Who is Swami Kailashanand Giri: स्वामी कैलाशानंद गिरि का बिहार से आध्यात्मिक शिखर तक का सफर, उनका आशीर्वाद पाकर स्टीव जॉब्स की पत्नी बनीं शिष्या

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Who is Swami Kailashanand Giri: भारत की धार्मिक परंपरा में संतों और महापुरुषों का विशेष स्थान रहा है। इन्हीं महान संतों में से एक हैं स्वामी कैलाशानंद गिरि, जो हिंदू धर्म के प्रतिष्ठित आध्यात्मिक गुरु, संत, योग गुरु और वेद-पुराणों के विद्वान हैं। वे निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं और लाखों नागा साधुओं को दीक्षा दे चुके हैं। उनका जीवन कठोर तपस्या, आध्यात्मिक अनुशासन और समाज सेवा के लिए समर्पित है।

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प्रारंभिक जीवन और सन्यास की राह- Who is Swami Kailashanand Giri

स्वामी कैलाशानंद गिरि का जन्म 1 जनवरी 1976 को बिहार के जमुई जिले में हुआ था। वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन ईश्वर भक्ति की ओर आकर्षित होकर उन्होंने बचपन में ही घर-बार छोड़ दिया। वे भगवान की भक्ति में इतने तल्लीन हो गए कि उन्होंने फिर कभी पारिवारिक जीवन की ओर नहीं देखा। जूना अखाड़े से जुड़े संतों के अनुसार, एक बार जब कोई व्यक्ति संन्यास धारण कर लेता है, तो वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है।

निरंजनी अखाड़े से जुड़ाव

स्वामी कैलाशानंद गिरि निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं, जो हिंदू संतों की एक प्रतिष्ठित शाखा है। इस पद को प्राप्त करने के लिए गहन तपस्या और वेद, उपनिषद, पुराणों का विस्तृत ज्ञान आवश्यक होता है। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने इस कठिन परीक्षा को सफलतापूर्वक पार किया और 2013 के प्रयागराज महाकुंभ के दौरान उन्हें अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। 2021 में वे निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बने।

महामंडलेश्वर की पदवी और महत्व

महामंडलेश्वर संत समाज में एक प्रतिष्ठित पद होता है। जिस तरह किसी देश में प्रधानमंत्री के ऊपर राष्ट्रपति होता है, उसी तरह संतों में भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के समक्ष एक पदवी होती है। संतों में शंकराचार्य का पद सबसे बड़ा होता है। इन्हें संतों का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है। शंकराचार्य के बाद सभी 13 अखाड़ों के अपने-अपने आचार्य महामंडलेश्वर होते हैं।

अखंड तपस्या और कठोर साधना

स्वामी कैलाशानंद गिरि की साधना असाधारण रूप से कठिन और अनुशासित मानी जाती है। मानसून के दौरान 14 घंटे तक भगवान शिव का महारुद्राभिषेक करना, मौन व्रत रखना और सावन तथा नवरात्रों में 22 से 24 घंटे एक ही आसन पर बैठकर पूजा-अर्चना करना उनकी विशेष साधना का हिस्सा है। यह कठोर तपस्या उन्हें आध्यात्मिक रूप से और भी प्रभावशाली बनाती है, जिससे वे लाखों भक्तों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

हरिद्वार में आध्यात्मिक केंद्र

वर्तमान में स्वामी कैलाशानंद गिरि हरिद्वार के चंडी घाट स्थित काली मंदिर के प्रमुख हैं, जिसे दक्षिण काली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भक्तों के लिए एक प्रमुख आस्था केंद्र बन चुका है। हरिद्वार में स्थापित इस मंदिर का स्वरूप स्वामी जी के आगमन के बाद पूरी तरह से बदल गया, जिससे यह धार्मिक स्थल और भी अधिक आकर्षण का केंद्र बन गया।

समाज में प्रभाव और प्रतिष्ठा

स्वामी कैलाशानंद गिरि को उनकी कठोर साधना, योग और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी सम्मानित किया जाता है। उनके भक्तों में कई राजनीतिक हस्तियां, फिल्मी सितारे, और खेल जगत की प्रमुख हस्तियां शामिल हैं। अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, दिवंगत राजनेता अमर सिंह, और मुकेश अंबानी परिवार जैसे नामचीन लोग भी स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त कर चुके हैं।

एप्पल के को-फाउंडर की पत्नी को दिया अपना गोत्र

दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी एप्पल के को-फाउंडर रहे दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल भी स्वामी कैलाशानंद गिरि के सानिध्य में कल्पवास करेंगी। उन्होंने स्वामी कैलाशानंद गिरि को अपना आध्यात्मिक गुरु माना है। स्वामी जी ने उन्हें अपना गोत्र प्रदान किया और ‘कमला’ नाम दिया। यह घटना स्वामी कैलाशानंद गिरि की आध्यात्मिक प्रतिष्ठा को और अधिक बढ़ाती है।

भक्तों की श्रद्धा और मान्यता

स्वामी कैलाशानंद गिरि के भक्तों का मानना है कि उनकी साधना और आध्यात्मिक ऊर्जा किसी भी व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। ओमप्रकाश जमदग्नि, जो उनके आश्रम से जुड़े हुए हैं, कहते हैं कि 22 घंटे तक एक ही आसन पर बैठकर साधना करना एक असाधारण शक्ति का प्रतीक है। भक्तों की मान्यता है कि स्वामी जी का मिलनसार स्वभाव और उनके विचारों की स्पष्टता उन्हें एक विशेष आध्यात्मिक नेता बनाती है।

कई नामचीन हस्तियां स्वामी कैलाशानंद गिरि की भक्त

स्वामी कैलाशानंद गिरि के भक्तों में कई प्रसिद्ध कलाकार और राजनेता शामिल हैं। अखिलेश यादव, मुलायम सिंह यादव, हनी सिंह, सुरेश रैना, ऋषभ पंत, और कंगना रनौत जैसे बड़े नाम उनके आशीर्वाद ले चुके हैं।

आध्यात्मिक धारा का विस्तार

स्वामी कैलाशानंद गिरि अपनी धार्मिक यात्राओं और कार्यक्रमों के माध्यम से भक्ति की धारा को पूरे भारत में प्रवाहित कर रहे हैं। कुंभ मेले के दौरान, वे विशेष पूजा और साधना के माध्यम से भक्तों को अध्यात्म का अनुभव कराते हैं।

स्वामी कैलाशानंद गिरि का जीवन त्याग, तपस्या और भक्ति का प्रतीक है। वे न केवल संतों और साधुओं के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। हरिद्वार स्थित दक्षिण काली मंदिर और उनके अन्य आश्रमों में उनकी उपस्थिति भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव का अवसर प्रदान करती है।

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