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खुद को “GOD” समझते हुए इन हत्यारी नर्सों ने उतारा कई मरीजों को मौत के घाट, ‘Angels of Death’ के नाम से दुनियाभर में मशहूर

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साल 1960 में जन्मी वालट्रुड वैगनर, मारिया ग्रुबेर, इरेन लेडॉल्फ और स्टेफ़निजा मेयर ये वो नाम है जिन्होंने 20वीं शताब्दी में यूरोप में सबसे असामान्य अपराध टीमों में से एक टीम बनाई. ये चारों ऑस्ट्रियाई महिलाएं वियना के लैन्ज़ जनरल अस्पताल में नर्स के रूप में काम करती थी, लेकिन इसके अलावा वो एक और दिल दहलाने वाला काम करती थी. जिसे अंजाम देने के लिए वो ऐसे रोगियों की हत्या करती थी, जिनकी उम्र 70 साल या उससे ज्यादा थी.

आपको बता दें कि वैगनर ने केवल 23 साल की उम्र में मॉर्फिन के ओवरडोज से एक मरीज को पहली बार मारा था. इस दौरान उसे भगवान की भूमिका निभाते हुए और अपने हाथों में जीवन और मृत्यु की शक्ति रखने का आनंद मिला. उसने 19 साल के ग्रुबेर, 21 साल के लेडॉल्फ और “house mother” of the group 43 वर्षीय स्टेफ़निजा मेयर को अपने यहां भर्ती कर एक टीम बनाई.

वो बात अलग है कि लीथल इंजेक्शन से अधिक असर नहीं होने की वजह से इस ग्रुप ने अपना खुद का एक मर्डर मेथड का अविष्कार किया, जिसका नाम “डेथ पैवेलियन” रखा. इसके तहत ग्रुप का एक सदस्य पीड़ित के सिर को पकड़ता था और उसकी नाक को दबाकर बंद कर देता था और फिर दूसरा सदस्य पीड़ित के मुंह में पानी तब तक डालता रहता था जब तक वो बेड पर ही बेजान न पड़ जाएं. आमतौर पर ऐसा ही होता था कि बुजुर्ग रोगियों के फेफड़ों में तरल पदार्थ होता था, जिसके वजह से पानी से मर्डर करने वाली बात कभी सामने नहीं पाती थी.

इस ग्रुप ने एक स्थानीय सराय में कुल 6 साल में 49 हत्याएं की थी, जिसे उन्होंने बाद कबूल किया. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि ये ग्रुप 200 हत्याओं के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं. आज भी इन सभी नर्सों को लोग ‘Angels of Death’ के नाम से जानते हैं. साल 1839 में निर्मित, वियना, लेन्ज जनरल हॉस्पिटल, ऑस्ट्रिया में चौथा सबसे बड़ा हॉस्पिटल था, जिसमें कुछ 2,000 कर्मचारी थे और वहां ज्यादातर कई मरीज 70 से अधिक के उम्र के थे.

वैगनर को मरीजों को मारने की धारणा उस वक्त मिली जब उससे एक 77 वर्षीय महिला ने अपना दुख खत्म करने के लिए कहा, जिसके बाद वैगनर ने मॉर्फिन के ओवरडोज की मदद से महिला की हत्या कर दी. इस दौरान उसने खुद को भगवान की भूमिका निभाते पाया, जिससे उसमें उसे आनंद आया. उस लगा कि उसके हाथों में जीवन और मृत्यु की शक्ति है. इतना ही नहीं इस बारे में वैगनर ने अपने खास दोस्तों को भी बताया जिससे जानकर उन्हें अच्छा लगा.

मामले की जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि वैगनर समूह की साध्वी स्वेगाली थी, जो अपने शिष्यों को घातक इंजेक्शन की सही तकनीकों के बारे में बताते हुए पानी से इलाज करना सिखाती थी. वहीं जब किसी रोगी को झुंझलाहट होती या वो किसी तरह की शिकायत करता जैसे चादरों को भिगोना, खर्राटे लेना, दवा लेने से मना करना या फिर ऐसे समय में मदद मांगना जब नर्स को असुविधा हो तो ऐसे में वो मरीजों को उसी रात मौत के घाट उतारने की योजना बना लेती थी और फिर वैगनर और उसके साथी मिलकर हत्या को अंजाम देते थे.

साल 1988 तक ये हत्या का मामला काफी ज्यादा फैलने लगा, जिसके बाद जब शुरू की गई. अप्रैल 1989 में वार्ड के प्रभारी डॉ. जेवियर पेसेंडरॉर्फ को निलंबित किया गया था लेकिन उसके बाद भी हत्या के कई मामले सामने आते रहे. वहीं दूसरी ओर हत्यारे लापरवाही बरतने लगे, जिसके चलते उनका पर्दाफाश हो गया. साल 1989 के फरवरी में जब वालट्रैड वैगनर और उसके साथियों ने काम के बाद कुछ ड्रिंक किया. नशे में वो बुजुर्ग मरीज जूलिया द्रापाल की पानी से हत्या कर देने के बारे में बात करते हुए हंसने लगे तभी पास में खड़े एक डॉक्टर ने उनकी बातें सुन ली और बहुत ज्यादा डर गया.

ये सुनने के बाद उसने पुलिस के पास जाकर सारी बातें बता दी. जिसके बाद 6 हफ्ते की जांच चली और 7 अप्रैल को सभी 4 संदिग्धों की गिरफ्तारी की गई. बता दें कि इन चारों को ‘Angels of Death’ भी कहा जाता था, जिन्होंने पूछताछ के दौरान 49 हत्या की बात कबूल कर ली. जहां वैगनेर पर अकेले 39 हत्या का आरोप लगा, तो वहीं वीनस स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अलोइस स्टैचर ने इरेने लीडोल्फ के हवाले से कहा कि पिछले 2 सालों में वैगनर द्वारा 100 रोगियों की हत्या की गई थी. जबकि टीम के अन्य सदस्य स्टेफ़निजा मेयर ने ये स्वीकार कर लिया कि उसने बहुत बार वैगनर की मदद की.

आपको बता दें कि जैसे-जैसे ये मुकदमा आगे बढ़ता गया, वैसे-वैसे वैगनर हत्याओं में अपनी भूमिका पर चर्चा करने से हिचकने लगी और फिर साल 1990 के अंत तक उसने अपने 39 हत्या के मामलों में इस बात का दावा किया कि उनमें से उसने दस की हत्या मरीज के दर्द को कम करने के लिए की थी. इन हत्याओं को ऑस्ट्रिया के इतिहास का सबसे क्रूर और बड़ा क्राइम बताया था, इतना ही नहीं जज और वैगनर और उनके साथियों के डिफेंडर ने भी उनसे कोई सहानुभूति नहीं दिखाई.

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