जानिए क्यों ब्लॉक की गयी बीबीसी वाली Narendra Modi की Documentary
प्रधानमंत्री मोदी (PM modi) पर बनी बीबीसी (BBC) की डॉक्यूमेंट्री (Documentary ) पर रोक लगा दी है जिसके चलते विपक्षी दल से लेकर ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन (Human Rights Association) ने भी भाजपा सरकार (BJP Goverment) और मोदी (Modi goverment) की जमकर आलोचना की है देश भर में मोदी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर बवाल मचा हुआ है ऐसे आप भी अब ये जानने के लिए बेताब होंगे कि आखिर इस डॉक्यूमेंट्री में ऐसा क्या दिखाया गया की इसके चलते देश के सोशल मीडिया प्लेटफार्म से लेकर हर जगह इसका लिंक ब्लाक कर दिया गया है.
किसपर आधारित है बीबीसी डॉक्यूमेंट्री
दरअसल, ब्रिटिश मीडिया एजेंसी BBC (बीबीसी) ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी (Indian Prime Minister Narendra Modi) को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री बनायीं है जिसका टाईटल(Title) दिया है “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन”! (India: The Modi Question) इसके लिए बीबीसी की टीम ने सालों से सबूत इकठ्ठा किये थे लेकिन जब भारत में रिलीज़ करने की बारी आई तो भारत सरकार (India Goverment) इसे फाल्स प्रोपगंडा और झूठे सबूतों का आधार बताकर भारत में रिलीज़ होने से पहले ही ब्लॉक कर दिया है और अब इस मामले ने एक राजनीतिक मोड़ लिया है.
दो पार्ट की एक सीरीज है ये डॉक्यूमेंट्री
इंडिया: द मोदी क्वेश्चन दो पार्ट की एक सीरीज है जिसमे साल 2002 में मुसलमानों पर हुए नरसंहार (Gujrat Riots) को दिखाया गया है. इस सीरीज बीबीसी ने दंगों के दौरान राजनीतिक हालात की तस्वीर दिखाई गई है साथ ही प्रधानमंत्री मोदी का गुजरात के उस वक़्त मुख्यमंत्री का दौर भी दिखाया गया है. ब्रिटेन में इस डॉक्यूमेंट्री का पहला एपिसोड 17 जनवरी को प्रसारित हुआ जिसमें पीएम मोदी के शुरुआती राजनीतिक जीवन को दिखाया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉक्यूमेंट्री में अधिकतर हिस्सों में पीएम मोदी के खिलाफ चीज़ें दिखाई गई हैं . डॉक्यूमेंट्री में गुजरात दंगों का जिक्र कर पीएम मोदी के उस दौरान के कार्यकाल पर सवाल उठाए गए हैं. इन दंगों में करीब 2 हजार लोगों की मौत हुई थी. वहीं दावा किया गया है कि इस डॉक्यूमेंट्री में गुजरात दंगों की असल कहानी दिखाई गई है.
