किसी के पिता मजदूर तो किसी के पिता स्कूल के चपरासी, ऐतिहासिक है अंडर-19 वर्ल्डकप जीतने वाली 15 युवाओं की कहानी….

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अंडर-19 वर्ल्डकप जीतने वाली 15 युवा खिलाड़ियों की कहानी 

रविवार को हुए इंडिया और इंग्लैंड के बीच अंडर -19 वर्ल्ड (Under-19 World Cup final) के फाइनल मैच में भारत ने शानदार जीत हासिल कर इतिहास का पहला विश्वकप अपने नाम कर लिया है, यह भारतीय महिला क्रिकेट (Indian women cricket) में सभी फोर्मट्स में अभी तक का पहला विश्वकप है. भारतीय टीम की अगुवाई कर रही सीनियर टीम प्लेयर्स शेफाली वर्मा (Senior Team Players Shefali Verma) ने टीम को अपना अनुभव देने के साथ फ्रंट से लीड भी किया और बाकि खिलाडियों ने बखूबी अपनी भूमिका निभाई है. ओपनिंग बैट्समैन श्वेता सहरावत (Batsman Shweta Sehrawat) ने ने पूरे टूर्नामेंट में बॉलर्स की जमकर क्लास लगायी है और सर्वाधिक रन अपने नाम किए हैं.    वहीं अफ्रीका में खेले गये इस अंडर -19 के पहले वर्ल्डकप में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड को 7 विकेट से हराकर मैच और वर्ल्डकप ट्राफी अपने नाम कर लिया है  इसके पहले सीनियर और जूनियर टीम  मिलाकर भी भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने कोई भी वर्ल्डकप नहीं जीता. आज उन्ही 15 युवा महिला खिलाड़ियों की चर्चा करेंगे और उनके बारे में बताएँगे जिन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट को जीतने का सपना दिखा दिया है .

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1.श्वेता सहरावत


अंडर-19 की वाईस-कप्तान श्वेता सहरावत (Shweta Sehrawat) दिल्ली से आती हैं, श्वेता ने अपने प्रदर्शन से सीनियर टीम में चयन की दावेदारी पेश कर दी है . यूएई के खिलाफ श्वेता ने एक बार फिर से नाबाद 74 रन बना डाले। इस मैच में भी टीम इंडिया ने 112 रन से जीत हासिल की। साउथ अफ्रीका और यूएई के बाद श्वेता का बल्ला स्कॉटलैंड के खिलाफ भी गरजा. पूरे टूर्नामेंट में श्वेता ने 99 के जबरदस्त औसत से सर्वाधिक  292 रन बनाये हैं.

2. शेफाली वर्मा


टीम की अगुवाई कर रही कप्तान शेफाली वर्मा (Shefali Verma) ने इस पूरे टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया है.15 साल की उम्र में ही सीनियर टीम के लिए डेब्यू किया करने वाली शेफाली ने अपनी कप्तानी में भारतीय महिला क्रिकेट को एक एतिहासिक जीत दिलाई है. रोहतक की रहने वाली शेफाली वीरेंद्र सहवाग की तरह खतरनाक बैटिंग और भारतीय क्रिकेटर रोहित शर्मा को अपना आईडियल मानती हैं. अगले महीने की 10 तारिख से होने वाले महिला टी-20 विश्वकप का भी हिस्सा हैं शेफाली.

3. सौम्या तिवारी


सौम्या (Saumya Tiwar) भोपाल की पहली महिला क्रिकेटर हैं जिन्होंने टीम इंडिया की नीली जर्सी पहनी है. भोपाल की अरेरा अकादमी से इंडिया टीम तक का सफ़र उन्होंने महज़ छह साल में ही पूरा कर लिया. सौम्या के पिता मनीष तिवारी कलेक्टर दफ़्तर की निर्वाचन शाखा में सुपरवाइज़र हैं. वो ख़ुद भी क्रिकेट खेलते थे, लेकिन 1986 में स्कूटर से ऐसा हादसा हुआ कि पैर की हड्डी के दो टुकड़े हो गए और पेशेवर क्रिकेट खेलने का सपना भी टूट गया. लेकिन मनीष तिवारी का यह सपना उनकी बेटी की आंखों में पलने लगा. फाइनल मुकाबले में मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज सौम्या तिवारी ने नाबाद 24 रनों की उपयोगी पारी खेली. सौम्य  विरत कोहली की बहुत बड़ी फेन हैं और इसीलिए उनकेमेट टीममेट उन्हें ‘अपना विराट’ कहकर बुलाती हैं .

4.गोंगाडी त्रिशा

फाइनल मुकाबले में गोंगाडी त्रिशा (gongadi trisha) ने उपयोगी 24 रन बनाए. त्रिशा का जन्म तेलंगाना के बद्राचलम में हुआ था. तृषा के पिता ने अपने बेटी का भविष्य बनाने के अपनी जॉब छोड़कर हैदराबाद शिफ्ट हो गए ताकि तृषा सही अकादमी में प्रैक्टिस कर सके . बल्लेबाजी के साथ साथ तृषा राउंड- आर्म एक्शन में स्पिन गेंदबाजी भी करती हैं .

5.  ऋचा घोष


भारतीय महिला क्रिकेटर हैं. वह बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज भारतीय टीम  का हिस्सा हैं. 19 साल की ऋचा घोष (Richa Ghosh) ने अपने छोटे से करियर में एक ताबड़तोड़ बल्लेबाज के रूप में पहचान बनाई है. वह बंगाल के लिए घरेलू क्रिकेट खेलती हैं.  जनवरी 2020 में 16 साल की उम्र में उन्हें 2020 ICC महिला T20 वर्ल्ड कप के लिए भारत की टीम में चुना गया था. बाद में उसी महीने उन्हें 2020 में ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं की ट्राई-नेशन सीरीज के लिए भारत की टीम में भी जगह मिली. 12 फरवरी 2020 को उन्होंने ट्राई सीरीज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल मुकाबले में भारत के लिए T20I डेब्यू किया. मई 2021 में उन्हें पहली बार भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में जगह दी.  ऋचा घोष बड़े शॉट्स खेलने में महारत हासिल है. ऋचा के नाम भारत की ओर से वूमेन्स ओडीआई में सबसे तेज फिफ्टी जड़ने का रिकॉर्ड दर्ज है. सिलीगुड़ी की रहने वाली ऋचा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 सीरीज में भी कुछ धमाकेदार पारियां खेली थीं.

6. हर्षिता बसु

ऋचा घोष (Harshita Basu) को टीम का पार्ट टाइम विकेटकीपर भी कह सकते हैं जो हिटर ऋचा घोष की तरह निचले क्रम में बड़े बड़े शॉट्स खेलने की क्षमता रखती हैं. स्कूप शॉट हर्षिता बसु के पसंदीदा शॉट्स में से एक है. हावड़ा में पैदा हुईं हर्षिता बसु मैदान पर विरत कोहली की तरह काफी फुर्तीली रहती हैं.

7. टिटास साधु 

अपने फाइनल मुकाबले में दो विकेट चटकाकर मैन ऑफ़ द मैच रहीं टिटास साधु (Titas Sadhu) को अभी से ही भारतीय टीम का भविष्य कहा जा रहा. पश्चिम बंगाल के रहने  वाली टिटास साधु लीजेंड गेंदबाज़ झूलन गोस्वामी की तरह ही गेंद को स्विंग और बाउंस कराने की काबिलियत रखती हैं. इस बार से शुरू हो रहे वीमेन प्रिमिएर लीग(WPL) में सबसे महंगी खिलाडियों में से एक हो सकती हैं.

8. मन्नत कश्यप

मन्नत (Mannat Kashyap) के पिता संजीव कश्यप बिजनेसमैन और मां लवलीन गृहिणी हैं. मन्नत गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल न्यू पॉवर हाउस कॉलोनी में 12वीं में की छात्रा है. उसने बताया कि वह ध्रुव पांडव स्टेडियम में प्रैक्टिस करती है। मन्नत लेफ्ट आर्म स्पिनर है और राइट हैंड बैट्समैन है. पटियाला में पैदा हुई बाएं हाथ की ऑलराउंडर मन्नत कश्यप का प्रदर्शन भी काफी शानदार रहा. मन्नत कश्यप ने 6 मैचों में 10.33 के एवरेज से 9 विकेट चटकाए. मन्नत ने अपनी शुरूआती क्रिकेट ज्यादातर लड़कों के साथ खेलती हैं. मन्नत कश्यप की कजिन नूपुर कश्यप भी स्टेट लेवल की प्लेयर हैं.

9. अर्चना देवी

भारतीय टीम की जीत में स्पिन गेंदबाजों का अहम रोल रहा. 18 साल की अर्चना देवी (Archana Devi) ने भी इस मैच में अपनी अहम भूमिका निभाई हैं. अर्चना देवी ने सभी सात मैचों में भाग लिया और इस दौरान उन्होंने कुल आठ विकेट हासिल किए. अर्चना की क्रिकेटिंग जर्नी आसान नहीं रही है. अर्चना की मां दूसरे के खेतों में मजदूरी कर चुकी हैं. वहीं अर्चना के भाई और पिता दुनिया छोड़ चुके हैं.

