केवल विपक्ष पर ही मिडिया मेहरबान क्यों..सत्ता पक्ष के विवादों को क्यों नहीं मिलता हवा

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कहते है कि मीडिया के पास वो ताकत है कि जो छोटे से चोरी के मामले को भी सीधा पूरे देश में फैले भष्ट्राचार से जोड़ दे तो वहीं बड़ा भ्रष्टाचार भी एक मामली चोरी बन जाये। बिहार में जो विधानसभा चुनाव हुए है, उसके नतीजो के आने के बाद आरजेडी में शुरु हुई पारिवारिक कलाह को मीडिया ने काफी हाइलाइट करके नमक मिर्च लगा कर परोस दिया है, लोगों को कलाह का ये स्वाद शायद पसंद भी आ रहा है और जमकर राजनीति भी हो रही है।

पहले हार और फिर पारिवारिक कलाह एक तो करेला और ऊपर से नीम चढ़ा जैसा हो गया है। और उस पर मीडिया वाकई में अपनी भूमिका अच्छे से निभा रहा है। लेकिन सवाल ये है कि जो मीडिया निष्पक्ष पत्रकारिता का हवाला देता है..क्या वो वाकई में निष्पक्षता के पक्ष में है। ऐसा हम क्यों कह रहे है… तो चलिए आपको बताते है कि वाकई में हमारी मीडिया किसके लिए काम कर रही है।

राजा भैया का हथियार जखीरा

3 जून 2025 में एक मामला सामने आया था,  कुंडा विधानसभा सीट से कई बार के विधायक रह चुके और जनसत्ता दल’ के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, जो अपनी बाहुबली छवि के लिए मशहूर है, उनकी पत्नी भावनी सिंह ने पीएमओ में एक शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि उनके पति के पास असल भारी मात्रा में हथियारो का जखीरा है, ये हथियार मास डिस्ट्रक्शन का कारण हो सकता है, जो कि लोगो की सुरक्षा और देश के आंतरिक शांति को भंग करने के लिए पर्याप्त है।

भावनी सिंह ने राजा भैया से अपनी जान को भी खतरा बताया और खुलासा किया कि बंद कमरे में राजा भैया ने उन पर गोली चलाई थी, जिसमें उनकी छोटी बेटी बाल बाल बची थी। भावनी ने पहले भी इस मामले में सीबीआई को सारी शिकायत भेजी थी अब वो पीएमओ ऑफिस आकर शिकायत दर्ज करा रही है।

शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न

बता दे कि भावनी मे मार्च 2025 में राजा भैया के खिलाफ दिल्ली के सफदरजंग एन्क्लेव थाने में शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने की एफआईआर दर्ज कराई थी..इससे पहले अगस्त 2023 में भानवी सिंह ने एक फैमिली कोर्ट में भी अर्जी दी थी कि पिछले 30 सालों से वो  घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार और राजा भैया के अवैध संबंधों को झेल रही है। मदद के लिए भानवी सिंह ने राष्ट्रीय महिला आयोग और दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से भी अर्जी डाली थी।

राजा भैया और भानवी कई सालों से अलग रह है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि दोनो की बीच तलाक की अर्जी देने की खबरें है,, लेकिन इतने सालों में राजा भैया जैसी शख्सियत की खबर मीडिया ने छोड़ दी.. इतने बड़े बाहुबलि नेता की खबर सामने नहीं आई..जबकि मीडिया तो एक छोटे से नेता को भी हाइलाइट कर देता है अगर कुछ गलत छोड़िये… कोई गलत टिप्पणी भी कर देते है..तो फिर राजा भैया की जिंदगी में इतनी बड़ी बड़ी घटनायें हो गई..फिर मीडिया कौन सी नींद में सोया हुआ था।

रवि किशन मामला फिरौती का आरोप या ‘पावर प्ले’?

चलिए मीडिया की कलाकारी का एक और नमूना पेश करते है.. यूपी के गौरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन को तो आप पहचानते ही होंगे। सांसद होने से पहले वो एक बड़े एक्टर भी है..तो किसी पहचान के मोहताज नहीं है.. अप्रैल 2024 में एक खबर सामने आई थी कि मुंबई के रहने वाली अपर्णा सोनी उर्फ अपर्णा ठाकुर ने बीजेपी सांसद रवि किशन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि उनकी बेटी सिनोवा सोनी अलग में रवि किशन की बेटी है। और वो उनकी पहली पत्नी है।

लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली

लेकिन रवि किशन उन्हें उनका हक देने के लिए तैयार नहीं है। मामला जितना गर्म था। ऐसा लगा था कि काफी दूर तक जायेगी।  लेकिन रवि किशन की पत्नी प्रीती शुक्ला ने लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में अपर्णा ठाकुर ही नहीं, उसके पति राजेश सोनी, बेटी शिनोवा सोनी, बेटे सौनक सोनी के साथ समाजवादी पार्टी के नेता विवेक कुमार पांडे, एक पत्रकार खुर्शीद खान राजू के खिलाफ ही मामला दर्ज करा दिया।

अपर्णा ठाकुर से 20 करोड़ की फिरौती मांगी

इतना ही नहीं प्रीती शुक्ला ने तो ये भी आरोप लगाया कि अपर्णा ठाकुर ने उनसे 20 करोड़ की फिरौती मांगी थी, और धमकी दी थी कि अगर फिरौती नहीं दी तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। यहां तक कि अंडरवर्ल्ड की भी धमकी दी.. वहीं अपर्णा ठाकुर ने भी कहा था कि उन्होंने 10 महीने पहले ही नोटिस दिया था कि बेटी की शादी औऱ पढ़ाई के खर्चो के लिए 20 करोड़ रूपय मांगे थे, कोई फिरौती नहीं मांगी थी।

मीडिया ने बढ़ा चढ़ा दिखाया

इन लोगो ने सत्ता के पावर में आकर उन्हें और उनकी बेटी को प्रताड़ित करना शुरु कर दिया है। अपर्णा का बेटा 4 सालों से आउट ऑफ इंडिया रहता है, उनके पति 18 सालों से उर्गम वैली बद्रीनाथ में रह रहे है, लेकिन उन्हें भी नहीं बख्शा जा रहा है। इन दोनो ही मामलो में मिडिया ने केवल राजा भैया और रवि किशन का पक्ष तो बढ़ा चढ़ा दिखाया लेकिन दूसरा पक्ष पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया।

इतना ही नहीं सुर्खियों में मुद्दे ऐसे उठे जैसे कोई छोटी मोटी खबर को और अगले दिन अखबार के दूसरे तीसरे पन्ने में एक छोटी सी खबर बन कर कोने में रख दी गई हो जबकि हाइटलाइट होते तो लोगो न्याय के लिए आवाज उठाते तो सोचा कि मामले को ज्यादा तूल ही न दिया जाये।

जो लोगो के जेहन में सवाल उठाये..वैसे हमारी राय है.. अगर मीडिया वाकई में अपना काम सही से करती तो शायद एक पारिवारिक कलह को राष्ट्रीय रूप न मिलता और देश की सुरक्षा से खिलावाड़ करने के मुद्दे को ठंडे बस्ते में न डाला जाता है… सारी भूमिका पावर और पैसे की है…आपकी इस पर क्या राय है..कमें कमेंट करके जरूर बतायें।

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