भगवान श्रीराम से जुड़े ये 10 अनोखे रहस्य आप जानते हैं कि नहीं?

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भगवान श्रीराम हिन्दुओं की आस्था के महान प्रतीक हैं और इस बात का प्रमाण अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर से लगाया जा सकता है. वहीं अब देश में दशहरा का त्यौहार मनाया जा रहा है और इस मौके पर हर जगह जय श्रीराम का नारा गूंज रहा है क्योंकि बड़े छोटे पैमाने पर लोग रामायण का आयोजन करते हैं जिसमें रामायण की कहानी बताई जाती है लकिन कुछ ऐसी बातें हैं जो रामायण में नहीं दिखाई गयी है. वहीं इस बीच इस पोस्ट के जरिए हम आपको भगवान श्रीराम और रामायण से जुड़े दस रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं.

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श्रीराम राजा थे या भगवान

जहाँ शास्त्रों में लिखा और बताया गया है कि है श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार थे और इस वजह से उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है. इसी के साथ वो अयोध्या में राजा दशरथ के यहां एक आम इंसान के रूप में ही पैदा हुए और इस वजह से बड़े बेटे होने के नाते उन्हें महाराज यानि की राजा बनाया गया.

श्रीराम की बड़ी बहन थी शांता

रामायण में राम का परिवार के सभी लोगों और वनवास के दौरान क्या–क्या हुआ और किन लोगों से मुलाकात हुई ये सब दिखाया गया है लेकिन श्रीराम की की बहन भी थी और उसका नाम शांता और वो राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थी. लेकिन माता कौशल्या ने उसे अपनी बहन वर्षिणी को गोद दे दिया था, जिसकी कोई संतान न थी और इस वजह से रामयण में उनकी बहन का जिक्र न के बराबर है.

दशरथ ने क्यों दिए थे कैकेयी को दो वर

कहा जाता है कि देवों और असुरों के संग्राम में देवराज इंद्र ने राजा दशरथ से मदद मांगी और इस दौरन इस युद्ध में राजा दशरथ के साथ रानी कैकेयी उनकी सारथी बनकर गई थी. वहीं युद्ध भूमि में रानी कैकेयी ने राजा दशरथ की प्राणों की रक्षा की थी जिससे खुश होकर राजा दशरथ ने कैकेयी से दो वरदान मांगने को कहा था पर कैकेयी ने कहा कि वह समय आने पर वरदान मांगेगी.

कैकयी ने क्यों मांगा था श्रीराम के लिए 14 वर्षों का वनवास

कैकेयी राजा अश्वपति की बेटी थी और श्रवण कुमार के पिता रत्नऋषि राजा अश्वपति के राजपुरोहित थे जिसने कैकेयी को शास्त्र वेद पुराण की शिक्षा दी थी. वहीं ज्योतिष गणना के आधार कैकेयी ने 14 वर्ष का वनवास इसलिए माँगा था क्योंकि दशरथ की मृत्यु के पश्चात यदि चौदह वर्ष के दौरान कोई संतान गद्दी पर बैठ भी गया तो रघुवंश का नाश हो जाएगा.

14 साल तक नहीं सोये लक्ष्मण

जब श्रीराम और सीतामाता और लक्ष्मण को वनवास हुआ तब श्री लक्ष्मण ने अपने भाई श्रीराम और भाभी सीतामाता की रक्षा करने के लिए 14 साल तक नींद नहीं ली. कहा जाता है कि लक्ष्मण को निद्रादेवी दर्शन दिया गया जिसमें उन्होंने अपनी भाभी अर्थात सीता माता और भाई की रक्षा के लिए 14 साल तक नहीं सोने की इच्छा व्यक्त की जिसके बाद  निद्रादेवी ने सीता की बहन और लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला से मुलाकात की. वह सभी शर्तों पर सहमत हो गईं और लक्ष्मण के बजाय 14 साल तक सोती रहीं.

माता सीता के कर्णफूल नहीं पहचान पाए थे लक्ष्मण

जब माता सीता का अपहरण हो गया और जंगले में माता सीता को खोजने के दौरन कुछ आभूषण मिले. तब राम ने उन आभूषणों को लक्ष्मण को दिखाकर पूछा कि यह तो सीता के आभूषण हैं इस पर लक्ष्मण ने कहा कि  यह मैं कैसे बता सकता हूं, मैंने तो कभी भाभी के मुख की ओर देखा ही नहीं. मैं तो सेवक और मैंने तो सिर्फ भाभी के चरणों को देखा है इसलिए मैं सिर्फ उनकी पायल को पहचानता हूं.

रावण ने माता सीता को क्यों नहीं छुआ

विश्व विजय करने के दौरान जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे वहां रम्भा नामक अप्सरा को पकड़ लिया और उसे अपने साथ ले जाना चहा तब रम्भा ने कहा कि मैं आपके बड़े भाई के पुत्र नलकुबेर के लिए हूं, इसलिए आपकी पुत्रवधू समान हूं. इसके बाद भी रावण ने उसके साथ जबरदस्ती की और तब कुबेर के बेटे नलकुबेर ने रावण (Ravan) को श्राप दिया कि, यदि उसने कभी किसी स्त्री को उसकी आज्ञा के विरुद्ध स्पर्श किया तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे और इस श्राप की वजह से रावण ने सीता को छुआ नहीं.

श्रीराम को सहना पड़ा माता सीता का वियोग

भगवान श्रीराम को माता सीता का वियोग सहना पड़ा था. लेकिन यह वियोग उन्हें एक श्राप के कारण सहना पड़ा था. वह श्राप किसी और ने नहीं, बल्कि देव ऋषि नारद मुनि ने दिया था.

श्रीराम ने लक्ष्मण को दिया मृत्युदंड

रामायण में लिखा और बताया गया कि लक्ष्मण श्रीराम और सीता के सभी वचन और कर्तव्यों और आदेश का पालन करता था जहाँ लक्ष्मण रात-दिन श्रीराम की सेवा करता था तो वहीं कहा जाता है कि राम ने लक्ष्मण को मृत्युदंड की सजा दी थी और ऐसा तब हुआ जब एक बार स्वयं काल के देव यमराज मुनि वेश धारण कर भगवान श्रीराम के दरबार पहुंचे थे और इस दौरान उन्होंने भगवान श्रीराम एक वचन माँगा और इस वचन का पालन नहीं करने पर भगवान राम ने भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड दे दिया.

भगवान राम की मृत्यु

अयोध्या आगमन के बाद राम ने कई वर्षों तक अयोध्या का राजपाट संभाला और इसके बाद गुरु वशिष्ठ व ब्रह्मा ने उनको संसार से मुक्त हो जाने का आदेश दिया और इसके बाद श्रीराम ने जल समाधि ले ली थी.

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