ये 6 चीज़ें खाने से किडनी पर पड़ेगा बुरा असर, तेजी से बढ़ सकती है यूरिक एसिड जैसी गंदगी…

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इन चीजों का को खाने किडनी हो सकती है खराब 

हमारे शरीर से गंदगी निकलने और ब्लड को साफ़ रखने के लिए किडनी चौबीसों घंटे फ़िल्टर करती रहती है लेकिन पोटैशियम की भरपूर मात्रा वाले ये 6 चीजें खाने से हमारी किडनी पर गलत प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब होने के चांसेस ज्यादा बढ़ जाते हैं. किडनी के खराब होने से हमारे ब्लड में गंदगी बढ़ने लगती है.जो शरीर के बाकि अंगो को अलग अलग तरह से नुक्सान पहुंचाते है. ऐसे में किसी भी मरीज़ की जान भी जा सकती है. डैमेज होने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ सकता है.जिसके फिल्टर (ग्लोमेरुलस) सही हों. गुर्दे के यही फिल्टर शरीर से गंदगी निकालने में मदद करते हैं. इसलिए कुछ फूड को खाने से बचना चाहिए, वरना आपकी किडनी बहुत जल्दी खराब हो सकती हैं. इस लेख में हम आपको वही 6 चीजों के बारे में बताएंगे जिसके सेवन को कम करके आप अपनी किडनी की रक्षा कर सकते हैं.

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अधिक केले का सेवन 


अगर आपको गुर्दे की बीमारी है तो केले का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. क्योंकि, इसमें काफी पोटैशियम होता है, जिसकी अधिक मात्रा किडनी के फिल्टर को खराब कर सकती है.

आलू को छिलके समेत खाना


एक रिसर्च के अनुसार आलू में पोटैशियम की भरपूर मात्रा होती है जिसका बड़ा हिस्सा उसके छिलके से आता है इसलिए आलू को बिना छिलके के खाना चाहिए वरना ए धीरे धीरे किडनी को खराब कर देता है .

चिकन ब्रेस्ट


चिकन ब्रेस्ट में प्रोटीन बहुतायत मात्रा में होता है, लेकिन इसके साथ पोटैशियम भी होता है. इसलिए खराब किडनी के मरीज इसका सेवन करने से बचें और हेल्दी व्यक्ति भी इसका सेवन सीमित मात्र में करें.

दूध और दही


दूध या उससे बने दही जैसे उत्पादों में भी गुर्दा खराब करने वाला यह तत्व मौजूद होता है. इसलिए किडनी के मरीजों को इनका सेवन कम से कम करना चाहिए. डेयरी प्रॉडक्ट से हमें दिन की जरूरी मात्रा का करीब एक चौथाई हिस्सा आराम से मिल जाता है.

टमाटर 

टमाटर या टमाटर की चटनी (पेस्ट) का सेवन एक सीमित मात्रा में ही करना चाहिए क्योंकि यह आपके शरीर में किडनी को डैमेज करने वाले पोटैशियम की मात्र को बढ़ा देता है. एक मध्यम शेप वाले टमाटर में करीब 290 मिलीग्राम पोटैशियम पाया जाता है.

दाल 

पेट और सेहत के लिए दाल का सेवन काफी ज्यादा लाभदायक होता है लेकिन इसके अत्यधिक सेवन से किडनी में पोटैशियम की मात्रा बढ़ा देता है. एक कप दाल में करीब 730 मिलीग्राम पोटैशियम पाया जाता है.

Potassium लेबल बढ़ने से ये नुकसान

ब्लड में उच्च पोटेशियम को हाइपरकेलेमिया कहा जाता है, जो क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) के उन्नत चरणों वाले लोगों में हो सकता है. उच्च पोटेशियम के कुछ प्रभाव मतली, कमजोरी, सुन्नता और धीमी नाड़ी हैं। स्टेज 5 सीकेडी (जिसे एंड स्टेज किडनी डिजीज या ईएसकेडी के रूप में भी जाना जाता है) वाले लोगों के लिए, पोटेशियम को विनियमित करने में मदद करने के लिए डायलिसिस आवश्यक है.

पोटैशियम लेबल घटने नुकसान

जिस तरह शरीर में पोटेशियम का स्तर बहुत अधिक हो सकता है, वे बहुत कम भी गिर सकते हैं, जिसे डॉक्टर हाइपोकैलिमिया के रूप में संदर्भित करते हैं. हाइपोकैलिमिया आमतौर पर एक और अंतर्निहित चिकित्सा बीमारी के कारण होता है जिसे एक डॉक्टर को निदान करना चाहिए.

  • हाइपोकैलिमिया के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
  • मांसपेशियों की कमजोरी
  • मेटाबोलिक एसिडोसिस
  • असामान्य हार्टबीट
  • कब्ज
  • सांस लेने में दिक्कत

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