ओमान के साथ है भारत की संधि फिर भी आसान नहीं है जाकिर नाइक को लाना, ये हैं वजह-

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भारत में भगोड़े कट्पंटरपंथी  इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को लेकर मंगलवार यानी 21 मार्च को खबर आई कि उसे ओमान से भारत लाया जा सकता है. दरअसल, वो 23 मार्च को ओमान की यात्रा पर रहेगा. इसी दौरान उसे वहां हिरासत में लेकर भारत लाने की जानकारी सामने आई. वो रमजान के महीने में 2 धार्मिक प्रवचन के लिए ओमान जा रहा है. इन सारी अटकलों के दरमियान हमे ये बात समझनी होगी कि यह पॉसिबल है कि जाकिर नाईक को ओमान से भारत लाया जा सकता है और भारत और ओमान के बीच संधि भी काफी मजबूत है. और ये बात आपको भी मालूम होगी की दो देशों के बीच प्रत्यर्पण की एक संधि होती है जिसके तहत किसी एक देश के मोस्ट वांटेड क्रिमिनिअल को दोस्सरे देश से लाया जा सकता है.

कितना बड़ा काम है प्रत्यर्पण?

साल 2004 में भारत और ओमान के बीच एक प्रत्यर्पण संधि हुई थी. जिसमे या बात तय हुई थी कि अगर हम दोनों में से किसी भी देश का कोई भी मुजरिम किसी देश की सीमा के भीतर आता है तो उस मुजरिम या आतंकवादी को उस देश की सरकार को सौंपना होगा जहाँ से वो भाग कर आया है .

अब इसी आधार पर ऐसा कहा जा रहा है कि जाकिर नाईक ओमान जा रहा है तो उसे ओमान से भारत लाया जा सकता है. लेकिन यहाँ सबसे ज्यादा समझने वाली बात ये है कि इस संधि के अलावा भी सम्बंधित देश के अपने भी कुछ कानून होते हैं. और वो ऐसे कानून होते हैं जिनके जरिए प्रत्यर्पण को रोका जा सकता है. या लम्बे वक़्त के लिए टाल दिया जाता है. ऐसे मामलो में जो कानूनी प्रक्रिया है वो बहुत ज्यादा लम्बी होती है.

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मामले की सबसे अहम् बात ये है कि जाकिर नाईक को ओमान में मेहमान के तौर पर बुलाया जा रहा है. जिसे ओमान सरकार ने ही लेक्चर देने के लिए बुलाया है. और दूसरी तरफ कल यानि 22 मार्च से रमजान शुरू हो गया है और जाकिर अपना रमजान ओमान में ही मनायेगा. और यही सारे मुद्दे इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं की ओमान से जाकिर को भारत लाना काफी मुश्किल है. 

पहले से ही है रेड कार्नर नोटिस

भारत सरकार काफी लम्बे समय से जाकिर नाइक के पीछे पड़ी हुई है. क्योंकि भारत जांच एजेंसियों को उसके खिलाफ आतंकी फंडिंग और साजिश के खिलाफ काफी पुख्ता सबूत मिले थे. उस पर हेट स्पीच देने, सांप्रदायिक नफरत बढ़ाने और मुसलमानों को भड़काने का भी आरोप भी है. भारत में जिस वक्त जाकिर के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज किया गया और रेड कार्नर नोटिस इश्यू किया गया, उससे पहले ही वो देश छोड़कर मलेशिया भाग निकला और वहां के सरकारी दफ्तरों और आवासीय भवनों वाले वीआईपी इलाके में रह रहने लगा.

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इस यूनिवर्सिटी में देगा लेक्चर

जाकिर का पहला लेक्चर 23 मार्च को तो दूसरा लेक्चर 25 मार्च को होना है. उसका पहला लेक्चर ‘द कुरान ए ग्लोबल नेसेसिटी’ ओमान के अकाफ और धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने आयोजित कराया है, जबकि उसका दूसरा लेक्चर ‘प्रोफेट मोहम्मद (PBUH) ए मर्सी टू ह्यूमनकाइंड’ सुल्तान कबूस विश्वविद्यालय में होना है.

खबर के अनुसार, उसके दौरे को लेकर भारतीय एजेंसियां ओमान की एजेंसियों के साथ संपर्क में हैं. जानकारी ये भी मिली कि भारत से एक कानूनी टीम ओमान जाएगी, जिससे नाइक को भारत लाने की प्रक्रिया पूरी की जा सके. विदेश मंत्रालय ने इस मामले को ओमान के दूतावास के सामने भी उठाया है.

वकील मुबीन सोलकर ने  ख़बरों को बताया झूठ

जाकिर नाइक के वकील मुबीन सोलकर ने इस तरह की खबरों को पूरी तरह से नकार दिया है. उसका कहना है कि इस तरह की खबरों का कोई आधार नहीं है. उन्हें (जाकिर) डिपोर्ट या हिरासत में लेने का कोई आधार नहीं है. इस खबर पर भारत की तरफ से कोई आधिकारिक बयान भी सामने नहीं आया है. ऐसे में कहा जा सकता है कि ये देखना होगा कि इस मामले में किस तरह की प्रगति होती है.

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नाईक को सौंपने को तैयार नहीं मलेशिया

भारत और ओमान के बीच प्रत्यर्पण संधि पर 2004 में हस्ताक्षर हुए थे. उसके पीस टीवी को भी भारत में बैन किया गया. पीस टीवी पर भारत के अलावा बांग्लादेश, कनाडा, श्रीलंका और यूनाइटेड किंगडम में भी रोक है. भारत से भागकर वो मलेशिया चला गया और तब से वहीं रह रहा है. भारत और मलेशिया के बीच भी प्रत्यर्पण संधि है, लेकिन मलेशिया ने उसे भारत को सौंपने से मना कर दिया. मलेशिया ने कहा कि उसने मलेशियाई कानून नहीं तोड़ा है.

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