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डॉ अंबेडकर ने कांग्रेस को जलता हुआ घर क्यों कहा था ? जानें क्या है पूरी कहानी

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14 अप्रैल 2024 को भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर छतरपुर की पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने कांग्रेस को जलता हुआ घर बताते हुए सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने बाबा साहेब को कभी टिकट नहीं दिया, बल्कि उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारे और उन्हें चुनाव में हरा दिया। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते नजर आते हैं कि कांग्रेस ने हमेशा डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर का अपमान किया है। इसके अलावा अगर आप इतिहास के पन्ने उथल कर देखेंगे तो पाएंगे कि देश के संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को दो बार लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। दोनों बार वह कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार तक किया था। कांग्रेस तो यह भी नहीं चाहती थी कि वे संविधान सभा के सदस्य बनें। इसी तरह एक समय ऐसा था जब बाबा साहब ने कहा था कि कांग्रेस एक जलता हुआ घर है, जो भी इसमें शामिल होगा वह इसकी आग में भसम हो जाएगा। तो सोचने वाली बात है कि कांग्रेस सरकार के दौरान देश का सविधान लिखने वाले बाबा साहब ने कांग्रेस के लिए ऐसा क्यों कहा? आइए जानते हैं।

और पढ़ें: चीन को लेकर अंबेडकर ने संसद में दो बार दी थी चेतावनी, बाबा साहब की बात न मानकर नेहरू ने की गलती!

अंबेडकर और पिछड़ा वर्ग

बाबा साहब ने पिछड़े वर्ग के लोगों को कांग्रेस में शामिल न होने की सलाह दी थी। साथ ही बाबा साहब ने कहा था की कोंग्रेस जलता हुआ घर है। आखिर बाबा साहब ने ये सब क्यों और कब कहा आइए आपको विस्तार से बताते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, डॉ. अंबेडकर से जुड़ा यह किस्सा डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर राइटिंग एंड स्पीचेज वॉल्यूम 40 में उपलब्ध है। अब बात करें इस किस्से की तो 25 अप्रैल 1948 को सिरियल कास्ट फेडरेशन के अधिवेशन में बोलते हुए अंबेडकर ने अपने अनुयायियों से कहा, ‘भाइयों और बहनों, मुझे लगता है कि कांग्रेस में शामिल होने से हमें कोई फायदा नहीं होगा। कांग्रेस दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है। समाजवादियों के इससे अलग हो जाने के कारण यह पार्टी और दुर्बल होती जा रही है। ऐसे समय में हम इन दोनों पार्टियों के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा का फायदा उठा सकते हैं और अपनी पार्टी के अलग अस्तित्व को बरकरार रखते हुए उन पार्टियों के साथ सहयोग करके सत्ता हासिल कर सकते हैं जो हमारी शर्तों को स्वीकार करेंगी।

कोंग्रेस में नहीं होगा दलितों का उधार

अंबेडकर ने कहा था कि सत्ता सामाजिक प्रगति का अचूक नुस्खा है। उन्हें पिछड़ी जातियों के लिए कांग्रेस में शामिल होकर सत्ता हासिल करना मुश्किल लग रहा था। उनके मुताबिक कांग्रेस एक बड़ा संगठन है और इसमें प्रवेश करना समुद्र में बूंद गेरने के समान है। अंबेडकर का मानना था कि कांग्रेस में शामिल होने से पिछड़ी जातियों को कोई लाभ नहीं होगा। हां, यदि कांग्रेस अलग-अलग गुटों में बंटी होती तो निश्चित रूप से दलित कांग्रेस से अपने समर्थन की उम्मीद कर सकते थे, लेकिन तत्कालीन स्थिति अलग थी।

कोंग्रेस जलता हुआ घर है

अंबेडकर के अनुसार यदि वे अपने समर्थकों सहित कांग्रेस में शामिल हो जाते तो उनके विरोधियों की शक्ति बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस की हालत जले हुए घर जैसी है, जिसमें शामिल होते ही वह और उनके समर्थक जलकर राख हो जायेंगे। दरअसल, अंबेडकर का मानना था कि इस समय कांग्रेस कमज़ोर है और अगर उन्होंने इस पार्टी का समर्थन भी किया तो उनका संगठन भी कांग्रेस के साथ डूब जायेगा। अंबेडकर ने तो यहां तक कहा था कि अगर कांग्रेस कुछ सालों में खत्म हो जाए तो उन्हें बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं होगा। उनके मुताबिक समाजवादी पार्टी के कांग्रेस से अलग होने के बाद कांग्रेस की ताकत कम हो गई थी। ऐसे समय में वे एक अलग संगठन बनाकर तीसरे मोर्चे के रूप में गठन करना चाहते थे। अंबेडकर ने कहा था कि अगर कांग्रेस और समाजवादियों को बहुमत नहीं मिला तो वे उनसे यानी अंबेडकर के संगठन से समर्थन की भीख मांगेंगे, इसका फायदा उठाकर अंबेडकर अपनी शर्तें रखकर सत्ता में संतुलन बना सकते हैं।

और पढ़ें: क्या आर्य विदेशी हैं? जानिए बाबा अंबेडकर के विचार 

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