Headlines

देश की राजनीति से अचानक कहां गायब हो गई अंबेडकरवादी पार्टियां और बाबा साहेब की विचारधारा?

Table of Content

हमारे देश में जब-जब पिछड़े वर्ग और दलितों के उत्थान की बात आती है तब सबसे पहले हमारे देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर (Baba saheb bhimrao ambedkar) को याद किया जाता है। क्यूंकि कहीं न कहीं आज बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की वजह से ही हमारे देश के दलित और पिछड़े वर्ग के लोग मुख्य धारा में आ सके हैं। ऐसे ही बाबा साहेब को हमारे भारतीय समाज में पिछड़े वर्ग का मसीहा नहीं कहा जाता। वो बात अलग हैं कि बाबा साहेब सिर्फ पिछड़ों और दलितों के मसीहा तक सीमित नहीं थे। उनकी उपलब्धि इन सब चीज़ों से कई ज्यादा थी। बाबा साहेब (Baba saheb bhimrao ambedkar) ने हर वो तमाम कोशिशे की। जिनकी वजह से पिछड़े वर्गों के लोगों को समाज में आदर और सम्मान मिले। जिसके वो वास्तव में हक़दार हैं। बाबा साहेब ने पिछड़े वर्गों को आरक्षण जैसी बड़ी सुविधा मुहैया कराई। जिसके चलते ही समाज के दलितों और पिछड़े वर्गों के लोगों में पढ़ने और अपने जीवन में कुछ करने की लालसा जगी।

बाबा साहेब बस एक महान व्यक्तिव नहीं थे, वे बल्कि भारत की एक दूरदर्शी सोच थे। हमारे देश के नेताओं ने भी बाबा साहेब की विचारधारा से प्रेरित होकर कई राजनीतिक पार्टियां बनाई, जिसकी नींव नेताओं ने अंबेडकरवादी (Ambedkarvadi) रखी, भले ही पार्टी का नाम कुछ भी हो। इन पार्टियों का भी मकसद यहीं था कि हमारे समाज के निम्न वर्ग को समाज के उच्च वर्ग के समकक्ष लाया जाएं ताकी समाज में किसी भी तरीके की कोई लकीर ना हो। समाज में जाति प्रथा जो एक लाईलाज बीमारी की तरह सदियों से चलती आ रहीं है। वो जल्द से जल्द खत्म हो। सभी को बराबर का दर्जा मिलें, कोई ऊंच-नीच की बात न हो। ख़ास तौर पर समाज के दलित जाति के लोगों का विकास हो, क्यूंकि उन्हें हमारे समाज में शुरू से ही अछूत माना जाता है।

 लेकिन बेहद दुःख की बात है खुद को बड़े स्तर पर अंबेडकरवादी विचारधारा (Ambedkarvadi Ideology) की पार्टी बताने वाली BJP, CONGRESS, NCP, BSP , SP , RJD, LJP और रिपब्लिकन पार्टी जैसी कई पार्टियां हैं, जो आज के राजनीतिक परिवेश को मध्य नज़र रखते हुए सिर्फ वोट बैंक की राजनीति में ज्यादातर निहित रहती हैं। इन सभी पार्टियों को अपने-अपने जाति के वोट बैंक से मतलब रहता हैं, सत्त्ता की कुर्सी पर कैसे काबिज हो, इनके जहन में यहीं बात सर्वोपरि चलती रहती हैं। इन्हें समाज में पिछड़ों और दलितों की स्थिति से इन्हें कोई खासा लगाव नहीं हैं। हालांकि चुनाव के वक़्त ये सभी राजनीतिक पार्टियां पिछड़ों और दलितों के विकास का मोर्चा संभालने लगती हैं , जैसे कि इनसे बड़ा समाज में इन पिछड़ों और दलितों का कोई सरोकार नहीं हैं।

इन सभी तथाकथित अम्बेडरकरवादी राजनीतिक पार्टियों (Ambedkar Political Parties) में भले अपनी-अपनी विचारधारा को लेकर हज़ार मतभेद हो। लेकिन जब पिछड़ों और दलितों के आरक्षण का कैसा भी मुद्दा होता हैं , तब ये सभी राजनीतिक पार्टियां एक हो जाती हैं, ये इसलिए नहीं कि इनको पिछड़ों और दलितों की चिंता हैं बल्कि आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर इनमें पिछड़ों और दलितों के वोटों को साधने की होड़ मची रहती हैं और एक पक्ष यह भी हैं कि ये राजनीतिक पार्टियां दिखना चाहती हैं कि बाबा साहेब आरक्षण के समर्थन में थे, तो हमेशा हम भी रहेंगे। भले बाबा साहेब के बाकि मूल्यों और सिद्वान्तों को यह अपनी मतलबी राजनीति के लिए ताक पर रख दें।

बहुत ही अफ़सोस होता हैं कि कैसे इन राजनीतिक पार्टियों ने बाबा साहेब के नाम और उनके मिशन का प्रयोग कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकी हैं और यह क्रम आगे भी यूं ही निरंतर चलता रहेगा, इसमें कोई दो राइ नहीं। आज भी इतने सालों बाद हमारे समाज में पिछड़ों और दलितों के साथ मानसिक और शारीरिक अत्याचार होता ही रहता है। लेकिन एक समय काफी हद तक BSP के मुखिया कांशीराम ने पिछड़े और दलितों के विकास के लिए काम किया था। काशीराम की BSP ने दलितों को समाज में ओहदा दिलाने के लिए भी संघर्ष किया लेकिन काशीराम के BSP की कमान छोड़ने के बाद इस संघर्ष का राजनीतिकरण बहुत तेजी से हो गया।

2011 में बनी उत्तरप्रदेश की एक राजनीतिक पार्टी जिसका नाम भीम आर्मी यानि अंबेडकर सेना है। जिसके प्रमुख युवा नेता चंद्रशेखर आजाद रावण हैं। उन्होनें दलित समाज के लोगों पर होने वाले अन्याय को रोकने और उनके समर्थन में इस भीम आर्मी का गठन किया था लेकिन आज 2022 तक आते-आते यह पार्टी कहीं न कहीं सत्ता सुख भोगने की लालसा में अपने तय किए गए मापदंडों से कहीं पीछे छूट गई हैं। आएं दिन भीम आर्मी के साथ कोई न कोई नया विवाद सुनने को मिल ही जाता है। यहां एक बात गौर करने वाली है। क्या डॉ. आंबेडकर कभी ब्राह्मण के खिलाफ थे? कभी नहीं., लेकिन ये नए आंबेडकरवादी पार्टियां ब्राह्मण के खिलाफ आंदोलन की बात करते है। आज कुछ आंबेडकरवादी कहते है कि ब्राह्मण को वोट न देकर किसी को भी वोट दो ये अपील कहा तक उचित है? जब ब्राह्मणवाद की बात की जाए तो हम सभी के सभी उन्हीं मापदंडों को मानते हैं जिनके ख़िलाफ़ जीवन-भर आंबेडकर लड़ते रहे थे।

देश में किसी ना किसी आंदोलन से निकले कन्हैया कुमार,  चंद्रशेखर आजाद रावण , हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवानी जैसे युवा नेता खुद को बड़ी बेबाकी से आंबेडकरवादी बताते हैं और बोलते हैं कि हम समाज के पिछड़ों और दलितों के लिए हमेशा तत्तपर खड़े रहेंगे। लेकिन एक सच यह भी है जब इन्हें अपनी विचारधारा के विपरीत अपना राजनीतिक फ़ायदा दिखा तो अपने आप को आंबेडकरवादी बोलने वाले इन नेताओं ने तुरंत बाबा साहेब की आंबेडकरवादी को भूलकर अपना राजनीतिक फ़ायदा ही देखा। जिससे अब यह साफ़ लगने लगा है कि देश में अब पूरी तरीके से आंबेडकरवादी पार्टियां (Ambedkarvadi Parties) विलुप्त हो गई। ये पार्टियां बाबा साहेब को बस 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती पर याद करके रता रटाया भाषण देती हैं। 

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

DoT latest news

DoT latest news: टेलीकॉम सेक्टर में सर्कुलर इकॉनमी की ओर भारत का बड़ा कदम, DoT और UNDP ने मिलकर शुरू की राष्ट्रीय पहल

DoT latest news: भारत का टेलीकॉम सेक्टर आज सिर्फ कॉल और इंटरनेट तक सीमित नहीं रह गया है। यह देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था, गवर्नेंस, फाइनेंशियल इन्क्लूजन और सामाजिक बदलाव की रीढ़ बन चुका है। इसी तेजी से बढ़ते डिजिटल इकोसिस्टम को टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में दूरसंचार विभाग (DoT) और संयुक्त...
Jabalpur Viral Video

Jabalpur Viral Video: जबलपुर में वायरल वीडियो पर मचा बवाल, नेत्रहीन छात्रा से अभद्रता के आरोपों में घिरीं भाजपा नेता

Jabalpur Viral Video: मध्य प्रदेश के जबलपुर से सामने आया एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो ने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि आम लोगों को भी झकझोर कर रख दिया है। इस वीडियो में एक महिला नेता को एक नेत्रहीन छात्रा के...
Vaishno Devi Yatra New Rule

Vaishno Devi Yatra New Rule: नए साल से पहले वैष्णो देवी यात्रा में बड़ा बदलाव, RFID कार्ड के साथ समय सीमा तय, जानें नए नियम

Vaishno Devi Yatra New Rule: नववर्ष के मौके पर माता वैष्णो देवी के दरबार में उमड़ने वाली भारी भीड़ को देखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रियों के लिए नए नियम लागू कर दिए हैं। बोर्ड ने साफ किया है कि ये बदलाव श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखकर...
Banke Bihari Temple Trust Bill

Banke Bihari Temple Trust Bill: श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट कानून 2025 लागू, अब कैसे होगा मंदिर का संचालन?

Banke Bihari Temple Trust Bill: उत्तर प्रदेश में श्री बांके बिहारी मंदिर से जुड़ा एक अहम फैसला अब पूरी तरह से लागू हो गया है। श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट बिल 2025 को विधानसभा और विधान परिषद से पास होने के बाद राज्यपाल की मंजूरी भी मिल गई है। इसके साथ ही यह विधेयक अब...
BMC Election 2024

BMC Election 2024: ठाकरे बंधुओं का गठबंधन टला, सीटों के पेंच में अटका ऐलान, अब 24 दिसंबर पर टिकी नजरें

BMC Election 2024: महाराष्ट्र में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल लगातार गर्म होता जा रहा है। खासतौर पर उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के संभावित गठबंधन ने सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। दोनों दलों के बीच गठबंधन का...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds