जब ‘हिंदू विरोधी’ कांग्रेस ने पहली बार लगाया था बजरंग दल पर प्रतिबंध

Table of Content

When Congress Banned BajrangDal – मध्य प्रदेश के जबलपुर में कांग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ की गई, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस विरोधी नारे लगे और नेताओं का पुतला दहन किया गया. इसके अलावा तेलंगाना, उत्तराखंड और कुछ दूसरे राज्यों से भी विरोध-प्रदर्शन की ख़बरें हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में दिए गए भाषण में कांग्रेस के इस कथित क़दम को ‘सारे बजरंगबली बोलने वालों को ताले में बंद करने का संकल्प क़रार दिया.’

जब से कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव को लेकर अपने मैनिफेस्टो में बजरंग दल को आतंकी संगठन पीएफआई से तुलना कर सरकार आने के बाद बैन कर का वडा कर दिया है तब से कांग्रेस की राजनीति में ऐसा भूचाल आया है जैसे कि समुद्र के किनारे पहुंचते ही ज्वार-भाटा. कांग्रेस सोच रही थी इसपर बैन को लेकर हम कुछ वोट बटोर लेंगे लेकिन उनका ये दांव इन्ही के ऊपर उल्टा पड़ता दिखाई पड़ रहा है.

बीजेपी को बजरंग दल के बहाने बजरंग बली का मुद्दा मिल गया है और अब पार्टी ने इसे चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के सामने परोस दिया है जिसे लेकर कांग्रेस को हिन्दू के खिलाफ वाली छवि इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बजरंग दल क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी.

कब हुई थी बजरंग दल की स्थापना?

हिंदुत्व पर अपना स्वामित्व और कथित तौर पर हिन्दुओं की रक्षा करने वाले इस संगठन की स्थापना 8 अक्तूबर 1984 में उत्तरप्रदेश में हुई थी. बजरंग दल (Bajrang Dal) विश्व हिंदू परिषद (VHP) की युवा इकाई है.

When Congress Banned BajrangDal
SOURCE-GOOGLE

इसका संस्थापक विनय कटियार को माना जाता है.विनय कटियार (Vinay Katiyar) को बजरंग दल का संस्थापक माना जाता है, जो लोकसभा और राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं. बजरंग दल की स्थापना राम-जानकी रथ यात्रा (Ram Janki Rath Yatra) को सुरक्षा देने के लिए की गई थी.

किस उद्देश्य से संगठित हुआ बजरंग दल?

हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा के आधार पर स्थापित बजरंग दल (Bajrang Dal) का मुख्य उद्देश्य था हिंदू समाज को संरक्षित करना और हिंदू धर्म और संस्कृति को बचाना है. बजरंग दल अक्सर हिंदू धर्म से जुड़ी मुद्दों पर अपने विचारों को प्रगट करता है और हिंदू समुदाय के उद्धार के लिए संघर्ष करता है.

ALSO READ: क्या थी वो 1973 की मांगे, जिसके बाद खालिस्तान उभरता चला गया…

बजरंग दल का नारा ‘सेवा, सुरक्षा और संस्कृति’ है. बजरंग दल के मुख्य उद्देश्यों में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण, मथुरा कृष्ण जन्मभूमी मंदिर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का प्रसार शामिल है.

बजरंगबली का कर्नाटक कनेक्शन

दरअसल बजरंग दल का नामकरण भी हिन्दू के परमपूज्य देवता बजरंगबली के नाम पर हुआ और शायद यही वजह है कि जब से कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के लिए अपना मैनिफेस्टो जारी कर बजरंग दल को आतंकवादी संगठन पीएफआई से जोड़कर बैन करने की बात की है तब से कर्नाटक का चुनाव भी बजरंगबली के इर्द-गिर्द ही घूमता दिखाई दे रहा है.

SOURCE-GOOGLE

बीजेपी ने अब कर्नाटक में बजरंगदल पर बैन को बजरंगबली के अपमान से जोड़ दिया है. बीजेपी बजरंग दल पर बैन के मुद्दे को हर स्तर पर उठा रही है. फिर चाहे वो पीएम मोदी हों या फिर पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता बीजेपी ने बजरंगबली को प्रचार का प्रमुख मुद्दा बना लिया है.

