ओझा सर से जानिए शिक्षा के ज़रिए कैसे पैदा करें समझ? अंबेडकर के बारे में दी ये सीख

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यूपीएससी कोचिंग के कोच अवध ओझा अक्सर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। अवध ओझा एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वो क्लास में दिए गए किसी विवादित बयान की वजह से नहीं बल्कि अंबेडकर पर दिए गए अपने एक बयान की वजह से चर्चा में हैं। दरअसल, उनके पुराने इंटरव्यू की एक छोटी सी क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसमें वो अंबेडकर को लेकर अपनी विचारधारा के बारे में बात करते हैं और साथ ही ये भी बताते हैं कि कैसे हम शिक्षा के ज़रिए समझ पैदा कर सकते हैं।

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भारत समाचार को दिए अपने 6 महीने पुराने इंटरव्यू में अवध ओझा बाबा साहब के बारे में कहते हैं कि वो उनके अनुयायी नहीं हैं लेकिन वो उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं। दरअसल जब अवध ओझा से इंटरव्यू में पूछा गया कि वो किसके अनुयायी हैं, भगत सिंह, बाबा साहब अंबेडकर या गांधी जी? ये सवाल सुनते ही अवध ओझा कहते हैं कि वो इन तीनों ही लोगों से प्यार करते हैं लेकिन वो किसी के भी अनुयायी नहीं हैं। इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि अगर उन्हें इन तीनों महान गुरुओं में से किसी एक को चुनना हो तो वो किसे चुनेंगे तो ओझा सर ने इस सवाल का जवाब बड़े ही रोचक अंदाज में दिया।

Bhimrao Ambedkar
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बाब साहब पर बोले ओझा

अवध ओझा कहते हैं कि अगर उन्हें किसी एक व्यक्ति को चुनना हो तो वह हमेशा बाबा साहेब अंबेडकर को ही चुनेंगे। वह इसकी वजह भी बताते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने बाबा साहेब जैसा कोई व्यक्तित्व नहीं देखा। उनका कहना है कि बाबा साहेब को बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा, स्कूल में उनकी जाति को लेकर उनका मजाक भी उड़ाया जाता था, लेकिन उनकी मानसिकता इन सबसे ऊपर थी। उन्होंने कभी इन चीजों को खुद पर हावी नहीं होने दिया। ओझा कहते हैं कि आज के युवाओं को बाबा अंबेडकर से यह सीखने की जरूरत है कि मुश्किल परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए।

You must listen to this powerful speech of Awadh Ojha on Ambedkar
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शिक्षा शेरनी का दूध

ओझा आगे कहते हैं कि दुनिया के सभी परेशान लोगों के लिए डॉ. अंबेडकर की एक पंक्ति अमृत के समान है। जो कुछ इस प्रकार है- ‘शिक्षा शेरनी का दूध है, जो इसे पीएगा वहीं दहाड़ेगा।’  मुश्किल हालातों से हमें कोई और नहीं बचा सकता, सिर्फ शिक्षा ही है जो हमेशा हमारे साथ खड़ी रहती है। अवध ओझा यह भी कहते हैं कि आज का युवा यह नहीं समझ पा रहा है कि शिक्षा कितनी जरूरी है। उनका कहना है कि आज के युवा में न तो ईमान है और न ही गरिमा। हर कोई आसान सफलता चाहता है लेकिन उस सफलता के लिए कड़ी मेहनत नहीं करना चाहता।

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