वो 7 दिन जब सिख समुदाय मनाते हैं शोक…जानिए क्यों इस दौरान नहीं किया जाता कोई शुभ काम?

Table of Content

सिख धर्म में चाहे कोई त्यौहार हो या फिर शादी…हर छोटी से छोटी खुशी को वो बड़ी धूमधाम से और ढोल नगाड़ो के साथ मनाते हैं। लेकिन क्या आप ये जानते है कि सिख धर्म में हर साल 7 दिन ऐसे हैं, जिसमें हर एक सिख शोक मनाता है। इन 7 दिनों में सिख धर्म के उन जाबाजों को याद किया जाता है, उनकी बलिदानी को याद किया जाता है, जिन्होंने छोटी-सी उम्र में जान को कुर्बान करने का तो हौसला दिखाया, लेकिन मुगलों के आगे झुकना उन्हें मंजूर नहीं था। ये जाबांज थे सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के 4 साहिबजादे। ये 7 दिन उनकी कुर्बानी को याद किया जाता है और इन 7 दिनों में शोक मनाया जाता है। आज हम आपको इन 4 साहिबजादों की उस वीरता के बारे में बताने जा रहे है, जिसे जानने के बाद आप भी उन्हें सैल्यूट करेंगे…

बात 1704 की है। मुगल शासल औरंगजेब ने गुरु गोबिंद सिंह जी को इस्लाम में लाने के लिए हर अन्नाय की सीमा का लांघना शुरु कर दिया था, वो जबरन लोगों को इस्लाम धर्म में लाने के लिए उनपर अत्याचार कर रहा था। इसी बीच जब गुरु गोबिंद सिंह जी ने औरंगजेब के आगे गुटने नहीं टेके तो उसने गुरु को जिंदा या मुर्दा पकड़ कर लाने का आदेश दिया। इस दौरान औरंगजेब के सेनापति वजीर खान को पता चला कि गुरु जी अपने परिवार समेत आनंद पुर साहिब के किले में हैं। जिसके बारे में जानने के बाद उसने करीब 10 लाख सेना लेकर किले तरफ चढ़ाई शुरु कर दिया था।

गुरु जी को जब हमले का पता चला तो उस वक्त उनके पास 40 लड़ाके ही थे। सबने कहा कि वो चारों साहिबजादें औऱ माता गुजरी को लेकर किले से चले जाएं, लेकिन उन्होंने कहा कि जब वो ही युद्ध में नहीं होगे तो लड़ाकों का मनोबल कैसे बढ़ेगा। इसलिए उन्होंने अपने दो बेटे अजीत सिंह जो कि 17 साल के थे और जुझार सिंह जो 14 साल के थे, उन दोनों को भी उन 40 लड़ाकों के साथ ले गए। सिरसा नदी के किनारे चमकौर नाम की जगह पर 42 सिख लड़ाकों के सामने 10 लाख मुगल सेना थी, लेकिन वो एक बार भी युद्ध के मैदान में उतरने से पहले नहीं हिचकिचाए। 42 सिख लड़ाकों ने मिलकर सवा लाख मुगलों को मौत के घाट उतार दिया था।

ये सारी घटनाए तारीख दर तारीख 7 दिनों तक हुई जो इस तरह थी..

– 21 दिसंबर 1704 को चमकौर का युद्ध शुरु हुआ तब गुरु जी ने अपने परिवार के साथ आनंद पुर साहिब का किला छोड़ दिया था। 22 दिसंबर 1704 को गुरु जी युद्ध के मैदान में उतरे और इस युद्ध में अजीत सिंह और जुझार सिंह वीरगति को प्राप्त हुए।

– 23 दिंसबर को माता गुजरी और छोटे दोनों साहिबजादे जोरावर सिंह जो कि 8 साल के थे और फतेह सिंह जो कि 4 साल के थे, उनके रसोइया गंगू ने उनका सारा सामान चुरा लिया और मोरिंडा के चौधरी गनी सिंह को तीनों की मुखबिरी कर दी। और तीनों को गिरफ्तार करवा दिया। जिसके कारण गुरुजी को युद्ध बीचे में ही छोड़कर जाना पड़ा।

– 24 दिसंबर को माता गुजरी और दोनो छोटे साहिबजादों को सरहिंद पहुंचाया गया और तीनों को ठंडे बुर्ज में नजरबंद कर दिया गया।

