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क्या है पाकिस्तान में Economic Crisis की असल वजह, कौन कर रहा है पाकिस्तान की मदद, क्या है ड्रैगन के तेवर ?

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आज की तारिख में पाकिस्तान अभी तक की सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, और पिछले साल 2022 में आई बाढ़ ने पाकिस्तान को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया इस बाढ़ ने पाकिस्तान को पूरी तरह से खोखला कर दिया, तबाही में कुल 1739 लोगो की जान गई तो वही पाक को 14.9 बिलियन डॉलर (14.9 Billion Dollars) का नुक्सान हुआ। फिर पाकिस्तान में शुरू होता है आर्थिक मंदी का दौर… 

इस बर्बादी की वजह क्या है ? किस वजह से पाकिस्तान की ये हालत हुई आज हम आपको पूरी जानकारी देंगे…

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बढ़ रहा कर्ज, भुखमरी की मार झेल रहे लोग

पाकिस्तान में बढ़ते कर्ज, बढ़ी हुई उर्जा आयात या लागत, घटते विदेशी मुद्रा भंडार, वैश्विक मुद्रास्फीति, राजनीतिक अस्थिरता और जीडीपी वृद्धि में निरंतर गिरावट से जूझ रहा है। जिसकी वजह से पकिस्तान की आर्थिक स्थिति जड़ से डगमगा गई है और अब पकिस्तान दिवालिया  होने की कगार पर आ गया है। वर्तमान सरकार के पास अपनी सरकार और लगातार  खराब होती जा रही स्थिति को सही करने के लिए दुसरे देशों से मदद की गुहार लगा रहा है, लेकिन जिस देश के ऊपर पहले से इतने कर्जे हों उसपर कौन अपना पैसा बर्बाद करेगा। ऐसे में देश का आर्थिक पतन लाखों लोगों को बहुत ही गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। पाकिस्तान की हालत ये हो गई है कि आम नागरिक आज एक बोरी आटे और एक वक़्त की रोटी के लिए एक दूसरे की जान लेने को भी तैयार हो गए हैं।

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पाकिस्तानी दूतावास से लेकर रेस्तरां और मॉल भी बंद

पाकिस्तान में आर्थिक संकट के हालात इस हद तक आ गए हैं कि सरकार को मजबूरन कुछ दिनों पहले अमेरिका में पाकिस्तानी दूतावास की संपत्ति की नीलामी करनी पड़ी। सरकार शॉपिंग मॉल, रेस्तरां, शादी के हॉल और बाजारों को जल्दी बंद करने का आदेश देने जैसे कठोर उपायों का भी सहारा ले रही है। इससे पाकिस्तान सरकार उम्मीद्तन लगभग 273 मिलियन डॉलर या 62 अरब पाकिस्तानी रुपये ऊर्जा आयात की बचत कराएगा । अन्य कदमों में, देश के सभी सरकारी विभागों को बिजली की खपत में 30 प्रतिशत की कमी लाने के लिए कहा गया है। जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों से लगातार बहुत ही कमज़ोर हो गई है और देखते ही देखते नकदी की तंगी वाले इस देश की वित्तीय समस्याएं 2022 में और बढ़ गई।

जून से अक्टूबर में आई बाढ़ ने बढ़ाई निर्भरता

बेलआउट पैकेज (एक कंपनी या संभावित दिवालियापन के खतरे का सामना कर रहे देश को वित्तीय सहायता देने के लिए एक सामान्य शब्द है) के बिना पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति में सुधार पाना अभी फिलहाल के लिए तो नामुमकिन है उच्च वैश्विक मुद्रास्फीति के मद्देनजर बढ़ता कर्ज (Rising debt in the face of high global inflation) और तेजी से घटता विदेशी मुद्रा भंडार सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। साथ- साथ जून में आई बाढ़ ने देश की आर्थिक व्यवस्था को पूरी तरह से तोड़कर रख दिया. वास्तविक रूप से बाढ़ ने तेल के अलावा अन्य आयातित सामानों पर पाकिस्तान की निर्भरता बढ़ा दी, जबकि देश के निर्यात में गिरावट आई। पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, दिसंबर 2022 में देश का व्यापार घाटा 2.8 बिलियन डॉलर से अधिक था, क्योंकि निर्यात 16 प्रतिशत से अधिक घटकर 2.3 बिलियन डॉलर हो गया। मूल्यह्रास मुद्रा आर्थिक स्थिति में भी मदद नहीं कर रही है, 2022 में अमेरिकी डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपया लगभग 30% गिर गया है।

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क्या कहती है Rioters की रिपोर्ट ?

