इस बात कि खबर तो आप को मिल ही गयी होगी कि मोदी के ऊपर बीबीसी डाक्युमेंट्री बनाने वाली विदेशी न्यूज़ चैनल BBC के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तर में आईटी के रेड पड़ गयी है. विपक्ष इसे मोदी सरकार कि कायरता बता रहा है तो पार्ट्री के नेता इसे सरकार का सही कदम बता रहे हैं.जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में बीबीसी ने साल 2002 में हुए गोधरा कांड में नरेन्द्र मोदी को गुनाहगार मानते हुए उनकी छबी ख़राब करने के लिए एक डाक्युमेंट्री बनायीं थी जिसे लेकर पूरे देशभर में बवाल मचा हुआ था. लेकिन सवाल इसी बार क्यों उठा कि इसपर बैन क्यों लग रहा है. जबकि एक बार 1970 में भी इंदिरा सरकार ने भी इसकी रिपोर्ट को फर्जी बताते हुए 2 साल का बैन लगा दिया था. आज हम आपको उसी के बारे में कि आखिर क्यों इंदिरा सरकार ने इसपर बन लगाया था और कैसे लगाया था.
जारी है बीबीसी दफ्तरों पर छापेमारी
इनकम टैक्स विभाग ने मंगलवार को बीबीसी पर छापा मारा है. सूत्रों से पता चला है कि इस चैनल को विवाद खड़ा करने और बिना तथ्य के मोटी फंडिंग लेकर देश कि छबी खराब करने का आरोप है. हालांकि IT वालों ने ये कहा है कि ये मात्र एक सर्वे है. लेकिन पूरे देश भर में इसे मीडिया पर हमला बताया जा रहा है. और इस बात को लेकर सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस आमने-सामने है. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा बीबीसी डाक्यूमेंट्री का बदला ले रही है. और वहीँ भाजपा ने उन्हें ही अपने पार्टी का इतिहास याद करने की नसीहत दे रही है. कि इंदिरा सरकार ने तो इसपर बैन भी लगा दिया था.
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डाक्युमेंट्री पर सरकार ने लगाया था बैन
हाल ही केंद्र सरकार ने बीबीसी द्वारा जारी कि गयी बीबीसी: द मोदी क्वेश्चन पर बन लगा दिया था. सरकार ने इमरजेंसी पॉवर का इस्तेमाल कर वीडियो प्लेटफॉर्म YOUTUBE और ट्विटर को सख्त निर्देश दिए थे कि वह डाक्युमेंट्री को अपने चैनल से हटाये. केंद्र सरकार का कहना था कि वीडियो में केवल प्रधानमंत्री कि कुछ चुनिंदा बातें दिखाई गयी है. जो कि पूरी तरह से झूठ पर आधारित है. हर तरह से बैन के बावजूद इस वीडियो को कई यूनिवर्सिटीज में स्क्रीन किया गया जिसके बाद देश में जमकर बवाल हुआ था.
इंदिरा गांधी ने की थी कार्रवाई
बात साल 1970 के दशक की है जब इंदिरा गांधी 1966 में पहली बार प्रधानमंत्री बनी थी. लेकिन अगला लोकसभा चुनाव आने तक इंदिरा राजनीतिक रूप से काफी ताकतवर हो गयी थी. दौर वो था जब पार्लियामेंट में इंदिरा के सामने विपक्ष कि बोलने तक कि हिम्मत नहीं होती थी. उस वक़्त भी एक डाक्यूमेंट्री आई थी लेकिन वो मोदी पर नहीं इंदिरा गांधी के ऊपर आई थी जिसका नाम था ‘कलकत्ता’. 1968 से 1969 के आसपास शूट हुई ये डाक्युमेंट्री इंदिरा सरकार के उस दौर का चित्रण था जब उन्होंने ने इमरजेंसी डिक्लेअर की थी. हौर हालात बाद से ज्यादा बदतर हो गए थे. इसके निर्माता फ्रेंच डायरेक्टर लुइस माले थे.
भारत से पक्षपात करती है ये मीडिया
कलकत्ता डाक्यूमेंट्री के बाद ऐसी कई सारी फिल्में बनी जो ज्यादातर भारत कि गरीबी और खस्ता हालात को दिखाकर विश्व में उसकी छबी को ख़राब करने में लगी थी. ये सारी डाक्यूमेंट्री केवल बीबीसी बनाता था. और वही इसका टेलीकास्ट भी करता था. इंदिरा सरकार इससे काफी नाराज़ थी. इंडियन एम्बेसी को भी इसकी शिकायतें मिली कि डाक्यूमेंट्री भारत से पक्षपात कर रही है. तत्कालीन दूतावास ने बीबीसी से कहा कि वह इस वीडियो को बंद कर दे लेकिन उसे ऐसा नहीं किया.
बीबीसी का ऑफिस कर दिया बंद
एक रिसर्च पेपर के मुताबिक, इंदिरा गांधी की सरकार ने 29 अगस्त 1979 को बीबीसी को भारत से बाहर निकाल दिया और उस पर बैन लगा दिया. मशहूर पत्रकार मार्क टली उस समय भारत में बीबीसी के प्रतिनिधि थे. मार्क टली और संवाददात रूनी रॉबसन को कहा गया कि वे 15 दिनों के अंदर बीबीसी के दफ्तर को बंद कर दें.
बीबीसी क्यों छापती है भारत को लेकर इतनी नेगेटिव न्यूज़
1. सबसे पहले, क्योंकि भारत ने बाजार के अर्थशास्त्र को गले लगा लिया है और समाजवाद से अपना मुंह मोड़ लिया है जो बीबीसी के दिलों को बहुत प्रिय है.
2. दूसरा, क्योंकि भारत में एक राष्ट्रवादी हिंदू सरकार को चुनने का दुस्साहस किया गया है, जो इस्लामी चरमपंथ के खिलाफ खड़े होने के लिए तैयार है, जो समाजवाद से भी ज्यादा बीबीसी के दिलों को प्रिय है.
3. तीसरे, उनके राजनीतिक विकल्पों के कारण, भारत ने आजादी के बाद से किसी भी समय की तुलना में तेजी से विकास करना शुरू कर दिया है. समाजवाद को छोड़ देना काफी बुरा है, लेकिन वास्तव में बाजार के अर्थशास्त्र को सफल बनाना बीबीसी की नजर में अविश्वसनीय रूप से असभ्य है.
4. चौथा, ब्रिटेन के भीतर ही, हिंदू मूल निवासी गोरों की औसत प्रति व्यक्ति आय से अधिक होने वाले पहले गैर-श्वेत नस्लीय अल्पसंख्यक बन गए हैं, और केवल अल्पसंख्यक हैं जो श्रम की तुलना में रूढ़िवादी को वोट देने की अधिक संभावना रखते हैं। कम से कम पाकिस्तानियों ने, सफलता के कई व्यक्तिगत उदाहरणों के बावजूद, समग्र रूप से सापेक्ष गरीबी में रहने की शालीनता दिखाई है.
चाइना ने भी लगा रखा है बैन
चीन सरकार ने भी बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ को देश में प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह घोषणा देश के टेलीविजन नियामक ने की है.
चीन ने बीबीसी पर कोरोनो वायरस और जातीय अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के बारे में देश पर अपमानजनक रिपोर्ट बनाने का आरोप लगाया है.