सुल्तानपुर एनकाउंटर पर गरमाई सियासत, सरेंडर करने वाले विपिन सिंह और मंगेश यादव की क्राइम हिस्ट्री आई सामने

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सुल्तानपुर में भारत ज्वेलर्स में डकैती के लिए जिम्मेदार अपराधी मंगेश यादव के साथ विशेष पुलिस बल (एसटीएफ) के एनकाउंटर के बाद राजनीति गरमा (politics on Sultanpur encounter) गई है। सुल्तानपुर एनकाउंटर (Sultanpur encounter) को अब जाति से जोड़ा जा रहा है। दरअसल, इस घटना में मंगेश यादव के साथ विपिन सिंह नाम का बदमाश भी शामिल था। सोशल मीडिया यूजर्स लगातार इस दावे पर सवाल उठा रहे हैं कि मंगेश यादव का तो एसटीएफ ने एनकाउंट कर दिया। लेकिन विपिन सिंह को सरेंडर करा दिया गया। इस हरकत को लेकर योगी सरकार और एसटीएफ पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने इस वारदात को लेकर कहा कि पुलिस ने अपराधी की जाति निर्धारित करने के बाद गोली चलाई। मंगेश का एनकाउंटर (Mangesh Yadav encounter) उसकी यादव वंशावली के कारण किया गया, लेकिन इस मामले में मुख्य अपराधी विपिन सिंह को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इन परिस्थितियों में, यह स्पष्ट नहीं है कि विपिन सिंह और मंगेश यादव में सबसे बड़ा बदमाश कौन है। आईए आपको बताते हैं क्या है पूरा माजरा।

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गुजरात में भी विपिन सिंह के खिलाफ मामले दर्ज

विपिन सिंह एक शातिर अपराधी है। गुजरात में भी उसके खिलाफ मामले दर्ज हैं। गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश तक के आठ जिलों में विपिन सिंह पर चोरी, डकैती और यहां तक ​​कि हत्या के प्रयास के आरोप हैं। विपिन सिंह के खिलाफ छत्तीस मामले दर्ज हैं। जबकि मंगेश यादव के खिलाफ आठ मामले दर्ज हैं। इसके अलावा विपिन सिंह पर सुल्तानपुर, अमेठी और रायबरेली में गैंगस्टर एक्ट भी है।

Sultanpur encounter
Source: Google

दूसरी तरफ मंगेश यादव के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत सिर्फ एक मामला दर्ज है। मंगेश के खिलाफ चोरी और लूट के 7 मामले दर्ज थे। उसके खिलाफ हत्या के प्रयास या आर्म्स एक्ट का कोई मामला दर्ज नहीं था। सुल्तानपुर में भारत ज्वेलर्स में डकैती से पहले मंगेश यादव के खिलाफ लूट का कोई मामला दर्ज नहीं था।

9 और बदमाशों पर एक-एक लाख का इनाम घोषित

वहीं, सुल्तानपुर में ज्वेलरी शोरूम में डकैती के मामले में फरार चल रहे 9 और अपराधियों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है। इनमें फुरकान, अरबाज, विनय शुक्ला, अंकित यादव, अजय यादव, अरविंद यादव, विवेक सिंह, अनुज प्रताप सिंह, दुर्गेश प्रताप सिंह शामिल हैं। गौरतलब है कि 28 अगस्त को हुई इस घटना में सचिन सिंह, गोविंद सिंह और त्रिभुवन मुठभेड़ में घायल हुए थे और 3 सितंबर को गिरफ्तार किए गए थे।

Sultanpur encounter
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सीएम योगी ने दिया बयान

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस वारदात पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। रविवार को अंबेडकर नगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, सपा सरकार में जो जितना बड़ा गुंडा होता था, उसका उतना ही बड़ा पद होता था। अगर कोई डकैत एनकाउंटर में मारा जाता है तो सपा को बुरा लगता है। उन्हें नहीं पता था कि जनता बांहें फैलाएगी, ये गुंडे और माफिया एक-एक करके यमलोक की यात्रा के लिए प्रस्थान करेंगे और जनता के साथ हुए अन्याय का बदला लिया जाएगा।

अखिलेश यादव ने क्या कहा?

