यह संसदीय अंकगणित बनाम वैचारिक गठबंधन की सीधी टक्कर थी, जिसमें संख्याबल भारी पड़ा।

उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के कुल 781 सांसदों ने वोट डाले। बहुमत हासिल करने के लिए 391 वोटों की ज़रूरत थी, और एनडीए के पास पहले से ही एक मजबूत संख्या मौजूद थी।
एनडीए को न सिर्फ अपने खुद के 293 लोकसभा सांसदों और 129 राज्यसभा सदस्यों का साथ मिला, बल्कि आंध्र प्रदेश की YSR कांग्रेस पार्टी (11 सांसद) जैसे विपक्षी दलों ने भी राधाकृष्णन के पक्ष में मतदान किया। ऐसे में, मुकाबले का रुख पहले से ही साफ नजर आ रहा था।

दूसरी ओर, INDIA गठबंधन, जिसके पास करीब 325 सांसदों का समर्थन था, ने भले ही बी. सुदर्शन रेड्डी के ज़रिए एक वैचारिक संदेश देने की कोशिश की, लेकिन संख्याबल की कमी के चलते यह लड़ाई उनकी हार में बदल गई।

और पढ़ें: Vice Presidential Election: 391 वोटों की ज़रूरत, एनडीए को 427 सांसदों का समर्थन, जानें INDIA ब्लॉक के आंकड़े

कौन हैं सीपी राधाकृष्णन? New Vice President CP Radhakrishnan

उपराष्ट्रपति चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन, जिन्हें आमतौर पर सीपी राधाकृष्णन के नाम से जाना जाता है, दक्षिण भारत में भाजपा के सबसे पुराने और जमीनी नेताओं में से एक हैं। उनका जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ था।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में की। 1974 में वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने और यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा की असल शुरुआत मानी जाती है।

राधाकृष्णन ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की डिग्री हासिल की है, लेकिन उनका झुकाव शुरू से ही राष्ट्र और समाज सेवा की ओर रहा।

लोकसभा में मजबूत उपस्थिति

सीपी राधाकृष्णन को 1998 और 1999 में दो बार कोयंबटूर से लोकसभा के लिए चुना गया। हालांकि इसके बाद 2004, 2014 और 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी सियासी पकड़ कमजोर नहीं पड़ी।

लोकसभा सांसद रहते हुए उन्होंने कपड़ा मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की अध्यक्षता की। साथ ही, वे स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष संसदीय समिति के सदस्य भी रहे।

2004 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया और वे ताइवान जाने वाले पहले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा रहे।

पार्टी संगठन में दमदार भूमिका

1996 में उन्हें भाजपा की तमिलनाडु इकाई का सचिव बनाया गया और 2007 में जब वे प्रदेश अध्यक्ष बने, तो उन्होंने 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर की लंबी रथ यात्रा निकाली। इस यात्रा में उन्होंने नदी जोड़ो, समान नागरिक संहिता, अस्पृश्यता, आतंकवाद और नशे के खिलाफ जनजागरूकता जैसे अहम मुद्दों को उठाया।

वो 2016 से 2020 तक कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। उनके कार्यकाल में नारियल रेशा (कोयर) के निर्यात ने ₹2532 करोड़ का रिकॉर्ड आंकड़ा छू लिया।

इसके बाद 2020 से 2022 तक उन्हें केरल भाजपा का प्रभारी बनाया गया।

राज्यपाल के तौर पर अनुभव

फरवरी 2023 में राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके साथ ही उन्होंने तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला। उनके कामकाज को देखते हुए जुलाई 2024 में उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया।

आर्थिक स्थिति कैसी है?

वहीं संपत्ति की बात करें तो, 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे के अनुसार, राधाकृष्णन के पास करीब ₹67 करोड़ की संपत्ति है। इसमें उनकी कुल चल संपत्ति ₹7.31 करोड़ बताई गई है।

इसमें शामिल हैं:

  • नकद: स्वयं के पास ₹6.87 लाख और पत्नी के पास ₹18.15 लाख
  • बैंक जमा: ₹6.53 लाख
  • शेयर और बॉन्ड: ₹1.28 करोड़
  • बीमा पॉलिसी: ₹1.36 करोड़
  • गहने: पत्नी के पास 1284 ग्राम सोना (₹31.5 लाख) और 152 कैरेट हीरे (₹1.06 करोड़)

और पढ़ें: Radhakrishnan Vs Sudarshan Reddy: राधाकृष्णन के साथ बहुमत की गिनती, सुदर्शन के साथ सोच की शक्ति, उपराष्ट्रपति चुनाव में कौन मारेगा बाज़ी?

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