Shehla rashid 2019 sedition case: शहला राशिद और हार्दिक पटेल से देशद्रोह के मुकदमे हटा लिए गए – बदली सियासत या बदलते हालात?

Table of Content

Shehla rashid 2019 sedition case: देश की अदालतों में बीते हफ्ते दो बड़े फैसले सामने आए, जिनमें जेएनयू की पूर्व छात्र नेता शहला राशिद और गुजरात के भाजपा विधायक हार्दिक पटेल के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मुकदमे वापस ले लिए गए। दोनों ही मामलों ने अलग-अलग समय पर काफी सुर्खियां बटोरी थीं, लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि इन मामलों को अचानक वापस लेने के पीछे वजह क्या है? क्या यह बदलते राजनीतिक समीकरणों का नतीजा है या फिर किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा?

और पढ़ें: India Government Debt: भारत पर बढ़ता सरकारी कर्ज़! 181.74 लाख करोड़ के ऋण तले दबती अर्थव्यवस्था, हर नागरिक पर 1.25 लाख का भार

शहला राशिद: जेएनयू से लेकर जम्मू-कश्मीर तक का सफर (Shehla rashid 2019 sedition case)

शहला राशिद का नाम तब चर्चाओं में आया जब वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्र राजनीति में सक्रिय हुईं। 2015-16 में वे जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष चुनी गईं और वामपंथी संगठन AISA से जुड़ी रहीं।

फरवरी 2016 में जब जेएनयू कैंपस में कथित ‘देश विरोधी नारेबाजी’ का मामला सामने आया, तब कन्हैया कुमार और उमर खालिद के समर्थन में शहला ने मोर्चा संभाला और सरकार के खिलाफ मुखर होकर खड़ी हो गईं। इस घटना के बाद वे टीवी डिबेट्स, सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर एक तीखी आलोचक के रूप में नजर आने लगीं।

क्यों दर्ज हुआ शहला राशिद पर देशद्रोह का केस?

2019 में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला किया, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म हो गया। शहला इस फैसले की खुलकर विरोधी थीं। 18 अगस्त 2019 को उन्होंने भारतीय सेना पर कश्मीर में अत्याचार करने का आरोप लगाते हुए कई ट्वीट किए।

एक ट्वीट में उन्होंने लिखा कि ‘सशस्त्र बल रात में घरों में घुसकर लोगों को उठा रहे हैं, फर्श पर राशन गिरा रहे हैं और लोगों को यातनाएं दे रहे हैं।’

इसके बाद उनके खिलाफ IPC की धारा 124A (देशद्रोह), 153A, 153, 504 और 505 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। हालांकि, सेना ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

राजनीतिक रुख में बदलाव और केस वापसी

2023 में शहला राशिद का रुख बदला। उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर में शांति बहाली के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की तारीफ की। उन्होंने कहा कि यह एक ‘रक्तहीन राजनीतिक समाधान’ था और कश्मीर की स्थिति गाजा जैसी नहीं है।

फरवरी 2024 में दिल्ली सरकार ने उनकी देशद्रोह की धारा हटाने की सिफारिश की, जिसे बाद में पटियाला हाउस कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

हार्दिक पटेल: पाटीदार आंदोलन से बीजेपी विधायक तक का सफर

गुजरात में 2015 का पाटीदार आंदोलन एक बड़ी राजनीतिक घटना थी, जिसके केंद्र में हार्दिक पटेल थे। 25 अगस्त 2015 को अहमदाबाद में हुई महाक्रांति रैली के बाद राज्य में हिंसा भड़क गई, जिसमें 10 से ज्यादा लोग मारे गए और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा।

हार्दिक पर आरोप था कि उन्होंने युवाओं को पुलिस पर हमला करने के लिए भड़काया। इस पर IPC की धारा 124A (देशद्रोह) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज हुआ।

कांग्रेस से बीजेपी तक की राजनीतिक यात्रा

हार्दिक ने 2017 के गुजरात चुनाव में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस का समर्थन किया, जिससे बीजेपी को नुकसान हुआ। लेकिन 2019 के बाद उनका कांग्रेस से मोहभंग होने लगा।

2022 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली और 2022 के विधानसभा चुनाव में वीरमगाम सीट से बीजेपी विधायक बने। अब गुजरात सरकार ने उनके देशद्रोह के केस को वापस लेने की अपील की, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।

क्या सियासत में बदलाव से मुकदमों की दिशा भी बदलती है?

दोनों मामलों में एक पैटर्न दिखता है – राजनीतिक सोच में बदलाव के साथ कानूनी मामलों का हल निकलना। शहला राशिद और हार्दिक पटेल, दोनों ने ही अपनी पुरानी विचारधारा से हटकर सरकार की नीतियों की सराहना करनी शुरू कर दी और नतीजा यह हुआ कि उन पर दर्ज गंभीर मुकदमे हटा दिए गए।

और पढ़ें: ED Notice to Paytm: पेटीएम पर ईडी की गाज! विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन का आरोप, कानूनी दांव-पेंच में फंसी कंपनी

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Is AI Replacing Tech Jobs? Exploring the Impact of Artificial Intelligence on the Workforce

  Introduction: The Rise of AI in Technology Artificial Intelligence (AI) has emerged as a transformative force within the technology sector, fundamentally altering how businesses operate and innovate. Over recent years, we have witnessed a remarkable surge in AI applications, ranging from machine learning algorithms to natural language processing systems, that are now integral components...

UP BJP New President: यूपी भाजपा को मिला नया चेहरा, संगठन की कमान अब पंकज चौधरी के हाथ

UP BJP New President: उत्तर प्रदेश भाजपा को आखिरकार नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। शनिवार को एकमात्र नामांकन होने के बाद जिस नाम पर पहले ही सहमति बन चुकी थी, उस पर रविवार को औपचारिक ऐलान कर दिया गया। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय परिसर स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यवेक्षकों...

Kanpur News: एक जैसे चेहरे ही नहीं, फिंगरप्रिंट भी सेम! कानपुर का अनोखा मामला, विज्ञान हैरान

Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने आम लोगों के साथ-साथ विज्ञान के जानकारों को भी सोच में डाल दिया है। विज्ञान अब तक यही मानता आया है कि दुनिया में किसी भी दो इंसानों के फिंगरप्रिंट और आंखों की रेटिना एक जैसी नहीं...

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख सूत्रधार Dr Ramvilas Das Vedanti का निधन, अयोध्या और संत समाज में शोक की लहर

Dr Ramvilas Das Vedanti: राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता और अयोध्या से पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के रीवा में निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। जानकारी के अनुसार, वे 10 दिसंबर को दिल्ली से रीवा पहुंचे थे, जहां उनकी रामकथा चल रही थी। इसी दौरान...

Bhim Janmabhoomi dispute: रात में हमला, दिन में फाइलें गायब! भीम जन्मभूमि विवाद ने लिया खतरनाक मोड़

Bhim Janmabhoomi dispute: महू स्थित संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मभूमि से जुड़ा राष्ट्रीय स्मारक एक बार फिर बड़े विवाद के केंद्र में है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी, महू में कथित तौर पर हुई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं, फर्जीवाड़े और सत्ता हथियाने के आरोपों ने इस ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय महत्व के स्मारक की गरिमा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds