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टीचर को दिल दे बैठे थे कुमार विश्वास, शादी के बाद घर में नहीं मिली एंट्री कुछ ऐसी है इनकी लव स्टोरी…

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’कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है’ जैसी जीवंत पंक्तियों को अपनी कविता में पिरोने वाले इस प्रेम कविता की लाइन से युवाओं के दिलों पर राज करने वाले रॉकस्टार कवि डॉ. कुमार विश्वास (Dr. Kumar Vishwas) आज के इस दौर में देश के सबसे महंगे और सबसे मशहूर कवियों में से एक हैं. लेकिन कवि ने सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में हिन्दी साहित्य का नाम बढ़ाया है और इन्हीं कविताओं के जरिए कविराज ने अपने प्रेम की शुरूआत की थी। विश्वास की लव स्टोरी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. आजकल कुमार विश्वास राजनीति से दूर राम कथा में लीं है लेकिन राम कथा में भी कुछ ऊट-पटांग बयान देकर चर्चा में बने रहते हैं. लेकिन इन सब से हटकर आज हम आपको उनकी प्रेम कहानी के बारे में बताएँगे जिसके चलते उन्हें उन्ही के घर से बेघर कर दिया गया था. क्योंकि इस बारे में शायद ही आपको पता हो की आखिर आशिकों पर अपनी शायरी से छा जाने वाले कुमार विश्वास के कवि बनने के सफर में खुद उनकी अपनी प्रेम-कहानी की ही सबसे अहम् भूमिका रही है. 

ऐसी थी शुरुआती जिन्दगी

10 फरवरी 1970 को यूपी के हापुड़ जिले के पिलखुवा गांव में पैदा हुए डॉ कुमार विश्वास की यूथ के बीच में अच्छी खासी लोकप्रियता है. कुमार विश्वास दुनिया भर के कवि सम्मेलनों में शिरकत करते रहते हैं. उनके पिता डॉ. चन्द्रपाल शर्मा,R S S डिग्री कॉलेज पिलखुवा में प्रवक्ता थे. उनकी माता रमा शर्मा एक गृहिणी हैं. 4 भाइयों और और एक बहन में सबसे छोटे कुमार विश्वास 12वीं पास तो कर ली. लेकिन उनके पिता उन्हें एक इंजीनियर बनाना चाहते थे. पिता के कहने पर कुमार विश्वास ने इंजीनियरिंग में एडमिशन भी करवाया, लेकिन उनका मन टेक्निकल की पढ़ाई में बिलकुल भी नहीं लगा.

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कैसे शुरू हुई प्रेम कहानी?

कुमार विश्वास के पिता चाहते थे कि वह इंजीनियरिंग (B.Tech) की पढ़ाई करके जिन्दगी में आगे बढ़े. क्योंकि कवि के पिता को पसंद नहीं था कि कुमार एक कवि बनें. लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ हिंदी की पढ़ाई करने के बाद साल 1994 में राजस्थान से उन्होंने हिंदी प्रवक्ता के रुप में अपनी नौकरी शुरु की, यहीं पर कुमार विश्वास की पहली मुलाकात मंजू से हुई, जो उसी कॉलेज में एक प्रवक्ता थी. यह मुलाकात कब प्यार में बदल गयी, दोनों को भी पता ही नहीं चला. कुमार विश्वास ने मंजू के लिए कविताएं लिखने की शुरुआत की.

कुमार की ये सारी कविताएं श्रृंगार रस से जुड़ी होती थीं. और इन्हीं कविताओं से कुमार ने मंजू को काफी इम्प्रेस किया जिससे वो भी कुमार को कब दिल दे बैठी पता भी नहीं चला. इसके बाद दोनों ने शादी का फैसला किया. लेकिन दोनों की जाति अलग-अलग होने की वजह से उन्होंने बिना किसी को बताए मंदिर से शादी कर ली.

पिता ने घर से निकाला

मंजू का राजस्थान के अजमेर में घर होने से कुमार विश्वास उनसे मुलाकात करने जाया करते थे. आनासागर झील, बारादरी, फायसागर झील, पुष्कर घाटी और बजरंगगढ़ मंदिर में दोनों ने कई बार मुलाकात भी की. दोनों ने कुछ दोस्तों की मदद से पहले कोर्ट में और फिर जाकर मंदिर में शादी कर ली. कहा तो ये जाता है कि शादी के बाद दोनों किराए के मकान में रहने लगे. लेकिन जब दोनों ने अपने घर वालों इस बात कि जानकारी दी तो, दोनों परिवारों में इस शादी का विरोध हुआ.

कुमार विश्वास और उनकी पत्नी को घरवालों ने अपनाने से मना कर दिया. कुमार ने लगभग 2 साल अपने घरवालों को मनाने की भी कोशिश की थी, लेकिन उन्हें घर में एंट्री नहीं मिली. तकरीबन दो साल तक कुमार के बड़े भाई और बहन पिता को समझाते रहे, जिसके बाद कुमार विश्वास की बड़ी बेटी के पैदा होने से पहले उनको और उनकी पत्नी को घर में एंट्री मिली.

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कवि बनने का प्रेरणाश्रोत मानते हैं इन्हें

वैसे आमतौर अगर कोई किसी के साथ कुछ बुरा कर देता है तो हम उससे नफरत करने लगते है या यूं कहें कि उससे मिलना जुलना उसके बारे में बात करना भी पसंद नहीं करते. लेकिन कुमार इन सब में से नहीं थे. उनके साथ जो कुछ हुआ उन्होंने उसे ही अपने सफलता का प्रेरणाश्रोत मान लिया. बता दें कि कुमार विश्वास अपने कवि बनने के पीछे 4 महिलाओं का बड़ा योगदान मानते हैं, उनकी मां जिन्होंने उन्हें गाने का सलीका सिखाया, बड़ी बहन जिन्होंने यह नाम दिया, लवर जो कविता लिखने की प्रेरणा थीं और पत्नी जिन्होंने उन्हें कवि बनने के लिए हिम्मत दी.

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