यूपी के CM का बयान- ‘सनातन है भारत का राष्ट्रिय धर्म’ , जानिए इसपर क्या कहता है भारतीय संविधान

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राजस्थान में सनातन धर्म पर CM योगी ने दिया बयान

‘सनातन धर्म ही भारत का राष्ट्रिय धर्म है’ ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) के हैं. बात 28 जनवरी की है जब CM योगी आदित्यनाथ राजस्थान (Rajsathan) के दौरे पर थे, उन्होंने अपने एक भाषण में ये वाक्य कहे थे और साथ में ये भी कहा था की हमारा देश सुरक्षित हो, और हमारे आहन बिन्दुओं की स्थापना हो . उत्तर प्रदेश के सीएम ने कहा कि अगर अतीत में आक्रमणकारियों ने मंदिरों को नष्ट कर दिया था तो लोगों को नष्ट मंदिरों को पुनर्स्थापित करने के लिए अभियान चलाना चाहिए.

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महादेव मंदिर के उद्घाटन में पहुंचे थे मुख्यमंत्री 

दरअसल, सीएम योगी आदित्यनाथ राजस्थान के भीनमाल में नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Temple) के जीर्णोद्धार कार्यक्रम पहुंचे थे. यहां पर सीएम योगी ने कहा कि अगर हमारे धार्मिक स्थलों को अपवित्र किया गया है तो उनका पुनर्स्थापना होनी चाहिए. अयोध्या में भगवान राम का मंदिर 500 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हो रहा है. योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि भारत का राष्ट्रीय मंदिर अयोध्या में बन रहा है.

कांग्रेस को नहीं पच रही बात 

कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं ने सीएम योगी के इस बयान की कड़ी आलोचना की है. कांग्रेस नेता उदित राज ने सीएम योगी के बयान पर ट्वीट कर कहा कि  ‘हमारा सनातन धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म. सीएम योगी ने यह कहा है. मतलब सिख , जैन, बौद्ध, निरंकार, ईसाई और इस्लाम धर्म खत्म.’

आधिकारिक तौर पर भारत का नहीं है कोई धर्म

अगर आपको संविधान की जानकरी होगी तो आपको पता ही होगा की एक राष्ट्र के तौर पर भारत का कोई राष्ट्रिय धर्म नहीं है भारत के धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जहाँ का संविधान हर नागरिक को अपने पसंद के किसी भी धर्म को चुनने और उसका प्रचार प्रसार करने का अधिकार रखता है . फिर ऐसे में योगी जी के बयान पर सवाल उठ रहा है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में सनातन धर्म राष्ट्रिय धर्म कैसे हो सकता है ?

क्या कहता है भारतीय संविधान

42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़कर करके भारत को स्पष्ट रूप से धर्म-निरपेक्ष देश घोषित किया गया. संविधान में कई ऐसे अनुच्छेद मौजूद हैं, जिनके आधार पर भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश कहा जाता है. अनुच्छेद 25 के अनुसार, भारत के सभी नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने की आजादी है.

इन अधिकारों की गारंटी देता है संविधान
  • संविधान द्वारा नागरिकों को यह विश्वास दिलाया गया है कि उनके साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा.
  • संविधान में भारत का कोई धर्म घोषित नहीं किया गया है और न ही किसी खास धर्म का समर्थन किया गया है.
  • अनुच्छेद 14 के अनुसार भारत में सभी व्यक्ति कानून की दृष्टि से समान होंगे और धर्म, जाति अथवा लिंग के आधार पर उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा.
  • अनुच्छेद 15 के अनुसार, धर्म, जाति, नस्ल, लिंग और जन्म-स्थान के आधार पर भेदभाव पर पाबंदी है.
  • अनुच्छेद 25 में हर व्यक्ति को अपने धार्मिक विश्वास और सिद्धान्तों का प्रसार करने का अधिकार दिया गया है.
  • अनुच्छेद 26 धार्मिक संस्थाओं की स्थापना का अधिकार देता है.
  • अनुच्छेद 27 के अनुसार, नागरिकों को किसी विशिष्ट धर्म या धार्मिक संस्था की स्थापना या पोषण के बदले में कर देने के लिये बाध्य नहीं किया जाएगा.
  • अनुच्छेद 28 के द्वारा सरकारी शिक्षण संस्थाओं में किसी प्रकार की धार्मिक शिक्षा नहीं दिए जाने का प्रावधान  है.

ऐसे में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री का ये बयान हिन्दुओं को जागरूक करना है या एक चुनावी राजनीति? क्योंकि भारतीय संविधान तो ऐसे किसी भी कानून और नियम की अनुमति नहीं देता.

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