बाबा साहेब की इन 5 गलतियों ने उनकी ‘महानता में चार चांद’ लगा दिए

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अंबेडकर की 5 गलतियां – बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर जिन्होंने बचपन में जाति के भेदभाव का दर्द झेला और इतनी पढाई की ताकि देश में फैले जाति के भेदभाव को खत्म कर सकें. बाबा साहेब ने विदेश जाकर पढाई की और 32 डिग्री हासिल की और जब देश आजाद हुआ तब उन्हें देश के संविधान को निर्माण करने की जिम्मेदारी मिली और इस वजह से उन्हें संविधान निर्माता कहा जाता है लेकिन भारत का संविधान का निर्माण करने वाले बाबा साहेब (Babasaheb Ambedkar 5 Mistakes in Hindi) ने अपनी ज़िन्दगी में पांच गलतियां कि थी लेकिन उनकी इन गलतियों ने उनकी ‘महानता में चार चांद’ लगा दिए. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको बाबा साहेब की वो ही 5 गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं.

Also Read- बाबा साहेब के अंतिम संस्कार की वो कहानी, जो आज तक बताई नहीं गई. 

ब्राह्मण लड़की से की शादी 

बाबा साहेब ने ब्राह्मण लड़की से दूसरी शादी कि थी और दलित और ब्राह्मण समाज ने बाबा साहेब का विरोध किया तो वहीं लोगों ने उनके द्वारा उठाया गए इस कदम को उनकी बड़ी गलती बताया क्योंकि बाबा साहेब हिन्दू धर्म के खिलाफ थे क्योंकि इस धर्म में जाति को लेकर उनके साथ काफी भेदभाव हुआ लेकिन इसके बाद भी बाबा साहेब ने  ब्राह्मण लड़की से शादी की और इस वजह से इसे बाबा साहेब की गलती बताई गयी लेकिन ये कोई गलती नहीं थी ये एक सन्देश था. ब्राह्मण लड़की से शादी करके बाबा साहेब ने इंटर कास्ट मैरिज बढ़ावा दिया मतलब कि एक धर्म के लोग अन्य जाति कि लड़की से विवाह कर सकता है ताकि जाति को लेकर भेदभाव न हो.

परिवार पर नहीं दिया ध्यान

बाबा साहेब भी दूसरी गलत परिवार पर ध्यान न देना बताई गयी और इस गलती की वजह से उनका परिवार उनसे काफी नाराज हुआ. दरअसल, बाबा साहेब के बेटे यशवंत राव के जन्म के बाद रमाबाई की जितनी भी संतानों को जन्म दिया, वो सभी कुछ समय बाद मर गए लेकिन बाबा साहेब ने परिवार पर ध्यान नहीं दिया. वहीं अपने एक बेट की मौत के दौरान वो उसके शव को श्मशान ले जाने के बजाए दलितों के लिए बनाए गए गोलमेज सम्मेलन में चले गए थे और इस बात से उनका परिवार काफी नाराज हुआ और इसे बाबासाहेब की गलती बताई गयी लेकिन इस बात से ये सन्देश मिलता है जो हो गया उसे कोई बदल नहीं सकता हैं जिसे जाना था वो चला गया इसलिए जिस काम जरुरी है उसे पूरा करो जिस काम के लिए निकले हो उसे पूरा करें. क्योंकि गोलमेज सम्मेलन दलितों के लिए था इसलिए बाबा साहबे ने यहाँ जाना जरुरी समझा.

हिन्दू धर्म को छोड़कर अपनाया बौद्ध धर्म

वहीं बाबा साहेब (Babasaheb Ambedkar 5 Mistakes) की तीसरी गलती धर्म को लेकर थी. जहाँ बाबा साहब आंबेडकर हर धर्म का विरोध करते थे क्योंकि हर धर्म में जाति को लेकर भेदभाव होता था तो वहीं बाबा साहेब द्वारा शुरू किया गया संघर्ष धर्म के सम्पूर्ण अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है क्योंकि भेदभाव का दर्द झेल चुके बाबा साहेब ने हिन्दू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया और इसे बाबा साहेब की गलती बताया  लेकिन ऐसा नहीं हैं बाबा साहेब के धर्म परिवर्तन करने से देश को ये सन्देश मिला कि जिस धर्म में भेदभाव न हो जात-पात जैसी चीजें न हो वो धर्म सही नहीं है.

भारत को नहीं बताया अपनी मातृभूमि

बाबा साहेब की चौथी गलती डॉ अंबेडकर भारत को अपनी मातृभूमि नही बताना था दरअसल, बाबा साहबे ने गांधी जी से कहा कि मेरी कोई अपनी मातृभूमि नहीं है, इस बात को बाबा साहेब कि बड़ी गलती बाताई थी लेकिन इस बात से ये सन्देश जाता है कि जहाँ बाबा साहेब का विदेश में सम्मान मिला तो वहीं बाबा साहेब को अपने ही देश में जाति के नाम पर भेदभाव झेलना पड़ा और इस वजह से वो भारत को अपनी मातृभूमि नहीं कहते थे.

विदेशों में मिले सम्मान को ठुकराया 

इसी के साथ बाबा साहेब कि पांचवी गलती विदेशों में मिलने वाले सम्मान को ठुकराने को लेकर थे. दरअसल, कई देशों ने बाबा साहेब को सम्मानित करने के लिए उन्हें अपने देश बुलाया लेकिन बाबा साहबे ये सम्मान ठुकरा दिया और इसे बाबा साहेब  की गलती बताया गया क्योंकि ऐसा सम्मान हर किसी को नहीं मिलाता लेकिन बाबा साहबे ने सम्मान ठुकराकर ये सन्देश दिया कि देश में जाति नाम के भेदभाव खत्म होना और कम जाति वाले लोगों को सम्मान मिलना ही मेरा असली सम्मान है और ये बात बाबा साहेब महान बनती है.

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