सूडान में 40,000 जगहों से निकलता है सोना लेकिन लोग भूखे सोने पर मजबूर

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सूडान में चल रहा गृह युद्ध अभी भी जारी है और ये जंग अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) और सेना के बीच है. जिसकी वजह से यहाँ पर तनाव बना हुआ है और तीन हजार भारतीय भी सूडान में फंसे हुए हैं. अभी तक इस हिंसा में 185 लोगों की जान जा चुकी है और इसके पीछे राजनीतिक तनाव और संघर्ष है लेकिन इस लड़ाई की वजह सोने का भंडार भी है. जिसकी वजह से इस समय सूडान आर्थिक संकट से जूझ रहा है.  वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि इतना बड़ा सोना का भंडार होने के बावजूद लेकिन यहाँ के लोग भूखे सोने पर मजबूर है.

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सूडान में हैं सबसे बड़ा सोने का भंडार

जानकारी के अनुसार, पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे बड़ा सोने का भंडार सूडान में है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ 2022 में ही सूडान ने 41.8 टन सोने के निर्यात से करीब 2.5 अरब डॉलर की कमाई की थी यानी सोना ही सूडान के लिए मुनाफा का सबसे बड़ा साधन है और मौजूदा वक्त में इन सोने की खदानों पर हेमेदती यानी मोहम्मद हमदान दगालो और आरएसएफ मिलीशिया का कब्जा है. दोनों ही इस धातु को केवल खार्तूम सरकार को ही नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्कों को भी बेचते हैं. दूसरी तरफ रूस की तरफ से प्रिगोझिन भी सोने के खनन का काम करवाते रहते हैं.  सूडान में बड़े पैमाने पर सोने का खनन जारी है. वहीं यूरोपीय संघ ये दावा भी करती है कि मेरो गोल्ड पर वैगनर समूह का अधिकार है. वैगनर समूह ने ये अधिकार सूडानी सेना के साथ अपनी संबद्धता के जरिए हासिल किया है.  वहीं अनगिनत सोने के खनन ने खदानों के आस पास के इलाकों पर बहुत बुरा असर पड़ा है.  खदानों के ढहने से मरने वालों की भारी संख्या और शोधन में इस्तेमाल होने वाले मर्करी और आर्सेनिक ने इस तबाही को और गंभीर बना दिया है.

सूडान के लिए सोना बना ‘अभिशाप’

साल 1956 तक सूडान ब्रिटिश शासन का हिस्सा था तब सूडान के लिए देश उतार चढ़ाव से भरा रहा. इस दौरान देश को अपने तेल भंडार के बारे में पता चला और यह मुख्य वित्तीय 980 के दौर में उसके बाद देश के दक्षिणी हिस्से में आजादी के लिए संघर्ष शुरू हो गया. 2011 में रिपब्लिक ऑफ साउथ सूडान बनने के साथ ये संघर्ष खत्म हुआ और दक्षिणी सूडान बनने के साथ ही कच्चे तेल के निर्यात से होने वाली दो तिहाई आमदनी वहां चला गया.  साल 2012 में देश के उत्तरी हिस्से में सोने के विशाल भंडार का पता चला.  ये सोने का भंडार देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के काम आया. इस सोने को जहाँ ईश्वर की देन समझा गया और माना गया कि साउथ सूडान की वजह से देश ने जो खोया, उसकी भरपाई हो सकती है. ” लेकिन सोना अभिशाप बन गया, अलग-अलग पक्ष इस क्षेत्र पर कब्जा करना चाहते थे और देश में लूटपाट और मौत का सिलसिला भी शुरू हुआ.

सोना लूटने की वजह से मरे लोग 

एक रिपोर्ट के अनुसार, हजारों लोग सोना लूटने को इकट्ठा हुए और  कुछ लोग भुरभुरी खदान धंस गए और वहीं पर मारे गए और इन लोगों की मरने की वजह सोना को शोधन करते समय मर्करी और आर्सेनिक गैस का निकलना था जो उनके लिए जहर साबित हुई. प्रोफेसर अल जीली हामूदा सालेह के मुताबिक, ” देश में 40,000 जगहों से सोने का खनन होता है.  देश के 13 प्रांतों में सोने का शोधन करने वाली 60 कंपनियां हैं, दक्षिणी कोर्दोफान की 15 कंपनियां पर्यावरणीय मानदंडों को नहीं मानती हैं इसलिए अभी कुछ भी बदलने नहीं जा रहा.

2019 में तेज हुआ सोने का संघर्ष

वहीं 2019 में सेना के सूडान में तख्तापलट हुआ और ओमर अल बशीर की सरकार गिरने के बाद सत्ता देश दो प्रमुख लोगों हेमेदती और अल बुरहान के हाथ में चली गई. पिछले साल दिसम्बर में दोनों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि सोने का सारा उत्पादन चुनी हुई सरकार को सौंप दिया जाएगा लेकिन धीरे-धीरे हेमेदती की ताकत गई और अल बुरहान के करीबी लोगों ने आरएसएफ की गतिविधियों को नियंत्रित करने की सेना को सलाह दी. उत्तरी सूडान में सोने की खदानों के नियंत्रण और हिस्सेदारी में कई और ताकते भी सक्रिय हैं ऐसे में ये बुरहान ने एक व्यापक राजनीतिक रास्ता अपनाया.  हेमेदती से सुरक्षा सुधार वार्ता करने की कोशिश की गई. जवाब में हेमेदती ने बुरहान की एक भी शर्त नहीं मानी.  ऐसे में कई कारणों के अलावा सोना ताजा संघर्ष का प्रमुख कारण बन गया.  सोना की वजह वजह से बीते सप्ताहांत हिंसा भड़क उठी औलम ये हैं कि ये युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.

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