इत्र का तो काम होता है खुशबू फैलाना, लेकिन इसी इत्र से बदबू आने की खबर क्या आपने कभी सुनी है। दरअसल कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कन्नौज के पुश्तैनी घर से इत्र की भष्टाचार वाली बदबू आ रही है। पीयूष जैन के कन्नौज वाले घर पर हाल ऐसा है कि वहां से नोटों से भरी प्लास्टिक की आठ बोरियां बरामद कर ली गई हैं और सोने की बिस्किट और चांदी भी बरामद किया गया है। आयकर विभाग और जीएसटी की छापेमारी चलती ही रही चलती ही रही लेकिन बरामदगी खत्म नहीं हुई।
शनिवार रात से ही नोटों की गिनती चलती रही और इसके लिए तीन मशीनें मंगवानी पड़ी। अधिकारी बैडरूम, बाथरूम किचन हर एक जगह पर सर्च करते हुए कैश और जेवरात बरामद कर चुके हैं। जैन के कानपुर और कन्नौज वाले घर से 257 करोड़ नगदी, 15 किलो सोना और 50 किलो चांदी कब्जे में लिया जा चुका है।
फिलहाल पीयूष जैन को सेंट्रल GST की तरफ से रविवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। सवाल कई सारे उठते हैं इस रेड के बाद। दरअसल, इस पूरे मामले में जिक्र डायरी और बिल का भी है।
तो पहला सवाल तो यही है कि डायरी, बिल और चाभियों क्या राज है?
गौर करने वाली बात ये है कि पीयूष जैन के कानपुर घर से जो कैश बरामद किए गए उसके काफी सारी तस्वीरे सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुई और अब कन्नौज वाले घर से अथाह धन, सोना चांदी निकल रहा है। यहां तक की कहा तो ये भी जा रहा है कि छापेमारी के दौरान टीम को कुछ और चीजें भी मिली हैं जैसे कि डायरी और बिल। इसमें कई कंपनियों से कच्चा माल खरीदे जाने साथ ही बेचे जाने का जिक्र है।
बिलों और डायरी में दर्ज जानकारी के जरिए आगे की जांच जारी की जाएगी। इसके अलावा इस खबर से इत्र कारोबार से संबंधित लोगों के तो फिलहाल होश ही उड़े हुए हैं।
खैर अगले सवाल पर गौर करते हैं, पीयूष जैन के घर से क्या क्या मिला, कैसा मंजर था उसके घर का?
दरअसल, रेड के लिए टीम ने पूरा घर खंगाल डाला। क्या घर का कोना, क्या दीवारें और छत सारी जगहों से जैसे पैसे बरसते रहे। टीम को करीब करीब नौ ड्रम संदल मिला जिसको सील कर दिया गया और एक झोला मिला जिसमें 3 सौ चाभिया है, जो घर ऑफिस और गोदामों की है जिनकी गुत्थी सुलझाने में भी वक्त लग गया।
कौन हैं पीयूष जैन जिनके पास से बोरियां भर के पैसे मिले हैं?
कानपुर की ज्यादातर पान मसाला मैन्युफैक्चर्स दरअसल पीयूष जैन से ही पान मसाला कम्पाउंड खरीदती हैं। कन्नौज में इत्र के बड़े व्यापारियों में जैन का नाम शामिल है और तो और 40 से ज्यादा कंपनियों को वो ऑन करता है । इनमें से जो दो कंपनियां हैं वो मिडिल ईस्ट में हैं। पीयुष की कन्नौज में ही परफ्यूम फैक्ट्री है, कोल्ड स्टोरेज है। इसके अलावा पेट्रोल पंप भी हैं। कुल मिलाकर बड़ा कारोबारी है पीयूष जिसका हेड ऑफिस मुंबई में है। वहीं उसका एक बंगला भी है।
जितने भी इत्र से जुड़े कारोबार हैं वो मुंबई से कंडक्ट करता है और विदेश भी इत्र बेजे जाते हैं। कुछ वक्त पहले ही पीयूष जैन ने एक इत्र समाजवादी पार्टी के नाम से ही लॉन्च किया था।
गुरुवार 23 दिसंबर का दिन जैन के लिए शायद सबसे बुरा रहा होगा जब जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय यानी डीजीजीआई साथ ही साथ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की एक टीम ने कन्नौज के इस इत्र कारोबारी के कानपुर वाले घर पर रेड मारी। इतने कैश बरामद किए कि कुल आठ मशीनें मंगवाकर नोटों को गिनना पड़ा।
सवाल ये है कि आखिर जैन तक ये जांच एजेंसियां कैसे पहुंच गई?
