Bagram Airbase फिर से कब्जाने की ट्रंप की मंशा, तालिबान ने साफ कहा ‘ना’

Table of Content

Bagram Airbase: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बड़ा बयान देकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने ऐलान किया है कि अमेरिका काबुल के पास स्थित बगराम एयरबेस को फिर से अपने नियंत्रण में लेने की योजना बना रहा है। ट्रंप का दावा है कि इस कदम का मकसद चीन पर नजर रखना है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम हकीकत बन सकता है, और अगर बन भी गया, तो अमेरिका को इससे क्या मिलेगा?

और पढ़ें: H-1B visa update: अमेरिका ने हिला दिया H-1B वीजा सिस्टम! अब हर साल 88 लाख रुपए फीस, भारतीयों के लिए नई चुनौती शुरू!

बगराम एयरबेस: एक रणनीतिक किला | Bagram Airbase

अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस एक समय अमेरिका का सबसे बड़ा और अहम सैन्य अड्डा था। यह बेस इतना बड़ा है कि इसे एक छोटे शहर के बराबर माना जा सकता है। करीब 3300 एकड़ में फैला ये एयरबेस शिमला से थोड़ा छोटा है, लेकिन सामरिक दृष्टि से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण।

यहां का रनवे 7 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा है, और एक वक्त में यहां 40,000 से ज्यादा अमेरिकी सैनिक और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर तैनात थे। यह वही जगह थी जहां से अमेरिका तालिबान के खिलाफ पूरे अफगानिस्तान में सैन्य अभियान चलाता था। लेकिन जुलाई 2021 में अमेरिका ने अपनी सेनाएं वापस बुला लीं और कुछ ही हफ्तों में तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया।

ट्रंप की मंशा क्या है?

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका बगराम बेस को दोबारा सक्रिय करना चाहता है ताकि वह चीन पर बेहतर निगरानी रख सके। उनका इशारा चीन के संभावित परमाणु ठिकानों की तरफ था।
हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि बगराम से 1,000 किलोमीटर के दायरे में कोई स्पष्ट परमाणु अड्डा नहीं है। लेकिन एक ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का एक संभावित न्यूक्लियर साइट काशगर में है, जो बगराम से सिर्फ 700 किलोमीटर की हवाई दूरी पर है।

क्या यह संभव है?

एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि बगराम को फिर से कब्जा करने की फिलहाल कोई ‘एक्टिव योजना’ नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि यह व्यावहारिक रूप से बेहद मुश्किल है। इतनी बड़ी जगह को आतंकियों से सुरक्षित रखना, उसे फिर से ऑपरेशनल बनाना और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराना आसान काम नहीं है। अफगानिस्तान एक लैंडलॉक्ड देश है और वहां सैन्य मौजूदगी बनाए रखना एक बड़ा जोखिम है।

एक पूर्व रक्षा अधिकारी ने ट्रंप के दावे को “बढ़ा-चढ़ाकर” बताया और कहा कि इससे सैन्य से ज्यादा राजनीतिक फायदे की उम्मीद की जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग है।

तालिबान ने क्या कहा?

तालिबान ने अमेरिका के इस प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। अफगान विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी जाकिर जलाली ने कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत हो सकती है, लेकिन किसी भी हाल में अमेरिकी सैनिकों की वापसी या सैन्य मौजूदगी मंजूर नहीं होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित हो सकते हैं, मगर अफगान भूमि पर किसी विदेशी सेना को पैर जमाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

इसलिए ट्रंप की योजना चाहे जितनी बड़ी और रणनीतिक लगे, लेकिन उसकी राह में कई अड़चनें हैं। पहला, तालिबान की सख्त ना। दूसरा, सैन्य और आर्थिक व्यावहारिकताएं। और तीसरा, यह सवाल कि क्या वास्तव में बगराम से चीन पर नजर रखी जा सकती है।

और पढ़ें: Saudi Arabia-Pakistan Defence Deal: न्यूक्लियर ढाल या डिप्लोमैटिक जाल? सऊदी-पाक डिफेंस डील की इनसाइड स्टोरी

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Is AI Replacing Tech Jobs? Exploring the Impact of Artificial Intelligence on the Workforce

  Introduction: The Rise of AI in Technology Artificial Intelligence (AI) has emerged as a transformative force within the technology sector, fundamentally altering how businesses operate and innovate. Over recent years, we have witnessed a remarkable surge in AI applications, ranging from machine learning algorithms to natural language processing systems, that are now integral components...

UP BJP New President: यूपी भाजपा को मिला नया चेहरा, संगठन की कमान अब पंकज चौधरी के हाथ

UP BJP New President: उत्तर प्रदेश भाजपा को आखिरकार नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। शनिवार को एकमात्र नामांकन होने के बाद जिस नाम पर पहले ही सहमति बन चुकी थी, उस पर रविवार को औपचारिक ऐलान कर दिया गया। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यवेक्षकों...

Kanpur News: एक जैसे चेहरे ही नहीं, फिंगरप्रिंट भी सेम! कानपुर का अनोखा मामला, विज्ञान हैरान

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों के साथ-साथ विज्ञान के जानकारों को भी सोच में डाल दिया है। विज्ञान अब तक यही मानता आया है कि दुनिया में किसी भी दो इंसानों के फिंगरप्रिंट और आंखों की रेटिना एक जैसी नहीं...

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार Dr Ramvilas Das Vedanti का निधन, अयोध्या और संत समाज में शोक की लहर

Dr Ramvilas Das Vedanti: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। जानकारी के अनुसार, वे 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान...

Bhim Janmabhoomi dispute: रात में हमला, दिन में फाइलें गायब! भीम जन्मभूमि विवाद ने लिया खतरनाक मोड़

Bhim Janmabhoomi dispute: महू स्थित संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि से जुड़ा राष्ट्रीय स्मारक एक बार फिर बड़े विवाद के केंद्र में है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू में कथित तौर पर हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, फर्जीवाड़े और सत्ता हथियाने के आरोपों ने इस ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्मारक की गरिमा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds