पकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की तरह ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर ‘तोशखाना’ जैसा घोटाला करने का आरोप लगा है. दरअसल आरोप ये है कि ट्रम्प ने राष्ट्रपति रहते विदेशी नेताओं द्वारा मिले करीब 250,000 डॉलर (2.06 करोड़ रुपये) के गिफ्ट्स का खुलासा आजतक नहीं किया. इन उपहारों में भारत कई बड़े दिगाज नेताओं के उपहार भी जिसमे पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा दिए गए गिफ्ट भी शामिल हैं.
रिपोर्ट कमिटी ने किया खुलासा
अमेरिकी कांग्रेस की डेमोक्रेट्स कमेटी की एक रिपोर्ट में ट्रम्प पर ये आरोप लगाए गए हैं. कि ट्रम्प ने उन्हें और उनके परिवार को मिले करीब 100 विदेशी गिफ्ट का आजतक कोई खुलासा नहीं किया. जिनकी कुल कीमत 250,000 डॉलर थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प परिवार को भारत की यात्रा के दौरान कुल 17 गिफ्ट मिले थे. इनकी कीमत 47,000 अमेरिकी डॉलर थी. इनमें योगी आदित्यनाथ द्वारा 8,500 अमेरिकी डॉलर का फूलदान, 4,600 डॉलर का ताजमहल का मॉडल, पूर्व राष्ट्रपति कोविंद द्वारा 6600 डॉलर का भारतीय गलीचा, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 1900 डॉलर के कफलिंक शामिल हैं.
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5 साल तक राष्ट्रपति रहे थे डोनाल्ड ट्रम्प
जिस रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा किया उसने अपनी रिपोर्ट का टाइटल दिया है ‘सऊदी स्वार्ड, इंडियन ज्वेलरी एंड ए लार्जर दैन लाइफ साल्वाडोरन पोर्ट्रेट ऑफ डोनाल्ड ट्रम्प: द ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन फेलियर टू डिसक्लोज मेजर फॉरन गिफ्ट”. डेमोक्रेट्स कमेटी की शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि ट्रम्प राष्ट्रपति रहते इन उपहारों का विदेशी सरकारी अधिकारियों से खुलासा करने में असफल रहे. जबकि फॉरन गिफ्ट्स एंड डेकोरेशन एक्ट के तहत उन्हें ऐसा करना चाहिए था. डोनाल्ड ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी से हैं. वे 2017 से 2021 तक यूएस के 45वें राष्ट्रपति रहे.
डेमोक्रेट्स सांसद और निगरानी और जवाबदेही समिति के सदस्य जेमी रस्किन ने कहा, डेमोक्रेट्स कमेटी इन लापता बड़े उपहारों के अंतिम ठिकाने का पता लगाने के लिए प्रतिबद्ध है. इन उपहारों में गोल्फ क्लब, अल सल्वाडोर से डोनाल्ड ट्रम्प के लार्जर दैन लाइफ पोर्ट्रेट और अन्य संभावित आइटम शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा नियंत्रणों और सटीक रिकॉर्ड रखने में कमी के चलते इन उपहारों को नुकसान पहुंचा है.
ऐसे ही केस में फंसे थे पाक पीएम इमरान खान
पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान भी इसी तरह के तोशखाना मामले में दोषी पाए जा चुके हैं. पाकिस्तान चुनाव आयोग ने इस मामले में इमरान खान की संसद सदस्यता रद्द कर दी थी. खान पर आरोप था कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए जो तोहफे लिए थे, उसके बारे में गलत जानकारी दी.
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क्या था तोशाखाना मामला?
तोशाखाना पाकिस्तानी कैबिनेट का एक विभाग है, जहां अन्य देशों की सरकारों, राष्ट्रप्रमुखों और विदेशी मेहमानों द्वारा दिए गए बेशकीमती उपहारों को रखा जाता है. नियमों के तहत किसी दूसरे देशों के प्रमुखों या गणमान्य लोगों से मिले उपहारों को तोशाखाना में रखा जाना जरूरी है.
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इमरान खान 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे. उन्हें अरब देशों की यात्राओं के दौरान वहां के शासकों से महंगे गिफ्ट मिले थे. उन्हें कई यूरोपीय देशों के राष्ट्रप्रमुखों से भी बेशकीमती गिफ्ट मिले थे, जिन्हें इमरान ने तोशाखाना में जमा करा दिया था. लेकिन इमरान खान ने बाद में तोशाखाना से इन्हें सस्ते दामों पर खरीदा और बड़े मुनाफे में बेच दिया. इस पूरी प्रक्रिया को उनकी सरकार ने बकायदा कानूनी अनुमति दी थी.