Bhai Dooj 2021: इस शुभ मुहूर्त में करें भाई का तिलक, इस त्योहार को मनाने के पीछे की दिलचस्प कथा के बारे में जानिए…

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6 नवंबर शनिवार को इस बार भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है। इस फेस्टिवल का भी हिंदू धर्म में काफी महत्व है। रक्षाबंधन की तरह भाई दूज भाई-बहन के बीच के प्यार का पावन पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाई के तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को हर साल भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। 

ये हैं तिलक करने का शुभ मुहूर्त… 

बात अब भाई दूज के शुभ मुहूर्त की कर लेते हैं। क्योंकि कई लोग शुभ मुहूर्त में ही ये त्योहार मनाना चाहते हैं। तो इसलिए आपको बता दें कि इस बार भाई दूज के दिन टीका करने का अच्छा मुहूर्त 2 घंटे 11 मिनट का है। कार्तिक मास की द्वितीया तिथि 05 नवंबर की रात 11:14 बजे से शुरू हो जाएगी और ये समाप्त नवंबर 06, 2021 शाम 07:44 मिनट पर होगी। भाई दूज के दिन भाई को टीका लगाने के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 से लेकर 3 बजकर 21 बजे का है। 

कब और कैसे हुई भाई दूज मनाने की शुरूआत?

ये तो बात हो गई, भाई दूज के शुभ मुहूर्त की। अब बात कर लेते हैं इस त्योहार के पीछे की कहानी की। हम सबको ये तो मालूम है कि भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद आता है। लेकिन क्या आपको ये पता है कि ये त्योहार क्यों मनाया जाता है? इसको मनाने के पीछे की कहानी के बारे में जानते हैं आप? नहीं? तो आइए हम आपको बता देते हैं…

भाई दूज मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन हम आपको आज हम सबसे मशहूर कथा के बारे में बताएंगे। पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की दो संतानें थीं, धर्मराज यम और यमुना। भगवान सूर्य के तेज को संध्या देवी नहीं सह पाई और और यमराज और यमुना को छोड़ कर मायके चली गईं। वो अपनी जगह प्रतिकृति छाया को छोड़ गईं। छाया को यम और यमुना से कुछ खास लगाव नहीं था, लेकिन दोनों भाई-बहनों के बीच में काफी प्रेम था। 

यमुना ने शादी के बाद अपने भाई धर्मराज यम को कई बार घर आने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन व्यस्त होने के चलते वो बहन के घर नहीं जा पाते। फिर कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को यम, यमुना के घर जा पहुंचे। इस मौके पर यमुना ने अपने भाई का खूब आदार-सत्कार किया। उनको भोजन कराया और तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की कामना भी की। 

जिसके बाद यम ने अपनी बहन से वरदान मांगने को कहा, तो इस पर यमुना बोलीं कि आप हर साल इस दिन मेरे घर आएं और इस दिन जो बहन अपने भाई का तिलक करेगी, उसको तुम्हारा भय नहीं होगा। बस इसी के बाद कार्तिक मास की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाने की परंपरा शुरू हुई। 

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