इस पुर मामले को लेकर अखिलेश यादव ने भी अपना बयान दिया है। सपा प्रमुख ने कहा, लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नक़ली एनकाउंटर से पहले मुख्य आरोपीसे संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और जातिदेखकर जान ली गयी।

मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने का दबाव डाला जा रहा

एक अन्य पोस्ट में अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि दो दिन पहले जिसको उठाया और एनकाउंटर के नाम पर बंदूक़ सटाकर गोली मारकर हत्या की गयी। अब उसकी मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने का दबाव डाला जा रहा है। इस संगीन शासनीय अपराध का सर्वोच्च न्यायालय तुरंत संज्ञान ले, इससे पहले की सबूत मिटा दिये जाएं।

राहुल गांधी ने भी दिया बयान

राहुल गांधी ने इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े करते हुए कहा, भाजपा शासित राज्यों में कानून और संविधानकी धज्जियां वही उड़ा रहे हैं, जिनपर उनका पालन कराने की जिम्मेदारी है। सुल्तानपर में हुए मंगेश यादव के एनकाउंटर ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भाजपा ‘Rule Of Law’ पर विश्वास ही नहीं करती। मंगेश के परिवार के आंसू पूरे देश से सवाल पूछ रहे हैं – कौन जिएगा और कौन नहीं, इसका फैसला अदालत करेगी या पुलिस? STF जैसी प्रोफेशनल फोर्स को भाजपा सरकार में आपराधिक गिरोहकी तरह चलाया जा रहा है, जिसपर केंद्र सरकार की चुप्पी इस ठोको नीतिपर उनकी स्पष्ट सहमति है। UP STF के दर्जनों एनकाउंटर सवालों के घेरे में हैं. क्या आज तक उनमें से किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई हुई? आखिर कौन उन्हें बचा रहा है और क्यों? कैमरों के आगे संविधान को माथे से लगाना सिर्फ ढोंग है, जब आपकी सरकारें ही उसकी खुलेआम धज्जियां उड़ा रही हों। उत्तरप्रदेश में हुए सभी संदिग्ध एनकाउंटर्स की निष्पक्ष जांच कर इंसाफ किया जाना चाहिए। वर्दी पर लगी खून की छींटें साफ होनी चाहिए।

बसपा प्रमुख मायावती ने भी दिया बयान

बसपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया X पर लिखा, “यूपी के सुल्तानपुर जिले में एनकाउंटर की घटना के बाद से बीजेपी व सपा में कानून-व्यवस्था को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं तथा अपराध, अपराधी व जाति के नाम पर जबरदस्ती की राजनीति की जा रही है, जबकि इस मामले में ये दोनों चोर-चोर मौसेरे भाई जैसे हैं।अर्थात् बीजेपी की तरह सपा सरकार में भी तो कई गुणा ज्यादा कानून-व्यवस्था का बुरा हाल था। दलितों, अन्य पिछड़े वर्गों, गरीबों व व्यापारियों आदि को सपा के गुंडे, माफिया दिन-दहाड़े लूटते व मारते-पीटते थे, ये सब लोग भूले नहीं हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में वास्तव में ‘कानून द्वारा कानून का राज’, बी.एस.पी. के शासन में ही रहा है। जाति व धर्म के भेदभाव के बिना लोगों को न्याय दिया गया। कोई फर्जी एनकाउंटर आदि भी नहीं हुये। अतः बीजेपी व सपा के कानूनी राज के नाटक से सभी सजग रहें।”

सुल्तानपुर पुलिस अधीक्षक ने क्या कहा?

सुल्तानपुर के पुलिस अधीक्षक सोमेन बर्मा ने एसपी प्रमुख द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में पूछे जाने पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि गिरोह का सरगना और मास्टरमाइंड विपिन सिंह, जो अमेठी जिले का रहने वाला है और जिसके खिलाफ करीब तीस आपराधिक मामले दर्ज हैं, ने डकैती के एक दिन बाद 29 अगस्त को स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। बर्मा का दावा है कि इस मामले में कुल 14 आरोपी पक्ष शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि उनमें से तीन को एक दिन पहले हुए विवाद के बाद गिरफ्तार किया गया था, एक ने खुद को पुलिस के सामने पेश किया था और एक को आज हुए विवाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई।

28 अगस्त को क्या हुआ था?

आपको बता दें कि 28 अगस्त को दिनदहाड़े सुल्तानपुर शहर के चौक क्षेत्र के ठठेरी बाजार में भरत जी सराफा में करोड़ों रुपए की चोरी हुई थी। कुछ ही मिनटों में लुटेरे अपनी वारदात को अंजाम देकर भाग निकले। इसके बाद गुरुवार सुबह एसटीएफ ने एक लाख रुपए के इनामी बदमाश को मार गिराया। यह वारदात देहात कोतवाली हनुमानगंज बाईपास पर हुई। खबरों के मुताबिक, मंगेश यादव 5 सितंबर को मुठभेड़ में मारा गया था, जबकि विपिन सिंह ने 4 सितंबर को रायबरेली कोर्ट में सरेंडर किया था।

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