How Nuclear Bombs Work: सिर्फ कुछ किलो यूरेनियम से मिट सकता है शहर! जानिए कैसे बनता है परमाणु बम

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How Nuclear Bombs Work: हिरोशिमा और नागासाकी की भयावह तस्वीरें आज भी आँखों के आगे तैरती हैं। एक सेकंड भर का परमाणु धमाका इतिहास बदल देता है और उसके प्रभाव दशक-से-दशक तक बरकरार रहते हैं। ऐसी ही जिज्ञासा अक्सर उठती है: आखिर एक परमाणु बम कैसे काम करता है और उसके लिए किन चीज़ों की जरूरत होती है? वैज्ञानिक भाषा में जवाब आसान नहीं, पर सामान्य बातों में इसे समझना संभव है।

सबसे पहले—परमाणु हथियार दो मुख्य तरीके से ऊर्जा छोड़ते हैं: नाभिकीय विखंडन (fission) और नाभिकीय संलयन (fusion)। विखंडन में भारी परमाणु जैसे कुछ विशिष्ट प्रकार के पदार्थ टूटते हैं और अचानक बड़ी ऊर्जा, गर्मी, दबाव-लहर व रेडियोधर्मी कण छोड़ते हैं। संलयन में हल्के नाभिक मिलकर भारी नाभिक बनाते हैं और उससे और भी ज़्यादा ऊर्जा निकलती है—इसी सिद्धांत पर हाइड्रोजन बम काम करते हैं।

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सरल शब्दों में, किसी परमाणु प्रतिक्रिया को नियंत्रित परिस्थितियों में तेज़ी से चलाया जाता है ताकि एक शृंखला प्रतिक्रिया शुरू हो जाए। इस शृंखला प्रतिक्रिया से पैदा हुई ऊर्जा ही विस्फोट का कारण बनती है उसके साथ ही तीव्र गर्मी और तीव्र विकिरण भी निकलता है, जो तुरंत और लंबे समय बाद भी जान-माल व पर्यावरण को प्रभावित करता है।

कौन-सी सामग्री प्रयोग में आती हैं? (How Nuclear Bombs Work)

परमाणु हथियारों में उन तत्वों की ज़रूरत होती है जिनके नाभिक ‘विखंडन’ के लिए अनुकूल हों। आमतौर पर चर्चा में जो नाम आते हैं, उनमें प्लूटोनियम-239 और विशिष्ट किस्म के यूरेनियम शामिल हैं (इतिहास और वैज्ञानिक साहित्य में यूरेनियम-235 और यूरेनियम-233 का भी जिक्र मिलता है)। ये पदार्थ नाभिकीय शृंखला प्रतिक्रिया को सम्भव बनाते हैं। पर ध्यान रखें—यहाँ केवल नामों का उल्लेख किया जा रहा है; निर्माण के तकनीकी पहलू, मात्रा, संवेदनशील प्रक्रियाएँ या व्यवहारिक निर्देश किसी भी तरह साझा करना नीतिगत और कानूनी रूप से असंगत व खतरनाक है।

प्रभाव कितना भयानक होता है?

परमाणु धमाका सिर्फ एक विस्फोट नहीं होता—उसके साथ एक प्रचंड दबाव-लहर, तीव्र ऊष्मा किरण और रेडियोधर्मी कण (फैलना) आते हैं। तत्काल प्रभाव में इमारतें ध्वस्त होती हैं, लोग गंभीर जलन और चोटें सहते हैं; बाद में रेडियोधर्मी प्रदूषण (फॉलआउट) वर्षों तक जमीन, पानी और स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। कैंसर, आनुवंशिक असर और दीर्घकालिक पर्यावरणीय नुकसान इसके प्रमुख दुष्प्रभाव हैं।

क्यों दुनिया में नाभिकीय हथियारों के ख़िलाफ़ जोर है?

परमाणु हथियारों की विनाशकारी शक्ति, उनकी दीर्घकालिक प्रभावशीलता और आतंकवाद/गलत हाथों में जाने का खतरा—इन सब कारणों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रण के प्रयास, संधियाँ और गैर-प्रसार नीतियाँ चले आ रही हैं। नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रिटी (NPT) और विभिन्न क्षेत्रीय समझौते इसी दिशा में हैं।

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