ये तो सर्विविदित हो गया है कि देश में अब स्वनिर्मित मेड इन इंडिया संसद का निर्माण हो चुका है जिसका उद्घाटन भी हमारे प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को वीर सावरकर की जयंती के दिन करेंगे. पीएम ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था. इस कार्य के लिए राज्यसभा और लोकसभा ने 5 अगस्त 2019 को आग्रह किया था. इसकी लागत 861 करोड़ रुपये मानी गई थी लेकिन बाद में इसके निर्माण की कीमत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.
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बीजेपी नई संसद बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह को देश के लिए गौरव का पल मानते हुए जश्न मना रही है. उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर 15 दल बीजेपी के समर्थन में आ गए हैं. वहीँ कुछ ऐसे दल हैं जैसे कि कांग्रेस ने मोदी से नई संसद के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है. 20 अन्य विपक्षी दलों ने भी उसका साथ दिया है. उनका कहना है कि यह लोकतंत्रिक तरीका नहीं है. बीजेपी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न कराकर उनके पद का अपमान कर रही है.
There is also a possibility that the new Parliament building may have a new name, unlike the name- Parliament House:
Notably, the government had even renamed the historic road leading to Rashtrapati Bhawan, 'Rajpath' to
'Kartavyapath' last September, removing the 'colonial… pic.twitter.com/UfSwVabxkM— ADV. ASHUTOSH J. DUBEY 🇮🇳 (@AdvAshutoshBJP) May 25, 2023
ऊपर के मसले को देख कर अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि अब इस मामले में पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले लिया है. देश के तमाम राजनीतिक दलों में इस मुद्दे को लेकर दो फाड़ हो गया. मसला एनडीए vs यूपीए तो है ही लेकिन कुछ विपक्षी दल भी बीजेपी के साथ जा खड़े हुए हैं. आइए जानते हैं कि कौन से दल किसके साथ खड़े हैं और विपक्षी दलों का बीजेपी को समर्थन देने के पीछे क्या वजह हो सकती है?
क्यों हो रहा विरोध?
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 18 मई को पीएम नरेंद्र मोदी को नए भवन का उद्घाटन करने के लिए निमंत्रण दिया. इस पर विपक्षी दलों ने विरोध कर दिया. उनका कहना है कि यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न कराना, उनके पद का अपमान है.
राहुल गांधी और अमित शाह ने दिए बयान –
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया- राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है. संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है. – गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि स्पीकर संसद के संरक्षक होते हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया है.
राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।
संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 24, 2023
नई संसद के उद्घाटन समारोह का साक्षी बनने के लिए सरकार ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आमंत्रित किया है. लोग अपनी-अपनी सोचने की क्षमता के हिसाब से रीएक्ट करते हैं. हमें इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
कांग्रेस समेत इन विपक्षी दलों ने किया बायकॉट
21 विपक्षी दलों ने बायकॉट का ऐलान किया है. इन दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.
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नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम का जिन राजनीतिक दलों ने बहिष्कार किया है, अगर संसद में इनकी सीटों का गणित देखा जाए तो लोकसभा में उनकी कुल ताकत 147 और राज्यसभा में 96 है. यानी मौजूदा समय में विपक्षी दलों के पास लोकसभा का 26.97% और राज्यसभा का 40.33% समर्थन पक्ष के साथ है.
16 दल समर्थन में
नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर कुल 16 दल साथ आ गए हैं. इन दलों में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल – सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आजसू (झारखंड), मिजो नेशनल फ्रंट, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजद और शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं.
नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम के समर्थन में जो दल एक साथ आए हैं. अगर संसद में इनकी सीटों का गणित देखा जाए तो लोकसभा में उनकी कुल ताकत 366 और राज्यसभा में 120 है. लोकसभा सिटिंग सदस्यों की संख्या 545 और राज्यसभा में 238 है. यानी मौजूदा समय में एनडीए के पास लोकसभा का 67.155% और राज्यसभा का 50.42% समर्थन पक्ष के साथ है.
विपक्षी दलों-एनडीए ने जारी किया बयान
विपक्षी दलों ने कहा- ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है. राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है. फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है. यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन करता है. यह सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है, जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था.’
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एनडीए ने कहा- ‘बहिष्कार का फैसला केवल अपमानजनक नहीं है, यह हमारे महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का भी घोर अपमान है. संसद के प्रति इस तरह का खुला अनादर न केवल बौद्धिक दिवालिएपन को दर्शाता है बल्कि लोकतंत्र के सार के लिए परेशान करने वाली अवमानना है. अफसोस की बात है कि इस तरह के तिरस्कार का यह पहला उदाहरण नहीं है. पिछले 9 वर्षों में, इन विपक्षी दलों ने बार-बार संसदीय प्रक्रियाओं के लिए बहुत कम सम्मान दिखाया है. सत्रों को बाधित किया है, महत्वपूर्ण विधानों के दौरान बहिर्गमन किया है और अपने संसदीय कर्तव्यों के प्रति खतरनाक अभावग्रस्त रवैया प्रदर्शित किया है. यह हालिया बहिष्कार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अवहेलना की उनकी टोपी में सिर्फ एक और पंख है.’