क्या कहती है वीएचपी?

वीएचपी के केन्द्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने बताते हैं कि आजकल कोई भी शख्स अपने आप को बजरंग दल का नेता कह सकता है लेकिन जरूरी नहीं कि वो हमारे संगठन का हिस्सा हो.  और ऐसे में अगर कोई व्यक्ति संगठन के नाम पर कुछ गलत काम करता है तो उसका ठीकरा सीधा बजरंग दल पर नहीं फूटना चाहिए. उनका मानना है कि कुछ लोगो के लिए बजरंग दल को बुरा भला कहना उनकी आदत बन गई है.

When Congress Banned BajrangDal
SOURCE-GOOGLE

अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए ने साल 2018 की अपनी एक संक्षिप्त रिपोर्ट (वर्ल्ड फ़ैक्टबुक) में बजरंग दल और वीएचपी को उग्रवादी धार्मिक संगठन बताया था. आरएसएस को सीआईए की रिपोर्ट में राष्ट्रवादी संगठन बताया गया था. बजरंग दल के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र जैन का कहना है कि वो सीआईए की रिपोर्ट को महत्व नहीं देते.

वो कहते हैं, “सीआईए को अमेरिका में अश्वेतों (कालों) के साथ जो होता रहता है उसपर भी कहना चाहिए.”

कांग्रेस ने साल 1992 में लगाया था बैन

कर्नाटक चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने अपने मैनिफेस्टो में एक बड़ी घोषणा की है जिसमे उन्होंने बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कह दी है. ये बैन का बात ही बताती है की कांग्रेस की मानसिकता हिन्दुओं को लेकर कैसी है. लेकिन इससे पहले भी कांग्रेस ने बंजरंग दल पर एक बार बैन लगा दिया था. बात है 6 दिसम्बर 1992 की जब भीड़ ने अयोध्या में बने अवैध बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था जिसके बाद इस मंदिर को ढहाने में आरएसएस और बजरंगदल जैसे संगठनों के सदस्यों के ऊपर ये आरोप लगे थे कि उन्होंने ही इस मस्जिद को ढहाया है.

SOURCE-GOOGLE

जिसके बाद कांग्रेस नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव  ने बजरंग दल (When Congress Banned BajrangDal), आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद्, इस्लामिक सेवक संघ और जमात-ए-इस्लामी हिंद पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, प्रतिबंध के 6 महीने में ही Unlawful Activities (Prevention) ट्रिब्यूनल ने बजरंग दल से प्रतिबंध हटा दिया था.

ALSO READ: 50 हजार हिंदुओं का धर्मांतरण कराने वाले इस ‘स्वयं सैनिक दल’ के बारे में कितना जानते हैं आप?

When Congress Banned BajrangDal?

पूरे देश भर में आज बजरंग दल और वीएचपी का नाम कौन नहीं जानता? जिसकी छवि हिन्दुवादी है जिसका कार्य जिसका उद्देश्य समाज में हिन्दुओं को बचाना और अनर्गल तत्वों को समाज से निकाल फेंकना. लेकिन ये उद्देश्य कहीं ना कहीं बजरंग दल के पहले के कार्यों में दिखाई पड़ता था जैसे राम मंदिर को लेकर आवाज़ उठाना. लेकिन आज की तारिख में इसका उद्देश्य थोड़ा भटका हुआ लगता है. आप अनावश्यक तत्वों को पकड़ने में सहायता करें अच्छी बात है लेकिन उसके नाम पर सरेआम कानूनों का उल्लंघन करें लोगों को खुल्ले में गोली मार दें वो भी गौहत्या और गौतस्कारी के नाम पर.