– 25 दिसंबर के दिन छोटे साहिबजादे फतेह सिंह को नवाब नजीर के सामने पेश किया गया और उनसे इस्लाम अपनाने को कहा गया, लेकिन छोटे साहब ने ऐसा करने से इंकार कर दिया।

– 26 दिसंबर को तीसरे साहिबजादे जोरावर सिंह को भी जान बख्श देने के ऐवज में इस्लाम अपनाने को कहा गया, लेकिन वो भी टस से मस न हुए।

– 27 दिसंबर को दोनों साहिबजादों की जिद के कारण खीज खाए नवाब वजीर खान ने दोनों को जिंदा ही दीवार में चुनवा देने का आदेश दिया। लेकिन वहां पर चमत्कार हो गया, दीवार खुद ही ढह गई, जिसके बाद दोनों साहिबजादों का गला रेत कर उन्हें मार दिया गया।

ये 7 दिन सिख धर्म के इतिहास में गुरु गोबिंद सिंह जी के खत्म हुए परिवार की कहानी और यहीं कारण है सिख इन 7 दिनो में शोक मनाते है।

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Ahan Pandey News

Ahan Pandey News: ‘सैयारा’ के बाद बदल गई ज़िंदगी, 28 की उम्र में बॉलीवुड का नया सेंसेशन बने अहान पांडे

Ahan Pandey News: बॉलीवुड में बहुत कम ऐसे चेहरे होते हैं जो आते ही माहौल बदल देते हैं। ज्यादातर कलाकारों को पहचान पाने में सालों लग जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके लिए पहली ही फिल्म गेमचेंजर साबित होती है। अहान पांडे उन्हीं नामों में शामिल हो चुके हैं। हाल ही...
Who is CR Subramanian

Who is CR Subramanian: 1600 स्टोर, 3500 करोड़ का खेल… और फिर ऐसा मोड़ कि आज जेल में पाई-पाई को तरस रहा है ये कारोबारी

Who is CR Subramanian: देश में ऐसे कई बिजनेसमैन रहे हैं जिन्होंने बिल्कुल जीरो से शुरुआत कर अरबों की दुनिया खड़ी की। लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी हैं, जहां सफलता जितनी तेजी से मिली, उतनी ही तेजी से सब कुछ हाथ से निकल गया। भारतीय कारोबारी सीआर सुब्रमण्यम (CR Subramanian) की कहानी भी कुछ ऐसी...
Bath in winter

Bath in winter: सर्दियों में नहाने से डर क्यों लगता है? जानिए रोज स्नान की परंपरा कहां से शुरू हुई और कैसे बनी आदत

Bath in winter: उत्तर भारत में सर्दियों का मौसम आते ही नहाना कई लोगों के लिए सबसे बड़ा टास्क बन जाता है। घना कोहरा, जमा देने वाली ठंड और बर्फ जैसे ठंडे पानी को देखकर अच्छे-अच्छों की हिम्मत जवाब दे जाती है। यही वजह है कि कुछ लोग रोज नहाने से कतराने लगते हैं, तो...
Sikhism in Odisha

Sikhism in Odisha: जगन्नाथ की धरती पर गुरु नानक की विरासत, ओडिशा में सिख समुदाय की अनकही कहानी

Sikhism in Odisha: भारत में सिख समुदाय की पहचान आमतौर पर पंजाब से जोड़कर देखी जाती है, लेकिन देश के पूर्वी हिस्सों, खासकर ओडिशा में सिखों की मौजूदगी का इतिहास उतना ही पुराना, जटिल और दिलचस्प है। यह कहानी केवल धार्मिक प्रवास की नहीं है, बल्कि राजनीति, औपनिवेशिक शासन, व्यापार, औद्योगीकरण और सामाजिक संघर्षों से...
Ambedkar and Christianity

Ambedkar and Christianity:आंबेडकर ने ईसाई धर्म क्यों नहीं अपनाया? धर्मांतरण पर उनके विचार क्या कहते हैं

Ambedkar and Christianity: “मैं एक अछूत हिंदू के रूप में पैदा हुआ था, लेकिन हिंदू के रूप में मरूंगा नहीं।” डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की यह पंक्ति सिर्फ एक व्यक्तिगत घोषणा नहीं थी, बल्कि सदियों से जाति व्यवस्था से दबे समाज के लिए एक चेतावनी और उम्मीद दोनों थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन जाति प्रथा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds