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यति नरसिंहानंद के भड़काऊ बोल, धर्म के नाम पर अधर्म का प्रचार करने क्यों तूले हैं हिंदू समाज के नए धर्म के ठेकेदार ?

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जब राम मंदिर का विवाद चलता था तो धर्म संसद की खूब चर्चा होती थी, लेकिन कुछ समय से अधर्म संसद की चर्चा जोरों पर है। देश ही नहीं विदेशों में इस अधर्म संसद की खूब चर्चा हो रही है। इसी के साथ चर्चा है डासना देवी मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती के बयानों की। उनके बयानों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस ने तो FIR भी दर्ज कर लिया है। ये मामला क्यों तूल पकड़ रहा है, ऐसा क्या बोल दिया यति ने की बवाल ही खड़ा हो गया? हम इसे ही समझने की कोशिश करेंगे। 

यति नरसिंहानंद के भड़काऊ बोल…

दरअसल, यति नरसिंहानंद ने कथित तौर पर हिंदुओं से आह्वान किया कि कहीं कोई मुसलमान साल 2029 में  देश का प्रधानमंत्री बन न जाए इसके लिए उनकी हत्या कर देनी चाहिए।  यति नरसिंहानंद ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए जरूरी हुआ तो मुसलमानों की हत्या करने तक का आग्रह कर दिया। FIR में नरसिंहानंद के सबसे नए शिष्य मुसलमान से हिन्दू बने जीतेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी के साथ ही कई और के नाम भी दर्ज कराए गए हैं। 

कई मीडिया रिपोर्ट की मानें तो धर्म संसद के दौरान कथित तौर पर हिन्दुओं को हथियार उठाने और मुसलमानों के खिलाफ युद्ध करने के लिए नरसिंहानंद उकसाते हुए दिखे। नरसिंहानंद ने इस तरह की कथित टिप्पणी उत्तराखंड के हरिद्वार में हिंदू धर्मगुरुओं की तीन दिन की बैठक के वक्त की। 

धर्म संसद बैठक का वेद निकेतन धाम में आयोजन किया गया 17 से 19 दिसंबर तक। हालांकि यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि यति नरसिंहानंद सरस्वती अपने खिलाफ कई उपद्रव के FIR होने पर भी अपने पॉलिटिकल पहुंच की वजह से पुलिस की गिरफ्त में वो आ नहीं पाते। 

नफरत भरे भाषणों को लेकर रहते हैं चर्चाओं में

स्थानीय पुलिस की मानें तो गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के ये मुख्य पुजारी हमेशा ही किसी न किसी विवाद में रहे ही हैं। मेरठ में जन्मे नरसिंहानंद का असल नाम दीपक त्यागी है और वो 1998 में संन्यासी होने के बाद दीपेंद्र नारायण सिंह बन गए और फिर बाद में वो यति नरसिंहानंद सरस्वती। फिलहाल वो जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर भी हैं।  

नरसिंहानंद पर उनके भाषणों के लिए और उनके नफरत भरे भाषणों की वजह से कई FIR  दर्ज हैं। साल की शुरुआत में उनके खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत गाजियाबाद पुलिस ने एक्शन लिया और हाथापाई, हत्या की कोशिश और असामाजिक गतिविधियां इसके अलावा दूसरी और एक्टिविटीज की वजह से उनके खिलाफ एक्शन लिए गए। 

31 अगस्त 2021 को महिला बीजेपी नेताओं के अगेंट्स अभद्र टिप्पणी के आरोप में उन पर गाजियाबाद पुलिस ने तीन FIR दर्ज किए और राष्ट्रीय महिला आयोग ने उनके बयानों पर गहरी आपत्ति जताई थी। अक्टूबर 2021 में तो महंत यति ने आरोप लगाया था कि एक 10 साल का मुस्लिम लड़का उनकी जासूसी करता है। ये तक कहा कि मुसलमानों में इस उम्र के कई ट्रेंड हत्यारे हैं। कई एफआईआर के बाद भी पुलिस की गिरफ्त से महंत बहुत दूर हैं। 

अब धर्म संसद में गांधी जी को कहे गए अपशब्द

ये तो रही यति की बात। लेकिन इसी से एक और मिलता जुलता बयान भी आपको सुनना चाहिए, जिससे आप अंदाजा लगा सकें कि आखिर किस तरह के आग उगले जा रहे हैं। महात्मा गांधी को गाली देने वाले और फिर गोडसे को भगवान मानने वालों की भी कमी नहीं है। धर्मगुरु कालीचरण ने महात्मा गांधी के बारे में विवादित शब्द कहे और गोडसे की तारीफ की। 

दरअसल, हिंदू ‘धर्म संसद’ का आयोजन भारत में अलग-अलग राज्यों में किया जा रहा है और इन्हीं धर्म संसदों से विवादित बयान धड़ल्ले से जारी किए जा रहे हैं। रायपुर में एक संगठन ने  धर्म संसद आयोजित किया जिसमें महात्मा गांधी के बारे में धर्मगुरु कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी को गाली तक दी और अपमानजनक शब्द कहे। इतना ही नहीं नाथूराम गोडसे को गांधी की हत्या के लिए सही ठहराया। 

कुछ यति जैसे और कालीचरण  जैसे लोग है जिनके बयानों और ऐसे ही और मुद्दों पर धार्मिक नेता काफी वक्त से चुप है, लेकिन ऐसे बयानों पर एक्शन लेने का शायद वक्त आ गया है। यहां तक कि यति जैसे लोगों को जिनको कि नफरती बयान देने के खिलाफ जेल में होना चाहिए पर वो बाहर ऐसे बयानों को फैलाने में लगे है। यहां तक कि ऐसे बैठकों को ‘धर्म संसद’ नाम दिया गया है। वहां किस तरह से नफरती बातों को हवा दी जा रही है ये साफ साफ देखा जा सकता है । धर्म का पूरा मायना ही बदलता दिखा रहा है। सवाल ये हैं कि कब तक ऐसे बयानों पर फुल स्टॉप लगाया जाएगा? और कब सख्त एक्शन लेगा प्रशासन ऐसे लोगों पर जो समाज में जहर घोलने का काम करते दिखाई दे रहे हैं? सवाल यही है कि ऐसे बयान देने वालों कि जुबान पर कब लगाम लगाई जाएगी?

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