Lord Buddhas Maternal Home: यूपी में छुपा है गौतम बुद्ध का ननिहाल, देवदह की कहानी जानकर रह जाएंगे दंग

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Lord Buddhas Maternal Home: उत्तर प्रदेश का महराजगंज जिला नेपाल की सीमा से सटा हुआ है और यह ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व रखता है। जिले का एक बड़ा हिस्सा सीमावर्ती क्षेत्र में आता है, जहां कई प्राचीन स्थल और धार्मिक धाम मौजूद हैं। इन स्थलों की अपनी अलग पहचान और मान्यता है। महराजगंज जिले के नौतनवा क्षेत्र में स्थित देवदह गांव भी इन्हीं महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। यह जगह भगवान गौतम बुद्ध के ननिहाल के रूप में जानी जाती है और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है।

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पिछले साल देवदह में सारनाथ से शुरू हुई बौद्ध धम्म यात्रा रुकी। यह यात्रा बौद्ध धर्म के प्रचार और इतिहास को आम जनता तक पहुँचाने का एक माध्यम है। धम्म यात्रा में 150 से अधिक बौद्ध भिक्षु शामिल हैं, जो लगातार पैदल यात्रा कर अलग-अलग बौद्ध स्थलों पर पहुंच रहे हैं। इस यात्रा के दौरान भिक्षु चन्दिमा खेरो ने लोकेल 18 से बातचीत में बताया कि देवदह भगवान बुद्ध का ननिहाल है और यह स्थल बौद्ध अनुयायियों की गहरी श्रद्धा का केंद्र रहा है।

धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व (Lord Buddhas Maternal Home)

देवदह का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। यह वही स्थल है जहां गौतम बुद्ध की माता महामाया का ननिहाल था। इसे बौद्ध धर्म के इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यहां से भगवान बुद्ध के जीवन की कई घटनाओं की शुरुआत हुई। इस क्षेत्र में कई टीले और तालाब हैं, जिनमें हाल के उत्खनन में कई पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं मिली हैं। इन खोजों से स्पष्ट होता है कि यह स्थल न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है।

राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा अभी भी इस क्षेत्र में खोदाई जारी है। प्रमुख सचिव पर्यटन ने बताया कि इस क्षेत्र में मिले अवशेषों को आम जनता और पर्यटकों के लिए प्रदर्शित करने हेतु साइट म्यूजियम स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही यह स्थल न केवल धार्मिक पर्यटन बल्कि इको-टूरिज्म के लिए भी एक आकर्षक केंद्र बन सकता है।

धम्म यात्रा और बौद्ध अनुयायियों की भागीदारी

सारनाथ से शुरू हुई इस धम्म यात्रा का अंतिम गंतव्य कुशीनगर है। इस यात्रा का उद्देश्य बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ लोगों को मानवता और धर्म की राह पर अग्रसर करना है। यात्रा में शामिल 150 से अधिक भिक्षु लगातार पैदल यात्रा कर विभिन्न बौद्ध स्थलों तक पहुंच रहे हैं। यात्रा के दौरान भिक्षु चन्दिमा खेरो ने कहा कि देवदह की धार्मिक मान्यता को देखते हुए इसे और विकसित किया जाना चाहिए, ताकि आने वाले समय में बड़ी संख्या में बौद्ध अनुयायी यहां पहुंच सकें।

भिक्षु ने यह भी बताया कि धर्मिक गतिविधियों के साथ-साथ इस स्थल को विकसित करने से स्थानीय लोगों और पूरे जिले को आर्थिक लाभ भी मिलेगा। धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण क्षेत्र में रोजगार और आय के नए अवसर बनेंगे।

प्राचीन उत्खनन और ऐतिहासिक खोजें

महाराजगंज जिले के चौक क्षेत्र में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) द्वारा उत्खनन जारी है। यहां प्राचीन स्तूप और अन्य बौद्ध अवशेषों की खोज की जा रही है। यदि उत्खनन सफल होता है और बौद्ध कालीन स्तूप मिलता है, तो यह जिले को पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से नई पहचान दिला सकता है।

इतिहासकार और लेखक डॉ. परशुराम गुप्त ने बताया कि देवदह, जिसे आजकल बनर सिंह कला भी कहा जाता है, गौतम बुद्ध का ननिहाल होने के साथ-साथ माता महामाया, मौसी महाप्रजापति गौतमी और पत्नी यशोधरा की जन्मभूमि के रूप में भी जानी जाती है। बनर सिंह कला में लगभग 35 हेक्टेयर क्षेत्र में कई टीले, तालाब, प्राचीन शिवलिंग और भगवान बुद्ध की चतुर्भुजाकार मूर्ति मौजूद है।

धार्मिक आस्था और भविष्य की संभावनाएं

देवदह और आसपास के क्षेत्र में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की गहरी श्रद्धा जुड़ी हुई है। आने वाले समय में प्रशासन और पर्यटन विभाग इसे और विकसित करने की योजना में लगा हुआ है। साइट म्यूजियम की स्थापना और प्राचीन उत्खनन से मिले अवशेषों का प्रदर्शन इस स्थल को और अधिक आकर्षक बनाएगा।

भिक्षु चन्दिमा खेरो के अनुसार, इस क्षेत्र को विकसित करने से न केवल धार्मिक गतिविधियां बढ़ेंगी, बल्कि स्थानीय लोगों और जिले की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा। आने वाले समय में देवदह न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण स्थल बन सकता है।

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