Tooth in Eye Surgery: कनाडा में अनोखी सर्जरी, डॉक्टरों ने मरीज की आंखों की रोशनी लौटाने के लिए किया दांत का इस्तेमाल

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Tooth in Eye Surgery: मेडिकल साइंस ने एक बार फिर ऐसा करिश्मा किया है, जो किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। कनाडा में डॉक्टरों ने एक मरीज की आंखों की रोशनी लौटाने के लिए उसके अपने दांत का इस्तेमाल किया। इस अनोखी तकनीक को ‘टूथ इन आई’ (Tooth in Eye Surgery) कहा जाता है और इसे मेडिकल भाषा में Osteo-Odonto-Keratoprosthesis (OOKP) कहा जाता है।

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यह तकनीक दुनिया के कुछ हिस्सों में पहले इस्तेमाल हो चुकी है, लेकिन कनाडा में पहली बार इस प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। इस अनोखी सर्जरी के जरिए ब्रेंट चैपमैन नाम के मरीज को फिर से देखने की उम्मीद मिली है।

कैसे होती है यह अनोखी सर्जरी? (Tooth in Eye Surgery)

यह सर्जरी कई चरणों में पूरी होती है, जहां मरीज के दांत को आंख में एक कृत्रिम कॉर्निया के सपोर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर सबसे पहले मरीज के एक दांत को निकालते हैं, उसे एक छोटे टुकड़े में तराशते हैं और उसमें एक ऑप्टिकल लेंस फिट करते हैं।

इसके बाद, इस विशेष रूप से तैयार किए गए दांत को तीन महीने के लिए गाल के अंदर प्रत्यारोपित किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि दांत के आसपास सपोर्टिंग टिशू विकसित हो सके और उसे बाद में आंख में लगाने के लिए तैयार किया जा सके।

दूसरा चरण: आंख में दांत लगाने की प्रक्रिया

तीन महीने बाद जब गाल के अंदर प्रत्यारोपित किया गया दांत पूरी तरह से अनुकूल हो जाता है, तो उसे वहां से निकालकर मरीज की आंख में प्रत्यारोपित किया जाता है।

इस प्रक्रिया में, आंख के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाकर, उसमें दांत के अंदर लगे ऑप्टिकल लेंस को फिट किया जाता है। फिर आंख को गाल की स्किन से सील कर दिया जाता है, लेकिन एक छोटा सा छेद छोड़ दिया जाता है, जिससे मरीज देख सके।

क्यों किया जाता है दांत का इस्तेमाल?

मेडिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दांत की प्राकृतिक संरचना इसे ऑप्टिकल लेंस को सुरक्षित रखने के लिए सबसे उपयुक्त बनाती है। शरीर आमतौर पर बाहरी कृत्रिम इम्प्लांट्स को अस्वीकार कर सकता है, लेकिन दांत और गाल की स्किन को शरीर जल्दी स्वीकार कर लेता है।

क्या यह सर्जरी सफल होगी?

इस जटिल सर्जरी का नेतृत्व कर रहे डॉक्टर ग्रेग मोलोनी का कहना है कि इस तकनीक की सफलता दर काफी अच्छी रही है।

उनके अनुसार, शरीर आमतौर पर इस प्रक्रिया को अच्छी तरह से स्वीकार करता है और अस्वीकृति (rejection) की संभावना बेहद कम होती है। यदि ब्रेंट चैपमैन की अंतिम सर्जरी सफल रहती है, तो यह मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।

मेडिकल साइंस में नई उम्मीद

इस सर्जरी ने उन मरीजों के लिए एक नई उम्मीद की किरण जगाई है, जो पारंपरिक उपचार से अपनी दृष्टि वापस पाने में असमर्थ हैं। यदि यह प्रक्रिया कनाडा में सफल रहती है, तो आगे चलकर यह तकनीक दुनिया के अन्य हिस्सों में भी व्यापक रूप से अपनाई जा सकती है।

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