तो हुआ ये था कि एक ट्रक पकड़ा गया जिसे पकड़ा था अहमदाबाद की डीजीजीआई टीम ने। इस ट्रक में जो सामान लादे गए थे उनका बिल फर्जी कंपनियों के नाम पर बना था। 50 हजार रुपये से कम के ये सारे ही बिल थे जिससे कि Eway Bill बनाने की जरूरत ही न पड़े। इस ट्रक की बरामदगी के बाद कानपुर में ट्रांसपोर्टर के यहां डीजीजीआई ने छापेमारी की और यहां डीजीजीआई को हाथ लगे करीब करीब 200 फर्जी बिल और इससे पीयूष जैन और फर्जी बिलों का डीजीजीआई को कनेक्शन के बारे में पता चल पाया।
तभी पीयूष जैन के घर पर डीजीजीआई ने रेड मारी थी। जैन के घर पर पहुंचकर अफसर को अलमारियों में नोटों की गड्डियां मिलने लगी, जिसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को इस बारे में खबर कर दी गई।
‘कालेधन के कुबेर’ के तौर पर चर्चा में आए इस इत्र कारोबारी पर दोहरी मुसीबत भी आ गई है। अब गोल्ड स्मगलिंग केस में ये कारोबारी फंसता दिख रहा है। पीयूष जैन के घर से जो सोने की ईंटें बरामद हुई है उसे लेकर ऐसा शक जताया जा रहा है कि इनकी तस्करी की गई है। जीएसटी इंटेलिजेंस इस पर शक कर रहा है कि पीयूष जैन के घर से जो 23 किलो सोने की ईंट बरामद हुई हैं वे दुबई से आई है। ऐसे में पीयूष जैन की अकूत संपत्ति का कनेक्शन गोल्ड स्मगलिंग से भी जुड़ने का जीएसटी इंटेलिजेंस को शक है। फिलहाल मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर डीजीजीआई विंग ने इस केस को राजस्व खुफिया महानिदेशालय यानी डीआरआई को फॉर्वर्ड कर दिया है।
पीयूष ने सफाई में क्या कहा?
इतने सारे रुपयों के बारे में जब पीयूष जैन से अफसरों ने सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया कि ये पैसा उसके ही है जिसको पुश्तैनी सोना बेचकर उसने जमा किया। ऐसा जवाब सुन अफसर हंस पड़े। सोना क्यों बेचा, किसे बेचा और कितना सोना बेचा इन सवालों का जैन के पास जवाब नहीं था।
क्या सपा का है पीयूष जैन से कोई लेना-देना?
मामला हाईप्रोफाइल है तो जाहिर है राजनीति से बचकर तो रह नहीं सकता है। बीजेपी और बीजेपी के नेताओं ने तो पीयूष जैन के पूरे मामले का कनेक्शन समाजवादी पार्टी एमएलसी पुष्पराज जैन उर्फ पम्पी जैन से जोड़कर दिखाने की कोशिश कर दी। पर शायद बीजेपी के लोग भूल गए कि पम्पी का मामला नहीं है बल्कि ये मामला पीयूष जैन का है जिसका अब तक सपा से कोई कनेक्शन निकलकर नहीं आया है।
बीजेपी के ट्वीट को पढ़कर तो साफ साफ पता लगता है कि कैसे वो ये पूरा मामला जो की अब काफी सुर्खियों में है इसके सपा के मत्थे मड़ना चाहती है। BJP Uttar Pradesh ने ट्वीट किया कि इत्र की विशेषता खुशबू होती है। मगर यदि इत्र सपा वालों के हाथ लग जाये तो वे इसकी महक को भी मार देते हैं। सपा मतलब- यत्र (इत्र), तत्र, सर्वत्र भ्रष्टाचार। #सपामतलबभ्रष्टाचार… ये नई नहीं, वही सपा है।
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने साफ साफ कहा है कि इस मामले से उसका कोई भी लेना देना नहीं है। सपा के सोशल मीडिया के सदस्य आशीष यादव ने ट्वीट किया है कि ‘कानपुर में पड़े कारोबारी के यहां इनकम टैक्स के छापे का सपा से कोई लेना देना नहीं है, और ना हीं समाजवादी इत्र बनाने वालों से इनका कोई नाता है।
खैर यूपी जैसा राज्य हो और किसी चर्चित मामले पर राजनीति न हो ये हो नहीं सकता है लेकिन इन सबके बीच एक सवाल जरूर उठता है कि आखिर जीएसटी चोरी और छापेमारी का ये मामला आगे कितना तूल पकड़ता है और इस मामले को आने वाले विधानसभा चुनाव में कितना उठाया जाता है।