यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा (Kailasa) के भगौड़ा निर्माता स्वयंभू संत और तमाम बड़े अपराधों के आरोपी स्वामी नित्यानंद (Swami Nityananda) एक बार फिर फिर सुर्खियों में है. कुछ महान विचित्र उन्हें एक नए पंथ का जनक भी कहते हैं. वह नित्यानंद ध्यानपीतम के संस्थापक है, जिसके आध्यात्मिक अनुयायियों की एक बड़ी संख्या है और पूरे भारत के कई मंदिरों और गुरुकुलों का स्वामित्व इसके पास है. एक अमेरिकी नागरिक और नित्यानंद भक्त ने उस पर 2010 में पांच साल की अवधि में कई बार यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है उसने तथाकथित धर्मगुरु के खिलाफ कई मुकदमे किए. रेप-अपहरण जैसे गंभीर मामलों में आरोपी और भारत से भगौड़ा नित्यानंद अब अमेरिका के लिए सिरदर्द बन गया है. काल्पनिक देश कैलासा बसाने वाले नित्यानंद ने अमेरिका के 30 शहरों में फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है. धोखाधड़ी की सच्चाई जनाने के बाद अब अमेरिका के शहरों को इस बात का अफसोस हो रहा है. कि उन्होंने नित्यानंद के बारे में जांच-पड़ताल क्यों नहीं की.
यूएन कैसे पहुंचा यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा
संयुक्त राष्ट्र संगठन ने एक घोषणा की कि सभी सदस्यों को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के कार्यान्वयन पर समिति को रिपोर्ट देना जरूरी है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा कि कोई भी सदस्य राज्य, संगठन या यहां तक कि व्यक्ति भी CESCR की ओर रुख कर सकता है. खासकर अगर उन्हें लगता है कि अनुबंध के तहत उनके दायित्वों का दुरुपयोग किया गया है.
इसके अनुसार यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ कैलासा के प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र समिति के समक्ष हाजिर हुए और चर्चा की. 24 फरवरी को जिनेवा में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की समिति (CESCR) के एक सत्र में सभी महिला दूतों ने ‘निर्णय लेने वाली प्रणालियों में महिलाओं के समान और समावेशी प्रतिनिधित्व’ पर संवाद में भाग लिया. उन्होंने कहा कि नित्यानंद को दुनिया भर में परेशान किया जा रहा है और चर्चा के दौरान हिंदू धर्म के सर्वोच्च पुजारी की सुरक्षा का अनुरोध किया है. हालांकि संयुक्त राज्य कैलासा 193 मान्यता प्राप्त राष्ट्रों में से एक नहीं है.
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कैलासा ने धोखे से किया एग्रीमेंट- अमेरिका
दरअसल, जानकारी के मुताबिक दावा किया गया है कि यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा ने 30 से अधिक अमेरिकी शहरों के साथ एक ‘सांस्कृतिक भागीदारी’ समझौता किया है. यह रिपोर्ट अमेरिकी राज्य न्यू जर्सी के नेवार्क शहर की ओर से यह कहने के कुछ दिनों बाद सामने आई कि उसने काल्पनिक देश के साथ ‘सिस्टर सिटी’ समझौता निरस्त कर दिया है. समझौता करने वाले शहरों में नेवार्क, रिचमंड, वर्जीनिया, डेटन, ओहिया, बुएना पार्क और फ्लोरिडा जैसे शहर शामिल है.
एग्रीमेंट के बाद हुआ सकाम का एहसास- अमेरिका
अमेरिका की न्यू जर्सी काउंटी के सबसे बड़े शहर नेवार्क के साथ कैलासा ने 12 जनवरी 2023 को सिस्टर-सिटी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके लिए एक कार्यक्रम का आयोजन नेवार्क के सिटी हॉल में किया गया था. इस कार्यक्रम की जानकारी शेयर करते हुए ही नित्यानंद ने 30 से ज्यादा अमेरिकी शहरों के साथ कैलासा के समझौते का दावा किया था.. हैरान करने वाली बात ये है. कि पूरा कार्यक्रम खत्म होने के बाद अधिकारियों को एहसास हुआ कि उनके साथ स्कैम हुआ है. जिसके बाद अमेरिकी राज्यों ने कैलासा के साथ एग्रीमेंट खत्म किया था.
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अमेरिकी शहरों को ही ठहराया दोषी
फिलहाल अमेरिका में इस बात की पड़ताल की जा रही है कि क्या ऐसे और शहर तो नहीं हैं. जिनके साथ नित्यानंद के कैलासा ने फर्जीवाड़ा किया हो. समझौते किए हैं. 30 में से अधिकतर शहर ने इस बात की पुष्टि कर दी कि उन्होंने गलती से नित्यानंद के कैलास के साथ सिस्टर-सिटी एग्रीमेंट कर लिया था. वहीं फॉक्स न्यूज ने इस स्कैम का शिकार होने वाले अमेरिकी शहरों को भी कुछ हद तक दोषी ठहराया है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर शहर के जिम्मेदार अधिकारी नित्यानंद के बारे में गूगल पर सर्च ही कर लेते तो इस तरह की गलती नहीं होती.
इस तरह बरगलाया 30 से ज्यादा अमेरिकी शहरों को
फॉक्स न्यूज ने यह दावा किया है कि प्रसिद्ध धर्मगुरु स्वामी नित्यानंद और उनके फर्जी राष्ट्र कैलासा ने 30 अमेरिकी शहरों के साथ धोखेबाजी की. नेवार्क ने कथित तौर पर स्वीकार किया कि उन्हें एक काल्पनिक हिंदू राष्ट्र के साथ सिस्टर सिटी बनने के नाम पर धोखा दिया गया था. थोड़ा पीछे चलते है. अमेरिका में साल 1955 में चुनाव जीतकर ड्वाइट डेविड आइजनहावर राष्ट्रपति बने. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका की सत्ता संभालने वाले आइजनहावर ने सिस्टर सिटीज इंटरनेशनल के रूप में पहल की. भगोड़े नित्यानंद ने भी अमेरिका के इस सिस्टर सिटी एग्रीमेंट का फायदा उठाया. वास्तव में यह एग्रीमेंट किन्हीं दो देशों के दो शहरों के बीच होता है. इससे इन शहरों के बीच शैक्षणिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक संबंध मजबूत होते हैं.
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इसी की फायदा उठा नित्यानंद ने अमेरिकी शहरों के साथ अपने फर्जी राष्ट्र कैलासा का अनुबंध कर धोखाधड़ी की. आलम यह था कि नेवार्क के मेयर रास बाराका ने सांस्कृतिक व्यापार समझौते के लिए कैलासा के प्रतिनिधियों को नेवार्क सिटी हॉल में आमंत्रित भी किया. बाद में उन्हें पता चला कि कैलासा एक फर्जी राष्ट्र था. इसके बाद सिस्टर सिटी समझौते की कागजी कार्रवाई को मंजूरी देने के कुछ ही दिनों बाद नेवार्क सिटी काउंसिल ने इसे रद्द कर दिया. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी शहरों ने जोर देकर कहा कि घोषणा एक समर्थन नहीं है, बल्कि एक अनुरोध की प्रतिक्रिया है. उनमें से अधिकांश ने पुष्टि की कि उन्होंने अनुरोध के तहत बहुत अधिक जानकारी नहीं दी गई. यह इंगित करता है कि कैलासा ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहकर समझौते के लिए राजी कर लिया था.