निलंबित विधायकों को शामिल कराया तो टूट जाएगी समाजवादी पार्टी…अखिलेश पर बरसी मायावती

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बीजेपी शासित यूपी की राजनीतिक गलियारों में इन दिनों हलचलें काफी तेज है। अगले साल की शुरुआत में ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले है। जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में लग गई है। 

इस चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलने की बात कही जा रही है। अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी राज्य के छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। पिछले दिनों बसपा के 7 विधायकों ने लखनऊ में अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। 

जिसके बाद इस बात के कयास लगने शुरु हो गए थे कि वे जल्द ही सपा में शामिल हो सकते हैं। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी पर जोरदार हमला बोला है।

पहले ही बसपा से निलंबित किए जा चुके हैं विधायक

मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लगातार कई ट्विट करते हुए इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्विट करते हुए कहा, ‘घृणित जोड़तोड़, द्वेष व जातिवाद आदि की संकीर्ण राजनीति में माहिर समाजवादी पार्टी द्वारा मीडिया के सहारे यह प्रचारित करना कि बीएसपी के कुछ विधायक टूट कर सपा में जा रहे हैं, यह सरासर गलत है।‘

बीएसपी चीफ ने कहा, ’जबकि उन्हें काफी पहले ही सपा व एक उद्योगपति से मिलीभगत के कारण राज्यसभा के चुनाव में एक दलित के बेटे को हराने के आराप में बीएसपी से निलम्बित किया जा चुका है।‘ 

उन्होंने कहा, ‘सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती। क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं।‘

‘सपा का चेहरा रहा है हमेशा से दलित विरोधी’

यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने अगले ट्विट में कहा, ‘जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं। इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय।‘ 

दरअसल, मायावती ने अपने कार्यकाल में भदोही का नाम बदलकर संत रविदास नगर रखा था लेकिन अखिलेश यादव की सरकार ने सत्ता में आने के बाद जिले का नाम बदलकर पुन: भदोही कर दिया।

मायावती ने कहा, ‘वैसे बीएसपी के निलम्बित विधायकों से मिलने आदि का मीडिया में प्रचारित करने के लिए कल किया गया सपा का यह नया नाटक यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख के चुनाव के लिए की गई पैंतरेबाजी ज्यादा लगती है। यूपी में बीएसपी जन आकांक्षाओं की पार्टी बनकर उभरी है जो जारी रहेगा।‘

‘सपा मुखिया को अपने स्थानीय नेताओं पर भरोसा नहीं’

आज गुरुवार को मायावती ने एक बार फिर से सपा को निशाने पर लिया है और अखिलेश यादव पर जमकर बोला है। उन्होंने कहा, ‘सपा की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि अब आये दिन मीडिया में बने रहने के लिए दूसरी पार्टी से निष्कासित व अपने क्षेत्र में प्रभावहीन हो चुके पूर्व विधायकों व छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं आदि तक को भी सपा मुखिया को उन्हें कई-कई बार खुद पार्टी में शामिल कराना पड़ रहा है।‘

उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि सपा मुखिया को अब अपने स्थानीय नेताओं पर भरोसा नहीं रहा है, जबकि अन्य पार्टियों के साथ-साथ खासकर सपा के ऐसे लोगों की छानबीन करके उनमें से केवल सही लोगों को बीएसपी के स्थानीय नेता आएदिन बीएसपी में शामिल कराते रहते है, जो यह सर्वविदित है।‘

निलंबित विधायकों ने की अखिलेश यादव से मुलाकात

बता दें, अक्टूबर 2020 में बसपा के सात विधायकों को मायावती ने निलंबित कर दिया था। उन पर राज्यसभा चुनाव में पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार रामजी गौतम का विरोध करने का आरोप लगा था। इन्हीं विधायको ने बीते दिनों लखनऊ में समाजवादी पार्टी के ऑफिस में अखिलेश यादव से मुलाकात की। जिसके बाद से उनकी सपा में शामिल होने की चर्चा तेज है। हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है। इस मामले को लेकर मायावती लगातार समाजवादी पार्टी को निशाने पर ले रही है।

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