आखिर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को बचा कौन रहा है?

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500 साल से हमारे
पूर्वजों ने इस धरती पर अपना खून बहाया है. कुर्बानी देने वाले इतने लोग हैं कि हम
उंगलियों पर गिना नहीं सकते. इस धरती के दावेदार हम हैं. इस दावे से हमें कोई पीछे
नहीं हटा सकता. न इंदिरा गांधी हटा सकी थी और न ही मोदी या अमित शाह हटा सकता है.
दुनिया भर की फौजें आ जाएं, हम मरते मर जाएंगे लेकिन अपना दावा नहीं छोड़ेंगे.

यह बयान खालिस्तान समर्थक ‘वारिस पंजाब दे’ (Waris Punjab De) के प्रमुख अमृतपाल
सिंह (Amritpal Singh) का है, जो पिछले कुछ समय से पंजाब में बैठकर देश की अखंडता पर चोट करने का
प्रयास कर रहा है. लेकिन अभी तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है और न ही उस पर कोई
एक्शन हुआ है. सवाल यह है कि आखिर उसे बचा कौन रहा है?

और पढ़ें: ‘शराब घोटाला, शिक्षा घोटाला, बस घोटाला…’, इन सब के बावजूद दूध के धुले हैं केजरीवाल

‘AAP का खालिस्तान कनेक्शन’

करीब साढ़े 6 फीट का कद, सिर पर नीले रंग की पग, शरीर पर सफेद रंग का बाना और हाथ में तलवार, यही है अमृतपाल सिंह का हुलिया. 23 फरवरी को इसके नेतृत्व में हजारों लोगों
की भीड़ ने अमृतसर के अजनाला थाने पर धावा बोल दिया था और वहां जेल में बंद अपने
साथी को छुड़ाया था. उस घटना में 6 पुलिसवाले बुरी तरह से घायल हो गए थे. उसके बाद
से ही अमृतपाल सिंह पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है.

पिछले कुछ समय में उसके कई देश
विरोधी बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं लेकिन न तो पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार कुछ कर रही है और न ही केंद्र की मोदी सरकार कोई सख्त एक्शन लेते दिख रही
है. हालांकि, आम आदमी पार्टी का खालिस्तान कनेक्शन हमें पंजाब चुनाव 2022 से पूर्व
ही देखने को मिलने लगा था. जब सिख फॉर जस्टिस से जुड़े गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक
लेटर जारी कर लोगों से आम आदमी पार्टी को वोट देने की अपील की थी, जिसे लेकर तब भी
बहुत बवाल मचा था.

चुनाव में आप की जीत के बाद भी
कई बार पुलिस की मौजूदगी में खालिस्तानी रैली भी हमें देखने को मिली. लेकिन पंजाब
सरकार ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए किसी भी तरह के कोई कदम नहीं उठाए. अब जब
अमृतपाल सिंह का मामला सामने आया है तो भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. वहीं,
अमृतपाल सिंह ने अपने बयानों में राज्य के मान सरकार को भी जमकर लपेटा है और
निकम्मा बताया है.

और पढ़ें: ‘शैतान हिंदू’: पीएम मोदी के खिलाफ पाकिस्तानी जहर का ‘पोस्टमार्टम’

अपने आप को भारतीय नहीं मानता

इसके अलावा अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने
हाल ही में कहा था कि पंजाब भारत का अभिन्न अंग नहीं है. उसने कहा कि लाहौर और ननकाना
साहिब के बिना पंजाब की तस्वीर नहीं बनती है. इससे पहले अमृतपाल ने कहा था कि वह अपने आपको
भारतीय नहीं मानता है. सिंह ने पिछले कुछ समय में कई मीडिया समूह
को अपना साक्षात्कार दे चुका है और अपने सारे साक्षात्कारों में उसने खालिस्तान की
मांग को दोहराया है और भारत को तोड़ने की बात की है. लेकिन इन सबके बावजूद वह आज
भी खुलेआम घूम रहा है.

ध्यान देने योग्य है कि
अमृतपाल सिंह जिस वारिस
पंजाब दे का चीफ बना है, उस संगठन को पंजाबी एक्टर
दीप सिद्धू (Deep Sidhu) ने बनाया था. 26 जनवरी 2021 में किसान आंदोलन की आड़ में हुई लाल किला
हिंसा में दीप सिद्धू का नाम सामने आया और 15 फरवरी 2022 को एक रोड एक्सीडेंट में
दीप सिद्धू की मौत हो गई थी. उसके बाद 29 सितंबर 2022 को इस संगठन की कमान अमृतपाल
सिंह को सौंपी गई.

यह कार्यक्रम मोगा के रोडे गांव में हुआ, जो खालिस्तानी जनरैल
सिंह भिंडरावाले का गांव है. ‘वारिस पंजाब दे’ का मकसद है, युवाओं को सिख पंथ के
रास्ते पर लाना और पंजाब की आजादी के लिए लड़ाई लड़ना. अब अमृतपाल सिंह अपनी
कुत्सित महत्वाकांक्षाओं को खुलेआम प्रदर्शित करते हुए पंजाब के साथ-साथ भारत
सरकार को भी चुनौती दे रहा है.

अमृतपाल सिंह किसी अन्य राज्य से होता फिर क्या होता?

ऐसे में कई तरह के सवाल भी
निकल कर सामने आ रहे हैं कि अगर अमृतपाल सिंह पंजाब से न होकर किसी अन्य राज्य से
होता और ऐसे ही खुलेआम देश तोड़ने की बातें करता, सरकार को ललकारता तो क्या स्थिति
ऐसी ही बनी रहती? क्या उस
पर अभी तक किसी भी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया गया होता? क्या उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई होती? क्या उस पर अब तक UAPA और रासुका न लगा होता? जवाब है- जरुर लगा होता!

चूंकि अमृतपाल सिंह खालिस्तानियों
का मसीहा बना हुआ है, देश को तोड़ने की बातें करता है, सरकार को ललकारता है, अंतिम
और सबसे महत्वपूर्ण बात कि वह पंजाब में रहकर ऐसी घटनाओं को अंजाम देता है, इसलिए
उस पर कार्रवाई नहीं होती…अगर ऐसा है फिर तो यह देश की कानून व्यवस्था पर ही
सबसे बड़ा प्रश्नचिह्न है. अगर पंजाब में यह सब हो रहा है और पंजाब सरकार ज्यादा
सख्ती नहीं दिखा पा रही और आरोपी देश तोड़ने की बातें करता है तो फिर उस जगह पर
केंद्र सरकार का हस्तक्षेप महत्वपूर्ण हो जाता है. लेकिन अमृतपाल सिंह के मामले
में अभी तक किसी भी तरह का कोई बड़ा एक्शन नहीं देखा गया है. ऐसे में आने वाले समय
में स्थिति क्या होगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.

और पढ़ें: ‘सिसोदिया को रास्ते से हटाना चाहते हैं केजरीवाल’, मनोज तिवारी के आरोपों में कितनी है सच्चाई

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