SOURCE-GOOGLE

ये अधिकार आपको कौन देता है? उसके लिए देश का संविधान है कानून है न्यायपालिका है. पिछले कुछ महीने पहले ही गुडगाँव के मोनू मानेसर के तमाम वीडियो वायरल हुए थे बन्दूक लेकर खुलेआम सड़क पर घूमते हुए. और वो भी इसलिए क्योंकि इनपर आरोप था कि इन्होने दो मुस्लिम युवकों को बंदी बनाकर आग के हवाले कर दिया था. इसके पहले साल 2002 के दंगों में भी इसका नाम आया था. ये तो ठहरी सिर्फ दो मुद्दों की कहानी लेकिन इसके अलावा भी इनके कई सारे ऐसे काण्ड हैं जो सामने आए हैं. ऐसे में 20वीं सदी से पहले और 20वीं सदी के बाद के बजरंग दल (When Congress Banned BajrangDal) का जो उद्देश्य है उसमे कहीं न कहीं दोगलापन देखने को मिला है. आप संगठन के नाम पर या धर्म के नाम पर किसी को जान से नहीं मार सकते और अगर आप ऐसा करते हैं तो ये कानून के खिलाफ है.

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Ahan Pandey News

Ahan Pandey News: ‘सैयारा’ के बाद बदल गई ज़िंदगी, 28 की उम्र में बॉलीवुड का नया सेंसेशन बने अहान पांडे

Ahan Pandey News: बॉलीवुड में बहुत कम ऐसे चेहरे होते हैं जो आते ही माहौल बदल देते हैं। ज्यादातर कलाकारों को पहचान पाने में सालों लग जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके लिए पहली ही फिल्म गेमचेंजर साबित होती है। अहान पांडे उन्हीं नामों में शामिल हो चुके हैं। हाल ही...
Who is CR Subramanian

Who is CR Subramanian: 1600 स्टोर, 3500 करोड़ का खेल… और फिर ऐसा मोड़ कि आज जेल में पाई-पाई को तरस रहा है ये कारोबारी

Who is CR Subramanian: देश में ऐसे कई बिजनेसमैन रहे हैं जिन्होंने बिल्कुल जीरो से शुरुआत कर अरबों की दुनिया खड़ी की। लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी हैं, जहां सफलता जितनी तेजी से मिली, उतनी ही तेजी से सब कुछ हाथ से निकल गया। भारतीय कारोबारी सीआर सुब्रमण्यम (CR Subramanian) की कहानी भी कुछ ऐसी...
Bath in winter

Bath in winter: सर्दियों में नहाने से डर क्यों लगता है? जानिए रोज स्नान की परंपरा कहां से शुरू हुई और कैसे बनी आदत

Bath in winter: उत्तर भारत में सर्दियों का मौसम आते ही नहाना कई लोगों के लिए सबसे बड़ा टास्क बन जाता है। घना कोहरा, जमा देने वाली ठंड और बर्फ जैसे ठंडे पानी को देखकर अच्छे-अच्छों की हिम्मत जवाब दे जाती है। यही वजह है कि कुछ लोग रोज नहाने से कतराने लगते हैं, तो...
Sikhism in Odisha

Sikhism in Odisha: जगन्नाथ की धरती पर गुरु नानक की विरासत, ओडिशा में सिख समुदाय की अनकही कहानी

Sikhism in Odisha: भारत में सिख समुदाय की पहचान आमतौर पर पंजाब से जोड़कर देखी जाती है, लेकिन देश के पूर्वी हिस्सों, खासकर ओडिशा में सिखों की मौजूदगी का इतिहास उतना ही पुराना, जटिल और दिलचस्प है। यह कहानी केवल धार्मिक प्रवास की नहीं है, बल्कि राजनीति, औपनिवेशिक शासन, व्यापार, औद्योगीकरण और सामाजिक संघर्षों से...
Ambedkar and Christianity

Ambedkar and Christianity:आंबेडकर ने ईसाई धर्म क्यों नहीं अपनाया? धर्मांतरण पर उनके विचार क्या कहते हैं

Ambedkar and Christianity: “मैं एक अछूत हिंदू के रूप में पैदा हुआ था, लेकिन हिंदू के रूप में मरूंगा नहीं।” डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की यह पंक्ति सिर्फ एक व्यक्तिगत घोषणा नहीं थी, बल्कि सदियों से जाति व्यवस्था से दबे समाज के लिए एक चेतावनी और उम्मीद दोनों थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन जाति प्रथा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds