TV Channels Revenue Modle: कैसे तीन फिल्मों से टीवी चैनल कमा लेता है करोड़ों? जानिए पूरा रेवेन्यू मॉडल आसान भाषा में

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TV Channels Revenue Modle: शनिवार की दोपहर हो या त्योहार का दिन टीवी ऑन करो और चैनलों पर धड़ाधड़ फिल्में चल रही होती हैं। कभी सलमान, कभी शाहरुख, तो कभी अक्षय कुमार की ब्लॉकबस्टर फिल्मों की धूम मची होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन फिल्मों को दिखाकर टीवी चैनल कितना पैसा कमा लेता है? सिर्फ मनोरंजन के नाम पर करोड़ों की कमाई होती है। आइए, इस पूरी कमाई के पीछे का खेल समझते हैं बिलकुल आसान और साफ भाषा में।

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कमाई की रीढ़ है विज्ञापन- TV Channels Revenue Modle

टीवी चैनल की कमाई आपके रिमोट कंट्रोल से जुड़ी है। जी हां, आप जितनी देर तक किसी चैनल पर टिके रहते हैं, उतनी देर तक उस चैनल की TRP (Television Rating Point) बढ़ती है। और जैसे ही TRP बढ़ती है, विज्ञापनदाता उस चैनल पर पैसा बरसाना शुरू कर देते हैं। चैनल जितनी ज्यादा TRP हासिल करता है, उतने ही महंगे उसके विज्ञापन स्लॉट बिकते हैं।

एक फिल्म के दौरान 8-10 विज्ञापन ब्रेक आते हैं और हर ब्रेक में करीब 5 से 6 ऐड चलाए जाते हैं। बड़े चैनलों (जैसे स्टार प्लस, ज़ी टीवी या सोनी) पर तो 10 सेकंड का ऐड स्पेस ही 2 से 5 लाख रुपये तक का बिकता है। ऐसे में एक फिल्म से ही चैनल की कमाई 1 से 2 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। अब अगर चैनल लगातार तीन फिल्में दिखाता है, तो सीधे 3 से 6 करोड़ रुपये की कमाई हो जाती है।

फिल्में कैसे आती हैं टीवी पर?

अब सवाल ये कि चैनल को ये फिल्में मिलती कैसे हैं? तो इसका सीधा-सा जवाब है राइट्स खरीदकर।

कोई भी फिल्म पहले थिएटर में रिलीज होती है, फिर OTT प्लेटफॉर्म्स पर आती है और उसके बाद बारी आती है टीवी की। यहां टीवी चैनल फिल्म के ब्रॉडकास्ट राइट्स खरीदते हैं, जिनकी कीमत फिल्म की लोकप्रियता पर निर्भर करती है। कोई औसत बॉलीवुड फिल्म के राइट्स चैनल को 5 से 10 करोड़ रुपये तक में मिल सकते हैं। तीन फिल्मों के लिए यह खर्चा 15 से 30 करोड़ रुपये तक हो सकता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि यह एक बार की इन्वेस्टमेंट होती है और कमाई कई बार होती है।

स्पॉन्सरशिप से बोनस कमाई

सिर्फ विज्ञापन ही नहीं, चैनल स्पॉन्सरशिप से भी तगड़ी कमाई करते हैं। किसी बड़ी फिल्म को अगर कोई ब्रांड स्पॉन्सर कर देता है, तो चैनल को अलग से 1-2 करोड़ रुपये की कमाई हो जाती है।

साथ ही, एक बार राइट्स खरीदने के बाद चैनल उस फिल्म को बार-बार दिखा सकता है। अगली बार जब वो फिल्म दोबारा दिखाई जाएगी, तब चैनल को कोई राइट्स फीस नहीं देनी होगी लेकिन विज्ञापन की कमाई फिर भी होगी।

डीटीएच और केबल से भी पैसा

टीवी चैनल की कमाई का एक हिस्सा डीटीएच और केबल नेटवर्क से मिलने वाली फीस से भी आता है। चैनल ऑपरेटरों से एग्रीमेंट करते हैं, जिसमें वो अपना चैनल उनके पैकेज में शामिल कराते हैं और इसके बदले उन्हें तय रकम मिलती है।

फिल्में सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं, मुनाफे की मशीन हैं

तो अगली बार जब आप टीवी पर बैक-टू-बैक तीन फिल्में देखकर खुश हो रहे होंगे, तो ये मत भूलिए कि आपके इस ‘संडे मूवी माराथन’ के पीछे किसी टीवी चैनल का करोड़ों का बिज़नेस मॉडल चल रहा है।

विज्ञापन, स्पॉन्सरशिप, राइट्स और केबल फीस मिलाकर एक फिल्म चैनल के लिए सिर्फ शो नहीं, सोने का खजाना होती है। यही वजह है कि चैनल्स त्योहारों, छुट्टियों और वीकेंड पर लगातार बड़ी-बड़ी फिल्में दिखाते हैं क्योंकि वहां दर्शक होते हैं, और जहां दर्शक हैं, वहां पैसा है!

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