क्या था 2002 के दंगे का पूरा मामला
27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) का एक कोच जिसमें अयोध्या के राम जन्मभूमि स्थल से यात्री लौट रहे थे. वहीं इस दौरान जब ये ट्रेन गोधरा रेलवे स्टेशन पहुंची तब मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ द्वारा गोधरा रेलवे स्टेशन (Godhra Railway Station) के पास इस ट्रेन में आग लगा दी गई । ट्रेन हमले में बच्चों सहित 59 हिंदू श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। जिसके बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए. लगभग तीन दिनों तक चली बेरोकटोक हिंसा के बाद सेना के जवानों ने हस्तक्षेप किया और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया और इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने 2008 में एक विशेष जांच दल का गठन किया। ट्रेन पर हमले के बाद, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने राज्यव्यापी बंद या हड़ताल का आह्वान किया। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह की हड़तालों को असंवैधानिक और अवैध घोषित किया था और इस तरह की हड़तालों के बाद हिंसा की आम प्रवृत्ति के बावजूद, हड़ताल को रोकने के लिए राज्य द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। सरकार ने राज्य भर में हिंसा के प्रारंभिक प्रकोप को रोकने का प्रयास नहीं किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि ट्रेन पर हमला आतंकवाद का कार्य था, न कि सांप्रदायिक हिंसा की घटना।
स्थानीय समाचार पत्रों और राज्य सरकार के सदस्यों ने बिना सबूत के दावा करके मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा को उकसाने के लिए बयान का इस्तेमाल किया, कि ट्रेन पर हमला पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी द्वारा किया गया था और स्थानीय मुसलमानों ने राज्य में हिंदुओं पर हमला करने के लिए साजिश रची थी. हमलावर भगवा चोला और खाकी शॉर्ट्स पहने ट्रकों में भरकर विभिन्न प्रकार के हथियारों के साथ पूरे क्षेत्र के मुस्लिम समुदायों में पहुंचे। कई मामलों में, हमलावरों ने मुस्लिमों के स्वामित्व वाली या कब्जे वाली इमारतों को क्षतिग्रस्त कर दिया या जला दिया, जबकि आस-पास की हिंदू इमारतों को अछूता छोड़ दिया। हालांकि पीड़ितों ने पुलिस को कई फोन किए, पुलिस ने उन्हें बताया कि “हमें आपको बचाने के लिए कोई आदेश नहीं मिला है।” रिपोर्ट्स की माने तो इस दंगे में 230 मस्जिदों और 274 दरगाहों को बर्बाद कर दिया गया था और दंगों के इतिहास में पहली बार हिन्दू महिलाओं ने भाग लिया था मुसलामानों की दुकानों को लूटा था इस हिंसा को रोकने के दौरान लगभग 200 पुलिस वालों की मौत हुई थी और लगभग 1000 से ज्यादा मुसलमानों की जानें गई थी और इसे गुजरात को देश के इतिहास का सबसे बड़ा नरसंहार माना गया था हालाँकि नरेन्द्र मोदी पर लगे सभी आरोपों को ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022 में उन्हें क्लीन चिट दे दी .
डॉक्यूमेंट्री पर क्या कहती है भारत सरकार
वहीं BBC द्वारा इस नरसंहार पर बनाई गयी डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत सरकार की ओर से बहुत ही सख्त रुख अपनाया है और इसकी निंदा भी करी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा की “डॉक्यूमेंट्री मात्र एक प्रोपगंडा पीस है. भारत सरकार ने जारी बयान में कहा कि ये डॉक्यूमेंट्री केवल एक तरफ के नजरिए को दिखाता है जिसकी वजह से इसके स्क्रीनिंग पर रोक लगाई गई है. वहीं, केंद्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को ट्विटर या यूट्यूब चैनलों (You tube channels )के जरिए दिखाने वाले अकाउंट को ब्लॉक करने की अपील की है.
क्या कहती है कांग्रेस और TMC
कांग्रेस नेता विवादित नेता जयराम रमेश (Congress leader Jairam Ramesh) ने डॉक्यूमेंट्री लगी रोक पर सवाल उठाया है और कहा है कि “पीएम और उनके अंधभक्तों का कहना है कि उन पर बीबीसी की नई डॉक्यूमेंट्री निंदनीय है और इसलिए सेंसरशिप लगा दी गई है. फिर उस वक़्त के तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी 2002 में अपना पद छोड़ना क्यों चाहते थे?” तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता डेरेक ओ ब्रायन (TMC leader Derek O’Brien) ने दावा किया है कि, “पीएम मोदी का असल चेहरा डॉक्यूमेंट्री दिखा रही है और ये भी कहा है की इस मामले पर किए मेरे ट्वीट को ट्विटर और ट्विटर इंडिया ने हटा दिया है.”
इस Documentry पर बैन को लेकर आपकी की क्या राय है और आपको क्या लगता है की विदेशी किसी विदेशी मीडिया द्वारा किसी देश की छबी को गलत तरीके से पेश करना कितना सही है ? हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं .