दिल्ली धमाके के बाद चर्चाओं में 'मोसाद'…क्यों इस एजेंसी से कांपती है दुनिया? जानिए इसके खतरनाक मिशन के बारे में

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शुक्रवार को देश की राजधानी दिल्ली में एक IED ब्लास्ट हुआ। वैसे तो ये ब्लास्ट मामूली था, लेकिन इसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच फिलहाल जारी है। ये हमला किसने, किस मकसद से किया इसका पता लगाया जा रहा है। जांच कर रही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के हाथ कुछ बड़े सबूत भी लगे। दिल्ली में हुए हमले के बाद एक सुरक्षा एजेंसी का नाम काफी सुर्खियों में आ रहा है और वो है मोसाद।

जांच में ‘मोसाद’ भी हो सकती है शामिल

जैसे ही शुक्रवार शाम को दिल्ली में ब्लास्ट हुआ, मोसाद एजेंसी का नाम ट्विटर पर ट्रेडिंग लिस्ट में आ गया। दरअसल, धमाके की जांच में इजरायली एजेंसी मोसाद के जुड़ने की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं। आखिर क्या है मोसाद? क्यों इसकी इतनी चर्चाएं हो रही? क्यों  दुनिया इससे खौफ खाती है? और इस एजेंसी के बड़े कारनामे क्या है? इसके बारे में आपको बताते हैं…

जानिए इस एजेंसी के बारे में…

इजरायली एजेंसी मोसाद की स्थापना 1949 में हुई थीं। इजराइल के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन-गूरियन की सलाह पर इसकी स्थापना की गई थी। इसके पीछे उनका मकसद था कि कि एक ऐसी केंद्रीय इकाई बनाई जाए, जो मौजूदा सुरक्षा सेवाओं, सेना के खुफिया विभाग, आंतरिक सुरक्षा सेवा और विदेश के राजनीति विभाग के साथ समन्वय बनाए और सहयोग को बढ़ाने का काम करे। इस एजेंसी को 1951 में प्रधानमंत्री कार्यालय का हिस्सा बना दिया गया।

मोसाद की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक एजेंसियों में होती हैं। इजरायल के दुश्मनों से मोसाद घुसकर बदला लेती हैं। दुनियाभर में ये एजेंसी ऐसे कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचा चुकी है। आइए आपको मोसाद के कुछ बड़े ऑपरेशन के बारे में बताते हैं…

जब मोसाद ने चुराया मिग 21 विमान

60 के दशक में सबसे तेज विमान रूस के मिग 21 लड़ाकू विमान को माना जाता था। इस विमान को अमेरिका भी पाना चाहता था, लेकिन इसमें अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए नाकाम रही। जिसके बाद मोसाद इस विमान को पाने की कोशिश में जुट गया। पहले और दूसरे प्रयास में तो एजेंसी सफल नहीं हो पाई, लेकिन फिर भी हार नहीं मानी। 1964 में एजेंसी को आखिरकार ये सफलता हाथ लग गई। मोसाद की महिला एजेंट ने इराक के एक पायलट के जरिए इस विमान को हासिल करने में कामयाबी हासिल की। इजराइल को मिग 21 विमान का तब फायदा हुआ, जब उसकी जंग अरब देशों से हुई। इस दौरान 6 ही दिनों में इजरायल उनको घुटने पर ले आया।

खिलाड़ियों की मौत का लिया बदला

बात साल 1972 की है, जब म्यूनिख ओलंपिक में इजरायल ओलंपिक टीम के 11 खिलाड़ियों को मार दिया गया था। इस घटना का आरोप दो आतंकी संगठनों पर लगा। मोसाद ने इसके बार इस हमले के आरोपियों को ऐसे चुन-चुनकर मारा, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की। ये किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। हमलावर अलग-अलग देशों में जाकर छिप गए थे, लेकिन फिर भी मोसाद से वो बच नहीं पाए। मोसाद के एजेंटों ने कई देशों का प्रोटोकॉल्स को तोड़ा और अपराधियों को मारा। इसे मोसाद का सबसे लंबा ऑपेशन माना जाता है।

अर्जेंटीना में घुसकर किया अपना काम और…

1960 की बात है जब नाजियों ने यहूदियों पर जो जुल्‍म किए उसका बदला इजरायल लेना चाहता था। जब मोसाद को इसके बारे में पता चला कि नाजी युद्ध का अपराधी एडोल्फ एकमैन अर्जेंटीना में है, तो उसको पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया। मोसाद के 5 एजेंट नाम बदलकर अर्जेंटीना पहुंचे गए और एकमैन को ढूंढा। फिर उसको वहां से इजरायल भी ले आए। इतना सबकुछ हो गया और अर्जेंटीना की सरकार को मिशन में भनक तक नहीं लगी। इस ऑपरेशन ने मोसाद को दुनियाभर में एक अलग पहचान दिलाई।

अगवा किए विमान से यात्रियों को बचाया

1976 में इजरायल के यात्रियों से भरे फ्रांस के एक विमान का आतंकियों ने अरब में अपहरण कर लिया। इसके बाद मोसाद ने अपनी बुद्धिमानी और ताकत का परिचय देते हुए अपने 94 नागरिकों को बचाया। युगांडा के एंतेबे हवाई अड्डे पर इस ऑपरेशन को आज भी दुनिया के सबसे सफल हॉइजैकर्स मिशन में से एक माना जाता है।

…70 गोलियों से भून दिया

फिलीस्तीन के मशहूर नेता रह चुके यासिर अराफात के दाहिने हाथ माने जाने वाले खलील अल वजीर को मोसाद ने गोलियों से छलनी किया था। खलील अल वजीर को अबू जिहाद भी कहा जाता था, जो ट्यूनीशिया में रह रहा था। अबू को फिलीस्तीन के आतंकी संगठनों का प्रमुख माना जाता था, इजरायल में कई हमले उसी के इशारे पर हुए। जिसके चलते वो मोसाद की हिट लिस्ट में शामिल था। 30 एजेंट इस मिशन में लगे। सब एक-एक करके टूरिस्ट बनकर ट्यूनीशिया पहुंचे और वहां पर अबू जिहाद के घर का पता लगाया। फिर अबू को उसके परिवारवालों के सामने ही 70 गोलियां मारकर इस ऑपरेशन को पूरा किया।

चुराई ईरान की न्यूकिलयर मिशन की फाइल्स

2018 में ईरान में घुसकर मोसाद ने एक बेहद ही खतरनाक मिशन को अंजाम दिया। इस मिशन के तहत तेहरान में बने एक वेयरहाउस से ईरान के न्यूक्लियर मिशन वाली फाईलों को चुराना था। मिशन में दो दर्जन से भी अधिक जासूस शामिल हुए और इसमें करीबन साढ़े छह घंटे लगे। मोसाद के एजेंट्स ने करीब 50,000 पेज और 163 सीडी लेकर निकल गए।                                                      

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