BBC की डॉक्यूमेंट्री बैन तो लोकतंत्र की हत्या और ‘द केरला स्टोरी’ को बैन करना लोकतांत्रिक?

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पूरे देश भर में आजकल एक फिल्म लगातार चर्चा में बनी हुई है. आम जनता लगातार इसकी तारीफों के पुल बांधती जा रही है. इस फिम्ल की जमकर सराहना हो रही है क्योंकि इस फिल्म में हिन्दू महिला के साथ हो रहे अत्याचार और कैसे उनको जिहादी बनाया जा रहा है उस पर आधारित है. और ये बात महज किसी निर्देशक की सोंच नहीं बल्कि ये सच्चाई है जो हकीकत बयां करती है. उन तमाम हिन्दू महिलाओं की जिनको जबरन इस्लाम में कन्वर्ट किया जा रहा है और अफगानिस्तान सीरिया जैसे इस्लामिक देशों में इनकी तस्करी की जा रही है. जिसका एक जीता जागता प्रमाण कोर्ट के पास भी है. इस फिल्म की तारीफ खुद देश के प्रधानमंत्री मोदी ने भी की और इस मुद्दे का कर्नाटक चुनाव में भरपूर फायदा उठा रहे हैं.

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वहीँ दूसरी तरफ राज्यों की राजनीतिक पार्टियाँ और कांग्रेस सब इसके ख़िलाफ़ है जिनका कहना है कि ये फिल्म मात्र एक कल्पना है जिसका हकीकत से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है. और इस बात को एक्सेप्ट करने से माना कर रहे हैं कि किसी दिन उनके अपने बच्चे भी इसका शिकार हो सकते हैं. कुछ कांग्रेस शासित राज्यों में इस फिल्म को बैन भी कर दिया गया है. सिर्फ राजनीतिक और धार्मिक तुष्टिकरण के लिए. वो लोग, वो पार्टियाँ कहां चली गई जो बीबीसी द्वारा 2002  गुजरात RIOTS पर मोदी को गुनाहगार बताकार बनाई गई फिल्म के बैन पर लोकतंत्र की हत्या की बात कर रहे थे. क्या अब उनके राज्यों में लोकतन्त मर गया है? या पार्टी करने चला गया है आइए जानते है इसमें सब कुछ…

किस पर आधारित है फिल्म?

सुदिप्तो सेन के निर्देशन में बनाई गयी फिल्म द केरला स्टोरी एक सच्ची घटना पर आधारित है जो आज भी केरला जैसे कम्युनिस्ट राज्यों में हो रहे इस्लामिक परिवर्तन को बड़े परदे पर दिखा रहा है. इस फिल्म में मेन रोल कर रही अदह शर्मा खुद एक विक्टिम के तौर पर सामने आई हैं. इस फिल्म में ये दिखाया गया है कि कैसे केरला जैसे राज्यों में मुस्लिम समुदाय का बोलबाला बढ़ा है. आखिर कैसे किस की निगरानी में हमारे देश की लड़के लड़कियां इस्लिमिक कंट्री में जा रही और आतंकवाद का साथ दे रही हैं. और ये बाद सच्ची भी है.

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केरला के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चंडी ने अपने एक बयान में एक दावा किया था कि किस रेट से साल दर साल लड़कियों को गुमराह करके इस्लाम में कन्वर्ट किया जा रहा है. जिसकी एक रिपोर्ट भी उन्होंने पेश की थी सबसे पहले ये मामला करीब 3000 लड़कियों को लेकर था. जिसके बाद केरला हाई कोर्ट ने खुद मामले का संज्ञान लेते हुए केरला की वर्तमान सरकार को आदेश दिया था कि इस पर जल्द ही कोई कानून लेकर आए और ऐसे होने से रोके.

इन राज्यों में हुई बैन

द केरला स्टोरी के रिलीज़ होने के बाद इस पर राजनीती अब कुछ ज्यादा ही गरमा गई है जहाँ एक तरफ बीजेपी लगातार इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रही है और इस पूरे मामले का गुनाहगार बता रही है वहीँ कुछ कांग्रेस शासित राज्यों में इस बैन कर दिया गया है. दरअसल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते सोमवार को राज्य में बैन कर दिया और कहा कि, कि ये लोग केरल और वहां के लोगों की मानहानि कर रहे हैं.

आए दिन ये लोग बंगाल की भी मानिहानि करते हैं. उन्होंने सवाल उठाया, “क्यों बीजेपी सामुदायिक दिक्कतें पैदा कर रही है? ये सब करना क्या किसी राजनीतिक पार्टी का काम है? उन्हें ये करना का हक किसने दिया”. वहीँ केरल की पिनाराई सकरार ने भी इसकी स्ट्रीमिंग पर रोक लगा दी है. साथ ही तमिलनाडु में कुछ जगहों पर इसपर रोक लगा दी है.

तुष्कटीरण की दोहरी राजनीति

अब आते हैं असल मुद्दे पर दरअसल इस फिल्म पर बैन लगाया चलो ये ठीक था. आपने अपने राज्यों में मुसलामानों का वोट बचाने के लिए ये तुष्टिकरण कर दिया. ताकि आपका अपना मुस्किम समुदाय बचा रहे कोई उसे छू न सके. कभी कभी तो शक होता है कि ये पाकिस्तान के मुख्यमंत्री हैं ये भारत के.

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क्योंकि ये आज पहली बार नहीं जब इन्होने मुसलमानों का पक्ष लिया है. बीते महीने रामनवमी पर हुई हिंसा पर भी इन सरकारों ने यही तुष्टिकरण किया और हिंदुआ को सरेआम पिटवाया. आपने इस फिल्म पर बैन लगाया तब आपने ये हवाला दिया कि ये सांप्रदायिक हिंसा करवा सकता है. बीजेपी ऐसा जानबूझकर कर रही है. लेकिन 17 जनवरी को जब बीबीसी की मोदी पर बनी डॉक्युमेंट्री रिलीज़ करने जा रही थी और मोदी सरकार ने उसपर बैन लगा दिया था तब तो आपने कहा था कि ये तो देश में सरेआम लोकतंत्र की हत्या हो रही है. आज कांग्रेस के कई सारे बड़े नेता इस फिल्म को फर्जी बता रहे हैं .

देश का लोकतंत्र खतरे में हैं. जैसे अलाप गा रहे थे. जबकि उस फिल्म में सब कुछ मात्र एक देश के प्रधानमंत्री और देश की छवि ख़राब करने के अलावा कुछ नहीं था. और तो और बीबीसी भी देश का न विदेशी मीडिया है जो शुरू से ही कभी भारत का पक्ष नहीं लेता. जिसकी नजर में आज भी भारत एक सांप सपेरों वाला गाँव है. उसपर आपको इतना भरोसा हो गया. लेकिन अपने उसपर आवाज़ उठाई क्योंकि उसमे ये दिखाया गया था कि आखिर साल 2002 में हुए गुजरात दंगों में मोदी सरकार कैसे मुसलमानों पर जुल्म कर रही है सरेआम हत्याएं करवा रही है.

यहाँ भी आपको सपोर्ट करना चाहिए था कि भई ये तो हमारे देश की बदनामी करवा रही है लेकिन नहीं इनको अपना राजनीतिक तुस्टीकरण जो करना था कैसे बोल सकते थे? ‘कभी कभी तो लगता है कि इनके खून में ही दिक्कत है जो सिर्फ गद्दारी के लिए बने हैं’ ये मेरे डायलाग नहीं एक फिल्म के हैं लेकिन देश के कुछ राजनेताओं पर ये पूरी तरह से सटीक बैठते हैं.

खुद में नहीं आती शर्म

बीबीसी पर बैन लगाने वाले नेताओं से अब जनता का ये सवाल तो लाज़मी है कि बीबीसी की डॉक्युमेंट्री पर आपनी आवाज़ उठाने वाले लोकतंत्र की हत्या करने वाले आखिर केरला स्टोरी के ऊपर बैन लगाकर क्यों छुप हैं क्या अब लोकतंत्र की हत्या नहीं हो रही है ? शर्म नहीं आती इन्हें. लेकिन शायद ये जनता को ही पुराने वक़्त का मूर्ख समझ बैठे हैं जो ये बताएँगे वहीँ जनता सच मान लेगी. आज के सोशल मीडिया दौर में कुछ छिपता नहीं है और जनता भी इसका जवाब देगी जरूर.

केरला स्टोरी पर बैन और लोकतंत्र की हत्या पर आवाज़ उठाने वाले आकिर आज छुप क्यों हैं? इसपर आपकी क्या राय है हमे जरूर बताएं की आखिर राजनेता ऐसे कदम उठाकर जनता को पागल समझने का काम कब तक करती रहेगी?

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