ताजमहल के 22 कमरों के रहस्य से उठ गया पर्दा, यहां जानें सबकुछ

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Secrets of Taj Mahal – ताजमहल! जिसे देखने के लिए देश दुनिया से लाखों लोग भारत के उत्तरप्रदेश में पधारते हैं. इसकी खूबसूरती और बनावट ऐसी है कि हर कोई इसका दीवाना है. लेकिन खूबसूरत चीज़ों बहुत जल्दी नज़र भी लगती है. और इस लाइन में ताजमहल भी आ गया है. जहाँ इसके 22 कमरों को लेकर बवाल मचा हुआ है.

पिछले साल आगरा के ताजमहल (Secrets of Taj Mahal Hindi) को लेकर काफी बवाल हुआ. इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई कि आखिर ताजमहल के तहखाने में मौजूद 22 कमरों में क्या है? इस पर हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए याचिका तो खारिज कर दी, लेकिन इसके बाद भी सवाल उठते रहे हैं.

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लोगों के मन में यह जानने की जिज्ञासा बनी रही है कि आखिरकार 22 कमरों की हकीकत क्या है और उसके अंदर क्या है? ताजमहल के इन कमरों में जाने वाले पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने इसकी सच्चाई बताई है.

मुग़लों ने लाया डबल डोम का कांसेप्ट

पुरातत्वविद केके मोहम्मद इस बात का दावा करते हैं वो उन चंद लोगों में शामिल हैं, जो इन कमरों के अंदर जाकर आए हैं. उनके साथ कुछ चंद मुस्लिम लोग थे, जबकि बाकी ज्यादातर हिंदू थे. ‘लल्लनटॉप’ से बात करते हुए केके मोहम्मद ने कहा कि कई हिंदू संगठन ताजमहल को तेजो महालय मंदिर और 11 शताब्दी का बताते हैं.

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मैंने उनसे कहता हूं कि एंशिएंट पीरियड में कोई ऐसा मंदिर बताइए जिसमें आर्च हो. हम लोगों ने कभी भी आर्च का इस्तेमाल नहीं किया. मुस्लिम आर्च सिस्टम लेकर आए. वहीं, डोम आजकल के मंदिरों में तो है, लेकिन पहले के मंदिरों में नहीं होते थे. ताजमहल में डबल डोम है. यह मुगलों के पहले भारत में नहीं आया था.

ताजमहल में मूर्तियों की बातें सिर्फ एक्सट्रीम ग्रुप्स

ताजमहल के तहखाने में मूर्तियों की बातों पर केके मोहम्मद का कहना है कि ये सब बातें एक्स्ट्रीम ग्रुप्स करते हैं. उसमें 22 कमरें जरूर हैं, लेकिन ज्यादातर में कुछ भी नहीं है. सेंट्रल पोर्शन में मकबरा है, जोकि इससे भी नीचे है. वह मकबरा शाहजहां और मुमताज महल का है.

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इसके अलावा, उन कमरों में कुछ भी नहीं है. उन्होंने बताया कि इस मामले में एएसआई ने रिप्लाई भी दिया है. मेरे अलावा, दो तीन मुस्लिम अधिकारी थे, बाकी सब हिंदू अधिकारी थे जो अंदर गए थे. बता दें कि इन 22 कमरों में से चार कमरे बड़े हैं, जबकि बाकी के 18 छोटे कमरे हैं और सभी के रास्ते एक से ही नहीं है.

ASI ने पिछले साल जारी की थी तस्वीरें

पिछले साल बवाल बढ़ने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कमरों की कुछ तस्वीरें भी जारी की थी. यह तस्वीरें एएसआई की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं. इन कमरों को रैनोवेट करवाया गया था, जिस दौरान इसकी तस्वीरें ली गई थीं और बाद में इसे जारी किया गया. वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 22 कमरों को खोलने वाली याचिका को खारिज करते हुए उसे पीआईएल सिस्टम का मजाक बताया था.

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याचिकाकर्ता से कहा था कि वह पहले रिसर्च करें. कोर्ट ने कहा था, “कल आएंगे और हमें माननीय न्यायाधीशों के कक्ष में जाने के लिए कहेंगे? कृपया जनहित याचिका प्रणाली का मजाक न बनाएं. मैं इस मुद्दे पर हमारे साथ ड्राइंग रूम में बहस करने के लिए आपका स्वागत करता हूं, न कि अदालत में.”

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कहाँ से शुरू हुआ था विवाद

बता दें कि ताजमहल (Secrets of Taj Mahal Hindi) को लेकर ये सारा विवाद एक किताब के बाद शुरू हुआ. इतिहासकार पीएन ओक ने अपनी किताब दी ट्रू स्टोरी ऑफ ताज (The True Story of Taj) में पहली बार उन 22 कमरों का ज़िक्र किया और दावा किया था ताजमहल पहले तेजोमहालया नाम का शिव मंदिर था, जिसे शाहजहां से तुड़वाकर मकबरे की शक्ल दे दी. हालांकि कई इतिहास उनकी इस किताब को बेहद भ्रामक करार देते हैं.

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