पाकिस्तान को जून 2023 तक 30 अरब डॉलर से अधिक की बाहरी वित्तपोषण जरूरतों को पूरा करना है, जिसमें ऊर्जा और ऋण चुकौती शामिल है – देश की सुस्त जीडीपी वृद्धि को देखते हुए एक असंभव उपलब्धि, जिसे विश्व बैंक ने सिर्फ 2 प्रतिशत पर आंका है। धीमी वृद्धि के अलावा, पाकिस्तान आसमान छूती मुद्रास्फीति (inflation) का भी सामना कर रहा है जो वित्त वर्ष 23 में 23 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। धीमी वृद्धि और बढ़ती महंगाई लगभग 220 मिलियन(220 Millions) लोगों के देश के लिए एक खतरनाक संयोजन साबित हो सकती है, जहां नौकरी पाना दिन पर दिन कठिन होता जा रहा है। जबकि ऊर्जा लागत बचाने के लिए पाकिस्तान सरकार के सख्त कदम ही कुछ सांस लेने की जगह दे  सकते हैं, यह इस समय देश में व्याप्त आर्थिक संकटों के कॉकटेल से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। एकमात्र आशा है कि देश के पास 1.1 बिलियन डॉलर की आईएमएफ बेलआउट किश्त की रिहाई है जो लंबित समीक्षा के कारण विलंबित हो गई है।

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कौन कर रहा है पाकिस्तान की मदद, क्या है ड्रैगन के तेवर ?

सभी पड़ोसी देशों से हाथ फैलाकर भीख मांगने से अच्छा होता है कि अपने किसी मित्र से उधार ले लिया जाये। तो ऐसे में पकिस्तान UAE ( United Arab Emirates) की ओर रुख न करे ऐसा कैसे हो सकता है। पकिस्तान सरकार अपनी आर्म फोर्सेज से ही सऊदी अरब के प्रिंस को सुरक्षा मुहैया कराती है। ऐसे में अरब का फ़र्ज़ तो बनता है कि वह अपने दोस्त की मदद करे लेकिन एक खास बात याद दिला दें कि चीन भी इस दोस्ती में सबसे पहली लिस्ट पर है लेकिन शायद सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए क्योंकि अभी पाकिस्तान के साथ मिलकर 5 बड़े रेलवे और highway प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। जिससे की पाकिस्तान को भारी मुनाफा मिलने के आसार हैं लेकिन वो सिर्फ कागज और दुनिया कि नज़र में क्योंकि चीन इतना पागल नहीं कि वह अपने पैसे ऐसी जगह बर्बाद करे जहाँ से कोई मुनाफा नहीं मिलने वाला । पाकिस्तान ने कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात ने आर्थिक संकट से जूझ रहे दक्षिण एशियाई देश के लिए विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान को अपनी वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 3 बिलियन डॉलर करने पर सहमति जताई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ बैठक के बाद
1 अरब डॉलर का नया ऋण देने और 2 अरब डॉलर के मौजूदा ऋण को रोलओवर करने पर सहमति जताई है।

मदद के रूप में पाकिस्तानी कंपनियों में निवेश

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा घोषणा किए जाने के दो दिन बाद यूएई का समर्थन आया है, कि वह पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक में जमा राशि को बढ़ाकर 5 बिलियन डॉलर करने पर विचार कर रहा है। इस सप्ताह कि शुरुआत में, पाकिस्तान को बाढ़ के बाद सहायता के रूप में $10 बिलियन से अधिक की प्रतिबद्धता भी प्राप्त हुई थी, कर्ज की किस्तों के वितरण में देरी से कर लक्ष्यों को लेकर अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष (इंटरनेशनल फोरेक्स रिज़र्व)  के साथ गतिरोध के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पैसे के लिए बंधी हुई है। देश को डॉलर की कमी का सामना करना पड़ रहा है, विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 5.85 अरब डॉलर हो गया है, जो आयात के एक महीने से भी कम समय को कवर करता है। यान में कहा गया है कि दोनों देश निवेश सहयोग को गहरा करने और निवेश एकीकरण के अवसरों को सक्षम करने पर भी सहमत हुए। यूएई ने पिछले साल विभिन्न क्षेत्रों में फैली पाकिस्तानी कंपनियों में 1 अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की थी।

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