समर्थन-विरोध में किसने क्या कहा
समर्थन में बोले
कांग्रेस की आदत है कि जहां नहीं होता हैं, वहां विवाद खड़ा कर देती है. अगस्त 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संसद एनेक्सी का उद्घाटन किया और 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद पुस्तकालय का उद्घाटन किया. कांग्रेस सरकार के मुखिया संसद का उद्घाटन कर सकते हैं तो हमारी सरकार के प्रमुख (पीएम मोदी) ऐसा क्यों नहीं कर सकते? – हरदीप पुरी, केंद्रीय मंत्री
And the Nandi bull atop the Sengol represents a commitment to deliver unfailing justice and equity to the Indian people ! What better representation of Sabka Saath , Sabka Vikas , Sabka Vishwas and Sabka Prayas as the essence of Democratic governance ! https://t.co/7cT6n0j7Nq
— Lakshmi M Puri (@lakshmiunwomen) May 24, 2023
नए संसद भवन का उद्घाटन देश के लिए गर्व की बात है, इसलिए हमने फैसला किया है कि शिअद पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल होगी. हम विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमत नहीं हैं. – दलजीत सिंह चीमा, शिरोमणि अकाली दल
संसद, लोकतंत्र का मंदिर होने के नाते, हमारे देश की आत्मा को दर्शाती है और हमारे देश के लोगों और सभी राजनीतिक दलों की है. ऐसे शुभ आयोजन का बहिष्कार करना लोकतंत्र की सच्ची भावना के अनुरूप नहीं है. सभी राजनीतिक मतभेदों को दूर करते हुए, मैं अनुरोध करता हूं कि सभी राजनीतिक दल इस शानदार आयोजन में शामिल हों. लोकतंत्र की सच्ची भावना में मेरी पार्टी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होगी. – सीएम जगन मोहन रेड्डी
I congratulate @narendramodi ji for dedicating the grand, majestic and spacious Parliament building to the nation. Parliament, being the temple of democracy, reflects our nation's soul and belongs to the people of our country and all the political parties. Boycotting such an…
— YS Jagan Mohan Reddy (@ysjagan) May 24, 2023
विरोध में बोले
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नए संसद भवन के शिलान्यास के मौके पर आमंत्रित नहीं किया गया, ना ही अब राष्ट्रपति मुर्मू को उद्घाटन के मौके पर आमंत्रित किया गया है. केवल राष्ट्रपति ही सरकार, विपक्ष और नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं. वो भारत की प्रथम नागरिक हैं. नए संसद भवन का उनके (राष्ट्रपति) द्वारा उद्घाटन सरकार के लोकतांत्रिक मूल्य और संवैधानिक मर्यादा को प्रदर्शित करेगा. – मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस अध्यक्ष
मोदी जी,
संसद, जनता द्वारा स्थापित लोकतंत्र का मंदिर है।महामहिम राष्ट्रपति का पद संसद का प्रथम अंग है।
आपकी सरकार के अहंकार ने संसदीय प्रणाली को ध्वस्त कर दिया है।
140 Cr भारतीय जानना चाहते हैं कि भारत के राष्ट्रपति से संसद भवन के उद्घाटन का हक़ छीनकर आप क्या जताना चाहते हैं ?
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 25, 2023
भाजपाइयों द्वारा संसद के दिखावटी उद्धाटन से नहीं, बल्कि वहां पर लिखे ‘श्लोकों’ की मूल भावना को समझकर, सभी को सुनने व समझने का बराबर अवसर देना ही सच्ची संसदीय परंपरा है. जहां सत्ता का अभिमान हो परंतु विपक्ष का मान नहीं, वो सच्ची संसद हो ही नहीं सकती, उसके उद्धाटन में क्या जाना. –अखिलेश यादव, सपा अध्यक्ष
भाजपाईयों द्वारा संसद के दिखावटी उद्धाटन से नहीं, बल्कि वहाँ पर लिखे ‘श्लोकों’ की मूल भावना को समझकर, सभी को सुनने व समझने का बराबर अवसर देना ही सच्ची संसदीय परंपरा है। जहाँ सत्ता का अभिमान हो परंतु विपक्ष का मान नहीं, वो सच्ची संसद हो ही नहीं सकती, उसके उद्धाटन में क्या जाना। pic.twitter.com/mytLLuLKJo
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 24, 2023
संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है. यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों के साथ एक प्रतिष्ठान है. यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है. प्रधानमंत्री मोदी शायद यह नहीं समझते. उनके लिए रविवार को नई इमारत का उद्घाटन ‘मैं, मेरा और मेरे लिए’ से ज्यादा कुछ नहीं है, इसलिए हमें इससे बाहर ही समझें. – डेरेक ओ’ब्रायन, टीएमसी राज्यसभा सांसद
BJP दलितों पिछड़ों आदिवासियो की जन्मजात विरोधी है. महामहिम के अपमान की दूसरी घटना. पहला अपमान प्रभु श्रीराम के मंदिर शिलान्यास में श्री रामनाथ कोविंद जी को नहीं बुलाया. दूसरा अपमान संसद भवन के उद्घाटन समारोह में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू जी को न बुलाना. -संजय सिंह, AAP राज्यसभा सांसद
BJP की मानसिकता हमेशा से दलितों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ रही है।
मोदी जी ने दो राष्ट्रपतियों का अपमान किया।
शिलान्यास में और उद्घाटन में नही बुलाया महामहिम को। pic.twitter.com/QAq70XP6C0— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 25, 2023
इसलिए हुआ है नई बिल्डिंग का निर्माण
संसद के वर्तमान भवन में लोकसभा में 550 जबकि राज्यसभा में 250 माननीय सदस्यों की बैठक की व्यवस्था है. भविष्य की जरूरतों को देखते हुए संसद के नवनिर्मित भवन में लोकसभा में 888 जबकि राज्यसभा में 384 सदस्यों की बैठक की व्यवस्था की गई है.
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