हर परिस्थिति से निपटने को तैयार
केंद्र सरकार और SEBI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मार्केट रेगुलेटर और अन्य लीगल युनिट हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट (Hindenburg Research Report) आने के बाद आई परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं.
केंद्र को पैनल से नहीं है कोई आपत्ति
सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया की शेयर मार्केट में रेगुलेटरी मैकेनिज्म को और मजबूत और निष्पक्ष रखने के लिए एक्सपर्ट पैनल गठित करने के प्रस्ताव को लेकर कोई समस्या नहीं है.
कोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च के रिपोर्ट पर सरकार की ओर से सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि, “सरकार निवेशकों (Investors) की सुरक्षा के लिए रेगुलेटरी मैकेनिज्म को देखने के लिए एक एक्सपर्ट पैनल गठित करने पर सहमत हो गई है”. साथ ही ये सुझाव भी दिया है की इस पैनल के सदस्यों के नाम और उनके कार्यक्षेत्र को सीलबंद लिफाफे में अदालत में पेश करना चाहिए.
ALSO READ: FPO पर गौतम अडानी ने क्यों लिया यू-टर्न, खुद सामने आकर बताई वजह
सीलबंद लिफाफे में देगी समिति विशेषज्ञों के नाम
चीफ जस्टिस (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ के अध्यक्षता वाली पीठ को केंद्र सरकार ने बताते हुए कहा कि वह व्यापक हित को देखते हुए सीलबंद लिफाफों में समिति के लिए चुने गए विशेषज्ञों के नाम और उसके कार्यक्षेत्र की जानकारी देना चाहती है.
सोलिसिटर तुषार मेहता ने कही ये बात
केंद्र सरकार और सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की ओर से नामांकित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मार्केट रेगुलेटर और अन्य लीगल युनिट हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट (Hindenburg Research Report) आने के बाद मार्केट में आई परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, “सरकार को समिति बनाने में कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन विशेषज्ञों के नामों का सुझाव हम दे सकते हैं. हम सीलबंद लिफाफे में नाम सुझा सकते हैं.”
ALSO READ: हिंडनबर्ग रिपोर्ट को अडानी ग्रुप ने बताया ‘भारत पर हमला’, 413 पन्नों में दिया जवाब
अडानी सम्बंधित दो याचिकाओं पर SC में हो रही सुनवाई
हिंडनबर्ग रिसर्च की अडानी पर आई रिपोर्ट के बाद उनपर लगे आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दो याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. जिसमे कहा गया है कि कुछ भी रिपोर्ट होने से पहले सभी आरोपों की सेबी द्वारा जांच की जानी चाहिए. इसके साथ ही दूसरी याचिका बड़े निगमों को दिए गए 500 करोड़ रुपये से अधिक के लोन के लिए मंजूरी नीति की निगरानी के लिए एक विशेष पैनल के गठन से संबंधित है.