10. पार्श्वी चोपड़ा

दाएं हाथ की लेग स्पिनर पार्श्वी चोपड़ा (Parshvi Chopra) इस टूर्नामेंट भारत की ओर से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज रहीं. पार्श्वी ने 6 मुकाबले खेलकर सात की औसत से 11 विकेट चटकाए. देखा जाए तो पूरे टूर्नामेंट में पार्श्वी से ज्यादा विकेट ऑस्ट्रेलिया की मैगी क्लार्क ने चटकाए. पार्श्वी पहले स्केटिंग करना चाहती थीं लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने क्रिकेटर बनने की ठानी.

11. सोनम यादव

फिरोजाबाद की रहने वाली सोनम यादव (sonam yadav) एक मजदूर परिवार से सम्बन्ध नहीं रखती हैं. सोनम के भाई को भी क्रिकेट में दिलचस्पी थी, लेकिन उसका करियर उड़ान नहीं भर पाया. बाएं हाथ की स्पिनर सोनम अपनी गति में मिश्रण करती हैं और उन्हें फ्लाइट से बल्लेबाजों को छकाने में महारत हासिल है. उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की रहने वाली सोनम यादव का परिवार काफी खुश है. उनके गांव में जश्न का माहौल है. हालांकि एक मजदूर की बेटी के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं था. इसके लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया. दरअसल, फ़िरोजाबाद के गांव राजा का ताल की रहने वाली सोनम के पिता मुकेश यादव एक ग्लास फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं. उनका भाई अमन भी एक मजदूर है. लेकिन, सोनम को शुरुआत से क्रिकेट में काफी दिलचस्पी थी. वो क्रिकेट में ही अपना करियर बनाना चाहती थीं, हालांकि अपने सपनों को पाने के लिए उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

12. यशश्री सोपदांधी

UAE के खिलाफ हुए मैच में हर्ले गाला के चोटिल होने के बाद सोपदांधी यशश्री (Yashshree Sopdandhi) को स्क्वॉड में शामिल किया गया था. सोपदांधी यशश्री ने इस टूर्नामेंट में सिर्फ एक मुकाबला खेला जो स्कॉटलैंड के खिलाफ था. सोपदांधी यशश्री दाएं हाथ की मीडियम पेसर हैं और वह घरेलू क्रिकेट में हैदराबाद का प्रतिनिधित्व करती हैं. भारत की तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर हर्ले गाला अंगूठे में चोट के कारण 17 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका में खेले गए आईसीसी अंडर-19 महिला टी-20 वर्ल्ड कप 2023 से बहार होना पड़ा जिसकी जगह यशश्री सोपदांधी को उनके रेपल्समेंट के तौर पर मौका मिला .

13. फलक नाज

कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों…! फलक नाज (Falak Naz) का इस मुकाम तक पहुंचने का सफर भी बिल्कुल फिल्मी रहा है। फलक के घर की माली हालत काफी खराब रही है। पिता एक प्राइवेट स्कूल में चपरासी का काम करते हैं जहां उन्हें बहुत ही मामूली वेतन मिलता है। फलक जिस मुस्लिम परिवेश से आती हैं वहां लड़कियों को क्रिकेट तो दूर स्कूल जाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है लेकिन इसके बावजूद फलक ने जिस तरह से संघर्षों का सामना करते हुए भारत के नेशनल टीम में अपनी जगह बनाई है वह काबिले तारीफ है। फलक इस टूर्नामेंट में भी एक भी मुकाबला नहीं खेल पाईं. भारत की खिताबी जीत के बाद फलक नाज के गृहनगर प्रयागराज में जमकर जश्न मनाया गया.

14. शबनम एमडी


दाएं हाथ की तेज गेंदबाज शबनम (Shabnam MD) शानदार रनअप और हाई-आर्म एक्शन के साथ गेंद फेंकती हैं. आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टम में पैदा हुईं शबनम नई गेंद के साथ शुरू से ही सटीक रहती हैं और गेंद को दोनों तरफ घुमाती हैं. अभी तक शबनम को इस टूर्नामेंट में मात्र दो मैच खेलने का मौका मिला.

15. सोनिया मेंधिया

हरियाणा के लिए घरेलू क्रिकेट खेलने वाली सोनिया मेंढिया (Sonia Mendhia) एक ऑफ स्पिनर और दाएं हाथ की बल्लेबाज हैं. वह निचले मध्य क्रम में अच्छे स्ट्राइक-रेट के साथ बड़े बड़े शॉट्स खेलने का मदद रखती हैं. और बीच के ओवरों में अपनी गेंदबाजी से रनों की गति पर लगाम लगाने की काबिलियत रखती हैं. सोनिया ने टी20 वर्ल्ड कप में अबतक कुल चार मैच खेले.

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