धारा 11 क्या है ? IPC के इस सेक्शन में किस बात पर चर्चा की गई है

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धारा 11 क्या है – भारतीय दंड संहिता न सिर्फ अपराधों को लेकर कानून बनाती है बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में अहम भूमिका निभाने वाली कई चीजों को नियंत्रित भी करती है। जैसे एफआईआर, पब्लिक, लोकल लॉ, ये कुछ ऐसे शब्द हैं जिनकी व्याख्या कुनुन ने अपने अनुभागों में की है। इसी संदर्भ में एक और शब्द है जिसकी व्याख्या IPC की धारा 11 में की गई है। इस धारा में कंपनी और एसोसिएशन को व्यक्ति का दर्जा दिया गया है। आइए आपको इस धारा के बारे में विस्तार से बताते हैं।

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धारा 11 क्या है

भारतीय दंड संहिता की धारा 11 की परिभाषा पर अगर नजर डालें तो यह बताती है कि, कोई भी कपनी या संगम, या व्यक्ति निकाय चाहे वह निगमित हो या नहीं, “व्यक्ति शब्द के अन्तर्गत आता है. इसका मतलब यह है कि IPC में चाहे कोई कंपनी हो, एसोसिएशन हो या व्यक्तियों का कोई निकाय हो, उन सभी को ‘व्यक्ति’ शब्द से जाना जाता है। यानी अगर किसी कंपनी या एसोसिएशन से जुड़ा मामला है तो कंपनी या एसोसिएशन की जगह ‘व्यक्ति’ शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है।

क्या है भारतीय दंड संहिता

भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। आपको बता दें कि यह बात भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।

अंग्रेजों ने लागू की थी IPC – धारा 11 क्या है ?

धारा 11 क्या है – भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में लागू की गई थी। आईपीसी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश भारत के पहले विधि आयोग के प्रस्ताव पर की गई थी। इसके बाद 1 जनवरी, 1862 को इसे भारतीय दंड संहिता के रूप में अपनाया गया। वर्तमान दंड संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता है, से हम सभी परिचित हैं। इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं।

अगर पुलिस अधिकारी FIR लिखने करें मना

वहीं अगर कोई पुलिस अधिकारी कभी भी आपकी कोई FIR लिखने से इनकार करता है तो यह सीधे तौर पर गैरकानूनी होगा। अगर FIR दर्ज नहीं हुई तो आप एसपी से शिकायत कर सकते हैं। अगर आपकी शिकायत को नजरअंदाज किया जाता है तो आप कोर्ट में किसी भी मजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकते हैं। क्योंकि यदि कोई लोक सेवक कानूनी गलती करता है तो वह न्यायालय द्वारा क्षमा योग्य नहीं है।

और पढ़ें: जानें क्या कहती है IPC की धारा 42, स्थानीय विधि को लेकर कही गयी है ये बात 

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