भगवान शंकर सच में गाँजा और भांग का सेवन करते हैं? यहाँ जानें पूरी सच्चाई

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Shivji Bhang Ganja Connection in Hindi – महादेव को खुश करना सबसे आसान है और सावन के महीना महादेव को खुश करने का सबसे अच्छा समय है. सावन के महीने में जहाँ महादेव को खुश करने के लिए कवाड यात्रा होती है तो वहीं महिलाएं व्रत भी रखती है और महादेव की पूजा-अर्चना करती हैं. महादेव की पूजा-अर्चना करने के दौरान कई बातों का ध्यान रखा जाता है तो वहीं कहा जाता है कि महादेव की पूजा-अर्चना के दौरान भांग, गांजा भी अर्पित करते हैं लेकिन क्या सच में महादेव भांग, गांजा का सेवन करते थे. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इसी बात की जानकारी देने जा रहे हैं.

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समुद्र मंथन से जुडी है भांग गांजा की कहानी 

shiv ji
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शिव पुराण समेत कई सारी ग्रंथों में कही भी नहीं बताया गया था कि भगवान शिव या शंकर भांग, गांजा आदि का सेवन नहीं करते थे. समुद्र मंथन से निकले विष को पीन के बाद से लोगों ने इस तरह की कहानी बना ली और तभी से भांग, गांजा महादेव को अर्पित किया जाना लगा. वहीं कई मंदिर में ये कहकर भांग, गांजा का प्रसाद दिया जाता है कि महादेव भांग, गांजा पसंद हैं. लेकिन ऐसा नहीं हैं महादेव से भांग, गांजा समुद्र मंथन के जुड़ा है.

शिव जी के कंठ की जलन रोकने के लिए किया गया भांग का इस्तेमाल 

दरअसल, जब समुद्र मंथन हुआ तब इस दौरान सबसे पहले विष निकला और शिव जी ने ये विष पीकर अपने कंठ में रोक लिया और अभी शिव जी ने अपने कंठ विष को रोककर रखा है जिसकी वजह से उनके कंठ में जलन होती है जिसे गाय का दूध और दूसरा भांग का लेप से रोका जाता है और इस वजह से महादेव को दूध चढ़ाया जाता है तो वहीं भांग का लेप लगाया जाता, महादेव का भाग पीना का उल्लेख कही भी नहीं है.

विष की बूंद से पैदा हुए भांग और धतूरे

 Ganja and Bhang
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इसी के साथ ये भी कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन से विष निकला और महादेव इसे पी रहे थे तब विष दो बूंद गिरने से भांग और धतूरे नाम के पौधे उत्पन्न हो गए और इस वजह से लोगों ने इससे महादेव के भांग और धतूरे का सेवन करने से जोड़ दिया जिसके बाद अब लोग भांग और धतूरा महाद्वेव को अर्पित करते हैं.

इस वजह से  चढ़ाया जाता है महादेव को भांग और धतूरा 

इसी के साथ एक कथा ये भी है कि एक बालक भगवान शिव (Shivji Bhang Ganja Connection) की पूजा कर रहा था और पूजा के लिए उसे फूल-प्रसाद नहीं मिला लेकिन उसे भांग और धतूरा मिला और उसने महादेव को भांग और धतूरे का ही भोग लगा दिया जिसके बाद से ही  महादेव को भांग और धतूरे अर्पित करना का प्रचलन शुरू हुआ लेकिन भगवान भांग और धतूरे का सेवन करते थे इस बात का वर्णन कही भी नहीं है.

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